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ब्लैक फंगस से निपटने के लिए नहीं होगी दवा की कमी
Posted Date : 25-May-2021 5:29:30 pm

ब्लैक फंगस से निपटने के लिए नहीं होगी दवा की कमी

0- केंद्र सरकार ने लिए कई अहम फैसले
नई दिल्ली ,25 मई । देश में कोरोना महामारी के साथ ब्लैक फंगस का कहर लगातार जारी है। ऐसे में इस खतरनाक महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार अहम फैसले ले रही है। सरकार इसके उपचार के लिये दवा के उत्पादन बढाने के लिए कई कदम उठाये हैं।
केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि देश में ब्लैक फंगस दवा के उत्पादन की क्षमता को तीन लाख से बढ़ाकर प्रतिदिन सात लाख कर दिया गया है। ब्लैक फंगस की दवा की सात लाख शीशियों का आयात करने का फैसला किया गया है। 31 मई से पहले तीन लाख शीशीयां आ जाएंगी। जून के पहले और दूसरे हफ्ते में और तीन लाख आ जाएंगी। उन्होंने कहा कि जून में लगभग 15-16 लाख (एम्फोटेरिसिन बी) शीशियों का उत्पादन होने की उम्मीद है। भारत में आठ लाख शीशियों का उत्पादन होगा, जबकि आयात से हम सात लाख शीशियों की उम्मीद कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अभी छह कंपनियां यह दवा बना रही थीं। इनके अलावा पांच और कंपनियों को दवा बनाने की इजाजत दे दी गई है। मौजूदा कंपनियां भी उत्पादन बढ़ाना शुरू कर चुकी हैं। इसके साथ ही भारतीय कंपनियों ने इस दवा के छह लाख वॉयल्स के आयात का आर्डर भी दे दिया है।
इन पांच और कंपनियों को मिली इजाजत
एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स
नाटको फार्मा
गुफिक बायो साइंसेस लि.
एलेम्बिक फार्मास्यूटिकल्स 
लायका फार्मास्यूटिकल्स
ये कंपनियां पहले से ही बना रहीं एम्फोटेरिसिन-बी
मायलन 
भारत सीरम्स
बीडीआर फार्मा
सन फार्मा
सिप्ला
लाइफ केयर
म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस क्या है?
अमेरिका के सीडीसी के मुताबिक, म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस एक दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है। लेकिन ये गंभीर इंफेक्शन है, जो मोल्ड्स या फंगी के एक समूह की वजह से होता है। ये मोल्ड्स पूरे पर्यावरण में जीवित रहते हैं। ये साइनस या फेफड़ों को प्रभावित करता है। 
इसके लक्षण क्या हैं
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सिंह ने ट्वीट कर बताया है कि आंखों में लालपन या दर्द, बुखार, खांसी, सिरदर्द, सांस में तकलीफ, साफ-साफ दिखाई नहीं देना, उल्टी में खून आना या मानसिक स्थिति में बदलाव ब्लैक फंगस के लक्षण हो सकते हैं।

कोरोना की करीब डेढ़ महीने बाद दिखी कम रफ्तार
Posted Date : 25-May-2021 5:29:09 pm

कोरोना की करीब डेढ़ महीने बाद दिखी कम रफ्तार

0- देश में पिछले 24 घंटे में सबसे कम 1,96,427 नए मामले, 3511 की मौत
नई दिल्ली ,25 मई । देश में पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के दो लाख से कम दैनिक मामले 41 दिनों बाद सामने आए। एक दिन में 1,96,427 नए मामले सामने आने के बाद देश में संक्रमितों की संख्या बढक़र 2,69,48,874 हो गई। इससे पहले 14 अप्रैल को एक दिन में संक्रमण के 1,84,372 नए मामले सामने आए थे।जबकि इस दौरान 3511 की मौत के बाद देश में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 3,07,231 हा गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार देश में 3,511 और लोगों की संक्रमण से मौत के बाद मृतक संख्या बढक़र 3,07,231 हो गई। देश में 21 दिन बाद मौत के इतने कम मामले सामने आए हैं। आंकड़ों के अनुसार, देश में अभी 25,86,782 लोगों का कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज चल रहा है, जो कि कुल मामलों का 9.60 प्रतिशत है। देश में कुल 2,40,54,861 लोग अभी तक संक्रमण मुक्त हो चुके हैं और मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर 89.26 प्रतिशत है। कोविड-19 से मृत्यु दर 1.14 फीसदी है। देश में पिछले साल सात अगस्त को संक्रमितों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त को 30 लाख और पांच सिततंबर को 40 लाख से ज्यादा हो गई थी। वहीं, संक्रमण के कुल मामले 16 सितंबर को 50 लाख, 28 सितंबर को 60 लाख, 11 अक्तूबर को 70 लाख, 29 अक्तूबर को 80 लाख, 20 नवंबर को 90 लाख के पार गए। वहीं, 19 दिसंबर को ये मामले एक करोड़ के पार और चार मई को दो करोड़ के पार चले गए। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, देश में 24 मई तक कुल 33,25,94,176 नमूनों की कोविड-19 संबंधी जांच की गई। इनमें से 20,58,112 नमूनों की जांच सोमवार को की गई।

