कानून में 5 साल तक जेल और 1 करोड़ जुर्माने का प्रावधान
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिए नया कानून तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। इसके नियमों का उल्लंघन करने पर 5 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान किया गया है। कानून और न्याय मंत्रालय ने गुरुवार को यह अध्यादेश जारी किया है
मंत्रालय ने कहा कि अध्यादेश को कमिशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट इन एनसीआर एंड अजॉइनिंग एरियाज ऑर्डिनेंस 2020 कहा जाएगा। यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और इसके साथ लगते इलाकों में लागू होगा। यह एनसीआर में वायु प्रदूषण से संबंधित मामलों से संबंधित है। यह एक बार में लागू होगा। बुधवार को राष्ट्रपति ने अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। अध्यादेश के मुताबिक दिल्ली से जुड़े वे इलाके जहां यह लागू हो सकता है उनमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर से सटे इलाके शामिल हैं जहां प्रदूषण का स्रोत मौजूद है और जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता पर खराब असर डाल रहा है। कानून को सख्ती से लागू कराने के लिए एक कमीशन का गठन किया जाएगा, जिसमें 20 सदस्य होंगे। मंत्रालय ने कहा कि कमीशन की ओर से जारी किसी आदेश और निर्देश या प्रावधानों का उल्लंघन दंडनीय अपराध होगा और पांच साल तक जेल या 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना या फिर दोनों सजा दी जा सकती है। केंद्रीय पयार्वरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आस-पास के राज्यों में बढते जानलेवा प्रदूषण पर रोक लगाने के उपाय सुझाने के लिए गठित आयोग को एक महत्वपूर्ण कदम करार दिया है। जावड़ेकर ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल के जवाब में कहा कि इस आयोग का गठन महत्वपूर्ण कदम है। आयोग के पास प्रदूषण से निपटने के लिए विभिन्न कदम उठाने की पूरी ताकत है। इससे राजधानी सहित आस पास के क्षेत्रों में प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय कैबिनेट ने किसानों के हित में किया बड़ा फैसला
नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक पीएम नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में गुरुवार को हुई, जिसमें तीन महत्वपूर्ण फैसले किए गए। इसमें देश में जूट के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए खाद्यान्न की पैकेजिंग को जूट के बैग में करना जरुरी किया गया है।
केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि कि 100 प्रतिशत खाद्यान्न के लिए जूट के बैग आएंगे और 20 प्रतिशत चीनी भी जूट के बैग में पैक होगी। इससे जूट की खेती को बढ़ावा मिलेगा, रोजग़ार मिलेगा और किसानों का फायदा होगा।
इसके अलावा कैबिनेट में यह फैसला भी लिया गया कि चीनी से बनने वाली इथेनॉल की नई कीमत को लेकर हुआ। अब यह कीमत 62.65 रुपये लीटर होगी। इथेनॉल बी हैवी की कीमत 57.61 रुपये, सी हैवी की कीमत 45.69 रुपये होगी। वहीं तीसरे महत्वपूर्ण निर्णय में केन्द्रीय कैबिनेट में बांधों की सुरक्षा और उसके मरम्मत के लिए योजना के दूसरे और तीसरे चरण को मंजूदी दी गई। केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि आज कैबिनेट में डैम रिहैबिलिटेशन एंड इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट के दूसरे और तीसरे चरण को मंजूरी दी गई है। 10 साल(अप्रैल 2021 से मार्च 2031 तक) की ये परियोजना दो चरण में होगी जिसकी अनुमानित लागत 10,211 करोड़ रुपये होगी। कैबिनेट की प्रेस ब्रीफिंग के दौरान यह बताया गया कि इन बांधों से जुड़ी परियोजोना के बजट का 80 फीसदी हिस्सा और वर्ल्ड बैंक और एआईआईबी से आएगा। इसके साथ ही, योजना के दूसरे चरण में बांधों की संख्या बढ़ाई जाएगी। इस योजना में देश के 19 राज्यों के शामिल किया गया है।
