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आरबीआई की क्रेडिट पॉलिसी के बाद सेंसेक्स 600 अंक से अधिक लुढक़ा
Posted Date : 09-Feb-2024 4:16:22 am

आरबीआई की क्रेडिट पॉलिसी के बाद सेंसेक्स 600 अंक से अधिक लुढक़ा

नई दिल्ली । आरबीआई द्वारा क्रेडिट नीति की घोषणा के बाद बीएसई सेंसेक्स में 600 अंक से अधिक की गिरावट आई। सबसे ज्यादा गिरावट बैंकों के शेयरों में आई। सेंसेक्स साढ़े 11 बजे तक 648.25 अंक यानी 0.90 फीसदी की भारी गिरावट के साथ 71,531.35 अंक पर कारोबार कर रहा था।
एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, नेस्ले में 2 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है। प्राइवेट बैंक इंडेक्स में 1.5 फीसदी की गिरावट है। एयू बैंक 2 फीसदी नीचे है, कोटक महिंद्रा बैंक भी 2 फीसदी नीचे है। एफएमसीजी शेयरों में 1.2 फीसदी की गिरावट है। टाटा कंज्यूमर 2 फीसदी नीचे है, ब्रिटानिया 2 फीसदी और ज्योति लैब्स 3 फीसदी नीचे है।
सुमन चौधरी, मुख्य अर्थशास्त्री और प्रमुख अनुसंधान, एक्यूइट रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कहा कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आरबीआई एमपीसी ने लगातार छठी बार ब्याज दरों पर यथास्थिति बनाए रखने का फैसला किया है। हालांकि, आरबीआई ने बाजार की उम्मीदों के विपरीत आक्रामक रुख अपनाना जारी रखा और मौद्रिक रुख में बदलाव के समय के बारे में कोई संकेत नहीं दिया है।
चौधरी ने कहा कि एमपीसी के बयान के स्वर और विकास में उछाल की उम्मीद को देखते हुए, हमारा मानना है कि अगले छह महीनों में आरबीआई द्वारा किसी भी दर में कटौती की संभावना काफी कम हो गई है। चौधरी ने कहा, हमारी राय में, आने वाले समय में दरें निकट अवधि में ऊंची बनी रहेंगी। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि ऋण और जमा वृद्धि के बीच जारी अंतर को देखते हुए बैंक जमा दरों में 25-50 बीपीएस की बढ़ोतरी होगी।

 

लोकसभा में श्वेत पत्र लाई मोदी सरकार, यूपीए के शासन काल में हुए 15 घोटालों का जिक्र
Posted Date : 09-Feb-2024 4:14:55 am

लोकसभा में श्वेत पत्र लाई मोदी सरकार, यूपीए के शासन काल में हुए 15 घोटालों का जिक्र

