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प्रधानमंत्री ने चक्रवाती तूफान ‘यास’ के व्यापक प्रभावों की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता की
Posted Date : 27-May-2021 5:49:47 pm

प्रधानमंत्री ने चक्रवाती तूफान ‘यास’ के व्यापक प्रभावों की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता की

नई दिल्ली ,27 मई । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चक्रवाती तूफान ‘यास’ के व्यापक प्रभावों की समीक्षा के लिए आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता की। इस अवसर पर अधिकारियों ने चक्रवाती तूफान से निपटने की तैयारियों के विभिन्न पहलुओं, तूफान से हुए नुकसान के आकलन और संबंधित विषयों पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी।
   इस दौरान यह चर्चा की गई कि एनडीआरएफ की लगभग 106 टीमों को तैनात किया गया था। पश्चिम बंगाल/ओडिशा में से प्रत्येक में तैनात की गई 46 टीमों ने 1000 से भी अधिक व्यक्तियों की जान बचाई और 2500 से भी अधिक पेड़ों/खंभों को हटाया जो सडक़ों पर गिर गए थे और जिनकी वजह से वहां आवागमन बाधित हो गया था। रक्षा बलों यथा थल सेना और तटरक्षक बल ने तूफान में विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए लोगों की भी जान बचाई, जबकि नौसेना और वायु सेना अलर्ट पर थीं।
   वैसे तो संबंधित राज्य चक्रवाती तूफान यास की वजह से हुए नुकसान के आकलन में अभी जुटे हुए हैं, लेकिन उपलब्ध प्रारंभिक रिपोर्टों से यही पता चलता है कि सटीक पूर्वानुमान लगाने और तूफान प्रभावित क्षेत्रों के लोगों से प्रभावकारी ढंग से संवाद करने के साथ-साथ राज्यों एवं केंद्रीय एजेंसियों द्वारा समय पर लोगों की सुरक्षित निकासी करने से जान-माल का कम-से-कम नुकसान सुनिश्चित हो पाया। इसके साथ ही सैलाब या अतिवृष्टि के कारण जो नुकसान हुआ है, उसका आकलन किया जा रहा है। तूफान से प्रभावित अधिकतर क्षेत्रों में बिजली और दूरसंचार सेवाएं बहाल कर दी गई हैं।
   प्रधानमंत्री ने चक्रवाती तूफान से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में केंद्र और राज्यों की एजेंसियों द्वारा निभाई गई अत्यंत प्रभावकारी एवं सक्रिय भूमिका को रेखांकित किया और इसके साथ ही विभिन्न एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी कि तूफान प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य जीवन जल्द से जल्द बहाल हो और इसके साथ ही तूफान से प्रभावित व्यक्तियों के बीच राहत का वितरण उचित रूप से हो जाए।
   प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, विद्युत सचिव, दूरसंचार सचिव एवं आईएमडी के डीजी और अन्य महत्वपूर्ण अधिकारियों ने इस बैठक में भाग लिया।

विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं के आयोजन के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन
Posted Date : 27-May-2021 5:49:10 pm

विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं के आयोजन के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन

जयपुर ,27 मई । राजस्थान में विश्वविद्यालयों की सत्र 2020-21 की स्थगित परीक्षाओं के आयोजन एवं आगामी शैक्षणिक सत्र 2021-2022 समय पर प्रारंभ करने के संबंध में सुझाव देने के लिए एक समिति का गठन किया गया है।
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर के कारण प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं स्थगित होने एवं उनके समय पर आयोजित नहीं हो पाने के कारण आगामी शैक्षणिक सत्र भी प्रभावित होने की संभावना है।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. देवस्वरूप को संयोजन में गठित इस उच्च स्तरीय समिति में गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय बांसवाड़ा, मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय उदयपुर और हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय जयपुर सहित आयुक्त कॉलेज शिक्षा तथा संयुक्त सचिव उच्च शिक्षा को शामिल किया गया है।
यह समिति कोविड-19 की वर्तमान परिस्थितियों, एमएचआरडी एवं संबंधित विनियमन निकायों यथा यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीटीई, बीसीआई, आदि के मापदण्डों तथा इन संस्थाओं के द्वारा कोविड-19 के फलस्वरूप परीक्षाओं के आयोजन, शैक्षणिक सत्र आदि के संदर्भ में समय-समय पर जारी निर्देशों एवं अन्य सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श कर सुझाव प्रस्तुत करेगी।
सुझाव में परीक्षाएं ऑनलाईन, ऑफलाईन आयोजित करने, परीक्षाओं की तिथि का निर्धारण, पाठ्यक्रम में कमी करने, प्रश्न-पत्र हल करने के संबंध में विकल्प उपलब्ध कराने, परीक्षा का समय कम करने, उत्तर पुस्तिकों का मूल्यांकन व परीक्षा परिणाम जारी करने के, जिन कक्षाओं,समेस्टर आदि में विद्यार्थियों को बिना परीक्षा के अगली कक्षा में प्रोन्नत करना संभव हो, उनके लिए प्रोन्नत करने, प्रोन्नत करने के लिए फार्मूला आदि तय करने तथा आगामी शैक्षणिक सत्र प्रारंभ करने आदि सभी बिन्दुओं पर विस्तृत सुझाव एवं अनुशंषा प्रस्तुत करेगी। उन्होंने बताया कि समिति अपनी रिपोर्ट 15 दिन में राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने पीठों के सामने मामलों को सूचीबद्ध करने पर जारी किया परिपत्र
Posted Date : 26-May-2021 2:26:43 pm

