नई दिल्ली ,29 मई । कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों के लिए राहत की खबर आई है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा है कि कोरोना के कारण माता-पिता या अभिभावक दोनों को खोने वाले सभी बच्चों को पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के तहत सहायता दी जाएगी। ऐसे बच्चों को 18 साल की उम्र में मासिक वजीफा और 23 साल की उम्र में पीएम केयर्स से 10 लाख रुपये का फंड मिलेगा।
एमओ ने शनिवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि इन बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी। बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण प्राप्त करने में सहायता की जाएगी और इस ऋण पर ब्याज का भुगतान पीएम केयर्स फंड से होगा। इसके अलावा आयुष्मान भारत योजना के तहत 18 साल तक के बच्चों को 5 लाख रुपये का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा मिलेगा और प्रीमियम का भुगतान पीएम केयर्स फंड द्वारा किया जाएगा। वहीं इस घोषणा के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि बच्चे देश के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं और हम बच्चों के समर्थन और सुरक्षा के लिए सब कुछ करेंगे। उन्होंने कहा कि एक समाज के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने बच्चों की देखभाल करें और उज्ज्वल भविष्य की आशा जगाएं।
0- केंद्र सरकार ने मांगे आवेदन
नई दिल्ली ,29 मई । केंद्र सरकार ने शरणार्थियों को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्र ने देश के 13 जिलों में रह रहे अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का फैसला किया है। इसके लिए इन लोगों से आवेदन मंगाए गए हैं।
ये शरणार्थी गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और पंजाब के 13 जिलों में रह रहे हैं। इनका धर्म हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध इत्यादि है। इनसे शुक्रवार को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन मंगाए गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता कानून 1955 और 2009 में कानून के अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत आदेश के तत्काल कार्यान्वयन के लिए इस आशय की एक अधिसूचना जारी की। हालांकि, सरकार ने 2019 में लागू संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के तहत नियमों को अभी तक तैयार नहीं किया है। वर्ष 2019 में जब सीएए लागू हुआ तो देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ और इन्हीं विरोध प्रदर्शनों के बीच 2020 की शुरुआत में दिल्ली में दंगे हुए थे। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुताबिक, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में दमन के शिकार ऐसे अल्पसंख्यकों गैर-मुस्लमों को नागरिकता प्रदान की जाएगी, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ गए थे।
क्या है अधिसूचना में आदेश
गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि नागरिकता कानून 1955 की धारा 16 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार ने कानून की धारा पांच के तहत यह कदम उठाया है। इसके अंतर्गत उपरोक्त राज्यों और जिलों में रह रहे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर पंजीकृत करने के लिए निर्देश दिया गया है।
क्या है सीएए
केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून 2019 में बनाया था। देशभर में इसे लेकर प्रदर्शन हुए थे। इस कानून में तीन पड़ोसी देशों से भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। ये देश हैं - बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान। सरकार का दावा है कि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोग इन देशों में अल्पसंख्यक हैं। इन देशों में इनका उत्पीडऩ होता है। लिहाजा, भारत में पांच साल पूरा कर चुके इन शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। इससे पहले भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए 11 साल की शर्त थी।
नई दिल्ली ,29 मई । केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के प्रमुख कुलदीप सिंह को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के महानिदेशक पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। वह सोमवार को सेवानिवृत्त हो रहे वाई सी मोदी का स्थान लेंगे।
गृह मंत्रालय ने एक आदेश में यह जानकारी देते हुए कहा कि असम-मेघालय काडर के 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी मोदी सितंबर 2017 में इस संघीय आतंकवाद रोधी जांच एजेंसी के प्रमुख नियुक्त हुए थे। गृह मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी एक आदेश में कहा गया कि एनआईए के महानिदेशक वाई सी मोदी 31 मई, 2021 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और संबंधित प्राधिकार ने सीआरपीएफ के महानिदेशक कुलदीप सिंह को एनआईए के महानिदेशक पद का अतिरिक्त प्रभार तब तक देने पर मोहर लगा दी है जब तक कि इस पद के लिए किसी की नियुक्ति नहीं हो जाती या इस संबंध में अगला आदेश नहीं आ जाता।
0- छत्तीसगढ़ : नक्सलियों की मांद में बिछ रहा सडक़ों का जाल
नई दिल्ली ,28 मई । पहले जहां बस्तर के नक्सल प्रभावित पहुँचविहीन क्षेत्रों में पैदल चलना मुश्किल था, अब वहां सडक़ है, बिजली है, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं हैं। लेकिन कुछ साल पहले तक यह सब बुनियादी सुविधाएं यहां के लोगों के लिए सपना था। प्रशासन ने इस सपने को हकीकत में बदलने का प्रयास किया है। विकास कार्यों को गति देने के लिए बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पिछले दो सालों में 28 सुरक्षा बलों के कैम्प स्थापित किये गए हैं। इन कैम्पों के स्थापना से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों में तेजी आ पाई है।
छत्तीसगढ़ में दिसंबर 2018 से अब तक नक्सल प्रभावित संवेदनशील क्षेत्रों में 21 सडक़ बनाये गए हैं। बीजापुर-आवापल्ली-जगरगुंडा रोड, नारायणपुर-पल्ली-बारसूर रोड, अंतागढ़- बेड़मा रोड, चिन्तानपल्ली-नयापारा रोड, चिंतल नार-मड़ाई गुड़ा रोड, कोंटा-गोल्ला पल्ली रोड आदि पर लगभग 700 किमी सडक़ों का जाल बिछा कर दूरस्थ क्षेत्रों को जोड़ा जा रहा है। वहीं, कोरोना काल के लॉकडाउन के दौरान बस्तर के धुर नक्सल इलाकों में 450 किमी सडक़ों का काम पूरा किया गया है। 132 पुल-पुलिया का भी निर्माण कराया गया है। यह सडक़ें ऐसे इलाकों में बनी हैं जो नक्सलियों के कब्जे में रहे थे। छोटे पुलों के साथ ही इंद्रावती नदी पर निर्माणाधीन चार बड़े पुलों में से एक छिंदनार के पुल का काम लगभग पूरा हो चुका है। यह पुल जून के आखिरी सप्ताह तक आम जनता के लिए खुल जाएगा। इसके बनने से दंतेवाड़ा की ओर से अबूझमाड़ के जंगलों का रास्ता खुल जाएगा। नदी के उस पार सडक़ का काम चल रहा है। इस सडक़ के बनने से करका, हांदावाड़ा समेत एक दर्जन गांव जुड़ जाएंगे।
बस्तर में नक्सलवाद पर अंकुश लगाने के लिए सुरक्षा-बलों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में कैंप स्थापित किए जाने की जो रणनीति अपनाई गई है, उसने अब नक्सलवादियों को अब एक छोटे से दायरे में समेट कर रखा दिया है। इनमें से ज्यादातर कैंप ऐसे दुर्गम इलाकों में स्थापित किए गए हैं, जहां नक्सलवादियों के खौफ के कारण विकास नहीं पहुंच पा रहा था। अब इन क्षेत्रों में भी सडक़ों का निर्माण तेजी से हो रहा है, यातायात सुगम हो रहा है, शासन की योजनाएं प्रभावी तरीके से ग्रामीणों तक पहुंच रही हैं, अंदरुनी इलाकों का परिदृश्य भी अब बदल रहा है।
आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि नए कैम्पों के स्थापना से आदिवासियों के जीवन में बदलाव आया है। इंद्रावती नदी पर चार पुल बनाये जा रहे हैं। आजादी के बाद से अब तक इंद्रावती नदी पर 200 किमी में सिर्फ 3 पुल थे, जो कि अगले साल तक सात हो जाएंगे।इसी तरह पिछले 30 सालों से बंद पड़ी पल्ली-बारसूर रोड, बासागुड़ा-जगरगुंडा रोड, उसूर-पामेड़ रोड सरकार ने सुरक्षा बलों के कैम्प लगा कर खुलवाए हैं।
0- एक दिन में आए 1.86 लाख मामले, 3,660 लोगों की मौत
