0- पिछले 24 घंटे में 1,73,790 लाख नए मामले, 3,460 की मौत
0- अभी इलाज करा रहे या एक्टिव मरीजों की संख्या : 22.14 लाख
नई दिल्ली ,29 मई । देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से कम होने लगी है। मसलन पिछले 24 घंटे में 1,73,790 नए मरीजों के आने के बाद देश में अब तक कारोरा मरीजों की संख्या 2.77 करोड़ से ज्यादा पहुंच गई है। जबकि कोरोना के कारण एक दिन में 3,617 लोगों की मौत के बाद यह आंकड़ा आए 3.22 लाख से ऊपर पहुंच गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के शनिवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे में आए कोरोना के 1,73,790 नए मामले पिछले 46 दिनों में सबसे कम है। मंत्रालय के के मुताबिक संक्रमण से प्रभावित होने वाले लोगों की कुल संख्या 2,77,29,247 हो गई है। आंकड़ों के मुताबिक रोजाना की संक्रमण दर घटकर 8.36 प्रतिशत पर आ गई है और लगातार पांच दिनों से 10 प्रतिशत से कम दर्ज की जा रही है जबकि संक्रमण की साप्ताहिक दर 9.84 प्रतिशत दर्ज की गई। वहीं पिछले 24 घंटों में 3,617 लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या 3,22,512 पर पहुंच गई है, जिसके बाद संक्रमण से मृत्यु दर 1.16 प्रतिशत आंका गया है।
महाराष्ट्र में ज्यादा मौतें
एक दिन में मौत के 3,617 नये मामलों में सर्वाधिक 973 मरीजों की मौत महाराष्ट्र में हुई। इसके बाद तमिलनाडु से 486, कर्नाटक से 401, केरल से 194, पंजाब से 176, उत्तर प्रदेश से 154, पश्चिम बंगाल से 145, दिल्ली से 139 और आंध्र प्रदेश से 103 मरीजों की मौत हुई है। देश में अब तक हुई कुल 3,22,512 मौत में सर्वाधिक 93,198 मौत महाराष्ट्र में हुई हैं। इसके बाद कर्नाटक में 27,806, दिल्ली में 23,951, तमिलनाडु में 22,775, उत्तर प्रदेश में 20,053, पश्चिम बंगाल में 15,120, पंजाब में 14,180 और छत्तीसगढ़ में 12,915 लोगों की मौत हुई है।
सक्रीय मरीजों की संख्या में कमी
देश में इलाज करा रहे मरीजों की संख्या भी घटकर 22,28,714 पर आ गई है जो संक्रमण के कुल मामलों का 8.04 प्रतिशत है। जबकि कोविड-19 से स्वस्थ होने की राष्ट्रीय दर सुधरकर 90.80 प्रतिशत हो गई है।
संक्रमण से मात देने वालों में इजाफा
आंकड़ों के मुताबिक बीमारी से ठीक होने वाले लोगों की संख्या बढक़र 2,51,78, 011 हो गई है। जबकि संक्रमण से मृत्यु दर 1.16 प्रतिशत है। रोजाना सामने आने वाले मामलों की तुलना में स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या लगातार 16वें दिन ज्यादा रही।
टीकाकरण में तेजी
मंत्रालय ने बताया कि राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत देश में कोविड-19 का टीका दिये जाने का आंकड़ा शनिवार को 20.89 करोड़ के पार हो गया। शनिवार को सुबह सात बजे तक उपलब्ध अनंतिम रिपोर्ट के मुताबिक 29,72,971 सत्रों के माध्य से कुल 20,89,02,445 टीकों की खुराकें दी जा चुकी हैं। इससे 20 करोड़ के ऐतिहासिक आंकड़े को पार करने वाला भारत अमेरिका के बाद दूसरा देश है। मंत्रालय ने बताया कि शुक्रवार को कोविड-19 के लिए 20,80,048 जांच की गई जिसे मिलाकर देश में अब तक 34,11,19,909 नमूनों की जांच की जा चुकी है।
नई दिल्ली ,29 मई । देश में मांग से अधिक आपूर्ति के बाद केंद्र ने राज्यों को दी जाने वाली एंटी-वायरल दवा रेमडेसिविर के आवंटन पर रोक लगा दी है। केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने शनिवार को यह जानकारी दी।
मंडाविया ने कहा कि अब देश में पर्याप्त मात्रा में रेमडेसिविर उपलब्ध है क्योंकि मांग की तुलना में आपूर्ति काफी अधिक है। इसलिए, हमने राज्यों को किए जाने वाले रेमडेसिविर के केंद्रीय आवंटन को रोकने का फैसला किया है। उर्वरक एवं रसायन राज्य मंत्री ने इस बात का भी जिक्र किया कि कोविड-19 के उपचार में उपयोग होने वाली इस दवा की आपूर्ति में खासा सुधार हुआ है, जहां 11 अप्रैल को रेमडेसिविर की प्रतिदिन 33000 शीशी की आपूर्ति थी, वहीं अब यह 10 गुना से अधिक बढक़र 3,50,000 शीशी प्रतिदिन हो गई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक महीने के भीतर रेमडेसिविर का निर्माण करने वाली इकाइयों की संख्या 20 से बढ़ाकर 60 कर दी। मंडाविया ने यह भी कहा कि सरकार ने आपातकालीन स्टॉक के तौर पर रेमडेसिविर की 50 लाख शीशियां खरीदने का भी फैसला लिया है।
