छत्तीसगढ़

राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाए जाने की मांग
Posted Date : 02-Dec-2018 11:48:50 am

राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाए जाने की मांग

कोरबा 2 दिसम्बर । सांसद डॉ. बंशीलाल महतो ने बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की घटना को पुराना बताते हुए कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनाया जाना चाहिए। यह हिंदुओं का अधिकार है और आस्था का सवाल है। यह बात उन्होंने उस वक्त कही जब हिंदू संगठन के लोग उन्हें ज्ञापन देने पहुंचे। संयुक्त रूप से पहुंचे पदाधिकारी व साधु संतों ने राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाए जाने की मांग रखी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सांसदों के माध्यम से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर कानून बनाने अभियान चलाया जा रहा है। शनिवार को हिंदू संगठन के विभिन्न पदाधिकारी सांसद डॉ. बंशीलाल महतो के पास पहुंचे और ज्ञापन सौंपा। पत्र में कहा गया है कि हिंदू समाज 1528 से ही श्रीराम जन्मभूमि पर राम मंदिर के लिए निरंतर संघर्ष कर रहा है। इसके समाधान के लिए कई बार वार्ता के प्रयास हुए हैं, पर हर बार असफल सिद्ध हुआ। 1950 से न्यायपालिका में भी प्रयास किया जा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय में विरोधी पक्ष ने मूल मुकदमे की सुनवाई टालने के लिए हर प्रकार की चालें चली। अब जनवरी 2019 के प्रथम सप्ताह में तारीख दी गई है, आगे क्या होगा, कुछ निश्चित नहीं है। संत उच्चाधिकार समिति की ओर से लिए गए निर्णय के आधार पर ज्ञापन सौंप केंद्र सरकार को कानून बना कर श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण करने मार्ग प्रशस्त करने का आग्रह किया जा रहा है। 
डॉ. महतो ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि राम मंदिर का निर्माण की बहुप्रतीक्षित मांग है और हिंदुओं का अधिकार भी है। साधु संत के साथ सभी लोग चाहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए, यह उनकी आस्था का सवाल है। बाबरी मस्जिद ढहाए जाने का मामला काफी पुराना हो चुका है। शनिवार को ज्ञापन सौंपने पहुंचे प्रबुद्धजनों में सदगुरु कबीर आश्रम के महंत ज्योति दास, ज्योतिषाचार्य व कथाकार पंडित वेदभूषण द्विवेदी, पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी, रामविलास पाल, नगर संघ संचालक आर एस एस चंद्रकिशोर श्रीवास्तव, शैलेंद्र नामदेव, मुख्य ग्रंथी सरदार स्वर्ण सिंह, विभूति भूषण पांडेय, जितेंद्र वर्मा, रणधीर पांडेय, सनत रजक, शैलेष पांडेय, विहिप जिलाध्यक्ष विनय मोहन पराशर, सुखविंदर सिंह धंजल, प्रकाश सिंह चाहल, संजय पांडेय, अखिलेश भारती, नैपाल सिंह मरावी, मोहनधर दीवान, शिवकुमार पालेकर,  वनवासी विकास समिति के के सुब्रहमण्यम, अखिल भारतीय सतनामी समाज राज महंत कीर्तनलाल भारद्वाज, पंतजलि योग समिति के रामेश्वर पांडेय प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

पटाखा फोड़ने पर लगा दो माह का प्रतिबंध
Posted Date : 02-Dec-2018 11:47:49 am

पटाखा फोड़ने पर लगा दो माह का प्रतिबंध

कोरबा 2 दिसम्बर । बढ़ रहे वायु प्रदूषण एवं ठंड में निर्धारित मापदंड के अनुरूप प्रदूषण को बनाए रखने के लिए दो माह पटाखा फ ोडऩे पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पर्यावरण विभाग ने कोरबा समेत प्रदेश के छह शहर में यह नियम लागू करते हुए सिर्फ  क्रिसमस एवं नववर्ष पर 35 मिनट ही पटाखा फो?ने की छूट दी है।
संपूर्ण छत्तीसगढ़ वायु प्रदूषण अधिनियम 1981 के अंतर्गत वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र घोषित होने की वजह से उक्त निर्णय लिया गया है। पिछले वर्ष पर्यावरण विभाग ने वायु प्रदूषण निवारण और नियंत्रण अधिनियम 1981 की धारा 19-5 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह निर्णय लिया था। इससे प्रदूषण नियंत्रण में काफी हद तक राहत मिली थी। औद्योगिक नगरी कोरबा में पावर प्लांट एवं कोयला खदान होने से वायु एवं जल प्रदूषण दोनों ज्यादा है, पर ठंड में प्रदूषण मानक स्तर ज्यादा बढ़ जाता है। इसकी मुख्य वजह यह है कि मौसम में नमी होने से राख ऊपर उठ नहीं पाने से नीचे रहती है। इससे प्रदूषण ज्यादा है। पर्यावरण विभाग ने इस पर नियंत्रण लगाने के लिए ही ठंड में एक दिसंबर से 31 जनवरी 2019 तक पटाखा फोडऩे पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। हालांकि क्रिसमस एवं नववर्ष के दौरान रात्रि 11.55 से 12.30 बजे यानी सिर्फ 35 मिनट पटाखा फो?ने की छूट दी गई है। 
उल्लेखनीय है कि रिट पिटीशन सिविल क्रमांक 728/2015 अर्जुन गोपाल विरुद्ध यूनियन ऑफ  इंडिया में पटाखों के उपयोग के संबंध में उच्चतम न्यायालय से महत्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, जिसमें क्रिसमस व नववर्ष के अवसर पर रात्रि 11.55 से 12.30 बजे तक पटाखे फोड़े जाने की अनुमति दी गई है। ठंड के मौसम में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, इसे निर्धारित मापदंडों के अनुरूप बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया गया है। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल का कहना है कि मंडल में प्रदूषण की जीरो टॉलरेंस की नीति है और इसलिए प्रदूषण को कम करने के लिए समन्वित प्रयास की आवश्यकता है। मंडल से प्रतिबंध के संबंध में लिया गया यह निर्णय उसी कड़ी का एक हिस्सा है। पिछले दो साल से किए जा रहे लगातार प्रयास से प्रदूषण स्तर में काफी सुधार हुआ है और वायु की गुणवत्ता बेहतर हुई है।

सडक़ों पर रेत, कोल डस्ट, मिट्टी आदि गिराने पर होगी वैधानिक कार्यवाही
Posted Date : 02-Dec-2018 11:46:50 am

सडक़ों पर रेत, कोल डस्ट, मिट्टी आदि गिराने पर होगी वैधानिक कार्यवाही

कोरबा 2 दिसम्बर । परिवहन के दौरान शहर की सडक़ों पर रेत, कोल डस्ट एवं मिट्टी आदि गिराने, बिखेरने पर संबंधित परिवहनकर्ता के विरूद्ध जुर्माना एवं वैधानिक कार्यवाही की जाएगी, इन परिवहनकर्ताओं से कहा गया है कि वे रेत, कोयला, मिट्टी आदि का परिवहन सुरक्षित रूप से करें तथा जुर्माना व अन्य वैधानिक कार्यवाही से होने वाली असुविधा से बचे। 
यहां उल्लेखनीय है कि शहर की सडक़ों पर प्रतिदिन काफ ी मात्रा में रेत, कोयला, मिट्टी आदि का परिवहन विभिन्न वाहनों के माध्यम से किया जाता है, प्राय: देखने में आता है कि इन सामग्रियों के परिवहन केदौरान निर्धारित सुरक्षा मानकों व आवश्यक व्यवस्थाओं को सुनिश्चित किए बिना ही इनका परिवहन किया जाता है, परिणाम स्वरूप परिवहन के दौरान वाहनों से रेत, कोल डस्ट एवं मिट्टी आदि सडक़ों पर गिरती है, इससे एक ओर जहां शहर की सडक़ों पर रेत, धूल आदि का जमाव होता है एवं पर्यावरण व साफ-सफाई व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, वहीं दूसरी ओर इन वाहनों के पीछे चलने वाले आमनागरिकों को भी बेहद असुविधा का सामना करना पड़ता है। निगम में स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी डॉ.संजय तिवारी ने बताया कि परिवहन के दौरान सडक़ों पर रेत, कोल डस्ट व मिट्टी आदि को गिराकर सडक़ों को गंदा करने एवं साफ-सफाई व्यवस्था में प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले ऐसे परिवहनकर्ताओं पर जुर्माना एवं अन्य वैधानिक कार्यवाही निगम द्वारा की जाएगी। 
निगम द्वारा निगम क्षेत्र के मवेशी पालकोंं एंव श्वान बिल्ली आदि जानवरों को पालने वाले लोगों से अपील की गई है कि वे अपने पालतू जानवरों को घर पर ही सुरक्षित रूप से रखें एवं ऐसी व्यवस्था बनाएं जिससे उनके पालतू जानवर सडक़ों पर मलमूत्र का त्याग न कर सके, उनके मलमूत्र अपशिष्ट का निपटान घर पर ही सुनिश्चित कराएं। इससे एक ओर जहां आमजन को असुविधा होती है, साफ-सफाई व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ता है, वहीं दूसरी ओर मवेशियों के सडक़ों पर स्वच्छंद विचरण से आवागमन बाधित होता है, दुर्घटना आदि की संभावना बनी  रहती है। डॉ.संजय तिवारी ने बताया कि इस दिशा में निगम द्वारा वैधानिक व जुर्माने आदि की कार्यवाही भी की जा सकती है, उन्होने कहा कि प्राय: देखने में आता है कि श्वान, बिल्ली आदि जानवरों के पालक सुबह-शाम अपने पालतू जानवरों को सडक़ों पर भ्रमण हेतु लाते हैं एवं सडक़ पर ही उनका मलमूत्र त्याग करने हेतु उन्हें खड़ा कर देते हैं, निश्चित रूप से यह स्थिति अफसोसजनक है, ऐसे पालकों से अपील की गई है कि वे अपने पालतू जानवरों के मलमूत्र का त्याग सुरक्षित रूप से कराएं तथा घर पर ही इस के निपटान की आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करें, ताकि आमनागरिकों को अनावश्यक रूप से परेशानी न हों और साथ ही सडक़ों की साफ-सफाई भी सुनिश्चित रहे। 

