छत्तीसगढ़

मरीजों से निशुल्क दवा का भी मूल्य वसूला जा रहा
Posted Date : 30-Nov-2018 10:10:06 am

मरीजों से निशुल्क दवा का भी मूल्य वसूला जा रहा

जगदलपुर, 30 नवंबर । छत्तीसगढ़ मेडिकल कार्पोरेशन के द्वारा प्रदेश में स्थित सभी मेडिकल कॉलेजों, शासकीय अस्पतालों व सीएचसी के लिए मरीजों को निशुल्क दवा वितरित किये जाने के लिए प्रदान की जाती है। लेकिन व्यवस्था के संचालकों ने ही इसे अपनी कमाई का जरिया बना लिया है। शासन के द्वारा भेजी जानी वाली इन मुफ्त की दवाईयों को स्मार्टकार्ड के माध्यम से गैरकानूनी रूप से दिया जा रहा है और इसका मूल्य मरीजों को चुकाने के लिए कहा जा रहा है। गरीबी रेखा के मरीजों को तो सुई और ड्रिप्सेट तक खरीदकर लाने के लिए प्रतिदिन कहा जाता है। 
उल्लेखनीय है कि जीवन रक्षक महंगी दवाओं से लेकर जेनिरिक एंटीबायोटिक्स इंजेक्शन व गोलियों को शासन द्वारा निशुल्क दिये जाने के लिए प्रदान किया जाता है। लेकिन स्थानीय मेकॉज ने इन दवाईयों को मरीजों को उपलब्ध नहीं कराया जाता है और यह सिलसिला उस समय समाप्त होता है जब नर्सो द्वारा दवाओं का स्टाक नहीं होने तथा मरीज को बाहर से लाने के लिए कहा जाता है। मजबूरी व विवशता वश मरीज इसे बाहर से खरीदकर लाता ही है। इसीलिए अस्पताल में आने वाली निशुल्क दवाओं को स्मार्टकार्ड धारी मरीजों को एक सीमा तक ही प्रदान किया जाता है। इस संबंध में मरीजों का कहना है कि अस्पताल से कोई दवाई नहीं दी जाती और उनके द्वारा भुगतान किये जाने अथवा स्मार्टकार्ड बताये जाने पर वहीं दवाई सशुल्क मिल जाती है। इस प्रकार का गोरख धंधा बस्तर के ग्रामीण क्षेत्रों से आये हुए मरीजों के साथ चल रहा है, जिससे शासन की छवि प्रभावित हो रही है। 

 नक्सली आतंक से बस्तर में ठप हो गए निर्माण कार्य
Posted Date : 30-Nov-2018 10:08:53 am

नक्सली आतंक से बस्तर में ठप हो गए निर्माण कार्य

जगदलपुर, 30 नवंबर । संभाग के सातोंं जिलों में नक्सली आतंक इतना पसर गया है कि यहां के ठेकेदारों में साफ-साफ बिना सुरक्षा के किसी भी निर्माण कार्य को करने में अपनी असमर्थता प्रदर्शित कर दी है, जिसके कारण निर्माण कार्य ठप हो गये हैं। 
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों चुनाव कार्य में लगे रहे सुरक्षा बलों की व्यवस्तता से क्षेत्र में चल रहे निर्माण कार्यों को सुरक्षा प्रदान नहीं की जा सकी और इन जिलों में हुए भारी मतदान से नक्सलियों ने इन निर्माण कार्यों को ही अपनी खीझ मिटाने निशाना बनाया। इसका उदाहरण अरणपुर, जगरगुड़ा मार्ग पर काम कर रहे ठेकेदार व उनके मजदूरों पर नक्सली धावा से सामने आया और अब ठेकेदारों ने यहां आगे काम करने से मना कर दिया है। इसी प्रकार दंतेवाड़ा जिले के नीलवाया में एक निर्माणाधीन सडक़ पर नक्सलियों के प्रहार से तीन जवानों सहित मिडियाकर्मी की भी मौत से कार्य ठप हो गया है। क्षेत्र में इस प्रकार दर्जनों विकास की संवाहक सडक़ों का निर्माण बंद हो गया है। अब जानकारी के अनुसार पुन: कार्य शुरू करने के लिए सुरक्षा बलों की सुरक्षा इन निर्माण कार्यों को प्रदान करने की तैयारी की जा रही है और 20 नवंबर के बाद इनका निर्माण शुरू हो सकेगा। 

बस्तर के नक्सली एवं अंदरूनी क्षेत्रों में आज भी नहीं मिलता मोबाईल नेटवर्क
Posted Date : 30-Nov-2018 10:08:00 am

