संपादकीय

05-Jun-2019 1:28:14 pm
Posted Date

प्रेरणा से बड़ा बदलाव

रेखा श्रीवास्तव

जीवन की दिशा कब और कौन बदल दे, नहीं कह सकते हैं और मेरे जीवन की दिशा सिर्फ दो पंक्तियों ने बदल कर रख दी है। मेरे पापा इसके सूत्रधार बने। मैं हाई स्कूल में थी और मैंने तबला एक विषय के रूप में ले लिया। स्कूल में संगीत का कोई टीचर नहीं था। बोर्ड के प्रेक्टिकल के समय मेरा कोई शिक्षक न था जिसके साथ संगत करने का मेरा अभ्यास हो। परीक्षक ने मुझे 17/50 अंक देकर पास कर दिया और थ्योरी में मेरे 45/50 थे। जब रिजल्ट देखा तो मैं बहुत रोई। बुरा लगा कि मुझे इतने कम अंक मिले और मेरी परसेंटेज खऱाब हो गयी। मैंने निर्णय किया कि मैं इंटर में तबला नहीं लूंगी। पापा ने मुझे एक कार्ड बोर्ड पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखकर दिया ‘करत-करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान, रस्सी आवत जात ते सिल पर होत निशान।’ फिर बोले कि तुम इंटर में भी तबला लोगी। बाकी चीजें मैं घर पर लाकर देता हूं। इसे अपने सामने रखो और अभ्यास करो। उन्होंने मुझे एक तबला लाकर दिया और एक किताब भी, जिसमें तालों और उसके विषय में अभ्यास के लिए सारी सामग्री थी। बोर्ड के एक्जाम में मैंने अपना जो डेमो ताल रखा था वह सबसे अलग था। मैंने अपने बाहर से आये हुए परीक्षक को बता दिया कि मेरा कोई टीचर नहीं है और मैं जो भी बजाने जा रही हूं हो सकता है कि संगत ठीक ठीक न हो सके लेकिन फिर भी आप जिसे समझे मेरे साथ संगत के लिए बैठा सकते हैं।

वह परीक्षक अंधे थे और उनका एक शिष्य साथ में आया था। उन्होंने अपने शिष्य से कहा कि इनके संगत करने के लिए हारमोनियम बजाइए। मुझे इंटर में 45/50 प्रेक्टिकल में मिले थे और कुल विशेष योग्यता के मानक से बहुत आगे। इन पंक्तियों ने प्रेरणा बनाने का काम जीवन भर किया और आज भी कर रही हैं। जब मुझे आईआईटी कानपुर में मानविकी विभाग तो समाजशास्त्र की एक परियोजना में लिया गया था और मुझे सिर्फ और सिर्फ मेरे लेखन के बारे में जानने वाले संकाय के प्रोफेसरों के कारण मानविकी से कंप्यूटर साइंस में भेज दिया गया। वहां के प्रोफेसर, जिनके साथ मैं काम कर रही थी, उन्होंने मुझे उसमें पड़े हुए टाइपिंग के सॉफ्टवेयर से अवगत कराया। मैंने फिर वहां पर 24 साल काम किया और जितनी टाइपिंग स्पीड मेरी थी कोई मानने को तैयार नहीं होता कि मैंने कभी टाइपिंग नहीं सीखी है। पापा को याद सिर्फ किसी मौके पर नहीं किया जाता लेकिन मेरे जीवन के हर मोड़ पर उनकी शिक्षाएं मेरा संबल बनी रहीं और बनी रहेंगी।

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