बस्तर में नक्सलियों पर वार से बहने लगी विकास की बयार
Posted Date : 25-May-2021 5:28:39 pm

बस्तर में नक्सलियों पर वार से बहने लगी विकास की बयार

0- सुरक्षा-बलों के कैंपों ने नक्सलियों को पीछे धकेल बस्तर में बहाल किया लोकतंत्र
नई दिल्ली ,25 मई । नक्सलियों के सुरक्षित पनाहगाह माने जाने वाले बस्तर में सुरक्षा बलों की मोर्चाबंदी ने जहाँ उनकी कमर तोड़ दी है वहीं अब विकास की बयार भी बहने लगी है।
नक्सलियों के लाल किले को भेदने के साथ ही नक्सल हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में सर्वांगीण विकास पर काम किया जा रहा है। यहां अब सडक़,स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं बहाल होने लगी हैं।
छत्तीसगढ के बस्तर में नक्सलवाद पर अंकुश लगाने के लिए सुरक्षा-बलों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में कैंप स्थापित किए जाने की जो रणनीति अपनाई गई है, उसने अब नक्सलवादियों को अब एक छोटे से दायरे में समेट कर रखा दिया है। इनमें से ज्यादातर कैंप ऐसे दुर्गम इलाकों में स्थापित किए गए हैं, जहां नक्सलवादियों के खौफ के कारण विकास नहीं पहुंच पा रहा था। अब इन क्षेत्रों में भी सडक़ों का निर्माण तेजी से हो रहा है, यातायात सुगम हो रहा है, शासन की योजनाएं प्रभावी तरीके से ग्रामीणों तक पहुंच रही हैं, अंदरुनी इलाकों का परिदृश्य भी अब बदल रहा है।
बस्तर में नक्सलवादियों को उन्हीं की शैली में जवाब देने के लिए सुरक्षा-बलों ने भी घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ों में अपने कैंप स्थापित करने का निर्णय लिया। इन कैंपों की स्थापना इस तरह सोची-समझी रणनीति के साथ की जा रही है, जिससे आवश्यकता पडऩे पर हर कैंप एक-दूसरे की मदद कर सके। इन कैंपों के स्थापित होने से इन इलाकों में नक्सलवादियों की निर्बाध आवाजाही पर रोक लगी है। सुरक्षा-बलों की ताकत में कई गुना अधिक इजाफा होने से, नक्सलवादियों को पीछे हटना पड़ रहा है। सुरक्षा-बलों की निगरानी में सडक़ों, पुल-पुलियों, संचार संबंधी अधोसंरचनाओं का निर्माण तेजी से हो रहा है, जिससे इन क्षेत्रों में भी शासन की योजनाएं तेजी से पहुंच रही हैं। इन दुर्गम क्षेत्रों की समस्याओं की सूचनाएं अधिक त्वरित गति से प्रशासन तक पहुंच रही हैं, जिसके कारण उनका समाधान भी तेजी से किया जा रहा है। गांवों में चिकित्सा, स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं का विकास तेजी से हो रहा है। कुपोषण, मलेरिया और मौसमी बीमारियों के खिलाफ अभियान को मजबूत मिल रही है, जिससे सैकड़ों ग्रामीणों के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सक रही है। इन बीमारियों की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी जानें गंवानी पड़ी हैं, इनमें महिलाओं और बच्चों की संख्या सर्वाधिक रही है। बस्तर में लोकतांत्रिक प्रणाली को उत्तरोत्तर मजबूती मिलने से बौखलाए नक्सली इन कैंपों का विरोध कर रहे हैं। वे कभी इन कैंपों पर घात लगाकर हमले करते हैं, तो कभी ग्रामीणों के बीच गलतफहमियां निर्मित कर उन्हें सुरक्षा-बलों के खिलाफ बरगलाते हैं। बस्तर की सबसे बड़ी समस्या ग्रामीणों और प्रशासन के बीच संवाद की कमी रही है। कैंपों की स्थापना से संवाद के अनेक नये रास्ते खुल रहे हैं, जिससे विकास की प्रक्रिया में अब ग्रामीणजन भी भागीदार बन रहे हैं।
बस्तर के वनवासियों को वनों से होने वाली आय में इजाफा तो हो ही रहा है, उनकी खेती-किसानी भी मजबूत हो रही है। छत्तीसगढ़ के दूसरे क्षेत्रों के किसानों की तरह वे भी अब अच्छी उपज लेकर अच्छी कीमत प्राप्त कर रहे हैं। वनअधिकार पट्टा जैसी सुविधाओं का लाभ उठाने के साथ-साथ वे तालाब निर्माण, डबरी निर्माण, खाद-बीज आदि संबंधी सहायता भी प्राप्त कर रहे हैं। कैंपों की स्थापना के बाद अधोसंरचनाओं के विकास से वनोपजों और कृषि उपजों की खरीदी-बिक्री में बिचौलियों की भूमिका समाप्त हुई है, अब ग्रामीण जन शासन द्वारा तय किए गए समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेच पा रहे हैं। बीमार अथवा आपदा-ग्रस्त ग्रामीणों को तेजी से स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं।
शिक्षा की अधोसंरचनाएं भी तेजी से विकसित हो रही हैं। नक्सलवादियों ने बस्तर संभाग के विभिन्न जिलों में जिन स्कूलों को बंद करवा दिया था, उन स्कूलों के माध्यम से अब पुन: शिक्षण संबंधी गतिविधियां संचालित की जा रही हैं।