बस्तर के नक्सली एवं अंदरूनी क्षेत्रों में आज भी नहीं मिलता मोबाईल नेटवर्क

जगदलपुर, 30 नवम्बर । दूर संचार विभाग सहित दूर संचार की दूसरी निजी कंपनियों  द्वारा मोबाईल सेवा प्रदान करने के लिए भले ही लाख उपाय किये जा रहे हैं लेकिन आज भी बस्तर के दूरस्थ व पहुंचविहीन क्षेत्रों में नेटवर्क प्राप्त करना बड़ी ही समस्या बन गया है। 
प्राप्त जानकारी के अनुसार कांगेर घाटी का क्षेत्र भी ऐसा ही है जहां दूरस्थ स्थानों पर और दूर बसे हुए गांवों की आबादी को नेटवर्क नहीं मिलता और उन्हेें अपने मोबाईल से बात करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इन गांवों के लोगों को या तो गांव से बाहर आकर किसी उंचे वृक्ष पर चढक़र बात करना पड़ता है या किसी उंची पहाड़ी पर चढक़र नेटवर्क मिलने से बात करने की इच्छा उनकी पूर्ण हो पाती है।
उल्लेखनीय है कि ऐसा ही एक गांव कावापाल कांगेर घाटी में तीरिया वनग्राम के पास बसा हुआ है। यहां से उसकी दूरी 50 किलोमीटर के करीब है, लेकिन इस ग्राम तक सहज ही जाना मार्ग की बिगड़ी स्थिति से संभव नहीं है और इसी गांव में तथा इसके आसपास स्थित अन्य गांवों में उन्हें किसी प्रकार की सूचना देने अथवा जानकारी प्रदान करने के लिए गांव  से बाहर आकर किसी वृक्ष में चढऩे की कसरत करनी पड़ती है, उसके बाद ही वह सूचना दूसरी जगह पहुंच पाती है । वर्षा काल में स्थिति नेटवर्क के गायब रहने से और अधिक बिगड़ जाती है, तब उन्हें अपने गांव से मोटर साइकल से करीब 25 किलोमीटर बाहर आकर सूचना या जानकारी देनी पड़ती है। इस प्रकार ऐसे अनेकों गांव हैं, जहां नेटवर्क आज भी नहीं पहुंच सका है।

खरीदी केंद्रों की लालफीताशाही से मक्का नहीं बेच रहे किसान
Posted Date : 30-Nov-2018 10:07:24 am

खरीदी केंद्रों की लालफीताशाही से मक्का नहीं बेच रहे किसान

जगदलपुर, 30 नवंबर । संभाग के मक्का खरीदी के लिए बनाये गये 148 खरीदी केंद्रों में अभी तक मक्का की खरीदी शुरू नहीं हो पाई है और खरीदी केंद्रों की लालफीताशाही इसमें बहुत बड़ा कारण बनकर आई है। 
मक्का खरीदी की शुरूआत 1 नवंबर से धान की खरीदी के साथ शुरू हो चुकी है, लेकिन मक्का की ऊपज लेकर आने के बाद भी किसान से नमी का बहाना बनाकर इसे नहीं खरीदा जाता है। इसके साथ ही किसान को समर्थन मूल्य 1700 रूपए के स्थान पर 1200-1300 रूपए ही देने की  पेशकश की जाती है। जबकि बाजार में किसानों को 1300 से लेकर 1400 रूपए तक की कीमत प्रति च्ंिटल घर बैठे ही अपनी ऊपज का मिल जाता है। ऐसी स्थिति में किसान खरीदी केंद्रों तक अपनी फसल ले जाने में रूचि नहीं रखते हैं।
उल्लेखनीय है कि खरीदी केंद्रों में दिखावे के लिए दिसंबर माह के बाद ही किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाती है, लेकिन किसानों को तत्काल अपनी फसल का भुगतान नहीं हो पाता और किसानों को अपनी फसल की राशि पांच-पांच या छह माह तक प्राप्त होती है। इन कारणों से किसान नगद राशि की चाहत में खरीदी केंद्रों तक अपनी फसल को लाने में हिचकते हैं। बस्तर जिले में मक्का खरीदी के लिए 24 केंद्र बनाये गये हैं और इन केंद्रों के प्रभारियों द्वारा मक्का खरीदी के लिए केवल जनवरी का ही माह निर्धारित कर खरीदी की जाती है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि किसानों को मक्का की फसल जानबूझकर खुले बाजार में बेचने के लिए विवश किया जाता है। लालफीताशाही के चलते किसानों को मक्का खरीदी का झांसा ही दिया जाता है। इसीलिए मक्का की खरीद इन खरीदी केंद्रों में अभी तक जीरो है और थोड़ी बहुत खरीद जनवरी में ही होगी।

