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रत्न और आभूषणों का निर्यात पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 12.17 प्रतिशत घटा
Posted Date : 21-Apr-2024 9:15:03 pm

रत्न और आभूषणों का निर्यात पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 12.17 प्रतिशत घटा

नई दिल्ली । रत्न और आभूषण निर्यात पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 2023-24 के दौरान 12.17 प्रतिशत घटकर 2,65,187.95 करोड़ रुपये (32,022.08 मिलियन अमेरिकी डॉलर) रह गया। रत्न व आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के आंकड़ों से पता चला है कि इसका अमेरिका में उच्च ब्याज दर और चीन की इकोनॉमी में धीमी रिकवरी है। जीजेईपीसी के अध्यक्ष विपुल शाह ने पीटीआई से कहा, स्नङ्घ23 में रत्न और आभूषण निर्यात 3,01,925.97 करोड़ रुपये (स्ष्ठ 37,646.17 मिलियन) था। उन्होंने कहा, पिछला वित्त वर्ष सभी उत्पाद श्रेणियों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा। यह स्थिति मुख्य रूप से उच्च ब्याज दरों के कारण अमेरिका में मंदी के कारण बनी, जो इस सेगमेंट में निर्यात के लिहाज से भारत के लिए सबसे बड़ा बाजार है। कोविड-19 के बाद चीन के बाजार में सुधार की गति धीमी है।
आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष के 1,76,716.06 करोड़ रुपये (22,046.9 मिलियन अमरीकी डालर) की तुलना में वित्त वर्ष 24 के दौरान कट और पॉलिश किए गए हीरे का कुल निर्यात 25.23 प्रतिशत घटकर 1,32,128.29 करोड़ रुपये (15,966.47 मिलियन अमरीकी डालर) हो गया।

 

अदाणी पोर्ट्स ने अधिग्रहण के बाद कैसे देश के बंदरगाहों की विकास क्षमता का किया इस्तेमाल
Posted Date : 20-Apr-2024 12:32:06 pm

अदाणी पोर्ट्स ने अधिग्रहण के बाद कैसे देश के बंदरगाहों की विकास क्षमता का किया इस्तेमाल