यास के उत्तर-उत्तरपश्चिम दिशा में बढऩे और अगले 12 घंटों में तीव्र होकर गंभीर च्रक्रवाती तूफान में बदलने की संभावना
Posted Date : 25-May-2021 5:28:16 pm

यास के उत्तर-उत्तरपश्चिम दिशा में बढऩे और अगले 12 घंटों में तीव्र होकर गंभीर च्रक्रवाती तूफान में बदलने की संभावना

नई दिल्ली ,25 मई । भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के अनुसार: (शनिवार, 25-5-2021 जारी करने का समय- 1215 बजे, भारतीय समय के अनुसार)
पूर्वमध्य तथा निकटवर्ती मध्यपूर्व और उत्तर बंगाल की खाड़ी में गंभीर चक्रवाती तूफान ’यास‘ - (ओडिशा- पश्चिम बंगाल तट के लिए चक्रवात की चेतावनी नारंगी संदेश)
पूर्वमध्य तथा निकटवर्ती पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी में आया चक्रवाती तूफान ‘यास‘ पिछले 6 घंटों में लगभग 17 किलो मीटर प्रति घंटे की गति से उत्तरपश्चिम दिशा की ओर बढ़ा और आज 25 मई को सुबह भारतीय समायानुसार 0830 बजे अक्षांश 18.3एउत्तर और देशांतर 88.3एपूर्व के निकट दक्षिण-दक्षिणपूर्व पारादीप (ओडिशा) से 280 किलो मीटर, बालासोर (ओडिशा) से 380 किलो मीटर दक्षिण-दक्षिणपूर्व, दीघा(पश्चिम बंगाल) 370 किलो मीटर दक्षिण-दक्षिणपूर्व और सागर द्वीप समूह (पश्चिम बंगाल) से 370 किलो मीटर दक्षिण-दक्षिणपूर्व में पश्चिममध्य तथा निकटवर्ती पूर्वमध्य और उत्तर बंगाल की खाड़ी में केंद्रित हो गया।
अगले 12 घंटों में इसके उत्तर-उत्तरपश्चिम दिशा में बढऩे और तीव्र होकर अति गंभीर चक्रवाती तूफान में बदलने की संभावना है। यह उत्तर-उत्तरपश्चिम दिशा में बढ़ता रहेगा, तेज होगा और बुधवार 26 मई को सुबह चांदबाली-धामरा बंदरगाह के बहुत नजदीक उत्तर ओडिशा तथा पश्चिम बंगाल के तटों के निकट उत्तरपश्चिम बंगाल की खाड़ी में पहुंचेगा। यह बुधवार 26 मई को दोपहर अति गंभीर चक्रवाती तूफान के रूप में  धामरा के उत्तर और दक्षिण बालासोर के बहुत निकट पारादीप और सागर द्वीप के बीच ओडिशा-पश्चिम बंगाल के तटों को पार करेगा।
ओडिशा  : 25 मई को अनेक स्थानों पर हल्की से सामान्य वर्षा जगतसिंहपुर, केंद्रापाड़ा,भद्रक,बालासोर जिलों में बहुत भारी से अत्यधिक भारी वर्षा; पुरी, खुर्दा, कटक, जाजपुर, मयूरभंज में भारी से बहुत भारी वर्षा और गंजाम, ढेनकनाल, क्योंझर जिलों में भारी वर्षा, 26 मई को कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा, जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, जाजपुर, भद्रक, बालासोर, मयूरभंज, कटक, ढेनकनाल, क्योंझर में कुछ स्थानों पर भारी से अत्यधिक भारी वर्षा, पुरी, खुर्दा, अंगुल, देवगढ़, सुंदरगढ़ के कुछ स्थानों पर भारी वर्षा, 27 मई को उत्तर ओडिशा के भीतरी भागों में भारी वर्षा की चेतावनी।
पश्चिम बंगाल : 25 मई को अनेक स्थानों पर हल्की से सामान्य वर्षा मेदिनीपुर, दक्षिण 24 परगना में बहुत भारी वर्षा तथा हावड़ा, हुगली, कोलकाता और 24 परगना जिलों में भारी वर्षा, 26 मई को मेदिनीपुर के कुछ स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा, झारग्राम, बांकुरा, दक्षिण 24 परगना के कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा तथा पुरुलिया, नादिया, मुर्शिदाबाद, पूर्व वर्धमान, हावड़ा, हुगली, कोलकाता, उत्तर 24 परगना, हल्दिया दार्जिलिंग, कलिम्पोंग जिलों में कुछ स्थानों पर भारी वर्षा और 27 मई को झारग्राम,पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुरा, पुरुलिया, पश्चिम वर्धमान, बीरभूम, मालदा, दार्जिलिंग ,कलिम्पोंग, जलपाईगुड़ी में कुछ स्थानों पर भारी वर्षा।