लंदन। ब्रिटेन में पिछले 24 घंटों के दौरान वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के 24,701 नए मामले सामने आने से देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 942,275 हो गई जिसे ध्यान में रखते हुए कई इलाकों में अलग-अलग प्रणाली के प्रतिबंध लागू कर दिए गए है।
देश में पिछले 24 घंटों में 310 मरीजों की मौत से मरने वालों का आंकड़ा 45,675 पर पहुँच गया हैं। कोरोना के ताजा आंकड़ा के सामने आने के बाद प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन पर देशभर में लॉकडाउन के उपायों को कसने के लिए दबाव बढ़ गया है।
कोरोना के बढ़ते मामलो को ध्यान में रखते हुए नॉटिंघमशायर शहर में शुक्रवार को टायर-3 प्रतिबंध लागू होने की उम्मीद है जबकि नॉटिंघम सिटी, ब्रोक्सटोव, गेडलिंग और रशक्लिफ में गुरुवार 12:01 बजे से टायर-3 स्तर पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे। इसके अलावा यॉर्कशायर में भी टायर-3 प्रतिबंध के लगाए जाने की उम्मीद हैं। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रधानमंत्री जॉनसन ने पूरे इंग्लैंड में 14 अक्टूबर को तीन स्तरीय कोविड-19 चेतावनी प्रणाली लागू की थी। चेतावनी प्रणाली में तीन स्तर शामिल हैं, मध्यम, उच्च और बहुत उच्च। कोरोना की स्थानीय संक्रमण की दरों के अनुसार टायर प्रणाली को लेकर निर्णय लिया जाता है।
विश्व की पहली साइंटून आधारित पुस्तक
लखनऊ। कोरोना वायरस पर केंद्रित विश्व की पहली साइंटून आधारित पुस्तक बाय-बाय कोरोना का लोकार्पण आज उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लखनऊ स्थित राजभवन में किया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की स्वायत्त संस्था विज्ञान प्रसार द्वारा इस पुस्तक का प्रकाशन किया गया है। विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पाराशर और इस संस्था के ही प्रकाशन विभाग के प्रमुख निमिष कपूर इस पुस्तक के क्रमश: प्रमुख संपादक और संपादक हैं।
तेरह अध्यायों में प्रकाशित इस पुस्तक में कोरोना वायरस के बारे में विस्तृत जानकारी साइंस कार्टून्स (साइंटून्स) के जरिये प्रस्तुत की गई है। पुस्तक में महामारी से लेकर वैश्विक महामारी, कोविड-19 और उससे जुड़े लक्षणों, बीमारी की रोकथाम और सावधानियों का साइंटून्स के माध्यम से रोचक चित्रण किया गया है।
विज्ञान विषयक कार्टून्स को साइंटून्स कहा जाता है। साइंटून्स के माध्यम से विज्ञान से जुड़े जटिल तथ्यों को भी आम जन के लिए बेहद रोचक एवं हल्के-फुल्के अंदाज में पेश करने का प्रयास किया जाता है। इनमें नवीन शोध, विभिन्न वैज्ञानिक विषय, डेटा और विज्ञान आधारित अवधारणाएं शामिल हैं। साइंटून्स पर केंद्रित वेबसाइट पर अन्य बहुत-से विषयों से जुड़े साइंस कार्टून्स देखे जा सकते हैं। साइंटून्स के मामले में भारत विश्व में शीर्ष स्थान रखता है। देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में एम.एस.सी. पाठ्यक्रम में साइंटून्स का अध्ययन कराया जाता है। बाय-बाय कोरोना पुस्तक में शामिल एक अध्याय आर्ट ऑफ लीविंग विद कोरोना है, जिसमें कोरोना वायरस से बचाव के लिए साइंस कार्टून्स के जरिये उन सावधानियों के बारे में बताया गया है, जिन पर घर से बाहर शॉपिंग या फिर अन्य कार्यों के लिए जाने पर अमल करना जरूरी है।
