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हेल्थ ड्रिंक्स के नाम पर बेचे जा रहे उत्पादों को लेकर सरकार सख्त, जारी की एडवाइजरी
Posted Date : 15-Apr-2024 4:46:51 pm

हेल्थ ड्रिंक्स के नाम पर बेचे जा रहे उत्पादों को लेकर सरकार सख्त, जारी की एडवाइजरी

नई दिल्ली ।  बच्चों की ग्रोथ बढ़ाने का दावा करने वाले बॉर्नविटा जैसे तमाम हेल्थ ड्रिंक्स बाजार और ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर उपलब्ध हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ऐसे हेल्थ ड्रिंक्स वाकई में आपके बच्चों के लिए सेहतमंद हैं या नहीं? अब, भारत सरकार ने हेल्थ ड्रिंक्स के नाम पर बेवरेज बेचने को लेकर ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है।
दरअसल, बाजार में अब बॉर्नविटा जैसे तमाम ड्रिंक्स ई-कॉमर्स साइट पर हेल्थ ड्रिंक्स के नाम से नहीं बेचे जा सकेंगे। हेल्थ ड्रिंक्स पर उद्योग मंत्रालय ने सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें बताया गया है कि बॉर्नविटा और दूसरे बेवरेज को हेल्थ ड्रिंक्स कैटेगरी में नहीं रखा जाए।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को वेबसाइट से बॉर्नविटा सहित सभी बेवरेज को ‘हेल्थ ड्रिंक्स कैटेगरी’ से हटाने को कहा है। एडवाइजरी में बताया गया है कि विभाग के संज्ञान में आया है कि बॉर्नविटा सहित कुछ पेय पदार्थों को ई-कॉमर्स साइटों और प्लेटफार्म्स पर ‘हेल्थ ड्रिंक’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने अपनी जांच के बाद पाया कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स कानून के तहत ‘हेल्थ ड्रिंक्स’ की कोई परिभाषा नहीं है। इसे ध्यान में रखते हुए ई-कॉमर्स कंपनियों और वेबसाइट्स को सलाह दी जाती है कि वे अपने प्लेटफॉर्म्स से बॉर्नविटा सहित बेवरेज को ‘हेल्थ ड्रिंक्स’ की कैटेगरी से हटा दें।
मालूम हो कि एनसीपीसीआर ने चि_ी लिखकर बॉर्नविटा जैसे तमाम हेल्थ ड्रिंक्स और बेवरेज को बच्चों की हेल्थ के लिए नुकसानदेह बताया था। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की जांच रिपोर्ट आने के बाद डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) ने चि_ी लिखकर एडवाइजरी जारी की है।

 

एक्स की सख्ती: नीति उल्लंघन करने वाले भारत में 2 लाख से ज्यादा खातों पर प्रतिबंध लगाया
Posted Date : 15-Apr-2024 4:46:28 pm

एक्स की सख्ती: नीति उल्लंघन करने वाले भारत में 2 लाख से ज्यादा खातों पर प्रतिबंध लगाया

