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नए संसद भवन के भूमि पूजन पर बवाल
Posted Date : 07-Dec-2020 2:06:32 pm

नए संसद भवन के भूमि पूजन पर बवाल

 विपक्षी दलों ने की सर्वधर्म प्रार्थना कराने की मांग  
नई दिल्ली।  नई संसद भवन के शिलान्यास के पहले भूमि पूजन का कई विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। विपक्षी दलों ने कहा कि इससे पहले सर्वधर्म प्रार्थना होनी चाहिए। कई अन्य विपक्षी नेताओं ने सरकार की प्राथमिकता पर सवाल उठाए हैं। बता दें कि पीएम मोदी 10 दिसंबर को संसद भवन की नई इमारत के लिए पूजा करने वाले हैं।
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा, अगर पीएम भूमि पूजन कर रहे हैं तो मैं उनसे दूसरे धर्मों के नेताओं को भी आमंत्रित करने का आग्रह करूंगा। ताकि देश में रहने वाले हर शख्स को नई संसद भवन के लगाव महसूस हो। एनसीपी नेता मजीद मेनन ने कहा कि अगर भूमि पूजन से पहले सभी धर्मों के लोगों की प्रार्थना सभा का आयोजन होना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस ने नई संसद भवन के भूमि पूजन कार्यक्रम का विरोध किया है। पार्टी ने इसे धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस बात की पुष्टि की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 दिसंबर को नए संसद भवन के शिलान्यास समारोह में शामिल होंगे और इसका भूमि पूजन करेंगे। नया संसद भवन भूकंप-रोधी होगा और इसे 971 करोड़ रुपये की लागत से 64,500 वर्ग मीटर में बनाया जाएगा, जो कि पुराने भवन से 17,000 वर्ग मीटर अधिक होगा। इस परियोजना का ठेका टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को दिया गया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, 'लोकसभा सदस्यों के लिए लगभग 888 सीटें होंगी और नए भवन में राज्यसभा सदस्यों के लिए 326 से अधिक सीटें होंगी। लोकसभा हॉल में एक साथ 1,224 सदस्य बैठ सकेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ शिलान्यास को दी मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की 'सेंट्रल विस्टा परियोजना का विरोध करने वाली लंबित याचिकाओं पर कोई फैसला आने तक निर्माण कार्य या इमारतों को गिराने जैसा कोई काम ना करने का आश्वासन मिलने के बाद केन्द्र को इसकी आधारशिला रखने का कार्यक्रम आयोजित करने की सोमवार को मंजूरी दे दी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस ए. एम. खानविलकर के नेतृत्व वाली एक पीठ को कहा कि केवल आधारशिला रखने का कार्यक्रम किया जाएगा, वहां कोई निर्माण कार्य या इमारतों को गिराने जैसा कोई काम नहीं होगा। इस परियोजना की घोषणा पिछले वर्ष सितंबर में हुई थी, जिसमें एक नये त्रिकोणाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि वह सेंट्रल विस्टा परियोजना का विरोध करने वाली लंबित याचिकाओं पर कोई फैसला आने तक निर्माण कार्य या इमारतों या पेड़ों को गिराने की अनुमति नहीं देगा। केंद्र सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए आवश्यक कागजी कार्य कर सकता है एवं नींव रखने के प्रस्तावित समारोह का आयोजन कर सकता है।

पीएफआई के कार्यालयों पर ईडी के छापे निंदनीय: इंजीनियर
Posted Date : 07-Dec-2020 2:05:26 pm

पीएफआई के कार्यालयों पर ईडी के छापे निंदनीय: इंजीनियर

नई दिल्ली। जमाअत इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने मीडिया को जारी बयान में कहा कि जमाअत इस्लामी हिन्द प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा बुध की शाम पापुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफआई) के कार्यालय पर छापे की निंदा करती है। इस तरह से पीएफआई के कार्यालयों पर छापे मारना विभाग के मानक संचालन प्रक्रिया के खि़लाफ है। इस तरह की कार्रवाई से ऐसा महसूस होता है कि असहमति की आवाज़ को खामोश करने के लिए हकूमत अलोकतांत्रिक तरीक़े से विभिन्न सरकारी एजेंसियों का ग़लत इस्तेमाल कर रही है।
उन्होंने कहा कि भय का वातावरण पैदा करने और असहमति की आवाज़ों को दबाने के लिए ईडी जैसी एजेंसियों का ग़लत इस्तेमाल किया जाना अफ़सोसनाक है। ये अलोकतांत्रिक प्रक्रिया उन लोगों, समूहों और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं के खि़लाफ़ अंजाम दिया जा रहा है जो सरकार की नीतियों की आलोचना करते हैं। देश भर में पीएफआई के कार्यालयों पर ईडी के हालिया छापे अत्यंत निंदनीय है। सरकार को चाहिए कि वह इस तरह की अशोभनीय कार्रवाई से बचे, क्योंकि इसकी वजह से सरकार और अवाम के बीच अविश्वास बढ़ता है। प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने छापों पर चिंता प्रकट करते हुए आगे कहा कि सरकार का जनविरोधी रवैया दिन प्रतिदिन बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। पीएफआई पर छापों की टाइमिंग को देखते हुए यह संदेह पैदा होता है कि किसानों के जारी विरोध से अवाम का ध्यान हटाने के उद्देश्य से इसे किया गया है। सरकार का विभिन्न एनजीओ और लोगों के साथ इस तरह का रवैया संविधान की आत्मा के खि़लाफ़ है।