नई दिल्ली  । देश के सबसे बड़े निजी पोर्ट ऑपरेटर अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) ने इस महीने की शुरुआत में घोषणा की थी कि उसने (अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाहों सहित) वित्त वर्ष 2023-24 में 42 करोड़ टन कार्गो हैंडल किया जो कंपनी की यात्रा में एक नया मील का पत्थर है।
वर्ष दर वर्ष आधार पर यह 24 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि है, जिसमें घरेलू बंदरगाहों ने 40.8 करोड़ टन से ज्यादा का योगदान दिया।
कंपनी को पहली बार 10 करोड़ टन वार्षिक कार्गो थ्रूपुट हासिल करने में 14 साल लगे। वहीं, 20 करोड़ टन का आंकड़ा हासिल करने में अगले पांच साल तथा 30 करोड़ टन तक पहुंचने में तीन साल और लगे।
विशेष रूप से, नवीनतम 10 करोड़ टन का आंकड़ा दो साल से भी कम समय में हासिल किया गया है।
यह प्रभावशाली उपलब्धि कैसे हासिल हुई?
एपीएसईजेड पिछले कुछ वर्षों में एकीकृत बंदरगाह इंफ्रास्ट्रक्चर सेवाओं के प्रदाता के रूप में उभरा है, जिसमें से गुजरात का मुंद्रा एसईजेड एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
आठ हजार हेक्टेयर से अधिक में फैला मुंद्रा इकोनॉमिक हब सबसे बड़े बहु-उत्पाद एसईजेड, मुक्त व्यापार एवं वेयरहाउसिंग क्षेत्र (एफटीडब्ल्यूजेड) और घरेलू औद्योगिक क्षेत्र के रूप में निवेश के विकल्प प्रदान करता है।
एपीएसईजेड के पहले बंदरगाह मुंद्रा पर 1998 में पहला जहाज आया था। तब से, कंपनी ने देश के पूर्वी और पश्चिमी तटों पर 15 बंदरगाहों और टर्मिनलों का एक नेटवर्क बनाया है।
एपीएसईजेड वर्तमान में देश में सबसे बड़ा वाणिज्यिक पोर्ट ऑपरेटर है, जो देश की कार्गो आवाजाही में लगभग एक-चौथाई की हिस्सेदारी रखता है। देश के भीतरी हिस्सों में व्यापक कनेक्टिविटी के साथ गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और ओडिशा के सात समुद्र तटीय राज्यों में घरेलू बंदरगाहों पर इसकी उपस्थिति काफी विस्तृत है।
बंदरगाहों पर सुविधाएं नवीनतम कार्गो-हैंडलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर से लैस हैं जो न केवल श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ है बल्कि भारतीय तटों पर आने वाले सबसे बड़े जहाजों को हैंडल करने में भी सक्षम है।
कंपनी के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान, पूरे भारत के एक-चौथाई से अधिक कार्गो वॉल्यूम को एपीएसईजेड बंदरगाहों के माध्यम से भेजा गया था।
एपीएसईजेड के प्रबंध निदेशक करण अदाणी के अनुसार, नवीनतम 10 करोड़ टन का आंकड़ा दो साल से भी कम समय में हासिल किया गया है। यह परिचालन दक्षता बढ़ाने और उद्योग में शीर्ष बंदरगाह ऑपरेटर के रूप में हमारी स्थिति बनाए रखने की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता और जारी प्रयासों का एक प्रमाण है।
ओडिशा के भद्रक जिले में धामरा बंदरगाह इस क्षेत्र में ड्राई कार्गो शिपमेंट के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है। दस साल पहले यह केवल 1.4 करोड़ टन कार्गो हैंडल करता था लेकिन आज इसकी क्षमता 4.2 करोड़ टन से अधिक हो गई है।
इस बंदरगाह पर केपसाइज जहाज (सबसे बड़े ड्राई कार्गो शिप) भी लंगर डाल सकते हैं, और ओडिशा, झारखंड तथा पश्चिम बंगाल के उद्योगों को आपूर्ति प्रदान कर सकता है।
धामरा में 50 लाख टन क्षमता का तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) टर्मिनल भी है जो असम, बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है।
कृष्णापट्टनम बंदरगाह अंतर्राष्ट्रीय मानकों का एक हर मौसम में ऑपरेट करने वाला, विश्व स्तरीय गहरे पानी का बंदरगाह है। यह पूरे वर्ष चौबीसों घंटे केपसाइज जहाजों को हैंडल करने में सक्षम है। इसमें अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा, मशीनीकृत हैंडलिंग सिस्टम और समर्पित भंडारण यार्ड हैं जो थोक और ब्रेक बल्क कार्गो के लिए स्वच्छ और संदूषण मुक्त हैंडलिंग सुविधाएं प्रदान करते हैं।
इसकी वर्तमान क्षमता 7.5 करोड़ टन है, जो चार साल पहले 6.4 करोड़ टन के मुकाबले उल्लेखनीय वृद्धि है।
पुडुचेरी में कराईकल बंदरगाह बिजली संयंत्रों और सीमेंट कारखानों के पास है। वित्त वर्ष 2022-23 में इसने लगभग एक करोड़ टन कार्गो हैंडल किया और 2023-24 में यह आंकड़ा 1.3 करोड़ टन तक पहुंच गया। आठ बंदरगाहों - मात्रा के हिसाब से पोर्टफोलियो का 84 प्रतिशत - ने वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी के लिए दोहरे अंक की वृद्धि प्रदान की।
दहेज बंदरगाह खंभात की खाड़ी में स्थित एक गहरे पानी वाला, मल्टी-कार्गो बंदरगाह है। यह रणनीतिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मार्गों पर स्थित है और गुजरात, महाराष्ट्र तथा मध्य प्रदेश के घने औद्योगिक केंद्रों तक आसान पहुंच प्रदान करता है।
यह इसे भारत के उत्तरी और पश्चिमी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में काम करने वाले कार्गो हब के लिए पसंदीदा बंदरगाह बनाता है।
प्रमुख बंदरगाह मुंद्रा एक ही महीने (अक्टूबर 2023) में 1.6 करोड़ टन कार्गो को हैंडल वाला देश का पहला बंदरगाह बन गया। वास्तव में, मुंद्रा बंदरगाह से मिली सीख को कंपनी के स्वामित्व वाले अन्य सभी बंदरगाहों पर दोहराया गया है।