इंद्रावती नदी की धारा सिमटने से कई प्रजाति के जीव-जंतुओं का अस्तित्व खतरे में
Posted Date : 02-Dec-2018 11:41:57 am

इंद्रावती नदी की धारा सिमटने से कई प्रजाति के जीव-जंतुओं का अस्तित्व खतरे में

० नदी किनारे के गांवों में समाप्त हुआ मछली पालन का कारोबार 
जगदलपुर, 02 दिसंबर । ओडि़शा से बहकर आने वाली बस्तर की जीवन रेखा इन्द्रावती नदी में लगातार पानी की कमी होती जा रही है और इससे कई परंपरागत मछलियों की प्रजातियां व जीव जंतु या तो अपना अस्तित्व खो चुके हैं या खत्म हो गये हैं। इससे गंभीर पर्यावरणीय समस्यायें भी खड़ी हो रही है। 
इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार इस नदी का प्रवाह छग के बस्तर भू-भाग में करीब 234 किमी क्षेत्र में होता है। पहले के समय में इस नदी में विभिन्न प्रकार की मछलियों की प्रजातियां पाई जाती थीं। वहीं कई प्रकार के  केकड़ों की प्रजातियों को ग्रामीण पकडक़र अपना पेट पालते थे। नदी में पानी की कमी से कई प्रकार की मछलियों की नस्ल आज समाप्त हो चुकी हैं, अब इन्द्रावती में पहले की तरह मछलियां नहीं मिलती।
इस संबंध में स्थानीय नदी किनारे बसे गांवों के जिसमें  तामाकोनी, कालीपुर, घाट पदमूर, कुडक़ानार आदि ग्रामीणों ने जानकारी दी कि कभी इन्द्रावती में बालिया, कार, कोसर, भेण्डिया, बाम्बर, पेटला, टेंगना आदि परंपरागत मछलियां खूब मिलती थीं, लेकिन अब यहां पहले की तरह मंडिया केकड़ा भी नहीं मिलता,  इसलिए नदी किनारे के गांवों में ही मछली पालन व्यवसाय ही समाप्त हो गया है। 

पंजीकृत एक लाख में सिर्फ 12 हजार किसानों ने ही बेचा धान
Posted Date : 02-Dec-2018 11:40:35 am