जेल के आंकड़ों में शुरू होगा ट्रांसजेंडर कैदियों का ब्योरा : केन्द्र
Posted Date : 07-Dec-2020 2:04:34 pm

जेल के आंकड़ों में शुरू होगा ट्रांसजेंडर कैदियों का ब्योरा : केन्द्र

नई दिल्ली। केन्द्र ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को 2020 के बाद से जेल के आंकड़ों वाली रिपोर्ट में ट्रांसजेंडर कैदियों का ब्यौरा शामिल करने के लिए एक पत्र जारी किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की एक पीठ को अतिरिक्त सॉलिस्टर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने एक प्रतिवेदन सौंपा। जेल के आंकड़ों की रिपोर्ट में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) को ''ट्रांसजेंडर कैदियों का ब्योरा शामिल करने के लिए अपेक्षित नीति बनाने और संशोधन करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध वाली याचिका के जवाब में उन्होंने यह प्रतिवेदन जारी किया। एएसजी ने कहा कि यह नोटिस चार दिसम्बर को ही जारी कर दिया गया था, इसलिए अब इस याचिका के कोई मायने नहीं है। एएसजी के प्रतिवेदन जारी करने के मद्देनजर अदालत ने करण त्रिपाठी की याचिका का निस्तारण कर दिया।

आज इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2020 को संबोधित करेंगे मोदी
Posted Date : 07-Dec-2020 2:02:35 pm

आज इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2020 को संबोधित करेंगे मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 08 दिसंबर 2020 को सुबह 10.45 बजे वर्चुअल इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी) में उद्घाटन भाषण देंगे। आईएमसी 2020 का आयोजन दूरसंचार विभाग, भारत सरकार और सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (सीओएआई) द्वारा किया जा रहा है। यह कार्यक्रम 8 से 10 दिसंबर 2020 तक आयोजित किया जाएगा।
आईएमसी 2020 के बारे में कुछ जानकारी 
आईएमसी 2020 का विषय - समावेशी नवाचार - स्मार्ट, सुरक्षित, स्थायी है। इसका उद्देश्य प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत, डिजिटल समावेशिता, एवं सतत विकास, उद्यमिता और नवाचार के विजन को बढ़ावा देने में मदद करना है। इसका उद्देश्?य विदेशी और स्थानीय निवेश संचालित करना, दूरसंचार और उभरते हुए प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अनुसंधान तथा विकास को प्रोत्साहित करना भी है।
आईएमसी 2020 में विभिन्न मंत्रालयों, दूरसंचार सीईओ, वैश्विक सीईओ, 5जी,  आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), डेटा एनालिटिक्स, क्लाउड एंड एज कंप्यूटिंग, ब्लॉक चेन, साइबर सुरक्षा, स्मार्ट सिटीज और ऑटोमेशन में क्षेत्र विशेषज्ञों की भागीदारी देखने को मिलेगी।

सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर पीएम ने सशस्त्र बलों के प्रति किया आभार व्यक्त
Posted Date : 07-Dec-2020 2:01:46 pm

सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर पीएम ने सशस्त्र बलों के प्रति किया आभार व्यक्त

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सशस्त्र सेना झंडा दिवस के अवसर पर सशस्त्र बलों के प्रति आभार व्यक्त किया है।
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ''सशस्त्र सेना झंडा दिवस हमारे सशस्त्र बलों और उनके परिवारों के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन है। भारत को उनकी बहादुरी और निस्वार्थ भाव से किए गए बलिदान पर गर्व है। मोदी ने कहा कि हमारी सशस्त्र सेनाओं के कल्याण के लिए कुछ योगदान करें, आपके इस कार्य से हमारे अनेक बहादुर जवानों और उनके परिवारों को काफी मदद मिलेगी।

किसान आंदोलन में एमएसपी बनी सरकार के गले की फांस
Posted Date : 06-Dec-2020 3:10:27 pm

किसान आंदोलन में एमएसपी बनी सरकार के गले की फांस

  • आंदोलनकारी किसान संगठन ही नहीं सरकार के अपने भी चाहते हैं गारंटी
  • किसानों की मांग को व्यावहारिक नहीं मान रही सरकार

