केंद्र सरकार ने यूएपीए कानून के तहत की सख्त कार्रवाई
नई दिल्ली।। प्रतिबंधित संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन और इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक भटकल बंधुओं सहित 18 लोगों को आतंकवाद विरोधी संशोधित गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए)के तहत 'आतंकवादीÓ घोषित किया गया है।
गृह मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि संशोधित गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत तैयार की गई इस सूची में 1999 में इंडियन एयरलाइन्स के विमान का अपहरण करने वाले अब्दुल रौफ असगर , इब्राहिम अथर और यूसुफ अजहर भी शामिल हैं। इससे पहले, केवल संगठनों को इसके तहत आतंकवादी घोषित किया जाता था। प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और आतंकवाद के प्रति 'कतई बर्दाश्त नहींÓ (शून्य सहनशीलता) की अपनी नीति की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए मोदी सरकार ने मंगलवार को यूएपीए के प्रावधानों के तहत 18 और लोगों को आतंकवादी घोषित किया है। उन्होंने कहा कि ये लोग सीमा पार से आतंकवाद के विभिन्न कृत्यों में शामिल हैं और देश को अस्थिर करने की नापाक कोशिशें कर रहे हैं। इस सूची में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का शीर्ष कमांडर साजिद मीर भी शामिल है, जो 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले के प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक है। 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले का आरोपी एवं लश्कर कमांडर युसूफ मुज़म्मिल, लश्कर प्रमुख हाफिज सईद का बहनोई अब्दुर रहमान मक्की भी इस सूची में शामिल है।
राजनीतिक मामलों का प्रमुख मक्की संगठन के विदेशी मामलों से जुड़े विभाग के लिए भी काम कर चुका है। इनके अलावा सूची में इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक रियाज़ इस्माइल शाहबन्द्री उर्फ रियाज़ भटकल और उसका भाई मोहम्मद इक़बाल उर्फ इक़बाल भटकल भी शामिल है। ये दोनों जर्मन बेकरी (2010), चिन्नास्वामी स्टेडियम, बैंगलोर (2010), जामा मस्जिद (2010), शीतलाघाट (2010) और मुंबई (2011) हमले सहित कई आंतकवादी कृत्यों में शामिल रहे हैं। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के चार करीबी सहयोगी - शेख शकील उर्फ छोटा शकील, मोहम्मद अनीस शेख, इब्राहिम मेमन उर्फ टाइगर मेमन और जावेद चिकना भी इस सूची में शामिल है। इन्हें संयुक्त राष्ट्र भी आतंकवादी घोषित कर चुका है। आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के फलाह-ए-इन्सानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) के पाकिस्तान स्थित उप प्रमुख शहीद महमूद उर्फ शाहिद महमूद रहमतुल्ला को भी आतंकवादी घोषित किया गया है। फलाह-ए-इन्सानियत आतंकी गुट लश्कर ए तैयबा का मुखौटा संगठन है। अक्षरधाम मंदिर (2002) और हैदराबाद में टास्क फोर्स कार्यालय पर आत्मघाती हमले (2005) में शामिल पाकिस्तन के आतंकवादी फरहतुल्लाह ग़ोरी उर्फ अबू सूफिय़ान तथा, जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूर अजहर के तीन परिवार वाले - अब्दुल रऊफ असगर, इब्राहिम अतहर और यूसुफ अज़हर भी शामिल हैं। हिजबुल मुजाहिद्दीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन, उसके साथी गुलाम नबी खान उर्फ आमीर खान, पाकिस्तान के एक आतंकवादी और जैश के सियालकोट सेक्टर का कमांडर शाहीद लतीफ तथा हिजबुल मुजाहिदीन के वित्तीय मामलों को संभालने वाला पाकिस्तन का जफर हुसैन भट भी इस सूची में शामिल है। प्रवक्त ने कहा कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आतंकवाद से लडऩे के देश के संकल्प को स्पष्ट रूप से दोहराया है।
केंद्र सरकार ने जारी किये आदेश
नई दिल्ली।। केंद्र की मोदी सरकार ने मंगलवार को बड़ा फैसला किया है। अब जम्मू-कश्मीर में देश का कोई भी व्यक्ति जमीन खरीद सकता है और वहां बस सकता है। गृह मंत्रालय ने मंगलवार को इसकी हरी झंडी देते हुए नई अधिसूचना जारी कर दी। हालांकि खेती की जमीन को लेकर रोक जारी रहेगी।
