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मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री गिरफ्तार
Posted Date : 03-Jul-2018 5:41:56 pm

मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री गिरफ्तार

भ्रष्टाचार के एक मामले में मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक को मंगलवार(3 जुलाई) को भ्रष्टाचार निरोधी जांचकर्ताओं ने गिरफ्तार कर लिया. नजीब पर मंगलवार(3 जुलाई) को आरोप लगाए जाएंगे. मलेशिया में सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी 1 एमडीबी के धन में हेरफेर के मामले की जांच कर रहे कार्यबल ने एक वक्तव्य में बताया कि नजीब को उनके घर से गिरफ्तार किया गया. जांचकर्ताओं ने ऐसे कई कदम उठाए जिनके चलते नजीब, उनके परिवार और उनके कई करीबी राजनेताओं तथा कारोबार के सहयोगियों के इर्दगिर्द कानूनी शिकंजा कसता जा रहा है.

नजीब की अगुवाई में लंबे समय से सत्ता में रहने वाला गठबंधन मई चुनाव में हार गया था 
बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोपों का एक बड़ा कारण था कि नजीब की अगुवाई में लंबे समय से सत्ता में रहने वाला गठबंधन मई चुनाव में हार गया था और महातीर मोहम्मद के नेतृत्व में सुधारवदी गठबंधन जीत गया.  नजीब और उनके कृपापात्रों पर आरोप है कि उन्होंने 1 एमडीबी में अरबों डॉलर की राशि का हेरफेर किया और उस पैसे को अमेरिका में रियल एस्टेट से लेकर कई चीजों को खरीदनें में इस्तेमाल किया.

चुनाव में हार के बाद से नजीब के देश छोड़ने पर रोक है
हालांकि नजीब ने इस बात से इनकार किया.  चुनाव में हार के बाद से नजीब के देश छोड़ने पर रोक है.  भ्रष्टाचार की व्यापक जांच के केंद्र में नजीब ही बने हुए हैं. चुनाव में हार के बाद से नजीब और उनके परिवार सी जुड़ी कई संपत्तियों पर मारे गए छापे में 27.3 करोड़ डॉलर के मूल्य की नकदी, गहने और महंगे हैंडबैग मिले.  जांचकर्ताओं ने उनसे और उनकी पत्नी रोजमाह मंसूर से पूछताछ की थी. मलेशिया की भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसी ने नजीब के सौतेले बेटे रिजा अजीज से भी इस मामले में पूछताछ की. वह हॉलीवुड में फिल्म निर्माता है. अजीज भ्रष्टाचार निरोधी कार्यालय अकेले ही पहुंचे और उन्होंने संवाददाताओं से बात नहीं की.

कब्रिस्तान की जमीन पर कब्जा किए जाने और कहीं सुनवाई न होने से परेशान एक मोबाइल टावर पर चढ़ गया
Posted Date : 03-Jul-2018 5:38:43 pm

कब्रिस्तान की जमीन पर कब्जा किए जाने और कहीं सुनवाई न होने से परेशान एक मोबाइल टावर पर चढ़ गया

मुरादाबाद। इंसाफ पाने के लिए अब लोग तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के कुंदरकी थाना क्षेत्र का है, जहां भूमाफिया द्वारा कब्रिस्तान की जमीन पर कब्जा किए जाने और कहीं सुनवाई न होने से परेशान एक युवक शानू मंगलवार को करीब 100 फीट ऊंचे मोबाइल टावर पर चढ़ गया।

परिवार की मांग थी कि जब तक उन्हें इंसाफ नहीं मिलेगा, शानू टावर से नहीं उतरेगा। शानू के टावर पर चढ़ते ही इलाके में हड़कंप मच गया। पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची और उसे समझाने का प्रयास करने लगी। लोगों की भीड़ जमा हो गई। हर कोई उसके मोबाइल टावर पर चढ़ने की वजह जानने की कोशिश में जुट गया। उसी भीड़ के बीच परिवार की कुछ महिला न्याय प्रणाली को कोसती हुई नजर आईं।

