संपादकीय

26-Mar-2019 11:30:40 am
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भीतरी समृद्धि का भी हो अहसास

रेनू सैनी
व्यक्ति जिस परिवर्तन एवं अंदाज के साथ अपना जीवनयापन करता है, वही उसकी जीवनशैली कहलाती है। जीवनशैली अधिकतर परिवेश एवं परिस्थितियों पर निर्भर करती है। लेकिन जीवट, सुसंस्कृत एवं विवेकयुक्त मनुष्य हर तरह की प्रतिकूल परिस्थिति से लडऩे में सक्षम होते हैं। वे प्रतिकूल परिस्थितियों के बहाव में बहते नहीं हैं, बल्कि संघर्ष करके प्रतिकूल परिस्थितियों के बहाव को दूसरी ओर मोड़ देते हैं।
वहीं ढुलमुल लोग हवा के झोंके की भांति प्रतिकूल परिस्थितियों के बहाव में बहते चलते हैं। उनकी जीवनशैली परिवेश के अनुरूप बनती जाती है क्योंकि वे अपने मस्तिष्क का प्रयोग नहीं करते। वे इतने दृढ़ निश्चय के भी नहीं होते कि इस बात को जान लें कि विपरीत परिस्थितियां व्यक्तियों को कुछ देर के लिए डरा सकती हैं लेकिन मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकतीं। समाज का तानाबाना और संरचना इसी प्रकार की बनी हुई है कि जो लोग निरर्थक प्रवृत्ति के होते हैं, उन्हें कोई महत्व नहीं देता। ऐसे व्यक्ति जीवन की पाठशाला में अनुत्तीर्ण ही रहते हैं।
चाणक्य कहते हैं कि जीवन व्यक्तियों को बहुत-सी बातें सिखाता है। बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक व्यक्ति को अनेक तरह के अनुभव होते हैं। उन अनुभवों को दूसरों को बांटना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी लाभान्वित हो सके और एक समृद्ध जीवनशैली की ओर बढ़ सके। समृद्ध जीवनशैली का अर्थ केवल धनार्जन करना ही नहीं होता बल्कि यह जानना भी है कि जीना कैसे है
कुछ लोग अपने इर्दगिर्द बेहद खूबसूरत चीजों को देखते हैं लेकिन इसके बावजूद वे हृदय से खुश नहीं होते। वहीं अनेक ऐसे लोग भी होते हैं, जिनके पास धन की कोई सीमा नहीं होती लेकिन धन से परिपूरित होने के बाद भी उनके मनमस्तिष्क में अनेक चिंताएं एवं बातें उमड़-घुमड़ रही होती हैं। कुछ लोग बेहद अमीर होने के बाद भी हृदय से खाली होते हैं वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनके पास अर्थ बहुत अधिक नहीं होता परंतु फिर भी वे एक संतुष्टि का बोध करते हुए संपन्नता के साथ जीवनयापन करते हैं।
समृद्ध जीवनशैली का सबसे बड़ा स्रोत यह है कि व्यक्ति को संचित धन को दान द्वारा रिक्त करने रहना चाहिए। इससे एक ओर मनुष्य जहां लोक में यश एवं मान सम्मान प्राप्त करते हैं, वहीं उन्हें अंतर्मन से भी समृद्धि के अहसास होते हैं। यहां इसका केवल यह अर्थ नहीं है कि व्यक्ति को अर्थ के माध्यम से ही मदद करनी चाहिए अपितु यह किसी भी स्वरूप में हो सकती है। हां, जब आप मदद करें तो नि:स्वार्थ भाव से अपनी कल्पना से थोड़ी-सी अधिक कर दें। आपकी थोड़ी-सी अधिक मदद आपको पूरा दिन समृद्धि का अहसास कराएगी।
कल्पना कीजिए आप गाड़ी में सफर कर रहे हैं। ट्रैफिक लाइट पर गाड़ी रुक जाती है। एक 14-15 वर्षीय बालिका आपकी गाड़ी की ओर आती है। उसके हाथों में रंगबिरंगे गुब्बारे हैं। वह उन्हें बेचने के लिए आपसे पूछती है। आप 10 गुब्बारे ले लेते हैं और उनका दाम पूछते हैं। बालिका उत्साहपूर्वक सौ रुपए बताती है। आप अपनी जेब से 110 रुपए बालिका को देते हैं। 110 रुपए पाकर बालिका का चेहरा चमक उठता है और वह उत्साहित होकर आपका धन्यवाद करती है। इसके बाद आपके हृदय में भी एक आत्मसंतुष्टि, आत्मविश्वास एवं प्रसन्नता के चिन्ह छलकने लगते हैं। केवल 10 रुपए अधिक देने से व्यक्ति की मानसिकता में जबरदस्त उछाल आ जाता है जो उसकी जीवनशैली को परिपक्व और सुखी-समृद्ध बनाने में मदद करता है।
अगर व्यक्ति जीवनशैली और प्रसन्नता की कला में महारत हासिल कर लेता है तो अधिक अर्थ उसकी खुशी और आंतरिक दौलत को बढ़ा देता है। उसके चेहरे पर आत्मविश्वास की गरिमा झलकने लगती है, उत्साह से चेहरे पर चमक आ जाती है। अच्छी जीवनशैली का अर्थ यह भी है कि व्यक्ति हर उत्कृष्टता को पुरस्कृत करे। जब वह हर उत्कृष्टता को पुरस्कृत करता है तो स्वयं भी बार-बार पुरस्कृत होता रहता है।
छोटी-छोटी बातों पर खुश होना चाहिए क्योंकि पलट कर देखने पर महसूस होता है कि वही बड़ी चीजें थीं। स्वयं को समृद्ध और खुश रखने के लिए आपको ही प्रयास करने होंगे। कोई भी व्यक्ति सदा के लिए किसी को खुश, सुख और यश प्रदान नहीं कर सकता। समृद्ध जीवनशैली का आनंद लेना कोई मुश्किल काम नहीं है। बस इसके लिए आपको पुस्तकों, लोगों और रोमांचकारी अनुभवों के प्रभाव से अपने ज्ञान और अनुभव का विस्तार करना है। ये सब बातें आपको एक अच्छा एवं कामयाब जीवन प्रदान करती हैं। आज से ही कोई ऐसा काम सोचें, जिसे आप कर सकते हों। आप पाएंगे कि जीवन पहले से ज्यादा सुखी, प्रसन्न एवं समृद्ध हो रहा है।

 

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