नई दिल्ली ,29 मई । कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों के लिए राहत की खबर आई है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा है कि कोरोना के कारण माता-पिता या अभिभावक दोनों को खोने वाले सभी बच्चों को पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के तहत सहायता दी जाएगी। ऐसे बच्चों को 18 साल की उम्र में मासिक वजीफा और 23 साल की उम्र में पीएम केयर्स से 10 लाख रुपये का फंड मिलेगा।
एमओ ने शनिवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि इन बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी। बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण प्राप्त करने में सहायता की जाएगी और इस ऋण पर ब्याज का भुगतान पीएम केयर्स फंड से होगा। इसके अलावा आयुष्मान भारत योजना के तहत 18 साल तक के बच्चों को 5 लाख रुपये का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा मिलेगा और प्रीमियम का भुगतान पीएम केयर्स फंड द्वारा किया जाएगा। वहीं इस घोषणा के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि बच्चे देश के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं और हम बच्चों के समर्थन और सुरक्षा के लिए सब कुछ करेंगे। उन्होंने कहा कि एक समाज के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने बच्चों की देखभाल करें और उज्ज्वल भविष्य की आशा जगाएं।
0- केंद्र सरकार ने मांगे आवेदन
नई दिल्ली ,29 मई । केंद्र सरकार ने शरणार्थियों को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्र ने देश के 13 जिलों में रह रहे अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का फैसला किया है। इसके लिए इन लोगों से आवेदन मंगाए गए हैं।
ये शरणार्थी गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और पंजाब के 13 जिलों में रह रहे हैं। इनका धर्म हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध इत्यादि है। इनसे शुक्रवार को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन मंगाए गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता कानून 1955 और 2009 में कानून के अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत आदेश के तत्काल कार्यान्वयन के लिए इस आशय की एक अधिसूचना जारी की। हालांकि, सरकार ने 2019 में लागू संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के तहत नियमों को अभी तक तैयार नहीं किया है। वर्ष 2019 में जब सीएए लागू हुआ तो देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ और इन्हीं विरोध प्रदर्शनों के बीच 2020 की शुरुआत में दिल्ली में दंगे हुए थे। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुताबिक, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में दमन के शिकार ऐसे अल्पसंख्यकों गैर-मुस्लमों को नागरिकता प्रदान की जाएगी, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ गए थे।
क्या है अधिसूचना में आदेश
गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि नागरिकता कानून 1955 की धारा 16 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार ने कानून की धारा पांच के तहत यह कदम उठाया है। इसके अंतर्गत उपरोक्त राज्यों और जिलों में रह रहे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर पंजीकृत करने के लिए निर्देश दिया गया है।
क्या है सीएए
केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून 2019 में बनाया था। देशभर में इसे लेकर प्रदर्शन हुए थे। इस कानून में तीन पड़ोसी देशों से भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। ये देश हैं - बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान। सरकार का दावा है कि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोग इन देशों में अल्पसंख्यक हैं। इन देशों में इनका उत्पीडऩ होता है। लिहाजा, भारत में पांच साल पूरा कर चुके इन शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। इससे पहले भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए 11 साल की शर्त थी।
