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माफिया मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास
Posted Date : 13-Mar-2024 5:34:18 pm

माफिया मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास

0-एमपी-एमएलए कोर्ट ने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में सुनाया फैसला
वाराणसी। माफिया मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका लगा है. वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, साथ ही दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. मुख्तार अंसारी पर डीएम और एसपी के फर्जी हस्ताक्षर कर लाइसेंस लेने का आरोप था. मुख्तार अंसारी को अब तक कुल सात मुकदमे में सजा हो चुकी है. 36 साल पहले फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में मोहम्मदाबाद थाने में मामला दर्ज किया गया था. 
बता दें कि यह मामला करीब 36 साल पुराना है, जब माफिया मुख्तार अंसारी की ओर से 10 जून 1987 को बंदूक का लाइसेंस लेने के लिए गाजीपुर डीएम को अप्लीकेशन दी गई थी. इसमें जिलाधिकारी और एसपी के फर्जी हस्ताक्षर कर लाइसेंस लेने का आरोप लगा था. मामले की जानकारी होने के बाद पुलिस ने 5 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया.
पुलिस ने जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और माफयिा मुख्तार अंसारी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. इस दौरान कोर्ट में पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और पूर्व डीजीपी देवराज नागर समेत 10 गवाहों के बयान दर्ज किए गए. इस मामले में वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश अवनीश कुमार गौतम ने मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया था. 

देश में सीएए कानून आज से लागू, मोदी सरकार ने जारी की अधिसूचना
Posted Date : 12-Mar-2024 1:10:13 am

देश में सीएए कानून आज से लागू, मोदी सरकार ने जारी की अधिसूचना

नई दिल्ली । नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा लागू किया जा चुका है। इसके लिए सरकार की तरफ से अधिसूचना जारी कर दी गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से इसके लिए पोर्टल भी तैयार है। इस पोर्टल पर नागरिकता पाने के लिए आवेदन किया जा सकता है। लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार तीन मुल्कों के गैर-मुस्लिम (अल्पसंख्यकों) को भारत की नागरिकता देने के लिए कानून को लागू करने की तैयारी कर चुकी थी।
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के अंतर्गत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-हिंदुओं को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी। सीएए के तहत इन देशों से आए हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान शामिल है। संसद के दोनों सदनों से सीएए 11 दिसंबर, 2019 में पारित किया गया था। इसके एक दिन बाद राष्ट्रपति की ओर से इसे मंजूरी दे दी गई थी।
ध्यान दें, यह कानून उन लोगों पर लागू होगा, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए वहां के अल्पसंख्यकों को इस कानून के जरिए यहां भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी। ऐसी स्थिति में आवेदनकर्ता को साबित करना होगा कि वो कितने दिनों से भारत में रह रहे हैं। उन्हें नागरिकता कानून 1955 की तीसरी सूची की अनिवार्यताओं को भी पूरा करना होगा।
सीएए को काफी पहले ही लागू कर दिया जाता, लेकिन कोरोना की वजह से इसमें देरी हो गई। वहीं, इससे पहले केंद्रीय अमित शाह ने भी संकेत दे दिए थे कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सीएए को लागू कर दिया जाएगा।

 

2 करोड़ की आय पर आईटीआर फाइल नहीं करने पर महिला को कोर्ट ने सुनाई सजा, 6 महीने के लिए भेजा जेल
Posted Date : 12-Mar-2024 1:09:45 am

2 करोड़ की आय पर आईटीआर फाइल नहीं करने पर महिला को कोर्ट ने सुनाई सजा, 6 महीने के लिए भेजा जेल

नई दिल्ली ।  दिल्ली की एक अदालत ने वित्तीय वर्ष 2013-14 के लिए दो करोड़ रुपये की आय पर आईटीआर फाइल नहीं करने पर एक महिला को छह महीने जेल की सजा सुनाई है। महिला की पहचान सावित्री के रूप में हुई है। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) मयंक मित्तल ने सावित्री पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया, साथ ही डिफ़ॉल्ट करने पर एक महीने के अलग से कारावास की सजा भी दी।
यह मामला आयकर कार्यालय (आईटीओ) की एक शिकायत से सामने आया, जिसमें कहा गया था कि वित्तीय वर्ष 2013-14 के दौरान सावित्री को दो लाख रुपये का टीडीएस कटा था। हालांकि, वह असेसमेंट ईयर 2014-15 के लिए रिटर्न फाइल करने में विफल रही। बचाव पक्ष ने सावित्री की व्यक्तिगत परिस्थितियों का हवाला देते हुए कहा कि वह एक विधवा है, उसके परिवार में कोई और नहीं है।
इनकम टैक्स ऑफिस द्वारा सावित्री को जारी किए गए कई नोटिसों और जुर्माने के आदेश को अनसुना किए जाने के बाद अदालत ने ये फैसला सुनाया। उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए प्रधान आयकर आयुक्त, नई दिल्ली ने आईटी अधिनियम के तहत सावित्री के खिलाफ मुकदमा चलाने को कहा।
सावित्री को दोषी ठहराते हुए अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने नोटिस जारी करने और तामील कराने को सफलतापूर्वक साबित किया है और वो जरूरी टैक्स रिटर्न फाइल करने में विफल रही। इसके अलावा, वह आईटी अधिनियम की धारा 278ई के तहत अपनी मानसिक स्थिति के लिए कोई सबूत पेश नहीं कर सकी, जिसके कारण उसे दोषी ठहराया गया।

 

बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, संदेशखाली मामले में सीबीआई जांच के खिलाफ याचिका खारिज
Posted Date : 12-Mar-2024 1:08:50 am

बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, संदेशखाली मामले में सीबीआई जांच के खिलाफ याचिका खारिज

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें संदेशखाली में ईडी और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की टीमों पर हमले की सीबीआई जांच कराने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले में राज्य सरकार और राज्य पुलिस के खिलाफ की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को हटा दिया।
पीठ ने कहा, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू ने कहा कि प्रतिवादी (केंद्रीय एजेंसी) को उन टिप्पणियों को रखने में कोई दिलचस्पी नहीं है। उनका कहना है कि यदि उन टिप्पणियों को हटा दिया जाता है, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इसलिए हम याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। पुलिस और राज्य सरकार के संबंध में विवादित टिप्पणियों को हटा दिया जाएगा।
5 मार्च को एक आदेश में, कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक स्वतंत्र सीबीआई जांच का आदेश दिया था और पश्चिम बंगाल पुलिस को हमले के मास्टरमाइंड आरोपी शेख शाहजहां को उसी दिन सीआईडी की हिरासत से सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया था। इसके खिलाफ, राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत में एक याचिका लगाई और कहा कि सीबीआई को जांच ट्रांसफर करने का कलकत्ता हाई कोर्ट का आदेश जल्दबाजी में दिया गया।
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इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, एसबीआई को लगाई फटकार; 24 घंटे के अंदर जानकारी देने का आदेश
Posted Date : 12-Mar-2024 1:08:36 am

इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, एसबीआई को लगाई फटकार; 24 घंटे के अंदर जानकारी देने का आदेश

नई दिल्ली ।  इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को जमकर फटकार लगाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की याचिका को भी खारिज कर दिया है। बता दें कि एसबीआई ने एक याचिका दायर कर भारत के चुनाव आयोग को चुनावी बांड का विवरण जमा करने के लिए 30 जून तक समय बढ़ाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से फटकार लगाते हुए 12 मार्च को कामकाजी समय समाप्त होने तक चुनावी बांड के विवरण का खुलासा करने को कहा है। इसके साथ ही चुनाव आयोग को ये जानकारी 15 मार्च शाम 5 बजे तक पोर्टल पर सार्वजनिक करनी होगी।
दरअसल, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बैंक को भारत के चुनाव आयोग को चुनावी बांड का विवरण जमा करने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है। साल्वे ने कहा कि एसबीआई की एकमात्र समस्या यह है कि वह पूरी प्रक्रिया को उलटने की कोशिश कर रहा है। एसओपी ने सुनिश्चित किया कि हमारे कोर बैंकिंग सिस्टम और बांड नंबर में खरीदार का कोई नाम नहीं था। हमें बताया गया कि इसे गुप्त रखा जाना चाहिए।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को फटकार लगाते हुए कहा कि उसने अपने फैसले में बैंक से मिलान अभ्यास करने के लिए नहीं कहा है, हमने स्पष्ट खुलासा करने का निर्देश दिया है। इसलिए यह कहते हुए समय मांगना कि एक मिलान अभ्यास किया जाना है, उचित नहीं है, हमने आपको ऐसा करने का निर्देश नहीं दिया है। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि 12 मार्च को कामकाजी समय समाप्त होने तक चुनावी बांड के विवरण का खुलासा करें।
आपको बता दें कि स्क्चढ्ढ ने सुप्रीम कोर्ट से इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी डिटेल देने के लिए 30 जून तक मोहलत मांगी थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को राजनीतिक पार्टियों को दिए जाने वाले चंदे को लेकर इलेक्टोरल बॉन्ड की व्यवस्था को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगा दी थी।
देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-जजों की संविधान पीठ ने याचिका पर सुनवाई की। इसके साथ देश की सर्वोच्च अदालत ने स्क्चढ्ढ को 6 मार्च तक चुनाव आयोग को किसने किस पार्टी को कितना चंदा दिया, इसकी जानकारी चुनाव आयोग को देने के निर्देश दिए थे, लेकिन 6 मार्च से पहले ही स्क्चढ्ढ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लेकर पहुंच गई, जिसमें उसने चंदे से जुड़ी जानकारी देने के लिए 30 जून का वक्त देने की मांग की है।

 

केंद्र को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
Posted Date : 12-Mar-2024 1:08:10 am

केंद्र को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर चुनाव आयोग में रिक्त पदों पर वर्तमान कानून के अनुसार नियुक्तियां करने से केंद्र सरकार को रोकने की मांग की गई है। वर्तमान कानून भारत के मुख्य न्यायाधीश को मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और अन्य चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति की प्रक्रिया से बाहर करता है।
गौरतलब है कि चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने नौ मार्च को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
आवेदन में शीर्ष अदालत की मार्च 2023 की संविधान पीठ के फैसले के अनुसार चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति का निर्देश देने की मांग की गई है। इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता विपक्ष (एलओपी) और भारत के मुख्य न्यायाधीश के पैनल की सलाह पर चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा करने की बात कही गई है।
कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की स्थिति और पद ग्रहण की अवधि) अधिनियम, 2023 की वैधता को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की है।
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा जारी गजट अधिसूचना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कई जनहित याचिकाएं दायर की गईं हैं। इस अधिसूचना में कहा गया है कि प्रधान मंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री से मिलकर बनी चयन समिति की सिफारिश पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा सीईसी और ईसी की नियुक्ति की जाएगी।
गौरतलब है कि इस साल जनवरी में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया था, लेकिन संसद द्वारा हाल ही में बनाए गए कानून के कार्यान्वयन पर रोक लगाने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया था।
पीठ ने कहा था, हम इस तरह के क़ानून पर रोक नहीं लगा सकते। पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे।