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कोरबा, 29 अक्टूबर । एसईसीएल की खदानों में सैकड़ो लीटर डीजल यूं ही बह जाता है। खदानों में चलने वाले भारी भरकम वाहनों तक पहुंचकर डीजल डालने वाले टैंकर में लीकेज होने की वजह से यह बर्बादी हो रही है। मामूली मरम्मत से लीकेज बंद हो सकता है, पर लापरवाह अफसरों की वजह से लाखों रुपए का नुकसान कंपनी को उठाना पड़ रहा है।
यह नजारा एसईसीएल के गेवरा परियोजना का है। डीजल का दाम वर्तमान में 70 रुपए लीटर से भी ज्यादा हो गया है। ऐसे में यह धन के साथ ही ईंधन की भी बर्बादी है। कोयल खदानों में भारी वाहनों को वर्कशॉप तक पहुँचकर डीजल भरवाना न पड़े इसलिए टैंकर मौके पर भेजा जाता है। प्रबंधन का उद्देश्य मौके पर पहुँचकर डीजल की बचत करना है, लेकिन अफसरों की मेहरबानी से स्थिति उलट हो गई है। एक वाहन में 100 लीटर डीजल डालने के दौरान 8 से 10 लीटर डीजल जमीन में बहकर बेकार हो जा रहा है। यही वजह है कि लाभ में चल रही कोल इंडिया की एस ई सी एल कंपनी को भी निजी हाथों में सौपने की तैयारी चल रही ।
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