नई दिल्ली ,29 मई । केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के प्रमुख कुलदीप सिंह को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के महानिदेशक पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। वह सोमवार को सेवानिवृत्त हो रहे वाई सी मोदी का स्थान लेंगे।
गृह मंत्रालय ने एक आदेश में यह जानकारी देते हुए कहा कि असम-मेघालय काडर के 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी मोदी सितंबर 2017 में इस संघीय आतंकवाद रोधी जांच एजेंसी के प्रमुख नियुक्त हुए थे। गृह मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी एक आदेश में कहा गया कि एनआईए के महानिदेशक वाई सी मोदी 31 मई, 2021 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और संबंधित प्राधिकार ने सीआरपीएफ के महानिदेशक कुलदीप सिंह को एनआईए के महानिदेशक पद का अतिरिक्त प्रभार तब तक देने पर मोहर लगा दी है जब तक कि इस पद के लिए किसी की नियुक्ति नहीं हो जाती या इस संबंध में अगला आदेश नहीं आ जाता।
0- छत्तीसगढ़ : नक्सलियों की मांद में बिछ रहा सडक़ों का जाल
नई दिल्ली ,28 मई । पहले जहां बस्तर के नक्सल प्रभावित पहुँचविहीन क्षेत्रों में पैदल चलना मुश्किल था, अब वहां सडक़ है, बिजली है, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं हैं। लेकिन कुछ साल पहले तक यह सब बुनियादी सुविधाएं यहां के लोगों के लिए सपना था। प्रशासन ने इस सपने को हकीकत में बदलने का प्रयास किया है। विकास कार्यों को गति देने के लिए बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पिछले दो सालों में 28 सुरक्षा बलों के कैम्प स्थापित किये गए हैं। इन कैम्पों के स्थापना से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों में तेजी आ पाई है।
छत्तीसगढ़ में दिसंबर 2018 से अब तक नक्सल प्रभावित संवेदनशील क्षेत्रों में 21 सडक़ बनाये गए हैं। बीजापुर-आवापल्ली-जगरगुंडा रोड, नारायणपुर-पल्ली-बारसूर रोड, अंतागढ़- बेड़मा रोड, चिन्तानपल्ली-नयापारा रोड, चिंतल नार-मड़ाई गुड़ा रोड, कोंटा-गोल्ला पल्ली रोड आदि पर लगभग 700 किमी सडक़ों का जाल बिछा कर दूरस्थ क्षेत्रों को जोड़ा जा रहा है। वहीं, कोरोना काल के लॉकडाउन के दौरान बस्तर के धुर नक्सल इलाकों में 450 किमी सडक़ों का काम पूरा किया गया है। 132 पुल-पुलिया का भी निर्माण कराया गया है। यह सडक़ें ऐसे इलाकों में बनी हैं जो नक्सलियों के कब्जे में रहे थे। छोटे पुलों के साथ ही इंद्रावती नदी पर निर्माणाधीन चार बड़े पुलों में से एक छिंदनार के पुल का काम लगभग पूरा हो चुका है। यह पुल जून के आखिरी सप्ताह तक आम जनता के लिए खुल जाएगा। इसके बनने से दंतेवाड़ा की ओर से अबूझमाड़ के जंगलों का रास्ता खुल जाएगा। नदी के उस पार सडक़ का काम चल रहा है। इस सडक़ के बनने से करका, हांदावाड़ा समेत एक दर्जन गांव जुड़ जाएंगे।
बस्तर में नक्सलवाद पर अंकुश लगाने के लिए सुरक्षा-बलों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में कैंप स्थापित किए जाने की जो रणनीति अपनाई गई है, उसने अब नक्सलवादियों को अब एक छोटे से दायरे में समेट कर रखा दिया है। इनमें से ज्यादातर कैंप ऐसे दुर्गम इलाकों में स्थापित किए गए हैं, जहां नक्सलवादियों के खौफ के कारण विकास नहीं पहुंच पा रहा था। अब इन क्षेत्रों में भी सडक़ों का निर्माण तेजी से हो रहा है, यातायात सुगम हो रहा है, शासन की योजनाएं प्रभावी तरीके से ग्रामीणों तक पहुंच रही हैं, अंदरुनी इलाकों का परिदृश्य भी अब बदल रहा है।
आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि नए कैम्पों के स्थापना से आदिवासियों के जीवन में बदलाव आया है। इंद्रावती नदी पर चार पुल बनाये जा रहे हैं। आजादी के बाद से अब तक इंद्रावती नदी पर 200 किमी में सिर्फ 3 पुल थे, जो कि अगले साल तक सात हो जाएंगे।इसी तरह पिछले 30 सालों से बंद पड़ी पल्ली-बारसूर रोड, बासागुड़ा-जगरगुंडा रोड, उसूर-पामेड़ रोड सरकार ने सुरक्षा बलों के कैम्प लगा कर खुलवाए हैं।