0- चक्रवात जैसी आपदा को लेकर पीएम मोदी ने की बैठक
नई दिल्ली ,28 मई । प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कहा कि पीएम मोदी ने चक्रवात से प्रभावित लोगों के साथ पूरी एकजुटता व्यक्त की और आपदा के दौरान अपने परिजनों को खोने वाले परिवारों के प्रति दुख जताया। पीएम ने मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपये और गंभीर घायल हुए लोगों को 50 हजार रुपये मुआवजा देने का एलान किया।
पीएमओ ने कहा कि केंद्र सरकार चक्रवात से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी दल तैनात करेगी जो राज्यों का दौरा करेगा। इसकी रिपोर्ट के आधार पर आगे सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। प्रधानमंत्री ने ओडिशा, बंगाल और झारखंड को आश्वस्त किया है कि इस संकट के समय में केंद्र उनके साथ है। पीएमओ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने तत्काल राहत गतिविधियों के लिए एक हजार करोड़ रुपये की वित्तीय मदद का एलान किया है। इसमें से ओडिशा को 500 करोड़ रुपये तुरंत दिए जाएंगे। इसके अलावा बाकी 500 करोड़ रुपये पश्चिम बंगाल और झारखंड को वहां तूफान की वजह से हुए नुकसान के आधार पर दिए जाएंगे।
सूत्रों के अनुसार बैठक में बनर्जी और राज्य के मुख्य सचिव 30 मिनट लेट पहुंचे। सीएम ने वहां पहुंचते ही यास से हुए नुकसान को लेकर कुछ कागजात सौंपे और कहा कि दूसरी बैठकें चल रही हैं, मुझे वहां जाना है। इससे पहले मिली खबरों में कहा गया कि ममता बनर्जी मात्र एक दस्तावेज सौंपने के लिए कलाईकुंडा एयरफोर्स स्टेशन जाएंगी, जहां पीएम मोदी के साथ बैठक बुलाई गई है। ऐसा माना जा रहा है कि ममता के इस कदम के बाद से राज्य और केंद्र सरकार के बीच मतभेद और बढ़ सकता है।
यास तूफान को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की समीक्षा बैठक में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़, ममता बनर्जी, केंद्रीय मंत्री और सांसद देवाश्री चौधरी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को शामिल हुए। इसके अलावा बंगाल विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी को भी इस बैठक में बुलाया गया। इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक में आने से ही मना कर दिया था। पीएम मोदी ने बंगाल व ओडिशा के तूफाग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सवेक्षण भी किया। इस दौरान उनके साथ पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मौजूद थे।
नई दिल्ली ,28 मई । उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह इसकी कल्पना तक नहीं कर सकता कि कोविड-19 महामारी के कारण इतने बड़े देश में कितने बच्चे अनाथ हो गए और इसी के साथ उसने राज्य प्राधिकारियों को उनकी तत्काल पहचान करने तथा उन्हें राहत मुहैया कराने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने राज्य सरकार से सडक़ों पर भूख से तड़प रहे बच्चों की व्यथा समझने के लिए कहा और जिला प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि अदालतों के किसी भी अगले आदेश का इंतजार किए बिना फौरन उनकी देखभाल की जाए। न्यायमूर्ति एल एन राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ ने जिला प्रशासन को शनिवार शाम तक अनाथ बच्चों की पहचान करने और उनकी जानकारियां राष्ट्रीय बाल अपराध संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की वेबसाइट पर डालने के निर्देश दिए। उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश स्वत: संज्ञान के एक लंबित मामले में न्यायमित्र गौरव अग्रवाल की अर्जी पर दिया। इस अर्जी में राज्य सरकार द्वारा अनाथ बच्चों की पहचान करने तथा उन्हें तत्काल राहत मुहैया कराने का अनुरोध किया गया है। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार इन बच्चों की स्थिति और उन्हें तत्काल राहत पहुंचाने के लिए उठाए कदमों के बारे उसे जानकारी दें। न्यायालय ने कहा कि हमने कहीं पढ़ा था कि महाराष्ट्र में 2,900 से अधिक बच्चों ने कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता में से किसी एक को या दोनों को खो दिया है। हमारे पास ऐसे बच्चों की सटीक संख्या नहीं है। हम यह कल्पना भी नहीं कर सकते कि इस विध्वंसकारी महामारी के कारण इतने बड़े देश में ऐसे कितने बच्चे अनाथ हो गए।उसने राज्य सरकार के वकील से कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि आप सडक़ों पर भूख से तड़प रहे बच्चों की व्यथा समझते हैं। आप कृपया राज्य प्राधिकारियों को उनकी मूलभूत जरूरतों का फौरन ख्याल रखने को कहें। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि केंद्र ने कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों के संरक्षण के लिए संबंधित प्राधिकारियों को पहले ही परामर्श जारी कर दिया है।
पीठ ने किशोर न्याय कानून के विभिन्न प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे बच्चों की देखभाल करना प्राधिकारियों का कर्तव्य है।न्यायालय ने कहा कि जिला प्रशासन प्राधिकारी ऐसे अनाथ बच्चों की ताजा जानकारी शनिवार शाम तक एनसीपीसीआर की ‘बाल स्वराज’ वेबसाइट पर डाले। उसने कहा कि हमारा मानना है कि केंद्र और राज्य सरकार महामारी के कारण अपने माता-पिता में से किसी एक को या दोनों को खोने वाले बच्चों की पहचान पर ताजा जानकारी हासिल करें और उनकी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए कदम उठाए। इसके साथ ही न्यायालय ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए एक जून की तारीख तय की।
नई दिल्ली ,27 मई । ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन आयात करने पर सीमा शुल्क का भुगतान नहीं करना होगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस दवा की भारी कमी को देखते हुए आज सीमा शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दे दी है।
जस्टिस विपिन सांघी और जसमीत सिंह की बेंच ने कहा है कि इस दवा पर सीमा शुल्क में केंद्र सरकार द्वारा छूट देने के लिए अंतिम फैसला लिए जाने तक आयातकों द्वारा अनुबंध पत्र के आधार पर सीमा शुल्क का भुगतान किए बगैर दवा का आयात कर सकते हैं। बेंच ने कहा कि ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमाइकोसिस से पीडि़त हजारों लोगों की जान बचाने के लिए इस दवा की तत्काल जरूरत है। बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार को जब तक इस दवा की कमी है, तब तक के लिए इस पर सीमा शुल्क में छूट देने के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि एम्फोटेरिसिन बी का किसी भी व्यक्ति को असल सीमा शुल्क का भुगतान किए बगैर ही आयातक द्वारा अनुबंध पत्र पेश किए जाने पर उस समय तक दवा आयात करने की अनुमति दी जाए, जब तक सरकार इस पर फैसला नहीं ले लेती है।
बेंच ने आदेश में कहा है कि आयातक को इसमें इस बात का हलफनामा देना होगा कि यदि सरकार द्वारा आयात शुल्क में छूट नहीं दी जाती, तो इस शुल्क का भुगतान आयातकर्ता करेगा। यह मामला ब्लैक फंगस के एक मरीज द्वारा दायर याचिका पर बहस के दौरान उठा जिसे दवा नहीं मिल रही थी। एक वकील ने अदालत को सूचित किया कि दवा पर आयात शुल्क 27 प्रतिशत है जबकि अन्य वकील ने कहा कि यह 78 प्रतिशत है।
केंद्र के वकील ने कहा कि उन्हें ठीक-ठीक प्रतिशत के बारे में नहीं पता और सक्षम प्राधिकरण से निर्देश प्राप्त करने के बाद वह अदालत को सूचित करेंगे। केंद्र सरकार के स्थायी वकील कीर्तिमान सिंह ने दलील दी कि ऐसी दवाओं पर आयात शुल्क में छूट देने के मुद्दे की जानकारी आज अधिकारियों को दे दी जाएगी और जल्द ही फैसला लिया जाएगा। बेंच ने कहा कि उम्मीद है कि केंद्र आयात शुल्क में छूट देने पर विचार करेगा। बेंच ने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि यह दवा देश में हजारों लोगों को संक्रमित कर रहे ब्लैक फंगस से संक्रमित लोगों की जान बचाने के लिए जरूरी है, केंद्र सरकार इन दवाओं पर सीमा शुल्क में पूर्ण रूप से छूट देने पर गंभीरता से विचार करे कम से कम तब तक भारत में इसकी आपूर्ति कम है। अदालत को केंद्र की ओर से आश्वासन दिया गया कि सीमा शुल्क विभाग ब्लैक फंगस और कोविड-19 से संबंधित सभी खेपों को बिना किसी देरी के मंजूरी देगा।