झारखंड : 25 मई को अनेक स्थानों पर हल्की से सामान्य वर्षा, 26 तथा 27 मई को कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा और अत्यधिक भारी वर्षा।
बिहार : 27 मई को अनेक स्थानों पर हल्की से सामान्य वर्षा और कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा, 28 मई को कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा।
असम तथा मेघालय : 25 और 26 मई को अनेक स्थानों पर हल्की से सामान्य वर्षा तथा कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा।
हवा की चेतावनी : मध्य बंगाल की खाड़ी के प्रमुख हिस्सों और उससे सटे उत्तरी बंगाल की खाड़ी में 100-110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवा बढ़ कर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हैऔर आज शाम से धीरे-धीरे 125-135 से बढक़र 140 किमी प्रति घंटे हो जाएगी। उत्तर बंगाल की खाड़ी और उत्तर आंध्र प्रदेश-ओडिशा-पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश तटों के पास और उससे दूर हवा 55-65 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ कर 75 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल रही है। यह 25 मई की शाम से उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी और जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, पुरी, भद्रक, ओडिशा के बालासोर और पूर्वी मेदिनीपुर, दक्षिण 24 परगना, कोलकाता सहित उत्तरओडिशा और निकटवर्ती पश्चिम बंगाल तटों पर 65-75 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढक़र 85 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ेगा। 25 मई की शाम से  ओडिशा के गंजाम, खुर्दा, कटक, जाजपुर और मयूरभंज जिलों और पश्चिम बंगाल के हावड़ा, हुगली, उत्तर 24 परगना में 40-50 किलो मीटर  प्रति घंटे की रफ्तार से 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलेंगी।यह 26 मई की सुबह से उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी और जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, भद्रक सहित उत्तरओडिशा के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के तटों पर 155-165 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवा तेज होकर 185 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ेगी और 26 मई को दोपहर बाद से ओडिशा के बालासार जिला की ओर बढ़ेगी, 26 मई को सुबह से ओडिशा के मयूरभंज जिला में हवा की गति 120-130 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ कर 145 किलो मीटर प्रति घंटे हो जाएगी। इस अवधि में ओडिशा के पुरी, कटक, खुर्दा, जाजपुर तथा नयागढ़ जिलों में 80-90 किलो मीटर की गति से चलने वाली हवा रफ्तार पकड़ कर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की गति पकड़ लेगी। गंजाम के पास और उससे दूर तथा उत्तर ओडिशा के शेष भीतरी भागों में 60-80 किलो मीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली हवा 90 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ लेगी, 26 मई की सुबह से ओडिशा के गंजाम, ढेनकनाल, तथा क्योंझर जिलों तथा पश्चिम बंगाल के बांकुरा, पुरुलिया, हावड़ा, हुगली, नादिया और वर्धमान जिलों में 60-80 किलो मीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली हवा तेज होकर 90 किलो मीटर प्रति घंटे की गति पकड़ लेगी। इसी अवधि में  ओडिशा के अंगुल, देवगढ़ तथा सुरेंद्रगढ़ जिलों तथा पश्चिम बंगाल के बीरभूम तथा मुर्शिदाबाद जिलों और आंध्र प्रदेश के काकुलम, विजयानगरम और विशाखापत्तनम जिलों में 50-60 किलो मीटर प्रति घंटेकी गति से चलने वाली हवा तेज होकर 70 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार ले लेगी।  