गृह मंत्रालय ने अपनी विज्ञप्ति में कहा कि इस आदेश को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (केंद्रीय कानूनों का अनुकूलन) तीसरा आदेश, 2020 कहा जाएगा। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। आदेश में कहा गया है कि सामान्य आदेश अधिनियम, 1897 इस आदेश की व्याख्या के लिए लागू होता है क्योंकि यह भारत के क्षेत्र में लागू कानूनों की व्याख्या के लिए है। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का कहना है कि हम चाहते हैं कि बाहर के उद्योग जम्मू-कश्मीर में स्थापित हों, इसलिए औद्योगिक भूमि में निवेश की जरूरत है। लेकिन खेती की जमीन सिर्फ राज्य के लोगों पास ही रहेगी। बता दें कि इससे पहले जम्मू-कश्मीर में सिर्फ वहां के निवासी ही जमीन की खरीद-फरोख्त कर सकते थे। मोदी सरकार की नई अधिसूचना के मुताबिक अब बाहर के लोग भी यहां जमीन खरीद सकेंगे। गृह मंत्रालय ने ये फैसला जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के अंतर्गत लिया है। इसके तहत अब कोई भी भारतीय नागरिक जम्मू-कश्मीर में फैक्ट्री, घर या दुकान के लिए जमीन खरीद सकता है। इसके लिए उसे किसी भी तरह के स्थानीय निवासी होने का सबूत देने की जरूरत नहीं होगी। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया था। इसके बाद 31 अक्तूबर 2019 को जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया था। इसके केंद्र शासित प्रदेश बनने के एक साल बाद जमीन के कानून में बदलाव किया गया है।
नई दिल्ली।। नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के उत्तर प्रदेश के लाभार्थियों से संवाद किया। पीएम मोदी ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के सभी लाभार्थियों से बात कर रहा था तो ये अनुभव किया कि सबको एक खुशी भी है,एक आश्चर्य भी है।
उन्होंने कहा कि पहले नौकरी वालों को लोन लेने के लिए बैंकों के चक्कर लगाने होते थे, गरीब आदमी बैंक के भीतर जाने का भी नहीं सोच सकता था। लेकिन आज बैंक खुद चलकर आ रहा है। हमारे रेहड़ी-पटरी वालों की मेहनत से देश आगे बढ़ता है। ये लोग आज सरकार का धन्यवाद दे रहे हैं, लेकिन मैं इसका श्रेय सबसे पहले बैंक कर्मियों की मेहनत को देता हूं। बैंक कर्मियों की सेवा के बिना ये कार्य नहीं हो सकता था। पीएम मोदी ने कहा कि आज का दिन आत्मनिर्भर भारत के लिए महत्वपूर्ण दिन है। कठिन से कठिन परिस्थितियों का मुकाबला ये देश कैसे करता है, आज का दिन इसका साक्षी है। कोरोना संकट ने जब दुनिया पर हमला किया, तब भारत के गरीबों को लेकर तमाम आकांक्षा व्यक्त की जा रही थी। मेरे गरीब भाई बहनों को कैसे कम से कम तकलीफ उठानी पड़े, कैसे गरीब इस मुसीबत से उभरे, सरकार के सभी प्रयासों के केंद्र में यही चिंता थी। इसी सोच के साथ देश ने 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपए की गरीब कल्याण योजना शुरू की। पीएम मोदी के संबोधन से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योजना के लाभार्थियों से संवाद करते हुए कहा कि आज प्रदेश के 651 स्थानीय निकायों की संस्थाओं में प्रदेश के 2,74,000 पटरी व्यवसायी आपके मार्गदर्शन और प्रेरणा से प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के अंतर्गत ऋण वितरण सुविधा से कोरोना कालखंड में अपने त्योहार और पर्व सफलतापूर्वक मना पाएंगे।
नई दिल्ली।। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार शाम को सतर्कता एवं भ्रष्टाचार-विरोधी एक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बीते वर्षों में देश भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टालरन्स की नीति पर आगे बढ़ रहा है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार हो, आर्थिक अपराध हो, ड्रग मामले हो, धनशोधन या फिर आंतकवाद और आतंकी वित्तपोषण हो ये सब एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। उन्होंने कहा, इसलिए हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रणालीगत जांच, प्रभावी ऑडिट, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण का काम मिलकर करना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज मैं आपके सामने एक और बड़ी चुनौती का जिक्र करने जा रहा हूं। ये चुनौती बीते दशकों में धीरे-धीरे बढ़ते हुए अब देश के सामने एक विकराल रूप ले चुकी है।ये चुनौती है- भ्रष्टाचार का वंशवाद यानि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर हुआ भ्रष्टाचार। उन्होंने कहा कि बीते दशकों में हमने देखा है कि जब भ्रष्टाचार करने वाली एक पीढ़ी को सही सजा नहीं मिलती, तो दूसरी पीढ़ी और ज्यादा ताकत के साथ भ्रष्टाचार करती है।उसे दिखता है कि जब घर में ही करोड़ों रुपये कालाधन कमाने वाले का कुछ नहीं हुआ, तो उसका हौसला और बढ़ जाता है। इस वजह से कई राज्यों में तो पीढ़ी दर पीढ़ी भ्रष्टाचार राजनीतिक परंपरा का हिस्सा बन गया है। पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार का ये वंशवाद, देश को दीमक की तरह खोखला कर देता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब डीबीटी के माध्यम से गरीबों की मिलने वाला लाभ 100 प्रतिशत गरीबों तक सीधे पहुंच रहा है। अकेले डीबीटी की वजह से एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा गलत हाथों में जाने से बच रहे हैं। मोदी ने कहा कि आज गर्व के साथ कहा जा सकता है कि घोटालों वाले उस दौर को देश पीछे छोड़ चुका है। बता दें कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय सम्मेलन की थीम सतर्क भारत-समृद्ध भारत है। यह सम्मेलन तीन दिन तक चलेगा।