नई दिल्ली । एलन मस्क द्वारा संचालित एक्स कॉर्प ने 26 फरवरी से 25 मार्च के बीच भारत में रिकॉर्ड 2,12,627 खातों पर प्रतिबंध लगा दिया, जो ज्यादातर बाल यौन शोषण और गैर-सहमति नग्नता को बढ़ावा देने के लिए थे। माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने देश में अपने प्लेटफॉर्म पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए 1,235 खातों को भी हटा दिया। कुल मिलाकर, एक्स ने देश में समीक्षाधीन अवधि में 213,862 खातों पर प्रतिबंध लगा दिया।
एक्स ने नए आईटी नियम, 2021 के अनुपालन में अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा कि उसे अपने शिकायत निवारण तंत्र के जरिए एक ही समय-सीमा में भारत में उपयोगकर्ताओं से 5,158 शिकायतें प्राप्त हुईं। इसके अलावा, एक्स ने 86 ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई की, जिनमें खाता निलंबन के खिलाफ अपील की गई थी।
कंपनी ने कहा, स्थिति की बारीकियों की समीक्षा करने के बाद हमने इनमें से 7 खातों के निलंबन को पलट दिया। बाकी रिपोर्ट किए गए खाते निलंबित रहेंगे। इसमें कहा गया है, हमें इस रिपोर्टिंग अवधि के दौरान खातों के बारे में आम सवालों से संबंधित 29 अनुरोध मिले।
भारत से ज्यादातर शिकायतें (3,074) प्रतिबंध को टालने के बारे में थीं। इसके बाद संवेदनशील वयस्क सामग्री (953), घृणित आचरण (412) और दुर्व्यवहार/उत्पीडऩ (359) थीं। एक्स ने 26 जनवरी से 25 फरवरी के बीच भारत में 5,06,173 अकाउंट पर प्रतिबंध लगा दिया। माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने देश में अपने प्लेटफॉर्म पर आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले 1,982 खातों को भी हटा दिया।

 

बायजू पर एक और संकट, सीईओ अर्जुन मोहन ने दिया इस्तीफा; कंपनी अब तीन क्षेत्रों तक रहेगी सीमित
Posted Date : 15-Apr-2024 4:46:17 pm

बायजू पर एक और संकट, सीईओ अर्जुन मोहन ने दिया इस्तीफा; कंपनी अब तीन क्षेत्रों तक रहेगी सीमित

नई दिल्ली । सात माह पहले एडटेक फर्म बायजू के सीईओ बनाए गए अर्जुन मोहन ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया है। सोमवार को कंपनी ने यह जानकारी दी। मोहन के इस्तीफे के बाद कंपनी के सह-संस्थापक और सीईओ बायजू रवींद्रन कंपनी के दैनिक कामकाज को संभालेंगे। रवींद्रन ने कहा, मोहन ने चुनौतीपूर्ण दौर में कंपनी को आगे बढ़ाया। हम उनके आभारी हैं।
कंपनी ने अब अपने व्यवसाय को द लर्निंग ऐप, ऑनलाइन क्लासेस और ट्यूशन सेंटर व टेस्ट-प्रीप तक सीमित कर लिया है। कंपनी ने कहा कि इनमें से प्रत्येक इकाई को अलग-अलग लोग संचालित करेंगे। रवीन्द्रन के अनुसार, यह पुनर्गठन बायजूस 3.0 की शुरुआत का प्रतीक है। नकदी संकट का सामना कर रही एडटेक कंपनी ने पिछले साल सितंबर में मोहन को अपने भारतीय परिचालन के सीईओ के रूप में पदोन्नत किया था।

 

विदेशी बाजारों में सोयाबीन डीगम दाम टूटने से बीते सप्ताह अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट
Posted Date : 15-Apr-2024 2:51:26 am

विदेशी बाजारों में सोयाबीन डीगम दाम टूटने से बीते सप्ताह अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

