पाकिस्तान आम चुनाव में बहुमत के आंकड़े से दूर रही इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए इंसाफ पाकिस्तान (पीटीआई) ने मुल्क में नई सरकार बनाने का ऐलान कर दिया है. पीटीआई ने घोषणा की है कि स्वतंत्रता दिवस से पहले इमरान खान पाकिस्तान के वजीरे-आजम की शपथ लेंगे. पार्टी ने आजाद सांसदों और छोटी पार्टियों के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाने का दावा किया है.पाकिस्तान में 25 जुलाई को हुए आम चुनाव के बाद पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है, हालांकि पार्टी के पास खुद के दम पर सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्याबल नहीं है.पीटीआई नेता नईनुल हक ने बीती रात मीडिया को बताया कि संख्या बल पूरा करने के लिए सलाह-मशविरा जारी है. हक ने कहा, ‘हमने अपना काम कर लिया है और वह (इमरान खान) 14 अगस्त से पहले प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे.’
पीटीआई को मिली 116 सीटें
पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) द्वारा घोषित पूरे संसदीय नतीजों के अनुसार पीटीआई को 116 आम सीटें मिली हैं जो साधारण बहुमत से 11 कम हैं. पीएमएल-एन एवं पीपीपी को क्रमश: 64 और 43 सीटें मिली हैं.संसद के निचले सदन पाकिस्तान की नेशनल असेंबली (एनए) में कुल 342 सदस्य हैं जिसमें से 272 सीटों का चुनाव सीधे तौर पर होता है और सरकार गठन के लिए 172 सीटें हासिल करना जरूरी है.बहरहाल राजनीतिक गतिविधियों में तेजी आयी है और राजनीति की बिसात पर पर्याप्त संख्याबल जुटाने के लिये सभी दल खुली बैठकें और गुप्त संवाद कर रहे हैं.पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार दो प्रमुख पार्टियां पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), संसद में पीटीआई को कड़ी टक्कर देने के इरादे से संयुक्त रणनीति बनाने के लिये आने वाले दिनों में बैठक कर सकती हैं.वहीं, दूसरी तरफ पीटीआई के जिन नेताओं ने एक से अधिक सीट पर जीत दर्ज की है उन्हें अन्य सीट खाली करनी होगी क्योंकि कानून के अनुसार एक उम्मीदवार एक ही सीट का प्रतिनिधित्व कर सकता है. पीटीआई के अध्यक्ष खान ने पांच सीटों से जीत दर्ज की है, इसलिए उन्हें चार सीटें खाली करनी होंगी.पूर्व गृह मंत्री चौधरी निसार अली खान को शिकस्त देने वाले तक्षशिला से गुलाम सरवर खान ने भी दो एनए सीटों पर जीत दर्ज की है इसलिए उन्हें भी एक सीट छोड़नी होगी.खैबर पख्तूनख्वा के पूर्व मुख्यमंत्री परवेज खटक ने भी नेशनल असेंबली और प्रांतीय असेंबली दोनों सीटों पर जीत दर्ज की हैय इसलिए अगर पीटीआई उन्हें मुख्यमंत्री के पद के लिये फिर से नामांकित करती है तो उन्हें भी एनए सीट छोड़नी होगीय ऐसे में पार्टी की सीटें घटकर 109 हो जाएंगी.यही वजह है कि पीटीआई नेतृत्व ने अब अन्य छोटे समूहों और निर्दलीय उम्मीदवारों से संपर्क करने का फैसला किया है. पार्टी पहले ही यह घोषणा कर चुकी है कि वह पीएमएल-एन और पीपीपी के साथ गठजोड़ नहीं करेगी.अनुमान है कि अगर पीटीआई को जीडीए, एमक्यूएम-पी, पीएमएल-क्यू और अवामी मुस्लिम लीग का समर्थन हासिल हो जाता है तब भी यह संख्या 122 हो पायेगी जो जरूरी संख्या बल से 15 कम है. यह आंकड़ा चुनाव में जीत दर्ज करने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या से अधिक है,जिन अन्य पार्टियों का एनए में प्रतिनिधित्व है उनमें तीन सीटों के साथ बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम), एक-एक सीटों के साथ जम्हूरी वतन पार्टी, अवामी नेशनल पार्टी और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसानियत शामिल है.पीपीपी और पीएमएल-एन ने चुनाव नतीजों को खारिज किया है. बहरहाल दोनों पार्टियों में सूत्रों ने ‘डॉन’ को बताया कि वे मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमल (एमएमए) द्वारा नेशनल असेंबली के शपथ ग्रहण सत्र के बहिष्कार के आह्वान का समर्थन नहीं करेंगे.