यह जाने-माने साइंटूनिस्ट प्रदीप के. श्रीवास्तव द्वारा लिखी गई है। लखनऊ स्थित सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट में वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक के पद पर रहे प्रदीप के. श्रीवास्तव ने बताया कि इस किताब का मूल उद्देश्य लोगों को आकर्षक तरीके से कोविड-19 से अवगत कराना है। मैंने कुछ साइंटून्स तैयार किए और उन्हें अपने फेसबुक पर पोस्ट किया था। डॉ नकुल पाराशर (निदेशक, विज्ञान प्रसार) ने उन्हें देखा और कोरोना वायरस पर साइंटून्स की एक पुस्तक विकसित करने का विचार दिया। मैंने शुरू में 50 पृष्ठों की किताब की योजना बनायी थी, क्योंकि मैं इस परियोजना पर अकेले काम कर रहा था। लेकिन, विषय की व्यापकता का एहसास होने के बाद, मैंने दूसरे लोगों से योगदान लेने का फैसला किया। इस तरह, कुल 220 पृष्ठों की पुस्तक तैयार हुई है।
प्रदीप के. श्रीवास्तव के अलावा, इस पुस्तक में गोवा के मडगांव स्थित पार्वती बाई चौगले कॉलेज के छात्रों - लकीशा इनैसिआ कोएल्हो ई. कोस्टा, दा कोस्टा मारिया, साइमरैन ब्लॉसम, प्रियंका शांके, सामार्दिनी पाइगांकर, सेल्सिया सैविआ दा कोस्टा और प्रथमेश पी. शेतगांवकर ने भी कोरोना वायरस पर साइंटून्स बनाने में योगदान दिया है। इसके अलावा, गुजरात के स्कूल अध्यापक विशाल मुलिया का भी इस पुस्तक में अहम योगदान है।
विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पाराशर ने कहा है कि किसी तथ्य या कथा साहित्य की सचित्र प्रस्तुति हमेशा पाठकों का ध्यान बनाए रखने का सबसे शक्तिशाली माध्यम रही है। संचार के ग्राफिक आधारित वर्णन में, कार्टूनों को हमेशा पसंद किया गया है। साइंटून्स के क्षेत्र में, डॉ प्रदीप श्रीवास्तव की बाय-बाय कोरोना, अपने प्रासंगिक विषय के रूप में अलग स्थान रखती है, जिसे कार्टून के रूप पेश करना एक महत्वपूर्ण पहल है। साइंटून्स का यह संग्रह एक बहुत ही प्रासंगिक दौर में प्रकाशित किया जा रहा है। वास्तव में, यह बहुप्रतीक्षित पुस्तक है!
विज्ञान प्रसार में प्रकाशन विभाग के प्रमुख निमिष कपूर ने कहा है कि विज्ञान प्रसार सक्रिय रूप से विज्ञान आधारित पुस्तकों का प्रकाशन कर रहा है। कार्टून्स के जरिये कोरोना वायरस को समझने के लिए बाय-बाय कोरोना का प्रकाशन उपयुक्त समय पर किया जा रहा है। बचाव के लिए जागरूकता अहम है, जो अंतत: हमें महामारी से बचा सकती है।
भारत में पुस्तक का लोकार्पण होने के बाद यह किताब ब्राजील के साओ पॉलो में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में भी ब्राजील इंडिया नेटवर्क द्वारा लोकार्पित की जाएगी। ब्राजील में बोली जाने वाली पुर्तगाली भाषा में इस पुस्तक के प्रकाशन की योजना है।
प्रकाशकों की योजना इस पुस्तक का 3डी संस्करण लाने की भी है, ताकि बोलते हुए साइंटून्स को विभिन्न भाषाओं में भारत और विदेशों में पहुँचाया जा सके और इसका उपयोग कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया भर में जागरूकता के प्रसार के लिए किया जा सके।
नईदिल्ली। केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने वैश्विक उद्योग जगत और विशेषज्ञों को भा सभी प्रकार के ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाकर भारत को समृद्ध बनाने में भागीदार बनने के लिए आमंत्रित किया है। कल शाम 'सीईआरए वीक इंडिया एनर्जी फोरमÓ के समापन सत्र में बोलते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब कोविड-19 महामारी वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है, माननीय प्रधानमंत्री द्वारा भारत ऊर्जा संगोष्ठी का उद्घाटन भारत सरकार की ऊर्जा सुरक्षा एवं वास्तु-कला में सुधार करने और ऊर्जा परिदृश्य को बदलने के प्रति चिंतन को दर्शाता है।