26 मई को दोपहर से दक्षिण झारखंड में 40-50 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली हवा तेज होकर 60 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ लेगी और धीरे-धीरेदक्षिणपूर्व झारखंड में  90-120 किलो मीटर प्रति घंटे की गति से बढ़ कर 130 किलो मीटर प्रति घंटे हो जाएगी और 26 मई की शाम/ रात  को दक्षिणपूर्व झारखंड में हवा की गति 70-80 किलो मीटर प्रति घंटे की गति से बढ़ कर 90 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार ले लेगी। 27 मई को ओडिशा के केंद्रापाड़ा, भद्रक, बालासोर, क्योंझर, मयूरभंज, देवगढ़, सुंदरगढ़ जिलों तथा पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर, झारग्राम, पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुरा और पुरुलिया जिलों में हवा 50-65 किलो मीटर प्रति घंटे की गति से 70 किलो मीटर प्रति घंटे की गति पकड़ लेगी।
समुद्र की स्थिति: पश्चिममध्य तथा निकटवर्ती पूर्वमध्य और उत्तर बंगाल की खाड़ी में समुद्र की स्थिति अशांत से बहुत अशांत होगी। 25 मई की शाम से 26 मई की शाम तक समुद्र की स्थिति मध्य बंगाल की खाड़ी के उत्तरी भागों , उत्तर बंगाल की खाड़ी और आंध्र प्रदेश-ओडिशा- पश्चिम बंगाल-बंगलादेश तटों के पास और उससे दूर बहुत अशांत और असाधारण होगी।
मछुआरों को चेतावनी: मछुआरों को चेतावनी दी जाती है कि वे 26 मई के दोपहर बाद तक मध्य बंगाल की खाड़ी में नहीं जाएं और 25-26 मई को उत्तर बंगाल की खाड़ी तथा आंध्र प्रदेश-ओडिशा- पश्चिम बंगाल- बंगलादेश तटों के पास और उससे दूर समुद्र में नहीं जाएं।
(1) तूफान में तेजी की चेतावनी: खगोलीय ज्वार से 2-4 मीटर ऊंचा ज्वार आने के कारण मेदिनीपुर, बालासोर, भद्रक के निचले इलाके जलमग्न हो सकते हैं, और तूफान के जमीन से टकराने के समय दक्षिण 24 परगना, केंद्रपाड़ा तथा जगतसिंहपुर जिलों के निचले इलाके जलमग्न हो सकते हैं।
उत्तर ओडिशा, पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों और इन जिलों के निकटवर्ती भीतरी भागों में नुकसान की आशंका:
फूस के घरों का पूर्ण विनाश/ कच्चे मकानों को व्यापक क्षति। पक्के मकानों को थोड़ा नुकसान।
उडऩे वाली वस्तुओं से संभावित खतरा।
बिजली और संचार के खंभे झुक/उखड़ सकते हैं।
कच्ची तथा पक्की सडक़ों को भारी नुकसान।
बचाव मार्गों में बाढ़।
रेलवे, ओवरहेड पावर लाइन और सिग्नलिंग प्रणाली में बाधा।
खड़ी फसलों, वृक्षारोपण, बगीचों, हरे नारियलों के गिरने और ताड़ के पत्तों के फटने से व्यापक क्षति।
आम जैसे झाड़ीदार पेड़ उड़ सकते हैं।
छोटी नौकाएं तथा देसी जलयान लंगर से अलग हो सकते हैं।
दृश्यता पर गंभीर प्रभाव।
उत्तर ओडिशा, पश्चिम बंगाल तथा इन राज्यों के निकटवर्ती जिलों में कारर्वाई का सुझाव
मछली पकडऩे का काम और जहाजों की आवाजाही स्थगित।
भारत के पूर्वी तट के निकट के बंदरगाह आवश्यक पूर्व-सावधानी बरत सकते हैं।
नौसेना बेस कार्य में आवश्यक पूर्व-सावधानी बरती जा सकती है।
इन क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियां प्रतिबंधित हो सकती हैं।
 पश्चिम बंगाल तथा उत्तर ओडिशा के तटीय क्षेत्रों से लोगों को निकालने का काम सक्रिय करना।
रेल तथा सडक़ ट्रैफिक का उचित नियमन।
प्रभावित क्षेत्रों में लोग घरों में रहेंगे।
चक्रवात के पहले की तैयारी कार्रवाई।