कुंदरकी थाना क्षेत्र की रहने वाली समरीन पत्नी युसूफ की पुश्तैनी कब्रिस्तान के लिए करीब 3.25 बीघा जमीन चौधरी पट्टी में है, जिस पर कुछ भूमाफियाओं ने कब्जा कर लिया है और उसे बेचने की जुगत में लगे हैं। पीड़िता समरीन ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री समेत कई अधिकारियों से की थी, लेकिन कहीं से इंसाफ नहीं मिला। आखिकार प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करने के लिए पीड़ित परिवार ने यह कदम उठाया।

पीड़िता समरीन ने बताया कि उसके पुस्तैनी कब्रिस्तान पर यहीं के स्थानीय भूमाफिया अकील उर्फ लाला, तस्लीम उर्फ बाबू खां, भूरा खां अन्य भूमाफियाओं के साथ मिलकर जबरन जमीन कब्जा कर उसे बेचने की कोशिश कर रहे हैं।

समरीन के मुताबिक, इस संबंध में मुख्यमंत्री के ई-पोर्टल पर शिकायत दर्ज की गई थी, जिसकी जांच बिलारी के एसडीएम को सौंपी गई, लेकिन एसडीएम भी तीन लाख रुपये की रिश्वत पाकर भूमाफिया के साथ मिल गए और कार्रवाई में ढील देने लगे। एसडीएम और लेखपाल की शिकायत भी मुख्यमंत्री और मुरादाबाद के जिलाधिकारी से की गई थी और जांच अधिकारी बदलने का आग्रह किया गया था, लेकिन उसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई।

पीड़िता समरीन ने कहा, “अगर हमारी जमीन हमें वापस नहीं की गई और कब्रिस्तान में तोड़ी गई कब्र नहीं बनाई गई तो हम परिवार समेत यही पर आत्मदाह कर लेंगे।”

दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 सदस्यों की मौत पर
Posted Date : 03-Jul-2018 5:37:08 pm

दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 सदस्यों की मौत पर

 दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 सदस्यों की मौत पर रहस्य बना हुआ है… ये हत्या थी या फिर आत्महत्या किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा है. कई लोग इसे तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास से जोड़ कर देख रहे हैं. दिल्ली पुलिस को आशंका है कि भाटिया परिवार ‘शेयर्ड सायकोटिक डिसऑर्डर’ ( Shared psychotic disorder) नाम की बीमारी की चपेट में था.

इस बीमारी के शिकार लोगों को सामने से कोई दिखाई देता है. इनके कानों में कोई कहता हुआ सुनाई देता है. इसके बाद ऐसे लोग अपने आस-पास के लोगों को भी वही महसूस करवाना चाहते हैं. पुलिस की मानें, तो इसी बीमारी से बिल्कुल मिलते जुलते लक्षण ललित में दिखाई देते थे. यही वजह है कि अब क्राइम ब्रांच बड़े मनोवैज्ञानिक की मदद ले रही है.

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,‘‘ललित भाटिया ऐसा शख्स था, जिसे अपने मरे हुए पिता से बात करने का भ्रम था. उसके विश्वास को परिवार के अन्य सदस्यों ने भी समर्थन दिया था.”क्राइम ब्रांच के सीनियर अफसरों के मुताबिक, ललित के करीबियों, रिश्तेदारों और परिवार के लोगों से पूछताछ में पता चला है कि वह कुछ महीनों से अपने पिता की आवाज में भी बात करने लगा था. हाल के कुछ महीनों में उस पर पिता का प्रभाव काफी ज्यादा हो चुका था. दरअसल, पिता की मौत के बाद उसका दावा था कि पिता उसे दिखाई देते हैं.

एक पड़ोसी ने बताया कि भाटिया परिवार कभी भी पड़ोसियों को अपने घर में आमंत्रित नहीं करता था. उन्होंने कहा,‘‘परिवार ज्यादातर खुद को अलग रखता था. हालांकि, वे बहुत दोस्ताना और सौहार्दपूर्ण थे. वे कभी भी हमारे साथ अपने निजी मामलों पर चर्चा नहीं करते थे. ’’

पुलिस के मुताबिक, फिलहाल किसी बाबा या तांत्रिक से पूछताछ नहीं की जा रही है. क्राइम ब्रांच का पूरा फोकस सिर्फ ललित के जीवन से जुड़ी हर बारीकी को समझना है. उसकी लाइफ स्टाइल के बारे में जानना है. शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पहले ही ये साफ हो गया है की घर के सभी 11 सदस्यों ने आत्महत्या की थी.