नई दिल्ली। कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन कानूनों की वापसी के लिए चल रहे किसान आंदोलन में मुख्य पेच न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी है। एमएसपी की कानूनी गारंटी के सवाल पर आंदोलनकारी किसान संगठन ही नहीं बल्कि संघ के अनुषांगिक संगठन भी सरकार के खिलाफ है। हालांकि इस मांग से जुड़ी जटिलताओं के कारण सरकार पूरी तरह असमंजस में है।
सरकार के सूत्रों का भी कहना है कि अगर एमएसपी की कानूनी गारंटी की घोषणा कर दी जाए तो तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग संबंधी स्वर धीमे हो सकते हैं। क्योंकि सरकार पहले से ही इन कानूनों के कई प्रावधानों में संशोधन के लिए तैयार है। मसलन सरकार किसानों को सीधे अदालत का दरवाजा खटखटाने, एनएसआर क्षेत्र से जुड़े नए प्रदूषण कानून में बदलाव करने, निजी खरीददारों के लिए पंजीयन अनिवार्य करने और छोटे किसानों की हितों की रक्षा के कि प्रावधानों में जरूरी बदलाव के लिए पहले से ही तैयार है।
छठे दौर से पहले माथापच्ची
पांचवें दौर की बैठक के बेनतीजा रहने के बाद सरकार में आंदोलन खत्म कराने के लिए माथापच्ची जारी है। मुख्य माथापच्ची एमएसपी को ले कर है। कृषि मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के बीच शनिवार रात से ही कई दौर की माथापच्ची हुई है। इस पर अंतिम निर्णय से पहले सरकार 8 दिसंबर को किसान संगठनों की ओर से बुलाए गए भारत बंद के जरिए उनका दमखम भी तौलना चाहती है।
क्यों असमंजस में है सरकार
- सरकार का उद्येश्य कृषि क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ाने की है। एमएसपी को सरकार कानूनी तो बना देगी, मगर निजी क्षेत्र को खरीददारी के लिए बाध्य नहीं कर पाएगी। ऐसे में अगर फसल की मांग कम हुई तो निजी क्षेत्र खरीददारी करेंगे ही नहीं।
- सरकार एक सीमा तक ही एमएसपी के तहत खरीददारी कर सकती है। सरकार औसतन कुल उपज का छह फीसदी का ही खरीद करती है। वर्तमान क्षमता के अनुरूप इसे दस फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। भंडारण क्षमता, अर्थव्यवस्था पर बोझ सहित कई ऐसे कारण है जिसके चलते सरकार बहुत अधिक मात्रा में अनाज नहीं खरीद सकती।
- किसी एक फसल का अधिक उपज होने के बाद उसकी मांग में कमी आएगी। सरकार एक सीमा से अधिक फसल नहीं खरीदेगी। इसके बाद एमएसपी से कम कीमत पर खरीद गैरकानूनी होने पर निजी क्षेत्र खरीददारी प्रक्रिया से नहीं जुड़ेंगे। ऐसे में किसान उन फसलों का क्या करेगा?
- बड़ा सवाल कीमत तय करने का भी है। एमएसपी के दायरे में आने वाले फसलों की अलग-अलग गुणवत्ता होती है। गुणवत्ता के हिसाब से एक फसल का अलग-अलग मानक तय करते हुए अलग-अलग एमएसपी तय करना होगा। मानकों पर खरा नहीं उतरने वाले फसलों का क्या होगा? सरकार के सूत्र इसे बेहद जटिल प्रक्रिया मानते हैं।
- सरकार का कहना है कि तीनों कानूनों के जरिए उसकी कोशिश कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा कराने की थी। निजी क्षेत्र अपनी सूझबूझ से ऐसे फसलों की खेती कराएंगे, जिनका भविष्य में मांग ज्यादा होने की संभावना रहेगी। मगर एमएसपी को कानूनी बनाने से नए कानूनों का उद्येश्य पूरा नहीं होगा।
- सरकार प्रतिस्पर्धा के लिए निजी क्षेत्र पर शर्तें नहीं थोपना चाहती। सरकार के सूत्रों का कहना है कि वैसे भी कृषि क्षेत्र निजी क्षेत्र के लिए आकर्षण की प्राथमिकता वाला क्षेत्र नहीं है। शर्तें थोपने से निजी क्षेत्र कृषि क्षेत्र की ओर आकर्षित नहीं होंगे।
- एमएसपी का प्रावधान एक तरह से किसानों को सुरक्षा देने के लिए किया गया था। मसलन मांग और आपूर्ति में ज्यादा अंतर होने से किसानों को होने वाले घाटे से बचाने के लिए एमएसपी प्रक्रिया अपनाई गई थी। दूसरी ओर निजी क्षेत्र का कारोबार मांग और आपूर्ति के आधार पर चलता है। इसमें जिस फसलों की मांग ज्यादा होगी उसकी कीमत एमएसपी से ज्यादा होगी।
एक मुश्किल यह भी
आजादी के बाद से ही सरकारें किसान और ग्राहकों के बीच सीधा संबंध स्थापित करने में नाकाम रही। इसके कारण ग्राहकों को तो ज्यादा कीमत चुकानी पड़ी, मगर ग्राहक के द्वारा चुकाई गई रकम का मामूली हिस्सा ही किसानों की जेब तक पहुंचा। मसलन ग्राहकों ने कई बार किसान द्वारा बेची गई रकम से चार से पांच गुना अधिक कीमत चुकाई।  कृषि क्षेत्र का मुनाफा बिचौलियों की भेंट चढ़ता रहा। आजादी के सात दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद सरकारें किसानों का आय बढ़ाने में नाकाम रही।