देहरादून। देहरादून में पिता-पुत्री के रिश्ते को तार-तार करने वाली एक शर्मनाक घटना सामने आई है। एक व्यक्ति पर अपनी नाबालिग पुत्री से दुराचार का आरोप है।
आरोप है कि घटना में व्यक्ति के साथ उसका एक अन्य दोस्त भी शामिल था। नाबालिग लड़की की मां ने अपने पति व दूसरे व्यक्ति के खिलाफ उड़िसा में गैंगरेप का मुकदमा दर्ज कराया है। घटनास्थल देहरादून होने के कारण इस मुकदमे को दून के रायपुर थाना में ट्रांसफर किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इंस्पेक्टर रायपुर हेमेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि उड़िसा के चौदवार कटक थाने से दुराचार का मुकदमा ट्रांसफर हुआ है। उन्होंने बताया कि उड़िसा निवासी एक व्यक्ति साल 2015 से 2017 तक अपने परिवार के साथ थाना क्षेत्र में रहता था। वह मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करता था।
इसके बाद नवंबर 2017 में परिवार वापस उड़िसा लौट गया। इंस्पेक्टर नेगी ने बताया कि उड़िसा लौटने के बाद उसकी नाबालिग बेटी ने अपनी मां को अपने साथ हुई घटना के बारे में जानकारी दी।
आरोप है कि जब वे देहरादून में थे तब उसके पिता ने अपने एक परिचित देवेंद्र झा निवासी रायपुर के साथ मिलकर उसके साथ दुराचार किया था।महिला की शिकायत पर चौदवार कटक थाना पुलिस ने सामूूहिक दुराचार और पोक्सो अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था।
स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि में 50 फीसदी से ज्यादा का इजाफा होने को लेकर स्विस बैंक ने सफाई दी है. उसने कहा है कि इन बैंकों में जमा सभी पैसा काला धन नहीं है. स्विस बैंक BIS की तरफ से जारी डेटा के मुताबिक 2017 में काले धन में 34.5 फीसदी की कमी आई है. उसने कहा कि एनडीए राज में काला धन 80 फीसदी कम हुआ है.
स्विस बैंक बीआईएस ने बताया, ”नॉन-बैंक लोन और डिपोजिट्स (अतीत में इन लेन-देन को ही कालेधन के तौर पर आंका जाता रहा है. इसमें इंटर-बैंकिंग ट्रांजैक्शन शामिल नहीं है ) में कमी आई है.” बैंक के मुताबिक 2016 में नॉन-बैंक लोन का आंकड़ा जहां 80 करोड़ डॉलर था. वह 2017 में घटकर यह 52.4 करोड़ डॉलर पर आ गया है.
बैंक ने बताया कि एनडीए के राज में स्विस नॉन-बैंक लोन और डिपोजिट्स में काफी ज्यादा कटौती हुई है. 2013 से 2017 के दौरान इसमें 80 फीसदी की कमी आई है. स्विस बैंक की यह सफाई उन मीडिया रिपोर्ट्स के बाद आई है, जिनमें कहा जा रहा था कि स्विस बैंक में भारतीयों की जमा राशि 50 फीसदी बढ़ी है.इसको लेकर बीआईएस ने कहा कि इस डाटा को आम तौर पर गलत तरीके से पेश किया जाता है. क्योंकि इसमें कई और लेन-देन भी शामिल होते हैं. बैंक के मुताबिक यहां जमा राशि में नॉन-डिपोजिट लाएब्लिटीज, भारत में स्थित स्विस बैंकों की शाखाओं का कारोबार भी शामिल होता है. इसमें बैंकों के स्तर पर हुआ लेन-देन भी होता है. इसके अलावा जमा राशि में भरोसेमंद देयता भी शामिल होती है.