नईदिल्ली। विदेशी बाजारों में सोयाबीन डीगम का दाम टूटने के बीच आयातित खाद्य तेलों की कीमतें प्रभावित होने के कारण बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट दर्ज हुई।
इस दौरान सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट देखने को मिली जबकि किसानों की अपेक्षा के अनुरूप दाम नहीं मिलने के कारण मंडियों में कम बिक्री करने से सोयाबीन तिलहन तथा बाजार में आवक घटने के बीच बिनौला तेल के दाम तेजी दर्शाते बंद हुए।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि बंदरगाह सहित अन्य स्थानों पर खाद्य तेलों के कमजोर स्टॉक के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशों में सोयाबीन डीगम तेल के थोक दाम पहले के 1,015-1,020 डॉलर प्रति टन से घटकर 975-980 डॉलर प्रति टन रह गये। इस गिरावट का असर बाकी तेल-तिलहनों पर भी आया और पिछले सप्ताह के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम गिरावट दर्शाते बंद हुए। विदेशों में सोयाबीन डीगम के थोक दाम भले ही टूट गये हों पर देश में इन तेलों की बिक्री प्रीमियम दाम के साथ जारी है। बेशक प्रीमियम की राशि पिछले महीने लगभग 10 प्रतिशत थी जो अब घटकर 4-5 प्रतिशत रह गई है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार को इस बात पर ध्यान देना होगा कि खाद्य तेलों के दाम मामूली वृद्धि के साथ लगभग 20 साल पहले की कीमत के आसपास हैं जबकि अन्य वस्तुओं के दाम काफी अधिक हुए हैं। यह स्थिति तेल- तिलहन कारोबार के लिए अच्छा नहीं है।
इसके अलावा तेल- तिलहन का उत्पादन बढ़ाने की मंशा उचित हो सकती है लेकिन इसके लिए देशी तेल-तिलहन का बाजार विकसित करने तथा आयात नीति और शुल्कों का उचित निर्धारण भी जरूरी है।
उन्होंने कहा कि विदेशी तेलों के थोक दाम सस्ता होने के कारण सरसों जैसा अन्य देशी तेल को बाजार से जूझना पड़ रहा है क्योंकि देशी तेल के दाम बेपड़ता हो रहे हैं और तेल पेराई मिलों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरसों की खरीद तो शुरू हुई मगर यह उम्मीदों से कम थी। इसलिए सरसों की आवक बढऩे की कुछ विशेषज्ञों की उम्मीद (लगभग 16 लाख बोरी) के विपरीत आवक 7.25-9.25 लाख बोरी पर स्थिर बनी हुई है। इस बार भी लगभग 28.2 लाख टन फसल खरीद का लक्ष्य है लेकिन इससे काम पूरा नहीं होगा।
देशी तेल-तिलहनों का बाजार विकसित करने पर ध्यान नहीं दिया गया तो हम खाद्य तेलों के लिए आगे भी भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करते नजर आयेंगे। सूत्रों ने कहा कि विदेशों में सोयाबीन डीगम का दाम टूटने से यहां सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट देखने को मिली लेकिन सोयाबीन तिलहन इसके विपरीत चला। किसानों को दो साल पहले सोयाबीन के एमएसपी से काफी ऊंचे दाम मिलते रहे हैं।
बाजार में पिछले सप्ताह तक किसान सोयाबीन एमएसपी से 2-4 प्रतिशत नीचे दाम पर बेच रहे थे जो अब जाकर लगभग एमएसपी के आसपास हुआ है। किसानों की कम दाम पर बिकवाली कम करने से सोयाबीन तिलहन कीमतों में सुधार दिखा। उन्होंने कहा कि सोयाबीन की कम बिक्री करना सोयाबीन संयंत्र वालों के लिए खतरे की घंटी है क्योंकि किसान अगर सोयाबीन खेती से विमुख हुए तो इसका सीधा असर देश के तेल संयंत्रों पर आयेगा।
सूत्रों ने कहा कि मूंगफली तेल-तिलहन में गिरावट का कारण इसके अन्य सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले महंगा होना और इस कारण बेपड़ता बैठना है। मूंगफली के किसान इसलिए परेशान हैं क्योंकि उन्हें उपज के दाम नहीं मिल रहे और उन्हें एमएसपी से काफी कम दाम पर फसल बेचने की मजबूरी है।
तेल मिल इसलिए नुकसान में हैं कि एमएसपी से नीचे खरीद करने के बाद भी पेराई में उन्हें 5-7 रुपये किलो का नुकसान हो रहा है। सूत्रों ने कहा कि सीपीओ और पामोलीन की हाजिर में भारी कमी है। पाम, पामोलीन का माल ही नहीं है। जब देश के बंदरगाहों पर लोकप्रिय सॉफ्ट आयल- सोयाबीन और सूरजमुखी 84-85 रुपये लीटर बिक रहा है तो 89 रुपये प्रति किलो वाला पामोलीन (हेवी आयल) कोई क्यों खरीदेगा? यह पाम, पामोलीन में गिरावट का मुख्य कारण है। सूत्रों ने कहा कि बिनौला तेल में सुधार का कारण नकली खल को माना जाना चाहिये क्योंकि नकली खल की वजह से मंडियों में कपास की आवक कम हो रही है।
नकली बिनौला खल के दाम सस्ते में हैं तो कोई असली बिनौला खल महंगे दाम में कैसे खरीद पायेगा। इसी वजह से मंडियों में कपास की आवक कम हो रही क्योंकि उससे सबसे अधिक खल मिलता है जिसके दाम नहीं मिलते। जब असली खल के लिवाल नहीं हों तो इसकी भरपाई बिनौला तेल के दाम को बढ़ाकर पूरा किया जाता है जो बिनौला तेल में सुधार का कारण है। बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 95 रुपये की गिरावट के साथ 5,340-5,380 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सरसों दादरी तेल का भाव 350 रुपये घटकर 10,075 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 45-45 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 1,720-1,820 रुपये और 1,720-1,835 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 170-170 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 4,910-4,930 रुपये प्रति क्विंटल और 4,710-4,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसके विपरीत सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 300 रुपये, 400 रुपये और 375 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 10,400 रुपये और 10,050 रुपये और 8,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन के दाम 75 रुपये की गिरावट के साथ 6,105-6,380 रुपये क्विंटल पर बंद हुए। मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव भी क्रमश: 250 रुपये और 40 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 14,750 रुपये क्विंटल और 2,240-2,505 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 25 रुपये की गिरावट के साथ 9,425 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 125 रुपये की गिरावट के साथ 10,625 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 150 रुपये की गिरावट के साथ 9,650 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। गिरावट के आम रुख के उलट बिनौला तेल 25 रुपये मजबूत होकर 9,725 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