0- टीके अलग-अलग डोज की ली हैं तो घबराने की जरूरत नहीं
नई दिल्ली ,27 मई । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में कोरोना की स्थिति को लेकर अहम जानकारी दी है। मंत्रालय ने प्रेस वार्ता में कहा कि 24 राज्यों ने पिछले सप्ताह से सक्रिय मामलों में गिरावट दर्ज की गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि पिछले उन्होंने कहा कि 3 हफ्ते पहले 531 जिलों में रोज 100 नए मामले प्रतिदिन दर्ज किए जाते थे, अब ऐसे जिले 359 रह गए हैं। देश में आज 2,83,000 रिकवरी दर्ज की गई हैं। 23 राज्य देश में ऐसे हैं, जहां प्रतिदिन रिकवर मामलों की संख्या नए मामलों से ज्यादा है। रिकवरी रेट अब 90 फीसदी हो गई है। जबकि पॉजिटिविटी रेट देश में 10.45 फीसदी रह गई है। केंद्र सरकार द्वारा अब तक 45 साल से अधिक आयु के 14.85 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन की डोज दी गई है। 18-44 साल के बीच के लोगों को अब तक 1.39 करोड़ डोज दी जा चुकी हैं।
टीके की दूसरी डोज देने पर सतर्क रहने की जरूरत
मंत्रालय ने कहा कि देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रकोप में कमी आ रही है, हमारा मानना है कि पाबंदियों में सार्थक ढील देने पर भी यह परिपाटी बनी रहेगी। वहीं एक सवाल के जवाब में मंत्रालय ने कहा कि अगर कोविड-टीके की दूसरी खुराक में अलग टीका दिया जाता है तो उसके उल्लेखनीय दुष्प्रभाव होने की आशंका नहीं है, इसमें घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।
0- एक दिन में 2,11,298 नए मामले, 3,847 लोगों की मौत
नई दिल्ली ,27 मई । देश में पिछले एक दिन कोरोना के 2,11,298 नए मामले सामने आये, जबकि 3,847 लोगों की मौत की मौत हो गई। देश में कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप अब धीरे धीरे कम होता जा रहा है, लेकिन कोरोना के कारण हो रही लगातर मौत चिंता का कारण बना हुआ है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार पिछले 24 घंटे में देश में कोरोना संक्रमण के कारण 3,847 लोगों की मौत की मौत हुई। इनके साथ देश में अब तक संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढक़र 3,15,235 हो गई है। वहीं इस दौरान संक्रमण के 2,11,298 नए मामले आने के बाद देश में संक्रमितों की संख्या बढक़र 2,73,69,093 हो गई। देशे में अभी 24,19,907 सक्रीय मरीजों का कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज चल रहा है, जो 8.84 फीसदी हैं। तमिलनाडु और केरल ने सभी राज्यों में सबसे अधिक नए कोविड मामले दर्ज किए हैं। इसके बाद केरल में 28,798 मामले, कर्नाटक में 26,811 मामले, महाराष्ट्र में 24,752 मामले और आंध्र प्रदेश में 18,285 मामले हैं।
पिछले एक दिन में आए कुल 2,11,298 ताजा कोविड मामलों में से इन पांच राज्यों से 62.66त्न मामले सामने आए हैं, जिनमें अकेले तमिलनाडु 15.98त्न ताजा मामलों के लिए जिम्मेदार है। कुल 2,11,298 ताजा कोविड मामलों में से, इन पांच राज्यों से 62.66त्न मामले सामने आए हैं, जिनमें अकेले तमिलनाडु 15.98त्न ताजा मामलों के लिए जिम्मेदार है। वहीं भारत में भी पिछले 24 घंटों में 3,847 मौतें दर्ज की गईं। 992 मौतों के साथ महाराष्ट्र में सबसे अधिक कोविड हताहत हुए हैं, इसके बाद कर्नाटक में 530 मौतें हुई हैं। इस बीच भारत ने पिछले 24 घंटों में कुल 18,85,805 वैक्सीन खुराकें दी हैं, जो कुल 20,26,95,874 हैं।
0- राज्य सरकार ने ग्राम पंचायत तक बनाया नेटवर्क
नई दिल्ली ,27 मई । देशभर में गांवों तक पहुंच रहे कोरोना-संक्रमण के अंदेशों के बीच अच्छी खबर यह है कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ के आधे करीब 10 हजार गांव पूरी तरह संक्रमण मुक्त हैं। इन गांवों तक या तो संक्रमण नही पहुंच पाया है, या फिर उन्हें संक्रमण से जल्द मुक्ति मिल चुकी है। यह सब समय रहते छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गांवों तक संक्रमण की रोकथाम के लिए शुरु किए गए उपायों की वजह से यह संभव हो पाया है।