बिहार विधानसभा चुनाव
नई दिल्ली।। बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिये मैदान में डटे 1463 उम्मीदवारों में से 34 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की है । एक गैर सरकारी संगठन ने इसकी जानकारी दी है।
चुनाव संबंधी गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि करीब 27 प्रतिशत तथा कुल 389 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों की जानकारी दी है। ये गंभीर मामले गैर जमानती अपराध हैं और इसमें पांच साल से अधिक की सजा हो सकती है । इसके अनुसार कुल 502 उम्मीदवार अथवा 34 प्रतिशत प्रत्याशियों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की है। संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 34 फीसद अथवा 495 उम्मीदवारों ने अपनी संपत्ति करोड़ों में बतायी है जबकि तीन उम्मीदवारों ने कहा है कि उनके पास कोई संपत्ति नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय जनता दल के 56 उम्मीदवारों में से 64 प्रतिशत अथवा 36 उम्मीदवारों ने हलफनामे में अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की है और 50 फीसदी अथवा 28 उम्मीदवारों ने गंभीर आपराधिक मामले बताये हैं। इसमें कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी के 46 उम्मीदवारों में से 29 ने आपराधिक मामले जबकि 20 ने गंभीर आपराधिक मामले अपने हलफनामे में बताये हैं। इसमें कहा गया है कि इसी प्रकार लोक जनशक्ति पार्टी के 52 उम्मीदवारों में से 28 ने आपराधिक मामले जबकि 24 ने गंभीर आपराधिक मामलों की घोषणा की है। कांग्रेस के 24 उम्मीदवारों में से 14 ने, बसपा के 33 में से 16 ने तथा जद (यू) के 43 में से 20 उम्मीदवारों ने अपने अपने हलफनामे में आपराधिक मामलों की घोषणा की है। इसमें कहा गया है कि इसी प्रकार बसपा के 14, कांग्रेस के 10 तथा जद (यू) के 15 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों की घोषणा की है। इसके अनुसार 49 उम्मीदवारों ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों की घोषणा की है जबकि इनमें से चार ने कहा है कि उनके खिलाफ बलात्कार से संबंधित मामले चल रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि हलफनामे से प्राप्त जानकारी के अनुसार 32 उम्मीदवारों के खिलाफ हत्या एवं 143 उम्मीदवारों के खिलाफ हत्या के प्रयास के मामले लंबित हैं। इसमें कहा गया है कि दूसरे चरण की 94 सीटों में से 84 सीटों को रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र घोषित किया गया है। रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र वे होते हैं जहां तीन या उससे अधिक ऐसे उम्मीदवार चुनाव मैदान में होते हैं जो अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा करते हैं।
कंटेनमेंट क्षेत्रों में 30 नवंबर तक लॉकडाउन
नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस के बीच कई गुड न्यूज हैं। तसल्ली देने वाली खबर यह भी है कि पिछले 24 घंटों में कोरोना के संक्रमण के मामले में पिछले दिनों की अपेक्षा कमी आई है। खुशखबरी यह भी कि देश में ऐक्टिव केस की संख्या भी घट रही है। हालांकि इन सबके बावजूद केंद्र की मोदी सरकार कोरोना संक्रमण को देखते हुए किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतना चाहती है।
गृह मंत्रालय की ओर से कोरोना महामारी को देखते हुए अनलॉक-5 की गाइडलाइंस को जारी करते हुए अपने 30 सितंबर के आदेशों को ही लागू रखा गया है। कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने कोरोना गाइडलाइंस के मद्देनजर 30 सितंबर को जो आदेश लागू किया था, वह अब 30 नवंबर 2020 तक प्रभाव में रहेगा। गृह मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि राज्य में या राज्य से वस्तुओं और लोगों के आवागमन पर किसी भी तरह का कोई भी प्रतिबंध नहीं होगा। इन कार्यों के लिए किसी तरह की विशेष इजाजत/अनुमोदन या फिर ई-परमिट की आवश्यकता नहीं होगी। यही नहीं कंटेनमेंट जोन में 30 नवंबर तक सख्ती से लॉकडाउन का पालन कराया जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के सचिव राजेश भूषण ने कोरोना की स्थिति को लेकर कहा कि पिछले पांच हफ्तों से देखा जा रहा है कि कोरोना से होने वाली नई मौतों की संख्या में लगातार कमी आई है। उन्होंने यह भी कहा कि देश में अब रिकवरी रेट 90.62 फीसदी पहुंच गया है। यह लगातार बढ़ रहा है, जो कि एक अच्छा संकेत है।