मॉब लिंचिंग पर सरकार सख्त : Whatsapp को चेताया, अफवाहें रोकें वरना होगी कार्रवाई
Posted Date : 03-Jul-2018 5:35:24 pm

मॉब लिंचिंग पर सरकार सख्त : Whatsapp को चेताया, अफवाहें रोकें वरना होगी कार्रवाई

देश में लगातार बढ़ी रही मॉब लिंचिंग (पीट-पीटकर हत्या करना) की घटनाओं को लेकर सरकार सख्त हो गई है। सरकार ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए वॉट्स ऐप को चेतावनी दी है कि वो गैर-जिम्मेदार और भड़काऊ संदेशों को अपने प्लेटफॉर्म पर फैलने से रोके वरना सरकार इस पर कुछ कदम उठा सकती है। आपको बता दें कि पिछले दो महीने के अंदर देश में मॉब लिंचिंग की कई घटनाएं सामने आई हैं।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना तकनीक मंत्रालय ने वॉट्सऐप को वॉर्निंग देते हुए एक बयान जारी किया है कि जब कानून इसे लेकर कड़ा रुख अपना रहा है तो ऐसे में वॉट्स ऐप पर लगातार भड़काऊ मैसेज का शेयर होना चिंता का विषय है। मंत्रालय ने कहा कि कंपनी अपनी जिम्मेदारी और जवाबदेही से बच नहीं सकती। नाम ना बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि अगर वॉट्सऐप इसे लेकर कोई कदम नहीं उठाता तो मजबूरन सरकार को कोई कदम उठाना पड़ेगा। पिछले कुछ दिनों फेक वीडियोज और मैसेज के चलते देश कई राज्यों में मॉब लिंचिंग की घटनाएं समाने आई हैं। जिनमें कर्नाटक, असम, महाराष्ट्र और गुजरात शमिल आठ राज्य शामिल हैं।

बता दें कि मॉब लिंचिंग का ताजा मामला महाराष्ट्र में सामने आया है जहां बच्चा चोरी करने की अफवाह के चलते भीड़ ने पांच लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी। इससे पहले त्रिपुरा में भी बच्चा चोर गिरोह के शक में एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी जबकि तीन लोग घायल हो गए थे।

गौ रक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी राज्यों पर डालते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की हिंसक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश हेतु दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली। न्यायालय इस पर बाद में फैसला सुनाएगा। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़़ की खंडपीठ ने सख्त शब्दों में कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता। पीठ ने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है और इसके लिये प्रत्येक राज्य सरकार ही जिम्मेदार होगी।

की घटनायें वास्तव में भीड़ द्वारा की जा रही हिंसा है और यह अपराध है। अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पी एस नरसिम्हा ने कहा कि केन्द्र इस समस्या के प्रति सचेत है और इससे निबटने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्य चिंता तो कानून व्यवस्था बनाये रखने की है। पीठ ने कहा कि कोई भी कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता और ऐसी घटनाओं की रोकथाम करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।

भारत के खिलाफ साजिश रच रहा है चीन
Posted Date : 02-Jul-2018 5:09:19 pm

भारत के खिलाफ साजिश रच रहा है चीन

चीन की सेना का युद्धाभ्यास करने का एक वीडियो सामने आया है। तिब्बत के बेहद ही ख़तरनाक इलाके में चीनी सैनिक अपने हथियारों की गरज दुनिया को सुनाते दिखाई दिए। कड़ाके की ठंड के बीच चीनी सैनिकों ने करीब 11 घंटों तक युद्ध का अभ्यास किया।