 

वित्त वर्ष 2023-24 में देश से वाहनों का एक्सपोर्ट 5.5 प्रतिशत घटा
Posted Date : 15-Apr-2024 2:51:06 am

वित्त वर्ष 2023-24 में देश से वाहनों का एक्सपोर्ट 5.5 प्रतिशत घटा

नईदिल्ली। देश से वाहनों का एक्सपोर्ट बीते वित्त वर्ष 2023-24 में 5.5 प्रतिशत घट गया है। वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स का कहना है कि कई विदेशी बाजारों में मौद्रिक संकट की वजह से देश से वाहनों के निर्यात में गिरावट आई है। आंकड़ों के अनुसार, बीते वित्त वर्ष में कुल वाहन निर्यात 45,00,492 इकाई रहा, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में यह 47,61,299 इकाई था।
सियाम के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने कहा कि विभिन्न विदेशी बाजारों में परिस्थितियां अस्थिर बनी हुई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ देश, जहां हम वाणिज्यिक वाहन और दोपहिया निर्यात के मामले में बहुत मजबूत हैं, विदेशी विनिमय से संबंधित मुद्दों का सामना कर रहे हैं।’’
पिछले वित्त वर्ष में वाणिज्यिक वाहनों, दोपहिया और तिपहिया वाहनों के निर्यात में जहां उल्लेखनीय गिरावट आई, वहीं यात्री वाहनों का निर्यात मामूली बढ़ा। उन्होंने कहा कि इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में कुछ अच्छा सुधार देखने को मिला है। खासकर दोपहिया वाहनों के खंड में।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘हमें पूरी उम्मीद है कि आगे चलकर स्थिति में सुधार होगा।’’ पिछले वित्त वर्ष में यात्री वाहनों का निर्यात 1.4 प्रतिशत बढक़र 6,72,105 इकाई हो गया, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 6,62,703 इकाई था। समीक्षाधीन अवधि में मारुति सुजुकी ने 2,80,712 वाहनों का निर्यात किया। इससे पिछले वित्त वर्ष में मारुति का निर्यात 2,55,439 इकाई रहा था। हुंदै मोटर इंडिया ने पिछले वित्त वर्ष में 1,63,155 इकाइयों का निर्यात किया। इससे पिछले वित्त वर्ष में इसने 1,53,019 वाहनों का निर्यात किया था।
किआ मोटर्स ने वर्ष के दौरान 52,105 वाहनों का निर्यात किया, जबकि फॉक्सवैगन इंडिया ने पिछले वित्त वर्ष में 44,180 इकाइयों का निर्यात किया। निसान मोटर इंडिया और होंडा कार्स ने वित्त वर्ष 2023-24 में क्रमश: 42,989 और 37,589 इकाइयों का निर्यात किया।
दोपहिया वाहनों के निर्यात में पिछले वित्त वर्ष में 5.3 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 34,58,416 इकाई रहा। इससे पिछले वित्त वर्ष में इस खंड में निर्यात 36,52,122 इकाई था। इसी तरह, वाणिज्यिक वाहनों का निर्यात 16 प्रतिशत घटकर 65,816 इकाई पर आ गया।
2022-23 में वाणिज्यिक वाहनों का निर्यात 78,645 इकाई रहा था। तिपहिया वाहनों का निर्यात पिछले वित्त वर्ष में 18 प्रतिशत घटकर 2,99,977 इकाई रह गया, जबकि 2022-23 में यह 3,65,549 इकाई था।