नई दिल्ली ,28 मई । कोरोना संक्रमण का दैनिक ग्राफ लगातार नीचे आता नजर आ रहा है। पिछले 24 घंटे के दौरान 44 दिन बाद पहली बार सामने आए कोरोना के नए मामले दो लाख से कम रहे। जबकि इस दौरान मौतों का आंकड़ा भी कम रहा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार पिछले एक दिन में कोरोना वायरस के 1,86,163 मामले सामने आए हैं। 44 दिनों में ये सबसे कम आंकड़ा है। हालांकि मौतों का आंकड़ा कम तो हुआ लेकिन तीन हजार से ऊपर बना हुआ है। पिछले 24 घंटे में 3,660 लोगों की मौत दर्ज की गई। इस प्रकार अब तक देश में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढक़र 3,18,895 हो गई। जबकि कोरोना संक्रमण के कुल मामले बढक़र 2,75,55,457 हो गये हैं। देश में पिछले साल सात अगस्त को संक्रमितों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त को 30 लाख और पांच सितम्बर को 40 लाख से अधिक हो गई थी। वहीं, संक्रमण के कुल मामले 16 सितम्बर को 50 लाख, 28 सितम्बर को 60 लाख, 11 अक्टूबर को 70 लाख, 29 अक्टूबर को 80 लाख, 20 नवम्बर को 90 लाख के पार गए। वहीं, 19 दिसम्बर को ये मामले एक करोड़ के पार और चार मई को दो करोड़ के पार चले गए।
कर्नाटक में सबसे ज्यादा मौत
पिछले एक दिन में हुई 3660 लोगों की मौत में सबसे अधिक मौत कर्नाटक में हुई है, दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है। पिछले 24 घंटे के दौरान कर्नाटक में सबसे अधिक 476 की मौत हुई है, जबकि तमिलनाडु में 474 लोगों ने दम तोड़ा। यूपी में 188, केरल में 181, पंजाब में 178, बंगाल में 148, दिल्ली में 117 और आंध्र प्रदेश में 104 लोगों की मौत हुई।
महाराष्ट्र में 21,273 नए मामले
महाराष्ट्र पिछले एक दिन में कोविड-19 के 21,273 नए मामले सामने आए, जिससे राज्य में संक्रमण के कुल मामले बढक़र 56,72,180 हो गए, जबकि 425 मरीजों की मौत होने से राज्य में इस महामारी से जान गंवाने वालों की संख्या बढक़र 92,225 हो गई। स्वास्थ्य विभाग ने यह जानकारी दी।
सक्रीम मामले घटे
मंत्रालय के अनुसार देश में उपचाराधीन मरीजों की संख्या भी कम होकर 23,43,152 हो गई है, जो कुल मामलों का 8.50 प्रतिशत है। अभी तक कुल 2,48,93,410 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं और मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर 90.34 प्रतिशत है। कोविड-19 से मृत्यु दर 1.16 प्रतिशत है।
पौने 21 लाख नमूनों की जांच
आंकड़ों के अनुसार, देश में अभी तक कुल 33,90,39,861 नमूनों की कोविड-19 संबंधी जांच की गई है, जिनमें से 20,70,508 नमूनों की जांच की गई। देश में नमूनों के संक्रमित आने की दर भी कम होकर नौ प्रतिशत हो गई थी। पिछले चार दिनों से यह 10 प्रतिशत से कम है। संक्रमण की साप्ताहिक दर भी कम होकर 10.42 प्रतिशत हो गई है।
नई दिल्ली ,28 मई । देश में कोरोना संक्रमण के बाद मुसीबत बनते जा रहे ब्लैक फंगस से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मोर्चा संभाल लिया है। बढ़ते मामलों के बीच पीएम ने अधिकारियों के साथ कई बैठकें की और उन्हें दुनिया में जहां भी इसकी दवा हो, उसे हर हाल में भारत लाना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। इसके मद्देनजर दुनिया भर में स्थित भारतीय उच्चायोग और दूतावासों को आगाह किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक फिलहाल इस दवा से निपटने के लिए एंबीसॉम और लिपोसोमल एंफोटेरेसिरिन बी का उपयोग हो रहा है। तात्कालिक जरूरत पूरी करने के लिए पीएम के निर्देश के बाद पांच कंपनियों को लिपोसोमल एंफोटेरेसिरिन बी के उत्पादन का लाइसेंस दिया गया है।इसके अलावा एंबीसॉम के लिए अमेरिकी कंपनी गलियड साइंसेस की सहायता से अब तक करीब सवा लाख खुराक का आयात किया गया है। पीएम की सक्रियता के बाद अमेरिकी फार्मास्यूटिकल कंपनी मायलन एंफोटेरेसिरिन बी की खुराक का प्रबंध कर रही है। कंपनी ने जल्द करीब 12 लाख खुराक उपलब्ध कराने का वादा किया है। इसके लिए दुनिया के दूसरे देशों से एंफोटेरेसिरिन बी के स्टॉक हटाए जा रहे हैं। इमोर्चे पर सरकार ने दूतावासों और उच्चायोग को भी लगाया है। इन्हें अपने अपने देशों में एंफोटेरेसिरिन बी की उपलब्धता की संभावना तलाशने और इसे भारत भेजने में अपनी भूमिका सुनिश्चित करने को कहा गया है। इस क्रम में करीब चार दर्जन देशों के राजदूत और उच्चायुक्त ने कूटनीतिक संपर्कों के जरिये दवा की उपलब्धता की संभावना तलाशी है। सरकार को उम्मीद है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दवाओं की कमी जैसी स्थिति ब्लैक फंगस के मामले में नहीं आएगी।