संपादकीय

22-Dec-2018 1:14:34 pm
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अजेंडे पर आए किसान

हाल में देश भर में हुए किसान आंदोलनों ने आखिरकार खेती को सरकार के अजेंडे पर ला दिया है। पिछले कुछ समय से केंद्र सरकार किसानों को राहत देने के उपायों पर चर्चा कर रही है। नीति आयोग ने इस संबंध में नए सुझाव पेश किए हैं, जिनका मकसद किसानों की आय बढ़ाना है। आयोग का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से किसानों की समस्या पूरी तरह नहीं सुलझने वाली। लिहाजा कृषि लागत-मूल्य आयोग की जगह उसने एक न्यायाधिकरण की स्थापना करने और मंडियों में बोली लगाकर कृषि उपज की खरीदारी की व्यवस्था बनाने की सिफारिश की है। उसके ये सुझाव वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा जारी ‘नये भारत ञ्च 75 के लिए रणनीति’ दस्तावेज में दर्ज हैं।
नीति आयोग ने कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की जगह न्यूनतम आरक्षित मूल्य (एमआरपी) तय किया जाना चाहिए, जहां से बोली की शुरुआत हो। इससे किसानों को अपनी उपज की एमएसपी से ज्यादा कीमत मिल सकेगी। एमआरपी तय करने के लिए उसने एक समूह के गठन की अनुशंसा की है। नीति आयोग का विचार है कि वायदा कारोबार को प्रोत्साहित किया जाए और बाजार को विस्तार देने के लिए उसमें प्रवेश से जुड़ी बाधाएं हटाई जाएं। 
नीति आयोग अनुबंध खेती को बढ़ावा देने के पक्ष में है। उसका सुझाव है कि सरकार को अगले पांच से दस वर्षों को ध्यान में रखकर कृषि निर्यात नीति बनानी चाहिए, जिसकी मध्यावधि समीक्षा का भी प्रावधान हो। दस्तावेज में सिंचाई सुविधाओं, विपणन सुधार, कटाई बाद फसल प्रबंधन और बेहतर फसल बीमा उत्पादों आदि में सुधार के माध्यम से कृषि क्षेत्र का आधुनिकीकरण करने जैसे सुझाव भी हैं। निश्चय ही ये प्रस्ताव बेहद अहम हैं। कृषि उपजों की बिडिंग जैसे उपाय को लागू करने पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। 
सच्चाई यह है कि एमएसपी से किसान कभी संतुष्ट नहीं हुए। अक्सर इसे लागू करने में विवाद होता है। हाल में खरीफ फसलों का जो एमएसपी लागू किया गया, उससे भी किसान नाराज हैं। उनका कहना है कि वादा सी2 यानी संपूर्ण लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देने का था। धान की सी2 लागत 1,560 रुपये की डेढ़ गुना कीमत 2,340 रुपये प्रति क्विंटल बैठती है, लेकिन इस वर्ष धान का समर्थन मूल्य 1,750 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया है। 
किसान संगठनों की शिकायत है कि इससे उन्हें लगभग 600 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हुआ है। बिडिंग की व्यवस्था में जिस उपज की जितनी मांग रहेगी, उस आधार पर उसकी कीमत बढ़ेगी। इससे किसानों को फायदा हो सकता है। हां, एमआरपी तय करने में सरकार को सावधानी बरतनी होगी। नीति आयोग ने इसके लिए कुछ मानदंड सुझाए हैं। अच्छा होगा कि इस बारे में रबी की फसल आने से पहले ही फैसला ले लिया जाए। कर्जमाफी किसानों का तनाव घटाने का एक फौरी तरीका है। सभी सरकारें इसे आजमा रही हैं, पर इससे बात बन नहीं रही। दूरगामी उपाय ही सबके हित में होगा।

 

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