नई दिल्ली / केंद्र की मोदी सरकार ने संसद में गुरुवार (8 फरवरी) को श्वेत पत्र पेश किया. इसमें कहा गया है कि कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए सरकार (2004 से 2014) ने दस साल में भारतीय अर्थव्यवस्था को पंगु बना दिया था. 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के संसद में पेश किए गए श्वेत पत्र में यूपीए सरकार के दौरान अंधाधुंध राजस्व व्यय, बजट के अतिरिक्त उधारी और बैंकों के एनपीए के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभावों का जिक्र किया गया है. इसके अलावा इसमें कहा गया है कि यूपीए के कार्य़काल में 15 घोटाले हुए. श्वेत पत्र की दस बड़ी बातें- 
1- श्वेत पत्र में कहा गया है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने  यूपीए सरकार से विरासत में मिली चुनौतियों पर पिछले 10 वर्षों में सफलतापूर्वक काबू पाया है. इसके साथ ही भारत को उच्च वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिए कड़े फैसले भी किए हैं.  
2. कुल 59 पेज वाले ‘भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र’ के मुताबिक, जब 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार ने सत्ता संभाली तो अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी और सार्वजनिक वित्त खराब स्थिति में था. इसके साथ ही आर्थिक कुप्रबंधन, वित्तीय अनुशासनहीनता और व्यापक भ्रष्टाचार का भी बोलबाला था. 
3. श्वेत पत्र में कहा गया है कि यूपीए शासन के 10 वर्षों में किए गए कई गलत फैसलों के कारण 2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था दिशाहीन स्थिति में थी. ऐसे में मोदी सरकार पर चुनौतियों से निपटने और अर्थव्यवस्था में गति एवं आशावाद को बहाल करने की जिम्मेदारी आ गई. यह एक संकटपूर्ण स्थिति थी.  अर्थव्यवस्था को चरण-दर-चरण सुधारने और शासन प्रणालियों को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी. 
4. श्वेत पत्र के मुताबिक, यूपीए सरकार आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रूप देने में बुरी तरह विफल रही. यूपीए सरकार ने बाधाएं भी खड़ी की जिससे अर्थव्यवस्था पीछे रह गई. 
इस दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि 2014 में एनडीए सरकार को विरासत में बेहद कमजोर अर्थव्यवस्था मिली थी. चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल के बावजूद मोदी सरकार के सुधारों से लगभग एक दशक में भारत ‘पांच कमजोर’ अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी से निकलकर दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी में शामिल हो गया. 
5. श्वेत पत्र में इस पर खेद जताया गया है कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद किसी भी तरह से उच्च आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए यूपीए सरकार ने व्यापक आर्थिक नींव को गंभीर रूप से कमजोर कर दिया. बैंकिंग संकट यूपीए सरकार की सबसे बदनाम विरासतों में एक थी. 
6. दस्तावेज में यूपीए सरकार के दौरान कोयला ब्लॉक आवंटन, 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी, राष्ट्रमंडल खेल एवं सारदा चिट फंड सहित 15 घोटालों को सूचीबद्ध करते हुए कहा गया है कि भ्रष्टाचार के इन मामलों ने अर्थव्यवस्था में लोगों के विश्वास को हिला दिया था.  इसके मुताबिक रक्षा तैयारियों को भी नीतिगत पंगुता का खामियाजा उठाना पड़ा. कमजोर नेतृत्व, इरादे और कार्रवाई की कमी से रक्षा तैयारियां पिछड़ गईं.
7. श्वेत पत्र में कहा गया है कि 2013 में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट से 1991 के भुगतान संतुलन संकट के एक बार फिर पैदा होने की आशंका पैदा हो गई थी. विदेशी मुद्रा भंडार केवल छह महीने के आयात के लिए ही पर्याप्त था. 
8. श्वेत पत्र में कहा गया कि मोदी सरकार ने व्यापक आर्थिक बेहतरी के लिए कठोर निर्णय लेने की जरूरत को समझा. इसके मुताबिक, ‘‘हमारी सरकार ने अपनी पिछली सरकार के विपरीत एक मजबूत ढांचा बनाने के साथ ही अर्थव्यवस्था की नींव में निवेश किया.’’
9. श्वेत पत्र में कहा गया, ‘‘पिछले दस वर्षों के कामकाज को देखते हुए हम विनम्रता और संतुष्टि से यह कह सकते हैं कि हमने पिछली सरकार की छोड़ी गईं चुनौतियों पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया है. ’’
10. श्वेत पत्र में मौजूदा दौर को ‘कर्तव्य काल’ बताते हुए कहा गया कि अभी मीलों चलना है और वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है. बता दें कि श्वेत पत्र पर शुक्रवार (9 फरवरी) को लोकसभा में बहस होने की संभावना है. चार घंटे की बहस के बाद वित्त मंत्री के जवाब देने की उम्मीद है.