 

जनवरी-मार्च तिमाही में विप्रो का मुनाफा आठ फीसदी घटकर 2,835 करोड़ रुपये रहा
Posted Date : 20-Apr-2024 12:31:34 pm

जनवरी-मार्च तिमाही में विप्रो का मुनाफा आठ फीसदी घटकर 2,835 करोड़ रुपये रहा

बेंगलुरु  । वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में आईटी सॉफ्टवेयर क्षेत्र की दिग्गज कंपनी विप्रो का शुद्ध मुनाफा 7.80 प्रतिशत घटकर 2,834.6 करोड़ रुपये रह गया। इससे पहले वित्त वर्ष 2022-23 की समान तिमाही में कंपनी को 3,074.5 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था।
कंपनी ने शेयर बाजार को बताया कि गत 31 मार्च को समाप्त तिमाही में कंपनी का राजस्व 4.18 प्रतिशत गिरकर 22,208.3 करोड़ रुपये हो गया। बेंगलुरु स्थित कंपनी ने एक साल पहले इसी तिमाही में 23,190.3 करोड़ रुपये का समेकित राजस्व दर्ज किया था।
कंपनी का आईटी सेवा क्षेत्र का राजस्व 265.74 करोड़ डॉलर रहा, जो क्रमिक रूप से 0.1 प्रतिशत की वृद्धि और एक साल पहले की तुलना में 6.4 प्रतिशत की कमी है।
शुक्रवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि स्वैच्छिक नौकरी छोडऩे की दर 14.2 प्रतिशत थी। चौथी तिमाही में कंपनी के कर्मचारियों की संख्या में 6,180 और पूरे साल के दौरान 24,516 की कमी आई।
कंपनी ने अनुमान लगाया है कि 30 जून को समाप्त होने वाली तिमाही में स्थिर मुद्रा के संदर्भ में 1.5 प्रतिशत की से 0.5 प्रतिशत की बढ़त तक हो सकती है।
विप्रो के सीईओ श्रीनि पल्लिया ने कहा कि 2023-24 आईटी उद्योग के लिए एक चुनौतीपूर्ण वर्ष साबित हुआ और व्यापक आर्थिक माहौल अनिश्चित बना हुआ है, हालांकि, मैं आगे आने वाले अवसरों को लेकर आशावादी हूं।
पल्लिया ने कहा कि कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ अपने ग्राहकों की जरूरतों को बदलने के साथ एक प्रमुख तकनीकी बदलाव की राह पर है क्योंकि वे प्रतिस्पर्धी लाभ और उन्नत व्यावसायिक मूल्य के लिए इसकी शक्ति का उपयोग करना चाहते हैं।
पल्लिया ने कहा, हमारे पास हमारे लक्ष्यों को साकार करने में मदद करने के लिए दुनिया भर में 2,30,000 से अधिक विप्रोइट्स की क्षमताएं, नेतृत्व और ताकत है। हालांकि हमें काफी काम करना है, मुझे विश्वास है कि अपने सामूहिक प्रयास के साथ मिलकर हम विकास के अगले अध्याय का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
पल्लिया ने इसी महीने कंपनी की बागडोर संभाली है। उनके पूर्ववर्ती थिएरी डेलापोर्टे ने अचानक सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया था। ऐसी खबरें आ रही थीं कि विप्रो के प्रवर्तक उनके प्रदर्शन से खुश नहीं थे।

