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03-Jul-2018 5:35:24 pm
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मॉब लिंचिंग पर सरकार सख्त : Whatsapp को चेताया, अफवाहें रोकें वरना होगी कार्रवाई

देश में लगातार बढ़ी रही मॉब लिंचिंग (पीट-पीटकर हत्या करना) की घटनाओं को लेकर सरकार सख्त हो गई है। सरकार ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए वॉट्स ऐप को चेतावनी दी है कि वो गैर-जिम्मेदार और भड़काऊ संदेशों को अपने प्लेटफॉर्म पर फैलने से रोके वरना सरकार इस पर कुछ कदम उठा सकती है। आपको बता दें कि पिछले दो महीने के अंदर देश में मॉब लिंचिंग की कई घटनाएं सामने आई हैं।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना तकनीक मंत्रालय ने वॉट्सऐप को वॉर्निंग देते हुए एक बयान जारी किया है कि जब कानून इसे लेकर कड़ा रुख अपना रहा है तो ऐसे में वॉट्स ऐप पर लगातार भड़काऊ मैसेज का शेयर होना चिंता का विषय है। मंत्रालय ने कहा कि कंपनी अपनी जिम्मेदारी और जवाबदेही से बच नहीं सकती। नाम ना बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि अगर वॉट्सऐप इसे लेकर कोई कदम नहीं उठाता तो मजबूरन सरकार को कोई कदम उठाना पड़ेगा। पिछले कुछ दिनों फेक वीडियोज और मैसेज के चलते देश कई राज्यों में मॉब लिंचिंग की घटनाएं समाने आई हैं। जिनमें कर्नाटक, असम, महाराष्ट्र और गुजरात शमिल आठ राज्य शामिल हैं।

बता दें कि मॉब लिंचिंग का ताजा मामला महाराष्ट्र में सामने आया है जहां बच्चा चोरी करने की अफवाह के चलते भीड़ ने पांच लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी। इससे पहले त्रिपुरा में भी बच्चा चोर गिरोह के शक में एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी जबकि तीन लोग घायल हो गए थे।

गौ रक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी राज्यों पर डालते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की हिंसक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश हेतु दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली। न्यायालय इस पर बाद में फैसला सुनाएगा। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़़ की खंडपीठ ने सख्त शब्दों में कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता। पीठ ने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है और इसके लिये प्रत्येक राज्य सरकार ही जिम्मेदार होगी।

की घटनायें वास्तव में भीड़ द्वारा की जा रही हिंसा है और यह अपराध है। अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पी एस नरसिम्हा ने कहा कि केन्द्र इस समस्या के प्रति सचेत है और इससे निबटने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्य चिंता तो कानून व्यवस्था बनाये रखने की है। पीठ ने कहा कि कोई भी कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता और ऐसी घटनाओं की रोकथाम करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।

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