पेपर लीक – भारत में आए दिन पेपर लीक होने की खबरें छाई रहती हैं। इस बार तो बोर्ड एग्जाम तक का पेपर लीक हो गया और इसकी वजह से बच्चों को दोबारा एग्जाम देना पड़ा। भले ही भारत में शिक्षा को लोगों ने मज़ाक बनाकर रख दिया हो लेकिन दुनिया में एक देश ऐसा भी है जहां पर एक भी पेपर लीक नहीं होता और पेपर लीक करना इस देश का कल्चर ही नहीं है। तो चलिए जानते हैं इस देश के बारे में।
भारत का पड़ोसी देश
जिस देश में कभी कोई पेपर लीक नहीं हुआ वो कोई और नहीं बल्कि भारत का पड़ोसी देश चीन है। चीन में परीक्षा को लेकर ऐसे कई प्रावधान हैं जो भारत के लिए भी सीख बन सकते हैं। यहां पर कॉलेज एडमिशन के लिए एक एंट्रेंस एग्जाम का इंतजाम करता है जिसे गाओकाओ के नाम से जाना जाता है।
क्या है गाओकाओ
चीन के बच्चों के लिए एंट्रेंस एग्जाम के रूप में आयोजित होने वाली परीक्षा को गाओकाओ कहा जाता है। इसके ज़रिए उनका भविष्य तय होता है। इस परीक्षा को लेकर चीन की सरकार बहुत गंभीर रहती है और इसे बिलकुल निष्पक्षता से कराने के लिए कड़े इंतजाम करती है।
चीन में अलग हैं नियम
आमतौर पर इस तरह की परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी शिक्षा मंत्रालय का होता है और भारत में भी ऐसा ही है लेकिन चीन में मामला थोड़ा अलग है। चीन ने इस काम के लिए शिक्षा मंत्रालय के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्रालय और राज्य इंटरनेट सूचना कार्यालय को भी काम पर लगा रखा है। परीक्षा में किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचने के लिए इन सबकी सामूहिक जिम्मेदारी होती है। किसी भी तरह की कोई चूक हुई तो इन सबकी जिम्मेदारी होती है।
हेल्पलाइन नंबर
चीन में परीक्षा के दौरान आम लोगों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी चलाया जाता है जिसकी मदद से कोई भी सरकार को परीक्षा में हो रही गड़बड़ी की सूचना दे सकता है। यहां पर परीक्षा को सुचारू रूप से चलाने के लिए एडवांस फोर्स स्वॉट को तैनात किया जाता है। चीन के हर परीक्षा केंद्र पर इस फोर्स से कम से कम 8 जवान तैनात रहते हैं। शक होने पर ही वो किसी को भी घेर लेते हैं और संतुष्ट होने पर ही उसे छोड़ते हैं। इसके अलावा परीक्षा के दौरान ड्रो भी सक्रिय रहते हैं जो इधर-उधर चक्कर लगाते हुए सब पर नज़र रखते हैं। इस वजह से कोई भी छात्र किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल के माध्यम से नकल करने के बारे में सोच भी नहीं सकता है। चीन में परीक्षा के दिन यातायात का रूट भी बदल जाता है ताकि किसी भी छात्र को परीक्षा स्थल पहुंचने में देरी ना हो। यहां पेपर भेजने के लिए चीन सरकार जीपीएस सिस्टम की मदद ले सकती है। इसकी मदद से वह पेपर की लोकेशन पर नज़र रखती है। परीक्षा के दौरान यहां पर लड़कियों के अंडरगार्मेंट्स तक पहनने पर प्रतिबंध है। अब आप खुद ही सोच सकते हैं चीन में परीक्षा को लेकर कितने सख्त नियम बनाए गए हैं। अगर भारत में भी ऐसा हो जाए तो यहां के छात्र सच में शिक्षित हो पाएंगें।
सरकार ने आज बताया कि वर्ष 2014 से जून 2018 तक गंगा नदी की सफाई के लिए 3,867 करोड़ रूपये से अधिक राशि खर्च की जा चुकी है. जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री डॉ सत्यपाल सिंह ने आज राज्यसभा को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता दे कर गंगा की सफाई में राज्यों के प्रयासों में सहयोग करता है. एनएमजीसी ने नदी की सफाई और गंगा संरक्षण के लिए 17484.97 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत से गंगा की घाटी वाले राज्यों में 105 परियोजनाएं मंजूर की हैं.