छत्तीसगढ़ के शहरी क्षेत्रों में कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत होते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निर्देश दिए थे कि ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण की रोकथाम के लिए हर जरूरी कदम उठाए जाएं। इस निर्देश के बाद पहली लहर के दौरान गांवों में स्थापित क्वारंटाइन सेंटरों को पहले से अधिक मजबूत व्यवस्थाओं के साथ फिर से सक्रिय किया गया। अन्य राज्यों अथवा शहरी क्षेत्रों से गांव लौटने वाले व्यक्तियों तथा परिवारों को इन सेंटरों में ठहराने, उनकी जांच तथा उपचार की व्यवस्था की गई। घर-घर तक सर्वेक्षण कर संक्रमितों का पता लगाने के लिए मितानिनों, तथा स्वास्थ्य अमले के साथ-साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और शिक्षकों को भी सक्रिय किया गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं तथा मैदानी अधिकारी-कर्मचारियों ने सर्दी-बुखार के मरीजों की पहचान करने के साथ-साथ उनके उपचार में भी अपनी भागीदारी निभाई। कोरोना से बचाव एवं उपचार के प्रति जागरुकता लाने में भी उन्होंने अपनी भूमिका निभाई। मुख्यमंत्री बघेल के निर्देश पर समय रहते गांव-गांव तक आवश्यक दवाइयों के किट की आपूर्ति और उसका वितरण सुनिश्चित किया गया। जिला पंचायतों से लेकर ग्राम पंचायत तक के नेटवर्क के जरिये कोरोना नियंत्रण के लिए किए जा रहे उपायों की मानिटरिंग का काम स्वयं मुख्यमंत्री कर रहे हैं। वे वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जन-प्रतिनिधियों को लगातार प्रेरित कर रहे हैं, साथ ही फीडबैक के आधार पर अधिकारियों को निर्देशित भी कर रहे ह। राज्य में टेस्टिंग की सुविधा बढ़ाने के लिए लगातार नये लैबों की स्थापना की गई। इससे सेंपलों की रोज होने वाली टेस्टिंग की संख्या 21-22 हजार से बढक़र अब प्रतिदिन 70 हजार से अधिक हो चुकी है। जिला अस्पतालों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक स्वास्थ्य अधोसंरचनाओं को मजबूत किया गया। अस्पतालों में पूर्व से उपलब्ध बिस्तरों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ-साथ नये कोविड सेंटरों की स्थापना कर उपचार सुविधाओं को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाया गया। ग्रामीण क्षेत्र के गंभीर मरीजों को जल्दी से जल्दी अस्पतालों तक पहुंचाया जा सके इसके लिए एंबुलेंस तथा अन्य वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी की गई।
राज्य शासन द्वारा माइक्रो लेबल तक की गई चाक-चैबंद व्यवस्थाओं के कारण छत्तीसगढ़ के कुल 20 हजार 092 गांवों में से करीब आधे 9 हजार 462 गांव आज कोरोना के संक्रमण से मुक्त हैं। इसमें बालोद जिले के 704 में से 183 गांव, बलौदाबाजार जिले के 957 में से 402, बलरामपुर के 636 में से 102, बस्तर जिले के 589 में से 252, बेमेतरा जिले के 702 में से 311, बीजापुर जिले के 579 में से 491, बिलासपुर जिले के 708 में से 96, दंतेवाड़ा के 229 में से 158, धमतरी के 633 में से 176, दुर्ग के 385 में से 377, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के 222 में से 39, गरियाबंद के 722 में से 342 गांव संक्रमण मुक्त हैं। इसी तरह जांजगीर-चांपा जिले के 887 में से 150 गांव, जशपुर के 766 में से 319, कांकेर के 1084 में से 792, कबीरधाम के 1035 में से 832, कोंडागांव के 569 में से 407, कोरबा के 716 में से 280, कोरिया के 638 में से 352, महासमुंद के 1153 में से 532, मुंगली में 711 में से 338, नारायणपुर में 422 में से 362, रायगढ़ में 1435 में से 173, रायपुर में 478 में से 261, राजनांदगांव में 1599 में से 1204, सुकमा में 406 में से 194, सुरजपुर में 544 में से 140 और सरगुजा जिले में 583 गांव में से 197 गांव संक्रमण मुक्त हैं।