प्रधान ने कहा कि हम इस बात के लिए तहे दिल से सम्मानित महसूस कर रहे हैं कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार उस कार्यक्रम का उद्घाटन किया जिसमें उन्होंने सात प्रमुख कारकों के साथ अपने ऊर्जा दृष्टिकोण - भारत के नए ऊर्जा मानचित्र- की रूपरेखा प्रस्तुत की है। मंत्री प्रधान ने प्रधानमंत्री के मुख्य संदेश भारत में ग्राम स्तर पर सार्वभौमिक विद्युतीकरण की तेसे प्रगति, देश में दूर-दूर तक फैले प्रत्येक घर में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन पहुंचाना और एलईडी बल्बों की राष्ट्रव्यापी आपूर्ति के जरिए बड़े पैमाने पर ऊर्जा क्षमता में अग्रणी होने के कार्य को रेखांकित किया है, जिससे देश में ऊर्जा गरीबी को काफी कम करने के हमारे वादे को पूरा किया जा सके।
प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आयोजन के पहले दिन ही विश्व के प्रमुख तेल और गैस कंपनियों के सीईओ/विशेषज्ञों और प्रमुखों के साथ बातचीत की और भारत में ऊर्जा क्षेत्र पर विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि सरकार की नीति के मूल में सभी भारतीयों को स्वच्छ, सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा की समान पहुंच प्रदान करना है। मोदी ने रेखांकित किया कि भारत को एक आकर्षक गंतव्य-स्थल बनाने के लिए सरकार कई नीतिगत सुधार भी कर रही है। प्रधानमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि एक आत्मनिर्भर भारत भी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक गुणक होगा।
प्रधान ने कहा कि भारतीय तेल और गैस उद्योग ने हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। हमने इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित कर सराहनीय कार्य किया है, जिसमें खाना पकाने का स्वच्छ ईंधन देश के सबसे दूरस्थ हिस्से तक पहुंचाना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि भारतीय तेल और गैस उद्योग के प्रमुखों ने न केवल अपने अनुभवों के जरिए योगदान दिया, बल्कि वे इस मंच से नए विचारों को भी आत्मसात कर अपने घर ले जाएंगे।
प्रधान ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के निर्णायक और दूरदर्शी नेतृत्व में, हम कोविड के बाद और इसके दौरान ऊर्जा क्षेत्र में भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए ठोस प्रयास तथा सभी आवश्यक कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्व अभूतपूर्व स्वास्थ्य संकट से गुजर रहा है और कोविड महामारी वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न कर रही है। प्रधान ने कहा, हम ऐसे बिंदु पर हैं, जब हमें वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र की आपूर्ति श्रृंखलाओं में कोविड के कारण उत्पन्न व्यवधानों के प्रभाव का आकलन करना होगा और भारत के ऊर्जा क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए दृष्टिकोण को भी परखना होगा।
प्रधान ने इस कार्यक्रम के प्रतिभागियों विशेष रूप से सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री एच.आर.एच. प्रिंस अब्दुलअजीज और अमेरिकी ऊर्जा सचिव एच.ई. डैन ब्रोइलेट को भारत ऊर्जा फोरम में अपने विशेष उद्घाटन संबोधनों के लिए धन्यवाद भी दिया। प्रधान ने इस आयोजन में शामिल होने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रेलवे, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को भी धन्यवाद दिया।
इस कार्यक्रम में तेल और गैस कंपनियों के लगभग 40 वैश्विक सीईओ, साथ ही सार्वजनिक और निकंपनियों के भारतीय सीईओ ने भी भाग लिया और अपने विचार, सुझाव और निवेश भी प्रस्तुत किए। उद्योग जगत के प्रमुखों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत की ऊर्जा मांग अगले दो दशकों में दोगुना होने का अनुमान है, आने वाले समय में एक सतत विश्व के पुनर्निर्माण में भारत एक अद्वितीय भूमिका अदा करेगा।
