नई दिल्ली। केंद्र ने राज्यों को कोविड-19 के टीकाकरण के कामकाज को देखने और समन्वय करने के लिए समिति गठित करने को कहा है। साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका कम से कम असर पड़े। केंद्र ने कहा कि सोशल मीडिया पर शुरुआत से ही नजर रखी जाए ताकि उन अफवाहों पर लगाम लगाई जा सके जिसका असर समुदाय में टीके की स्वीकार्यता पर पड़ सकता है। केंद्र ने रेखांकित किया है कि कोविड-19 के टीके को देने में करीब एक साल का समय लगेगा और इसमें विभिन्न समूहों को शामिल किया जाना है जिसकी शुरुआत स्वास्थ्य कर्मियों से होगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके मद्देनजर राज्य और जिला स्तर पर समिति बनाने को कहा है जो टीकाकरण की तैयारियों जैसे टीकों को रखने के लिए शीत गृह की श्रृंखला, परिचालन तैयारी, भौगोलिक आधार पर राज्य विशेष की चुनौती आदि की समीक्षा करेगी। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखी चि_ी में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य संचालन समिति (एसएससी), अपर मुख्य सचिव या प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) के नेतृत्व में राज्य कार्यबल (एसटीएफ) और जिलाधिकारी के नेतृत्व में जिला कार्यबल (डीटीएफ) बनाने का सुझाव दिया है। पत्र के साथ संलग्न परिशिष्ट में समितियों के कार्यों को भी रेखांकित किया गया है, जैसे एसएसी सुनिश्चित करेगी कि सभी संबंधित विभाग सक्रिय रूप से कार्य करें और जनभागीदारी के लिए नवोन्मेषी रणनीति बनाए ताकि सभी के लिए टीकाकरण सुनिश्चित हो सके।
एक दिन में सामने आए 49390 नए मामले
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के दैनिक मामलों में आज फिर गिरावट दर्ज की गई है। गुरुवार की तुलना में शुक्रवार को कोविड-19 के नए मामलों में कमी हुई है। गुरुवार को जहां 49,881 मामले सामने आए। वहीं पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 49390 नए मामले रिपोर्ट किए गए हैं। कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 73.71 लाख के पार हो गई है। दूसरी तरफ पहली बार सक्रिय मामलों की संख्या छह लाख से नीचे पहुंची है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 49,390 नए मामले रिपोर्ट किए गए हैं। वहीं, इस दौरान वायरस के चलते 615 लोगों की मौत हुई है। देश में कोविड-19 से अब तक कुल 80,89,593 लोग संक्रमित हुए हैं। आंकड़ों के अनुसार देश में वायरस से उबरने वाले मरीजों की संख्या में हर दिन वृद्धि हो रही है। पिछले 24 घंटे में कोरोना से 57,386 मरीज ठीक हुए हैं। इस तरह देश में वायरस को मात देने वाले मरीजों की संख्या बढ़कर 73,73,375 हो गई है।
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में कोरोना वायरस के सक्रिय मामले छह लाख से कम हो गए हैं। वर्तमान में कोविड-19 के कुल सक्रिय मामले 5,94,386 हैं, जिनमें पिछले 24 घंटे में 9301 की कमी हुई है। देश में अब तक कुल 1,21,142 मरीजों की कोरोना से मौत हुई है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने बताया है कि 29 अक्तूबर तक कोविड-19 के 10,77,28,088 नमूनों की जांच की गई है। वहीं, 11,64,648 नमूनों की जांच कल की गई है।
85 दिन में पहली बार इलाजरत मरीज छह लाख से कम
देश में करीब तीन माह बाद कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या छह लाख के नीचे आई है और यह कुल मामलों का 7.35 प्रतिशत है। भारत ने कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में एक अहम उपलब्धि हासिल की है। आज की तारीख में देश में कुल 5,94,386 मरीज उपचाराधीन हैं। वहीं छह अगस्त को यह संख्या 5.95 लाख थी। मंत्रालय ने कहा कि वर्तमान में उपचाराधीन मरीजों की संख्या संक्रमण के कुल मामलों का केवल 7.35 प्रतिशत है। यह संख्या 5,94,386 है। इस प्रकार से मामले लगातार घट रहे हैं। विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित क्षेत्रों में उपचाराधीन रोगियों की संख्या अलग-अलग है जो महामारी से लडऩे के उनके प्रयासों और इसमें मिल रही प्रगति की ओर इशारा करती हैं।
नई दिल्ली। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की जल्द ही बैठक होने वाली है। कांग्रेस की तरफ से अभी तक इसके लिए तारीखों का एलान नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि इसमें कोरोना वायरस, अर्थव्यवस्था और बिहार चुनाव को लेकर चर्चा हो सकती है।
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता मधुसुदन मिस्त्री की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि बैठक में भाग लेने के लिए पार्टी के लोग अपना नाम, ई-मेल आईडी, मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साइज फोटो अपने-अपने राज्यों के एआईसीसी सदस्यों को भेजें। इस तरह बैठक में भाग लेने के लिए उन्हें आई कार्ड दिया जाएगा।
केद्र सरकार दे रही भारी-भरकम छूट!