सुप्रीम कोर्ट ने पीठों के सामने मामलों को सूचीबद्ध करने पर जारी किया परिपत्र

नई दिल्ली ,26 मई । उच्चतम न्यायालय ने ‘अत्यंत जरूरी विविध मामलों’ पर सुनवाई के लिए अवकाशकालीन पीठों के सामने मामलों को सूचीबद्ध करने के विषय पर एक परिपत्र जारी किया है। न्यायालय की ओर से मंगलवार को जारी किए गए इस परिपत्र में अवकाशकालीन पीठों से संबंधित सूचनाएं हैं । 
ये पीठें ग्रीष्मावकाश के दौरान 26 मई से दो जून के बीच सुनवाई करेंगी। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय 10 मई से 28 जून तक ग्रीष्मावकाश पर है। परिपत्र के अनुसार परिवर्तित ग्रीष्मावकाश में 26 मई से दो जून तक दो खंडपीठें वीडियो काफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करेंगी। पहली पीठ में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस होंगे। दूसरी पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत 26 से 28 मई तक मामलों की सुनवाई करेंगे, उसके बाद इस पीठ में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी न्यायमूर्ति कांत की जगह लेंगे और फिर यह परिवर्तित पीठ 29 मई से दो जून तक सुनवाई करेगी।

निर्माण परियोजनाओं में पर्यावरण नियमों पर जारी हो एसओपी : एनजीटी
Posted Date : 26-May-2021 2:26:15 pm

निर्माण परियोजनाओं में पर्यावरण नियमों पर जारी हो एसओपी : एनजीटी

नई दिल्ली ,26 मई । निर्माण परियोजनाओं में पर्यावरण नियमों के लगातार उल्लंघन का जिक्र करते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकारण (एनजीटी) ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस संबंध में सभी राज्यों के पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरणों को मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करने पर विचार करे।
पुणे में ‘गंगा एल्टस’ निर्माण परियोजना को महाराष्ट्र पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण द्वारा मंजूरी दिए जाने के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने यह आदेश दिया। तानाजी बी गंभीरे द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि गोयल गंगा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड आवश्यक पर्यावरण मंजूरी के बिना अवैध रूप से निर्माण परियोजना पर काम कर रही है। एनजीटी ने कहा कि निर्माण परियोजनाओं में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन किए जाने की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। इसने कहा कि महाराष्ट्र पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण को उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के मद्देनजर अपनी कार्यशैली की समीक्षा करनी चाहिए। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने कहा कि इस तरह के मामलों में पर्यावरण मंजूरी प्रदान करने के लिए एक उचित एसओपी तैयार की जाए और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भी देश में सभी पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरणों को इस तरह की मानक संचालन प्रक्रिया जारी करने पर विचार कर सकता है। एनजीटी ने वर्तमान मामले में समाधान कार्रवाई का सुझाव देने के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और महाराष्ट्र राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की एक समिति भी गठित कर दी।

किसान आंदोलन : किसानों ने मनाया ‘काला दिवस’
Posted Date : 26-May-2021 2:25:40 pm

किसान आंदोलन : किसानों ने मनाया ‘काला दिवस’