 

विभिन्न मांगों को लेकर बैरिकेडिंग तोड़कर दिल्ली में घुसे हजारों प्रदर्शनकारी किसान
Posted Date : 09-Feb-2024 4:14:35 am

विभिन्न मांगों को लेकर बैरिकेडिंग तोड़कर दिल्ली में घुसे हजारों प्रदर्शनकारी किसान

नई दिल्ली  |  अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आज हजारों किसान गुरुवार को संसद तक मार्च पर निकले। दिल्ली में दाखिल होने से पहले ही किसानों को नोएडा बॉर्डर पर रोक लिया गया। इसके बाद आक्रोशित किसानों ने महामाया फ्लाईओवर पर बैरिकेडिंग तक तोड़ दी है और दिल्ली की तरफ कूच कर गए हैं। किसानों के साथ प्रदर्शन में मौजूद महिलाओं ने भी बैरिकेडिंग तोड़ी है। अब किसानों का चिल्ला बॉर्डर पर जमावड़ा लगा है। दिल्ली से नोएडा फिल्मसिटी होते हुए ग्रेटर नोएडा जाने वाले मार्ग को भी बंद किया गया। फि़ल्म सिटी के सेक्टर 18 जाने वाले कट पर ट्रैफिक़ सेक्टर 18 की तरफ़ डायवर्ट किया गया है।
महामाया से दिल्ली की ओर जाने वाला मार्ग पहले ही 5 घंटे से बंद है। संसद की ओर मार्च कर रहे उत्तर प्रदेश के किसानों को पुलिस ने नोएडा में हिरासत में लिया। किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। वैसे दिल्ली-अमृतसर हाइवे पर अंबाला के पास शंभू टोल प्लाजा एक बार फिर सिंधु बॉर्डर में तब्दील हो सकता है। कई किसान संगठनों ने 13 फरवरी को दिल्ली कूच का ऐलान किया है। किसानों को बिना परमिशन दिल्ली जाने से रोकने के लिए टोल प्लाजा पर नुकीली तार, बड़े बड़े पत्थर, रेत के कट्टे आदि पहुंचा दिए गए हैं। एसपी अंबाला ने भी साफ कहा है कि अगर इस बार किसी तरह का कोई नुकसान होता है तो नियम अनुसार कारवाई की जाएगी।

 

अब भारत-म्यांमार सीमा पर नहीं होगी फ्री आवाजाही
Posted Date : 09-Feb-2024 4:13:57 am

अब भारत-म्यांमार सीमा पर नहीं होगी फ्री आवाजाही

नई दिल्ली । गृह मंत्रालय ने देश की आंतरिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने और म्यांमार सीमा से लगे देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में जनसांख्यिकीय संरचना को कायम रखने के उद्देश्य से म्यांमार के साथ खुली आवागमन व्यवस्था को समाप्त करने का फैसला किया है। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरूवार को यहां सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर यह जानकारी दी। उन्होंने इस पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संकल्प देश की सीमाओं को सुरक्षित करना है। उन्होंने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने और म्यांमार सीमा से लगे भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में जनसांख्यिकीय संरचना को कायम रखने के उद्देश्य से गृह मंत्रालय ने म्यांमार के साथ मुक्त आवागमन व्यवस्था को खत्म करने का फैसला किया। अमित शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय ने इस व्यवस्था को तत्काल रद्द करने की सिफारिश की है और विदेश मंत्रालय इस व्यवस्था को खत्म करने की प्रक्रिया पूरी कर रहा है।

 

पाकिस्तान चुनाव में हिंसा, 6 पुलिसकर्मियों समेत 8 की मौत
Posted Date : 09-Feb-2024 4:13:37 am