चीनी मीडिया की ख़बर से खुलासा हुआ है कि मंगलवार को चीन की सेना ने तिब्बत के बेहद ही ख़तरनाक इलाके में युद्ध का अभ्यास किया। दुनिया में भारत के लगातार बढ़ते दबदबे से परेशान चीन ने इस बार अपनी असुरक्षा को छुपाने के लिए ये नई चाल चली है। तिब्बत के टॉन्गगुला ग्लेशियर में चीन की सेना यानी पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों ने बर्फीले पहाड़ पर 19 मिनट में चढ़ाई पूरी की।

तिब्बत में टॉन्गगुला का मतलब है, वो पहाड़ जहां तक बाज़ भी उड़ान नहीं भर सकता। दूसरे देशों की ज़मीन पर गिद्ध दृष्टि लगाए रखने वाले चीन के सैनिकों ने इसी टॉन्गगुला ग्लेशियर के बेहद ही खतरनाक पॉइंट पर ऊपर चढ़ने में 19 मिनट लगाए और उन्हें वापस नीचे उतरने में 12 मिनट का वक्त लगा। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ज़मीन का लालची चीन अपना दबदबा बढ़ाने के लिए किस हद तक जा सकता है।

कहा जाता है कि टॉन्गगुला ग्लेशियर का मौसम और हालात इतने मुश्किल हैं कि सिर्फ़ यहां खड़ा होना 30 किलो वजन उठाने के बराबर है। ऐसे में चीन ने अपने नए शिगूफे के प्लेटफॉर्म के तौर पर इसी जगह का इस्तेमाल किया। चीनी सैनिक करीब 11 घंटे तक यहां रहे। पिछले साल भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर चले गतिरोध के बाद पहली बार चीन की ये हरकत सामने आई है।

इससे पहले अगस्त 2017 में चीन की सेना ने तिब्बत में युद्धाभ्यास किया था। तब 4600 मीटर की ऊंचाई पर ड्रैगन की सेना की ड्रिल करीब 13 घंटे चली थी। तिब्बत के जिस इलाके में ड्रैगन की ये नई ड्रिल हुई वो इलाका सामरिक तौर पर बेहद अहम है। चीनी के सरकारी मीडिया ने प्रोपेगैंडा चलाया है कि इस ड्रिल का मकसद इस पूरे अभ्यास के दौरान नागरिक और सैन्य सहयोग का टेस्ट करना था।

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक इस पूरे ऑपरेशन के दौरान चीन की सेना ने अपनी सप्लाई लाइन को परखा है। इस ड्रिल का मकसद ये जानना था कि युद्ध के हालात में सैन्य साज़ो-सामान की आपूर्ति की व्यवस्था कितनी पुख्ता है। चीनी मीडिया की रिपोर्ट्स में कहा गया है कि तिब्बत का पठार बेहद दुर्गम है और यहां की भौगौलिक स्थिति भी बड़ी जटिल है। इन इलाकों में सबसे बड़ी चुनौती होती है लगातार सैन्य आपूर्ति करना और हथियार मुहैया कराना।

इस युद्धाभ्यास की जानकारी देते हुए चीनी मीडिया में खास तौर पर भारत और चीन के बीच 1962 के युद्ध का जिक्र किया गया है, जिसमें कहा गया है कि उस दौरान जीत हासिल करने के बावजूद चीन ज्यादा फायदा इसलिए नहीं उठा पाया था, क्योंकि सेना की सप्लाई लाइन बेहतर तरीके से काम नहीं कर पाई थी। साफ है कि ड्रैगन अपने प्रोपेगेंडा के ज़रिए एक बार फिर भारत पर दबाव बनाना चाहता है। तिब्बत के युद्ध अभ्यास से जुड़ी सरकारी रिपोर्टिंग में भारत के साथ 1962 के युद्ध का जिक्र चीन के मंसूबों को पूरी तरह उजागर कर देता है। इससे पहले पिछले साल डोकलाम को लेकर गतिरोध के दौरान भी चीन की ओर से बार बार 1962 के युद्ध का जिक्र किया गया था। जाहिर है भारत को ड्रैगन से सतर्क रहने की ज़रूरत है।