नई दिल्ली। किसानों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के मुद्दे पर सरकार, बिजली कंपनियां और स्वयं किसान असमंजस में हैं। अगर किसानों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराई जाती है, तो इससे बिजली कंपनियों और अंतत: सरकार पर लगातार वित्तीय बोझ बढ़ता जाता है, जो पहले ही प्रति वर्ष 80 हजार करोड़ रुपये की सीमा पार कर चुका है। वहीं अगर किसानों को मुफ्त बिजली उपलब्ध नहीं कराई जाती है, तो इससे किसानों की कृषि लागत बढ़ती है, जो पहले ही कर्ज के बोझ से दबे हुए हैं। ऐसे में विकल्प क्या हो सकता है, जो सरकारों को वित्तीय बोझ से राहत देने के साथ-साथ किसानों को मुफ्त बिजली भी प्रदान करा सके। पूर्व सचिव और ऊर्जा विशेषज्ञ अजय शंकर के अनुसार सौर ऊर्जा से संचालित सोलर पंप इस समस्या का उचित समाधान बन सकते हैं। एक बार सोलर पंप लगाकर इससे लगभग 25-30 साल तक निर्बाध सिंचाई के लिए बिजली प्राप्त की जा सकती है। इनकी लागत एक हॉर्स पॉवर की मशीन के लिए लगभग एक लाख रुपये से 10 हॉर्स पॉवर की मशीन के लिए अलग-अलग कंपनियों के अनुसार 6 लाख रुपये तक हो सकती है। सोलर पैनल से बनी बिजली का उपयोग सिंचाई के साथ-साथ अन्य सभी कृषि कार्यों के लिए किया जा सकता है। इस प्रकार किसान की बिजली पर निर्भरता खत्म हो जाती है। अगर किसान इन सोलर पंप्स की स्कीम का लाभ पीएम-कुसुम योजना के अंतर्गत लेते हैं, तो किसान को इसकी केवल एक तिहाई कीमत तक चुकानी पड़ती है, जबकि एक तिहाई कीमत राज्य सरकार और शेष एक तिहाई कीमत केंद्र सरकार चुकाती है। कुछ राज्य सरकारें अपने किसानों को ज्यादा छूट उपलब्ध कराती हैं, जिससे किसानों को केवल 10 फीसदी तक ही खर्च वहन करना पड़ता है। एक बार इस योजना का लाभ ले लेने के बाद सरकार को किसान के ऊपर बिजली सब्सिडी का वहन नहीं करना पड़ता है। इससे राज्य सरकारों को स्थाई लाभ मिलता है। एक मशीन लगभग शून्य मेंटेनेंस पर 25 से 30 साल तक कार्य करती रहती है। बीच-बीच में केवल बैटरी बदलने की आवश्यकता पड़ती है। कुछ सोलर पंप को हाइब्रिड तकनीकी से भी बनाया जाता है, जिन्हें आवश्यकता पडऩे पर बिजली से भी चलाया जा सकता है, लेकिन बैटरी आधारित होने के कारण इन सोलर पंप्स से दिन-रात कभी भी सिंचाई की जा सकती है।
नई दिल्ली । आसमान छू रही आलू और प्याज कीमतों को काबू में लाने के लिए केंद्र सरकार इनका आयात कर रही है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत सरकार भूटान से 30 हजार टन आलू आयात कर रही है। उन्होंने कहा कि ऐसा आलू की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों को कम करने के लिए किया जा रहा है। उपभोक्ता मामलों के मंत्री गोयल ने कहा कि सात हजार टन प्याज पहले ही आयात किया जा चुका है। इसके अलावा दिवाली से पहले 25 हजार टन और प्याज आने की उम्मीद है। बता दें कि देश में प्याज की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं। केंद्र सरकार प्याज से साथ-साथ प्याज के बीज के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा चुकी है।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाले वाहनों जैसे जेसीबी, रोड रोलर और क्रेन में सुरक्षा उपकरणों की आवश्यकताओं को लेकर अधिसूचना जारी की है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सड़क पर चलने वाले अन्य वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है। मंत्रालय के मुताबिक अब निर्माण उपकरण वाहनों (सीईवी) में विजुअल डिस्पले, ऑपरेटर स्टेशन, हैंडरेल और सीट बेल्ट की अनिवार्यता का नियम जोड़ा गया है। केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 में पहले से कुछ सुरक्षा आवश्यकताएं अनिवार्य की गई हैं। लेकिन ये भारी वाहन सड़क व राजमार्गों पर चलते हैं ऐसे में इनके चालक, ऑपरेटर और साथ में चल रहे अन्य वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपकरणों के मानक तय किए गए हैं। इनमें ऑपरेटर स्टेशन, मेंटेनेंस एरिया, नॉन मेटेलिक फ्यूल टैंक और न्यूनतम पहुंच जैसे नियम हैं। निर्माण संबंधी इन वाहनों का इस्तेमाल बुनियादी ढांचा निर्माण की परियोजनाओं में अधिक होता है। इस मसौदे पर जनता की राय के लिए 13 अगस्त को भी एक अधिसूचना जारी की गई थी।