नक्सली कैम्प ध्वस्त, 8 नक्सली गिरफ्तार
Posted Date : 30-Nov-2018 10:06:51 am

नक्सली कैम्प ध्वस्त, 8 नक्सली गिरफ्तार

० मौके से बंदूक एवं बम बनाने का सामान बरामद 
जगदलपुर, 30 नवंबर । छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में कल देर शाम पुलिस और नक्सलियों के बीच हुयी मुठभेड़ के बाद पुलिस ने भागते हुए 8 नक्सलियों को गिरफ्तार किया है। मौके से एक 303 बंदूक समेत बम बनाने का सामान बरामद किया गया है। पुलिस ने नक्सलियों का कैम्प भी ध्वस्त कर दिया है।  
बस्तर आईजी विवेकानंद सिंहा ने बताया कि सूचना मिली थी कि किरंदुल थाना क्षेत्र के हिरोली गांव के दोक्कापारा के जंगल में नक्सलियों ने कैम्प बना रखा है। फौरन ही डीएफ, डीआरजी और सीआरपीएफ के 50 जवानों की टुकड़ी रवाना की गयी, जिसने योजनाबद्ध तरीके से इलाके की घेराबंदी शुरू कर दी। पुलिस की मौजूदगी भांपकर नक्सलियों ने गोलीबारी प्रारंभ कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस बल ने अविलंब मोर्चा संभालते हुए फायरिंग की। लगभग एक-डेढ़ की मुठभेड़ बाद नक्सलियों के हौसले पस्त हो गए और वे जंगल की ओर भागने लगे, जिनका पीछा कर 4 महिला एवं 4 पुरूष नक्सलियों को दबोच लिया गया। गिरफ्तार नक्सलियों की शिनाख्त की जा रही है, जो मलांगिर एरिया कमेटी के सदस्य बताए जा रहे हैं।  
उन्होंने बताया कि  घटनास्थल की सर्चिंग के दौरान एक भरमार बंदूक, दो तीर बम, एक हेंड ग्रेनेड, दो डेटोनेटर, एक स्विच, कॉर्डेक्स वायर, पटाखे एक मोबाइल और दैनिक उपयोग की सामग्री बरामद की गयी है। 

 कडक़ड़ाती ठंड में ठिठुरने लगा बस्तर, पारा 10 डिग्री तक गिरा
Posted Date : 29-Nov-2018 11:48:35 am

कडक़ड़ाती ठंड में ठिठुरने लगा बस्तर, पारा 10 डिग्री तक गिरा

जगदलपुर, 29 दिसंबर । पिछले तीन दिनों से अचानक ठंड में भारी वृद्धि हुई है तथा पारा गिर गया है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार राजस्थान पर प्रतिचक्रवात का सिस्टम बनने के कारण प्रदेश में आ रही हवाएं पूरी तरह से उत्तरीय हैं। जो ठंड में भारी वृद्धि कर रही हैं। ठंड में भारी परिवर्तन के कारण तापमान में गिरावट आई है। 
सर्दी के लिए सहायक अलग-अलग सिस्टम के अन्तर्गत मौसम खुला हुआ है तथा आकाश से बादल गायब हैं। नमी नहीं होने के कारण ठंड आगामी दिनों में और भी अधिक बढ़ेगी, इसके अलावा उत्तर भारत से आ रही हवाओं के कारण ठंड में वृद्धि हुई है। सर्दी पकड़ते ही गर्म कपड़ों की खरीददारी बढ़ गई है, जिसके कारण ऊनी वस्त्रों के व्यवसायी खुश हैं। पिछले तीन दिनों में रात का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस तक कम हुआ है। अन्य स्थानों की तुलना में यह गिरावट बस्तर में 10 डिग्री सेल्सियस गिरने की वजह से बस्तर में बहुत ठंड पड़ रही है। न्यू नरेंद्र टाकीज के पास नेपालियों ने जो दुकानें लगा रखी हैं उसमें देर रात तक गर्म कपड़ों की खरीद फरोख्त तेजी से जारी है। ब्राडेंड कंपिनयों के स्वेटर, शाल तथा जैकेटों की बिक्री में ईजाफा हुआ है। पिछले 15-20 दिनों से अधिक ठंड न होने के कारण लोग अपने-अपने गर्म कपड़े नहीं निकाल रहे थे, लेकिन अब ठंड बढऩे के कारण बक्सों से महिला-पुरूष व बच्चों के गर्म ऊनी कपड़े बाहर निकल चुके हैं। 
 तापमान निरंतर गिरने से समूचा बस्तर शीतलहर की गिरफ्त में आ गया है। मौसम में पहली बार बस्तरवासी कोहरे के बीच स्वयं को ठिठुरता पा रहे हैं। देर रात छाया कोहरा सुबह 7 बजे तक फैला रहता है। मोती के समान चमकती ओस की बूंदें घॉस पर सूरज निकलने के बाद तक मुंह चिढ़ाती रहती हैं। कड़ाके की ठंड की वजह से शाम के समय धुंधलका जल्दी घिर आता है, जो सभी को ठंड की आगोश में जकड़ लेता है। हवाएं और सर्द होती जा रही हैं। इस मौसम वर्ष में ठंड का नया कीर्तिमान बना है। ठंड का असर दिन में भी महसूस होने लगा है। दिन में भी गर्म कपड़ों का सहारा लेना पड़ रहा है। दिन की धूप भी अब दोपहर में ही राहत देती है। शीत का प्रकोप बढऩे से रात की पाली में रोजी रोटी कमाने वालों का असर पडऩे लगा है। ठंड को जहां उच्च वर्ग फैशन का मौसम मानकर गर्म कपड़ों का भरपूर लुत्फ उठा रहा है, वहीं गरीब तबका उपलब्ध वस्त्रों, चिथड़ों तथा गुदडिय़ों को लपेटकर ठंड से राहत पाने का प्रयास करता नजर आता है। इन दिनों सुबह उठकर व्यायाम एवं पदयात्रा करने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है।