सिंह ने बताया कि सीवरेज अवसंरचना संबंधी इन परियोजनाओं में से 26 पूरी हो चुकी हैं. शेष परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं. कुल मिला कर वर्ष 2014 से जून 2018 तक गंगा नदी की सफाई के लिए 3,867 करोड़ रूपये से अधिक राशि खर्च की जा चुकी है. उन्होंने पी एल पुनिया के प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि वर्ष 2017 में नदी जल गुणवत्ता की निगरानी से वर्ष 2016 की तुलना में जल गुणवत्ता में सुधार के संकेत मिले हैं. 33 स्थानों पर अपघटित ऑक्सीजन के स्तर में भी सुधार हो रहा है. 30 स्थानों पर कॉलीफार्म बैक्टीरिया की गिनती में भी कमी आ रही है .
भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की तबीयत रविवार शाम अचानक बिगड़ गई. उनके स्वास्थ्य की जांच करने वाले मेडिकल बोर्ड का कहना है कि नवाज शरीफ की किडनी फेल होने के कगार पर है और उन्हें तुरंत जेल से अस्पताल में शिफ्ट किए जाने की जरूरत है. हालांकि उन्हें किसी अस्पताल में नहीं भेजा जा रहा है. पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की टीम उनकी जांच करेगी जिसके बाद उन्हें अस्पताल भेजे जाने पर विचार किया जाएगा.
बहरहाल, रावलपिंडी इंस्टीट्यूट ऑफ कॉर्डियोलॉजी के प्रमुख डॉ. अजहर कियानी ने नवाज शरीफ को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराये जाने की सिफारिश की है. उनकी मेडिकल रिपोर्ट पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री और केयरटेकर हसन अकसारी को भेजी गई है. संघीय सरकार को नवीज शरीफ की तबीयत और डॉक्टरों की चिंता से भी अवगत करा दिया गया है.
एक्सप्रेस न्यूज के मुताबकि शरीफ की यूरिन में नाइट्रोजन खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है. डॉक्टरों का कहना है कि नवाज शरीफ की यूरिन में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ गई है और उन्हें बहुत ज्यादा पसीना आ रहा है. अत्यधिक पसीना आने की वजह से उन्हें डिहाइड्रेशन की समस्या पैदा हो गई है और शरीर में पानी की कमी बताई जा रही है. डॉक्टरों का कहना है कि पूर्व पीएम की हृदय गति भी अनियमित तरीके से चल रही है.
रिपोर्ट के अनुसार जेल के अस्पाल में बेहतर सुविधा न होने की वजह से उन्हें फ्लूड नहीं चढ़ाया जा सकता है. इसलिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना जरूरी है. अगर उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती नहीं कराया गया तो रात में उनकी स्थिति और बिगड़ सकती है. बताया जा रहा है कि आदियाला जेल में मिलने वाले भोजन की वजह से पीएम की यूरिन में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ गई है.
गौरतलब है कि एवेनफील्ड प्रॉपर्टीज मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद गिरफ्तार हुए पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आदियाला जेल में बंद हैं. लंदन में 4 लग्जरी फ्लैट के मालिकाना हक को लेकर 6 जुलाई को जवाबदेही अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद शरीफ (68), उनकी बेटी मरियम (44) और दामाद कैप्टन (सेवानिवृत्त) मुहम्मद सफदर रावलपिंडी के आदियाला जेल में क्रमश: 10 वर्ष, 7 वर्ष और 1 वर्ष कैद की सजा भुगत रहे हैं.