सेरावीक द्वारा आयोजित 2017 में शुरू हुआ भारत ऊर्जा फोरम एक वार्षिक कार्यक्रम बन गया है। इसके पीछे का विचार यह है कि भारत के ऊर्जा क्षेत्र में अवसरों और चुनौतियों पर विचार करने के लिए वैश्विक स्तर के ऊर्जा प्रमुखों और विशेषज्ञों को भारत लाना है। मंत्री प्रधान ने इस वर्चुअल मंच के जरिए भारत ऊर्जा फोरम के चौथे संस्करण के निर्बाध रूप से जारी रखने में योगदान के लिए आईएचएस मर्किट के उपाध्यक्ष डॉ. डैनियल येरगिन और उनकी टीम की सराहना की।
इस तीन-दिवसीय कार्यक्रम दौरान प्रधान ने डॉ. येरगिन की पुस्तक द न्यू मैप का विमोचन भी किया था।
नईदिल्ली। देश में जनवरी से कोरोना जांच परीक्षण के आधारभूत ढांचे में लगातार वृद्धि हुई है और इसकी वजह से कोरोना जांच की संख्या में भी घातांक वृद्धि दर्ज की गई है। देश में कोरोना जांच क्षमताओं में कई गुना बढ़ोतरी हुई है और अब रोजाना 15 लाख परीक्षण किए जा सकते हैं।
पिछले 24 घंटों में 10,75,760 परीक्षण किए गए और अब तक कुल मिलाकर 10.65 करोड़ से अधिक (10,65,63,440) परीक्षण हो चुके हैं।
पिछले छह सप्ताह में प्रतिदिन औसतन 11 लाख परीक्षण किए गए हैं।
जैसा कि स्पष्ट है कि व्यापक और समग्र आधार पर कोरोना जांच का दायरा बढ़ाने से इसकी पॉजिटिविटी दर में कमी आई है और कुल राष्ट्रीय पॉजिटिविटी दर में तेसे हुई गिरावट यह दर्शाती है कि कोरोना संक्रमण के प्रसार को प्रभावी रूप से काफी हद तक रोकने में सफलता मिली है। समग्र पॉजिटिविटी दर में लगातार गिरावट आ रही है और आज यह 7.54 प्रतिशत है।
पिछले तीन सप्ताह में समग्र पॉजिटिविटी दर में गिरावट देश में जांच सुविधाओं में व्यापक विस्तार का प्रमाण है।
पिछले 9 दिनों में देश में कोरोना की एक करोड़ जांच की गईं हैं और प्रतिदिन पॉजिटिविटी दर इस समय 4.64 प्रतिशत है।
देश में कोरोना के सक्रिय मामलों में लगातार गिरावट का दौर जारी है और आज कोरोना के सक्रिय मामले 6,03,687 हैं जो देश के कुल पॉजिटिव मामलों का केवल 7.51 प्रतिशत है।
कोरोना के सक्रिय मामलों में गिरावट कोरोना से ठीक होने वाले लोगों की बढ़ती संख्या के कारण हो रही है। अब तक कोरोना को मात देने वाले मरीजों की संख्या 73 लाख से अधिक (73,15,989) हो चुकी है और कोरोना से ठीक हुए मरीजों तथा सक्रिय मामलों का अंतर 67 लाख से अधिक (67,12,302) हो गया है। कोरोना से ठीक होने वाले लोगों की बढ़ती संख्या के चलते इस अंतर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
पिछले 24 घंटों में 56,480 लोग ठीक हुए हैं और उन्हें अस्पतालों से छुट्टी दी गई है और कोरोना के नए पुष्ट मामलों की संख्या 49,881 है।
कोरोना से ठीक होने वाले नए मामलों का 79 प्रतिशत 10 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों से है।
इसमें महाराष्ट्र का सबसे अधिक योगदान है जहां एक दिन में 8000 से ज्यादा लोग ठीक हुए हैं और इसके बाद केरल का स्थान है जहां 7000 से ज्यादा लोग ठीक हुए हैं।
पिछले 24 घंटों में 49,881 नए पुष्ट मामले दर्ज किए गए हैं और इनमें से 79 प्रतिशत 10 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से हैं। केरल में सबसे अधिक केस आए हैं और इनकी संख्या 8000 से अधिक (8790) है और इसके बाद महाराष्ट्र से 6738 मामले सामने आए हैं।
पिछले 24 घंटों में कोरोना की वजह से 517 लोगों की मौत हुई है और इनमें से लगभग 81 प्रतिशत 10 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से हैं। महाराष्ट्र में सबसे अधिक 91 मौतें हुई हैं।