 

एफआईआई ने तीन दिन में 15,763 करोड़ रुपये के शेयर बेचे
Posted Date : 20-Apr-2024 12:43:40 am

एफआईआई ने तीन दिन में 15,763 करोड़ रुपये के शेयर बेचे

नई दिल्ली  । दोपहर बाद के कारोबार में बिकवाली के दबाव के कारण गुरुवार को निफ्टी में लगातार चौथे दिन गिरावट देखी गई। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने पिछले तीन दिन में 15,763 करोड़ रुपये की भारी बिकवाली की है। सकारात्मक शुरुआत के बाद निफ्टी में दिन के दूसरे हिस्से में बिकवाली का दबाव देखा गया और यह 152.05 अंकों की गिरावट के साथ 21,995.85 अंक पर बंद हुआ।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा अनुसंधान प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि आईटी, धातु और पीएसयू बैंकों को छोडक़र, मिड-कैप और स्मॉल-कैप सहित सभी क्षेत्र लाल निशान में समाप्त हुए। भारतीय अर्थव्यवस्था पर आईएमएफ के अच्छे रुख के चलते सत्र की शुरुआत में बाजार को कुछ राहत मिली। हालांकि, अस्थिरता के बीच यह उच्च स्तर पर टिकने में विफल रहा और लगातार चौथे दिन इसमें गिरावट आई।
उन्होंने कहा कि अनिश्चित वैश्विक माहौल के कारण पिछले तीन दिन में एफआईआई ने 15,763 करोड़ रुपये की जोरदार बिकवाली की जिससे निवेश धारणा कमजोर हुई। उन्होंने कहा, कुल मिलाकर, हमें उम्मीद है कि किसी बड़े सकारात्मक ट्रिगर के अभाव में बाजार में अस्थिरता जारी रहेगी।
असित सी. मेहता इन्वेस्टमेंट इंटरमीडिएट्स के एवीपी (टेक्निकल एंड डेरिवेटिव्स रिसर्च) हृषिकेश येदवे ने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक चिंताओं के कारण भारी अस्थिरता के साथ निफ्टी में गिरावट रही। तकनीकी दृष्टिकोण से, यदि सूचकांक 22,000 अंक के स्तर से ऊपर बना रहता है, तो 22,300-22,500 अंक की ओर जा सकता है। इसके विपरीत, 21,950 अंक के स्तर से नीचे बने रहने से 21,800-21,700 अंक तक टूट सकता है।

 

हिंदुस्तान जिंक बना दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा चांदी उत्पादक
Posted Date : 20-Apr-2024 12:39:32 am

हिंदुस्तान जिंक बना दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा चांदी उत्पादक

नई दिल्ली  । हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने गुरुवार को घोषणा की कि अमेरिका के सिल्वर इंस्टीट्यूट द्वारा जारी वर्ल्ड सिल्वर सर्वे 2024 रिपोर्ट के अनुसार, वह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी चांदी उत्पादक कंपनी बन गई है। कंपनी ने एक बयान में कहा, कंपनी का सिंदेसर खुर्द खदान जो पिछले साल के चौथे स्थान से अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चांदी उत्पादक खदान बन गया है।
हिंदुस्तान जिंक की चेयरपर्सन प्रिया अग्रवाल हेब्बर ने कहा, वैश्विक ऊर्जा पारेषण में चांदी की भूमिका महत्वपूर्ण है। हमारा रिकॉर्ड 74.6 करोड़ टन उत्पादन आत्मनिर्भर भारत का पथ प्रशस्त करता है। हिंदुस्तान जिंक के उत्पादन में साल-दर-साल आधार पर पांच प्रतिशत की वृद्धि के पीछे मुख्य कारण अयस्क का उत्पादन बढऩा और ग्रेड का बेहतर होना है।