नई दिल्ली ,26 मई । केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपने आंदोलन के छह माह पूरे होने पर बुधवार को ‘काला दिवस’ मनाया और इस दौरान उन्होंने काले झंडे फहराए, सरकार विरोधी नारे लगाए, पुतले जलाए और प्रदर्शन किया।
यहां दिल्ली बोर्डर पर गाजीपुर में प्रदर्शन स्थल पर थोड़ी अराजकता की भी खबर है, जहां किसानों ने भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती के बीच केन्द्र सरकार का पुतला जलाया। ‘काला दिवस’ प्रदर्शन के तहत किसानों ने तीन सीमा क्षेत्रों सिंघू, गाजीपुर और टिकरी पर काले झंडे लहराए और नेताओं के पुतले जलाए। दिल्ली पुलिस ने लोगों से कोरोना वायरस संक्रमण से हालात और लागू लॉकडाउन के मद्देनजर इक_े नहीं होने की अपील की है और कहा कि प्रदर्शन स्थल पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए वह कड़ी नजर बनाए रखे है। किसान नेता अवतार सिंह मेहमा ने कहा कि न केवल प्रदर्शन स्थल पर बल्कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के गांवों में भी काले झंडे लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने अपने घरों और वाहनों पर भी काले झंडे लगाए हैं। मेहमा ने कहा, ‘‘सरकार के नेताओं के पुतले जलाए गए। आज का दिन यह बात दोहराने का है कि हमें प्रदर्शन करते हुए छह माह हो गए हैं लेकिन सरकार जिसके कार्यकाल के आज सात वर्ष पूरे हो गए, वह हमारी बात नहीं सुन रही है।

कोरोना में लॉकडाउन के कारण रोजगार में हुई 24 फीसदी की कमी
Posted Date : 26-May-2021 2:24:28 pm

कोरोना में लॉकडाउन के कारण रोजगार में हुई 24 फीसदी की कमी

नई दिल्ली ,26 मई । कोरोना वायरस महामारी के कारण पिछले साल लगे देशव्यापी लॉकडाउन का असर संगठित क्षेत्र में रोजगार के मोर्चे पर भी दिखाई दिया। पिछले साल कंपनियों ने नए कर्मचारियों को रखने में कंजूसी बरती। इसके चलते कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) से जुडऩे वाले नए कर्मचारियों की संख्या में पिछले वित्त वर्ष के दौरान करीब 24 फीसदी की कमी दिखाई दी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 में ईएसआईसी की सामाजिक सुरक्षा योजना से जुडऩे वाले सदस्यों की संख्या में करीब 1.15 करोड़ रही, जबकि 2019-20 में 1.51 करोड़ सदस्य जोड़े गए थे। हालांकि लॉकडाउन के बाद के महीनों में रोजगार के आंकड़े में सुधार दिखाई दिया। विभागीय डाटा के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान अप्रैल में 2.63 लाख और मई में 4.89 लाख ही सदस्य जुड़े, लेकिन लॉकडाउन हटने की शुरुआत होते ही जून में 8.87 लाख, जुलाई में 7.63 लाख, अगस्त में 9.5 लाख, सितंबर में 11.58 लाख और अक्तूबर में यह आंकड़ा बढकर 12.13 लाख पर पहुंच गया। नवंबर में फिर से नए जुडऩे वाले कर्मचारी घटकर 9.58 लाख हो गए, लेकिन दिसंबर में 12.33 लाख, जनवरी में 11.84 लाख, फरवरी में 11.77 लाख और मार्च में 12.24 लाख नए कर्मचारियों ने ईएसआईसी की सदस्यता ली।
वहीं ‘पेरोल रिपोर्टिंग इन इंडिया: एन एंप्लॉयमेंट पर्सपेक्टिव-मार्च 2021’ के नाम वाली एनएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 में 1.49 करोड़ नए कर्मचारियों को ईएसआईसी का साथ मिला, जबकि सितंबर, 2017 से मार्च, 2018 के बीच 83.35 लाख ने इसकी सदस्यता ली। सितंबर, 2017 से मार्च 2021 के बीच सकल नए पंजीकरण का आंकड़ा करीब 5 करोड़ रहा है। रिपोर्ट में में कहा गया है कि सितंबर, 2017 से मार्च, 2021 के बीच करीब 4.2 करोड़ कर्मचारियों ने ईपीएफओ की सदस्यता ली।