पाकिस्तान चुनाव में हिंसा, 6 पुलिसकर्मियों समेत 8 की मौत

इस्लामाबाद  । पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के टैंक जिले में गुरुवार को एक सुरक्षा अधिकारी की मौत हो गई, जहां नई सरकार चुनने के लिए मतदान चल रहा है। स्थानीय मीडिया ने यह जानकारी दी। देर रात तक नतीजे सामने आ सकते हैं। चुनाव आयोग आधिकारिक तौर पर 9 फरवरी को नतीजों की घोषणा कर सकता है। आर्थिक तंगी के बावजूद पिछले 4 चुनावों की तुलना में इस बार का चुनाव सबसे ज्यादा खर्चीला है। करीब 1 हजार करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान में धमाकों की खबर है। इसमें 6 पुलिसकर्मियों समेत 8 की मौत हो गई है। खैबर समाचार के अनुसार, बंदूकधारियों द्वारा सुरक्षा बलों के वाहन पर की गई गोलीबारी में सुरक्षा अधिकारी की मौत हो गई। सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मतदान केंद्रों पर हजारों सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। पूरे देश में इंटरनेट को भी निलंबित कर दिया गया है, जिसे सरकार ने सुरक्षा उपाय बताया है। कार्यवाहक संघीय सूचना मंत्री मुर्तजा सोलंगी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) (पीएमएल-एन) प्रमुख शहबाज शरीफ शुरुआती मतदाताओं में से थे। सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ईरान और अफगानिस्तान के साथ देश की सीमा को सील कर दिया गया है। मतदान की पूर्व संध्या पर, बलूचिस्तान प्रांत के पिशिन और किला सैफुल्लाह में दोहरे आतंकवादी हमलों में कई लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए।
 

जिन जातियों को आरक्षण का लाभ मिल चुका है उन्हें बाहर निकालना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
Posted Date : 08-Feb-2024 3:51:21 am

जिन जातियों को आरक्षण का लाभ मिल चुका है उन्हें बाहर निकालना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली ।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछड़ी जातियों में जो लोग आरक्षण के हकदार थे और इससे लाभान्वित भी हो चुके हैं, उन्हें अब आरक्षित श्रेणी से बाहर निकालना चाहिए। शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा कि उन्हें अधिक पिछड़ों के लिए रास्ता बनाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की संविधान पीठ ने मंगलवार को इस कानूनी सवाल की समीक्षा शुरू कर दी कि क्या राज्य सरकार को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में अप-वर्गीकरण करने का अधिकार है?
सविधान पीठ ने सुनवाई से पहले दिन कहा कि वह 2004 के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की वैधता की समीक्षा करेगा, जिसमें कहा गया था कि राज्यों के पास आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आगे उप-वर्गीकृत करने का अधिकार नहीं है। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह की दलीलों का सारांश देते हुए कहा, इन जातियों को बाहर क्यों नहीं निकालना चाहिए? आपके अनुसार एक विशेष वर्ग में कुछ उपजातियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। वे उस श्रेणी में आगे हैं। उन्हें उससे बाहर आकर जनरल से मुकाबला करना चाहिए। वहां क्यों करें? जो पिछड़े में अभी भी पिछड़े हैं, उन्हें आरक्षण मिलने दो। एक बार जब आप आरक्षण की अवधारणा को प्राप्त कर लेते हैं, तो आपको उस आरक्षण से बाहर निकल जाना चाहिए। महाधिवक्ता ने कहा, यही मकसद है। यदि वह लक्ष्य प्राप्त हो जाता है, तो जिस उद्देश्य के लिए यह अभ्यास किया गया था वह समाप्त हो जाना चाहिए।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई, विक्रम नाथ, बेला एम त्रिवेदी, पंकज मिथल, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं। संविधान पीठ की अगुवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ सुनवाई के दौरान यह साफ कर दिया कि वह सिर्फ मात्रात्मक डेटा से संबंधित तर्कों में नहीं पड़ेगी, जिसके चलते पंजाब सरकार को कोर्ट के अंदर 50 फीसदी कोटा प्रदान करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट उन 23 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के 2010 के फैसले को चुनौती दे दी गई है। इसमें पंजाब सरकार की मुख्य अपील भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की संविधान पीठ अब इस सवाल की जांच कर रही है कि क्या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की तरह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के अंदर उप-वर्गीकरण की अनुमति दी जानी चाहिए और क्या राज्य विधानसभाएं इस अभ्यास को करने के लिए राज्यों को सशक्त बनाने वाले कानून पेश करने में सक्षम हैं।