 

नेस्ले भारत में बेचे जाने वाले शिशु आहार में मिलाती है अधिक चीनी : आईबीएफएएन की जांच में बड़ा खुलासा
Posted Date : 20-Apr-2024 12:38:24 am

नेस्ले भारत में बेचे जाने वाले शिशु आहार में मिलाती है अधिक चीनी : आईबीएफएएन की जांच में बड़ा खुलासा

नई दिल्ली / स्विस संगठन पब्लिक आई और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (आईबीएफएएन) की एक जांच में दिग्गज नेस्ले के प्रोडक्ट (उत्पादों) को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। भारत में नेस्ले द्वारा बेचे जाने वाले बेबी-फूड ब्रांडों में अधिक मात्रा में चीनी होती है, जबकि यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और अन्य विकसित देशों में ऐसे प्रोडक्ट चीनी-मुक्त हैं।
अध्ययन में खुलासा हुआ है कि भारत में, सभी सेरेलैक बेबी (शिशु) प्रोडक्ट्स में प्रति सर्विंग औसतन लगभग 3 ग्राम चीनी होती है। यही प्रोडक्ट जर्मनी और ब्रिटेन में बिना चीनी के बेचा जा रहा है, जबकि इथियोपिया और थाईलैंड में इसमें लगभग 6 ग्राम चीनी होती है।
रिपोर्ट के अनुसार, नेस्ले कई देशों में बेबी के दूध और अनाज प्रोडक्ट्स में चीनी मिलाती है, जो मोटापे और पुरानी बीमारियों को रोकने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। कंपनी द्वारा उल्लंघन सिर्फ एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों में पाए गए।
हालांकि, नेस्ले इंडिया लिमिटेड के एक प्रवक्ता ने कहा, कंपनी ने पिछले पांच वर्षों में अपने बेबी अनाज पोर्टफोलियो में अतिरिक्त शर्करा (चीनी) की कुल मात्रा में 30 प्रतिशत की कमी की है। इसे और कम करने के लिए उत्पादों की समीक्षा और पुनर्निर्माण जारी रखा है। हम चाइल्डहुड के लिए अपने उत्पादों की पोषण गुणवत्ता में विश्वास करते हैं और उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री के उपयोग को प्राथमिकता देते हैं।
ब्रिटेन के अखबार द गार्जियन ने बुधवार को खबर दी कि स्विस फूड दिग्गज ‘गरीब देशों’ में बेचे जाने वाले शिशु के दूध और अनाज उत्पादों में चीनी और शहद मिलाते हैं। इसमें पब्लिक आई और आईबीएफएएन के डेटा का हवाला दिया गया, जिसमें इन बाजारों में बेचे जाने वाले नेस्ले बेबी फूड ब्रांडों की जांच की गई। पब्लिक आई ने नेस्ले के अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के मुख्य बाजारों में दो प्रमुख ब्रांडों सेरेलैक और नोडी में बेचे गए 115 उत्पादों की जांच की।
भारत में पब्लिक आई द्वारा जांचे गए सभी सेरेलैक शिशु अनाज उत्पादों में औसतन लगभग 3 ग्राम प्रति सर्विंग अतिरिक्त चीनी पाई गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जांचे गए लगभग सभी सेरेलैक शिशु अनाजों में प्रति सर्विंग लगभग 4 ग्राम अतिरिक्त चीनी होती है, जो औसतन लगभग एक चीनी क्यूब के बराबर होती है, हालांकि इन्हें छह महीने की उम्र के बच्चों पर लक्षित किया जाता है। फिलीपींस में बेचे जाने वाले उत्पाद में प्रति सर्विंग 7.3 ग्राम की उच्चतम मात्रा पाई गई। मीडिया रिपोर्टों में डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञ निगेल रॉलिन्स के हवाले से कहा गया है कि यह एक दोहरा मापदंड है जिसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है।