दरअसल चीन ने एक तीर से दो शिकार करने की कोशिश की है एक तरफ़ वो भारत को युद्ध के हालात में अपने तैयार होने का संकेत दे रहा है, दूसरी तरफ तिब्बत में नागरिक और सैन्य सहयोग की बात करके ड्रैगन ये भी साबित करना चाहता है कि तिब्बत उसका हिस्सा है। तिब्बत में युद्ध की इस ड्रिल के दौरान ल्हासा सरकार और एक कंपनी द्वारा पूरा सहयोग करने की बात कही गई है। चीनी मीडिया के मुताबिक सैन्य अभ्यास के दौरान एक स्थानीय पेट्रोलियम कंपनी ने हथियारबंद यूनिट का ईंधन खत्म होने पर तत्काल ईंधन की आपूर्ति की। साथ ही ल्हासा सरकार की ओर से एक दिन के युद्धाभ्यास के बाद सैनिकों के लिए खाने की पूरी व्यवस्था की गई।

इस पूरे प्रोपेगेंडा के ज़रिए चीन दुनिया को ये संदेश देना चाहता है कि तिब्बत पूरी तरह उसके साथ है जबकि असलियत ये है कि दलाई लामा की विरासत पर चीन ने जबरन कब्ज़ा कर रखा है।

अमरिंदर कैबिनेट का बड़ा फैसला, पंजाब में ड्रग्स तस्करों को हो सकती है फांसी
Posted Date : 02-Jul-2018 5:05:13 pm

अमरिंदर कैबिनेट का बड़ा फैसला, पंजाब में ड्रग्स तस्करों को हो सकती है फांसी

राज्य में मादक पदार्थ के ओवरडोज से मौत की घटनाएं कथित रूप से बढ़ने को लेकर आलोचना से घिरे पंजाब मंत्रिमंडल ने केंद्र को मादक पदार्थों के तस्करों के लिए मृत्युदंड की सिफारिश करने का आज फैसला किया। इस कदम का लक्ष्य है कि यह सजा इस जघन्य अपराध के लिए प्रतिरोध का काम करेगी। मादक पदार्थ से पंजाब और कई अन्य स्थानों पर युवकों की जिंदगी नष्ट हो रही है। 

एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई पंजाब मंत्रिमंडल की बैठक में केंद्र को औपचारिक रूप से यह सिफारिश करने का निर्णय लिया गया। आप और शिअद समेत विपक्षी दल 15 महीने पुरानी अमरिंदर सिंह की अगुवाई वाली सरकार की आलोचना कर रहे हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले चार हफ्ते में इस समस्या का निदान करने का वादा करने वाली यह सरकार इस बुराई को रोकने में विफल रही है। 

पंजाब के कई हिस्सों में मादक पदार्थों के ओवरडोज से युवकों की मौत को लेकर आक्रोश है और मादक पदार्थों की तस्करी के विरुद्ध एक जुलाई से राज्य में 'ब्लैक वीक एगेंस्ट चिट्टा अभियान चलाया जा रहा है। मंत्रिमंडल ने मादक पदार्थों की तस्करी पर अंकुश के लिए उठाए गए कदमों की रोजाना आधार पर समीक्षा करने के लिए अवर मुख्य सचिव (गृह) एन एस काल्सी की अध्यक्षता में एक विशेष कार्यबल बनाया गया है। 

इस संबंध में मंत्रिमंडल की उपसमिति भी बनायी गई है। विशेष कार्यबल सीधे इस उपसमिति को रिपोर्ट करेगा। सिंह ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद ट्वीट किया कि मेरी सरकार ने ड्रग तस्करी के लिए मृत्युदंड की सिफारिश करने का फैसला किया है। इस सिफारिश को केंद्र सरकार के पास भेजा जा रहा है। चूंकि मादक पदार्थों की तस्करी पूरी पीढ़ी को बर्बाद कर रही है, ऐसे में इसके लिए मिसाल देने लायक सजा जरुरी है। मैं मादक पदार्थ मुक्त पंजाब के प्रति अपनी कटिबद्धता पर अडिग हूं।