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22-Nov-2018 6:39:45 am
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रिलायंस ने गैस बिक्री में किया शर्तों का उल्लंघन

नई दिल्ली ,21 नवंबर । रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने पूरा प्रॉडक्शन खुद को बेचकर कोल बेड मीथेन (सीबीएम) पर कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों और नीतियों का उल्लंघन किया। एक आधिकारिक जांच रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। इससे कंपनी की सैकड़ों करोड़ डॉलर की गैस बेचने की डील रद्द हो सकती है।
रिलायंस ने मध्य प्रदेश की माइंस से पिछले साल सीबीएम का कमर्शल प्रॉडक्शन शुरू किया था। उसने इससे मिलने वाली गैस बेचने के लिए एक के बाद एक तीन ऑक्शंस किए। इनमें से पहली दो नीलामी कम अवधि और सितंबर 2017 में हुई तीसरी नीलामी मार्च 2021 तक पैदा होने गैस की बिक्री के लिए हुई थी। तीनों ही नीलामी में रिलायंस ने सबसे ऊंची बोली लगाई थी। कंपनी पहले इस मामले में कह चुकी है कि इससे सरकार की आमदनी बढ़ेगी। 
डीजीएच ने नीलामियों को बताया गलत 
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हाइड्रोकार्बन्स (डीजीएच) ने पिछले साल हुई इन नीलामियों को गलत बताया था। उसने कहा था कि इनमें दूसरे बिडर्स के साथ रिलायंस खुद शामिल हुई थी। उसने इस मामले में सीबीएम पॉलिसी का पालन नहीं किया, जिसमें किसी सहयोगी को गैस बेचने की मनाही है, क्योंकि इससे हितों का टकराव होता है। 
पेट्रोलियम मंत्रालय ने की जांच 
डीजीएच की रिपोर्ट के बाद पेट्रोलियम मिनिस्ट्री ने इस मामले की जांच की। इसमें अधिकारियों ने पॉलिसी की शर्तों पर महीनों तक बहस की। कानून मंत्रालय की राय मांगी गई और रिलायंस इंडस्ट्रीज का पक्ष भी सुना गया। एक साल की जांच के बाद यह पाया गया कि खुद को गैस की बिक्री करके रिलायंस ने गलती की। यह सीबीएम पॉलिसी का उल्लंघन तो था ही, प्रॉडक्शन शेयरिंग एग्रीमेंट भी इसकी इजाजत नहीं देता। इस पॉलिसी में सीबीएम ऑपरेटर्स को गैस की बिक्री निष्पक्षता से करने को कहा गया है। रिलायंस अपनी ही गैस की नीलामी में शामिल हुई, जिससे हितों का टकराव हुआ। यह कॉन्ट्रैक्ट और सीबीएम पॉलिसी का उल्लंघन है। 
खत्म करने होंगे सीबीएम सेल्स कॉन्ट्रैक्ट 
सीबीएम पॉलिसी में कहा गया है कि अगर कॉम्पिटीटिव प्रोसेस में कोई खरीदार नहीं मिलता तो किसी सहयोगी को गैस की बिक्री की जा सकती है। हालांकि, रिलायंस ने खरीदार मिलने का इंतजार नहीं किया। इसके बजाय वह दूसरे संभावित खरीदारों के साथ नीलामी में शामिल हुई। आधिकारिक जांच रिपोर्ट से वाकिफ सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सूत्रों ने बताया कि अब रिलायंस को अपने साथ किए गए सीबीएम सेल्स कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने होंगे और भविष्य में निकलने वाली गैस के लिए फिर से उसे नीलामी करनी होगी। 
उन्होंने कहा कि जिस गैस की बिक्री इन कॉन्ट्रैक्ट के जरिये की जा चुकी है, उन पर सरकार के फैसले का असर नहीं पड़ेगा। इस बारे में पूछे गए सवालों का पेट्रोलियम मिनिस्ट्री और रिलायंस ने जवाब नहीं दिया। हालांकि, रिलायंस ने पहले कहा था कि क्रिसिल की मॉनिटरिंग में उसने नीलामी के लिए पारदर्शी तरीका अपनाया था और नीलामी से सरकार को अधिकतम आमदनी हुई, जो सीबीएम पॉलिसी का मकसद था।

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