पंजीकृत एक लाख में सिर्फ 12 हजार किसानों ने ही बेचा धान

० मिलर्स द्वारा उठाव नहीं होने से, 197 केंद्रों में 3 लाख से अधिक च्ंिटल धान जाम  
जगदलपुर, 02 दिसंबर ।  बस्तर में धान की बिक्री करने में किसानों द्वारा अभी तक रूचि नहीं ली जा रही है और पंजीकृत 1 लाख 46 हजार 969 किसानों के धान बेचने के पंजीयन के बाद भी अभी तक मात्र 12 हजार 407 किसानों ने शासन को धान बेचा है। इधर समर्थन मूल्य पर धान केंद्रों में धान खरीदी के साथ निश्चित किये गये मिलर्स द्वारा धान का उठाव नहीं करने से इन केंद्रों में धान का स्टाक भी जमा हो रहा है। खरीदने के 48 घंटे के अंदर धान का उठाव मिलर्स को करने के नियम का मिलर्स ही पालन नहीं कर रहे हैं। 
उल्लेखनीय है कि समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का क्रम 1 नवंबर से शुरू होकर अब दूसरे माह में प्रवेश कर चुका है, लेकिन अभी तक धान खरीदी में तेजी नहीं आई है, जिसके कारण अधिकांश खरीदी केंद्रों में सन्नाटा छाया हुआ है। इसके साथ ही मिलर्स द्वारा भी शासन के नियमों की अनदेखी किये जाने से खरीदी केंद्रों में जो धान खरीदा गया है, उसका जमाव भी हो रहा है। शासन के निर्धारित नियमानुसार केंद्रो में धान खरीदी होने के साथ मिलरों को 48 घंटे के अंदर इस धान का उठाव करने के लिए कहा गया है, लेकिन मिलर्स धान सूखती के चलते इस नियम का पालन न कर अपनी इच्छा से कार्य कर रहे हैं। बस्तर में 107 मिलर्स पंजीकृत हैं और इनमें से 55 मिलर्स ही धान का उठाव कर रहे हैं। इस समय संभाग के 197 केंद्रों में 3 लाख से अधिक क्विंटल धान जाम होकर पड़ा हुआ है। इससे कुछ खरीदी केंद्रों में जाम की स्थिति हो गई है।

राष्ट्रीय राज मार्ग पर बस व ऑटों चालक की लापरवाही ले रही है लोगों की जान
Posted Date : 02-Dec-2018 11:39:42 am

राष्ट्रीय राज मार्ग पर बस व ऑटों चालक की लापरवाही ले रही है लोगों की जान

०सर्विस रोड पर अवैध कब्जा से दो -पहिया वाहनों की आवाजाही कर रहा है प्रभावित 
०प्रतिक्षालय नही बनने से सडक़ पर ही उतार रहे सवारी

रायपुर,01 दिसंबर। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के 18साल हो जाने के बावजूद राष्ट्रीय राजमार्ग पर यात्रियों व बस के लिये स्टॉपेज नही बनने के कारण साल दर साल सडक़ दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या में लगाम नही लग पा रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग से होकर बड़ी संख्या में यात्री बस व ऑटो के माध्यम से अपनी सफर करते है लेकिन यात्रियों के लिये सडक़ किनारे स्टॉपेज नही बनने के चलते बस चालक व ऑटों चालक मेन सडक़ पर ही अचानक से सवारी बैठाने व उतारने के लिये ब्रेक मार देते है जिसकी वजह से पीछे से आ रहे वाहन चालक अनियंत्रित होकर टकरा जाते है जिसकी वजह से आये दिन गंभीर दुर्घटनाएं हो रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग में वाहन दुर्घटना में हर साल कई लोगों की असमय मृत्यु के काल में समा रहे है। 
गौरतलब है कि दो पहिया वाहनों के लिये सर्विस रोड बनाई गई है किन्तु सर्विस रोड पर ट्रांसपोर्ट कंपनियों के ट्रक पार्क कर दिया जाता है वहीं दुकानदारों द्वारा अपनी मटेरियल व वाहन सडक़ घेरकर रखा जा रहा है। आवाजाही प्रभावित होने के कारण दो पहिया वाहन चालकों को मजबूरन मेन रोड़  पर  वाहन चलाना पड़ता है। लेकिन बस व ऑटों चालकों की मनमानी के चलते आये दिन दुर्घटनाएं बढ़ रही है। बस व ऑटों चालक सवारी सडक़ पर ही अचानक रोक कर उतारने व चढ़ाने का कार्य कर रहे है। दो- पहिया व चार पहिया चालकों का कहना है कि राज्य में विकास के कार्य तो बहुत हुये है पर राष्ट्रीय राज मार्ग पर यात्रियों के लिये प्रतिक्षालय नही बनाने के चलते यात्रियों को बस व ऑटों में सफर करने के लिये सडक़ पर आकर खड़ा होना पड़ता है जिसके वजह से बस व ऑटों चालक सवारी देखते ही अचानक से ब्रेक मार देते है। राष्ट्री राज मार्ग पर दुर्घटना रोकने के लिये बसों व ऑटों चालकों के लिये निर्धारित स्टापेज बनाना जरुरी है वही पुलिस प्रशासन व सर्विस रोड को बाधित करने वाले लोगों को जागरुक करना होगा। तभी सडक़ दुर्घटनाओं में कमी होगी व लोग सुरक्षित अपनी यात्रा कर सकेगे।