 

नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद क्रिएटर्स बोले, पीएम का विजन गेमिंग में क्रांति लाने वाला है
Posted Date : 13-Apr-2024 6:20:31 am

नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद क्रिएटर्स बोले, पीएम का विजन गेमिंग में क्रांति लाने वाला है

नई दिल्ली  । कई प्रमुख गेमिंग क्रिएटर्स ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और कहा कि उनका दृष्टिकोण देश में गेमिंग में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला है।
अनिमेष अग्रवाल, मिथिलेश पाटणकर, पायल धरे, नमन माथुर और अंशू बिष्ट जैसे क्रिएटर्स ने पीएम मोदी से मुलाकात की और ई-गेमिंग उद्योग के उदय पर चर्चा की।
अग्रवाल और पाटनकर ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया, हमने हाल ही में प्रधानमंत्री के साथ ईस्पोर्ट्स उद्योग के बारे में एक गहन चर्चा की। उनका दृष्टिकोण भारत में गेमिंग में क्रांति लाने के लिए तैयार है।
भारत में इस समय 45-55 करोड़ खिलाडिय़ों का एक विशाल गेमिंग दर्शक वर्ग है।
हाल के उद्योग आंकड़ों के अनुसार, वित्तवर्ष 2013 में भारतीय गेमिंग उद्योग ने 3.1 अरब डॉलर का राजस्व अर्जित किया, जो वित्तवर्ष 2012 में 2.6 अरब डॉलर से 19 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है।
पायल धरे ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में कहा कि पीएम मोदी के साथ ई-गेमिंग और कंटेंट निर्माण के भविष्य पर चर्चा करने वाली एकमात्र महिला गेमर होना सम्मान की बात है।
उन्होंने कहा, हमारी आवाज को पहचानने और इस उद्योग में समावेशिता का मार्ग प्रशस्त करने के लिए धन्यवाद।
इन्वेस्ट इंडिया के अनुसार, ऑनलाइन गेमिंग सेगमेंट भारतीय मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र का चौथा सबसे बड़ा सेगमेंट है।
इसके 20 फीसदी सीएजीआर से बढ़ते हुए 2025 तक 231 अरब रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।
पिछले महीने क्रिएटर्स और प्रभावशाली लोगों के समुदाय ने नई दिल्ली में नेशनल क्रिएटर्स अवार्ड्स के दौरान पीएम मोदी की सराहना करते हुए उन्हें ‘नए भारत का निर्माता और सर्वकालिक महानतम कहा था।