चंद्रग्रहण का आंशिक चरण भारत में दिखेगा बुधवार को
Posted Date : 24-May-2021 5:23:23 pm

चंद्रग्रहण का आंशिक चरण भारत में दिखेगा बुधवार को

नई दिल्ली ,24 मई । चंद्रमा का पूर्ण ग्रहण 26 मई 2021 (5 ज्येष्ठ, 1943 शक संवत) को होगा। चन्द्रग्रहण का आंशिक चरण भारत में चंद्रोदय के तुरंत बाद कुछ समय के लिए भारत के पूर्वोत्तर भागों (सिक्किम को छोडक़र), पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों, ओडिशा तथा अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के कुछ तटीय भागों में दिखेगा।
ग्रहण दक्षिण अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर और हिंद महासागर को कवर करने वाले क्षेत्र में दिखाई देगा। ग्रहण का आंशिक चरण भारतीय समय के अनुसार 15 बजकर 15 मिनट पर प्रारंभ होगा। कुल चरण भारतीय समय के अनुसार 16 बजकर 39 मिनट पर प्रारंभ होगा। कुल चरण भारतीय समय के अनुसार 16 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगा। आंशिक चरण 18 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगा।
अगला चंद्रग्रहण भारत में 19 नवंबर 2021 को दिखेगा। यह आंशिक चंद्रग्रहण होगा। आंशिक चंद्रग्रहण की समाप्ति को चंद्रोदय के कुछ समय बाद कुछ समय के लिए ही अरुणाचल प्रदेश और असम के चरम पूर्वोत्तर भागों में देखा जा सकेगा।
चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और जब तीनों – सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा- एक सीध में आ जाते हैं। पूर्ण चंद्रग्रहण तब होता है जब पूरा चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आता है और आंशिक चंद्रग्रहण तब होता है जब चंद्रमा का केवल एक भाग पृथ्वी की छाया में आता है।

न्यायमूर्ति  प्रशांत कुमार मिश्र 1 जून से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद का कर्तव्य निभाएंगे
Posted Date : 24-May-2021 5:22:42 pm

न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्र 1 जून से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद का कर्तव्य निभाएंगे

नई दिल्ली ,24 मई । भारत के राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 223 में दी गई शक्तियों का उपयोग करते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति  प्रशांत कुमार मिश्र को, न्यायमूर्ति  पारापिलिल रामकृष्णन नायर रामचंद्र मेनन की सेवानिवृत्ति के बाद, 1 जून 2021 से उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद के कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए नियुक्त किया है। इस संबंध में विधि और न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग ने आज अधिसूचना जारी की।
न्यायमूर्ति  प्रशांत कुमार मिश्र ,बीएससी; एलएलबी 4 सितंबर,1984 को अधिवक्ता के रूप में नामांकित हुए और उन्होंने जिला न्यायालय, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय तथा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में दीवानी, संवैधानिक, राजस्व और आपराधिक मामलों की वकालत की। उनकी विशेषज्ञता संवैधानिक और दीवानी मामलों में है। उन्होंने अतिरिक्त महाधिवक्ता और छत्तीसगढ़ राज्य के महाधिवक्ता के रूप में अपनी सेवा दी। उन्हें 10 दिसंबर, 2009 को  छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। वह 28 नवंबर 2014 को स्थाई न्यायाधीश नियुक्त किए गए।