छत्तीसगढ़

08-Aug-2018 12:36:53 pm
Posted Date

छत्तीसगढ़: कांग्रेस में टिकट के लिए एक तरफ दबंगई, दूसरी तरफ परिवारवाद

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में टिकट दावेदारी के लिए एक तरफ दबंगई हुई है तो दूसरी तरफ परिवारवाद का खेल खेला गया है। कुछ वरिष्ठ नेताओं की सीटों पर दूसरे दावेदारों के लिए नो-इंट्री कर दी गई। मतलब, ब्लॉक अध्यक्षों ने दूसरे दावेदारों का या तो आवेदन नहीं लिया या आवेदन लेने के बाद पावती नहीं दी। ऐसे ही एक-दो सीट ऐसी है, जहां एक ही परिवार के दो सदस्यों ने अलग-अलग दावेदारी की है, ताकि किसी एक को टिकट मिलने की संभावना बनी रहे।

पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं की सीट से केवल उनका ही आवेदन जमा हुआ है। अंबिकापुर के विधायक और नेता-प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव के सामने कोई और नेता दावेदारी नहीं करेगा, यह तो वहीं के नेताओं ने फैसला लिया था। दूसरे प्रमुख नेताओं ने ब्लॉक अध्यक्षों को कस दिया, कि वे उनके क्षेत्र से किसी और दावेदार का आवेदन न लें। जैसे साजा से पूर्व विधायक और पूर्व नेता-प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे का ही आवेदन जमा हुआ है।

स्थानीय नेताओं का आरोप है कि यहां के ब्लॉक अध्यक्ष ने दूसरे दावेदारों को आवेदन ही उपलब्ध नहीं कराया। ऐसे ही पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल का भी पाटन विधानसभा क्षेत्र एकमात्र आवेदन जमा हुआ है। पाटन क्षेत्र के स्थानीय नेताओं के मुताबिक एक और दावेदार तोपसिंह वर्मा ने भी आवेदन दिया है, लेकिन ब्लॉक अध्यक्ष ने उसे आवेदन जमा करने पर पावती नहीं दी है। 

पार्टी के नेताओं का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व इस बार वरिष्ठ नेताओं की भी टिकट काटकर केवल जिताऊ प्रत्याशी को मैदान में उतारना चाहता है। इस कारण ब्लॉक कमेटी में आवेदन लिया जा रहा है। यहां से आवेदन जिला कमेटी, प्रदेश कमेटी, प्रदेश चुनाव कमेटी से होकर केंद्रीय स्क्रीनिंग कमेटी तक पहुंचेगा। जिन विधानसभा क्षेत्रों से एक-एक नाम जाएगा, वहां प्रत्याशी तय माना जाएगा।

पार्टी के नेताओं का आरोप है कि वरिष्ठ नेताओं ने दूसरे नेताओं का आवेदन जमा ही नहीं होने दिया है। अभनपुर विधानसभा से विधायक धनेंद्र साहू और कोंटा विधानसभा से भी विधायक कवासी लखमा का ही आवेदन जमा हुआ है। टिकट पाने के लिए कांग्रेस नेताओं ने एक और नीति पर काम किया है। जैसे कि दंतेवाड़ा से विधायक देवकी कर्मा का टिकट पक्का माना जा रहा है। उन्होंने तो दावेदारी की ही है, उनके पुत्र छविंद्र कर्मा ने भी आवेदन जमा किया है। बाकी सारे विधायकों ने अपनी-अपनी सीट से आवेदन जमा किया है। 

सिंहदेव की भतीजी की बैकुण्ठपुर से दावेदारी

प्रदेश के पहले वित्त मंत्री रामचंद्र सिंहदेव की भतीजी अंबिका सिंहदेव ने बैकुण्ठपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए आवेदन भरा है। यहीं से 2008 और 2013 की कांग्रेस प्रत्याशी वेदांती तिवारी ने फिर से दावेदारी की है। पिछली बार केवल 1069 वोट से हारे थे। यहां से 11 और दावेदार हैं।

मंत्री अमर के खिलाफ 49 दावेदार, चचेरे भाई का भी आवेदन

बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक मंत्री अमर अग्रवाल हैं, जिन्हें चुनौती देने के लिए कांग्रेस से 49 दावेदारों ने आवेदन जमा किया है। वहीं, मंत्री अमर अग्रवाल के चचेरे भाई और रायगढ़ के उद्योगपति मुरली अग्रवाल ने रायगढ़ और चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र से आवेदन जमा किया है। पिछले चुनाव में इनकी रायगढ़ से दावेदारी थी, लेकिन पार्टी ने विधायक होने के नाते शक्राजीत नायक को टिकट दिया था।

कोटा से रेणु के अलावा 12 दावेदार

कोटा विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक डॉ. रेणु जोगी ने अपने एक समर्थक के माध्यम से आवेदन भिजवाया तो ब्लॉक अध्यक्ष ने उसे टीप करके रख लिया। इस पर पीसीसी से सुझाव लिया जाएगा। इनके अलावा कोटा से दर्जनभर और दावेदार हैं। इसमें पीसीसी प्रवक्ता शैलेश पांडेय, युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष उत्तम वासुदेव, इस्तीफा देने वाले डीएसपी विभोर सिंह भी शामिल हैं।

अमित जोगी की सीट से पूर्व न्यायाधीश की दावेदारी

मरवाही के विधायक अभी अमित जोगी हैं, जिन्हें कांग्रेस ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इनकी विधानसभा सदस्यता खत्म करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को आवेदन भी दिया जा चुका है। अब कांग्रेस यहां से नया प्रत्याशी उतारेगी। मरवाही से 15 नेताओं ने दावेदारी की है, जिसमें से एक पूर्व न्यायाधीश प्रमोद परस्ते भी हैं।

 

बिना इस्तीफा जिलाध्यक्ष का आवेदन जमा

पीसीसी ने जिला और ब्लॉक अध्यक्षों को इस्तीफा देने के बाद ही दावेदारी करने के लिए कहा था। इस कारण तीन जिलाध्यक्ष और तीन ब्लॉक अध्यक्षों ने इस्तीफा भी दिया, लेकिन जांजगीर-चांपा के जिलाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने इस्तीफा दिए बिना आवेदन पेश किया और ब्लॉक अध्यक्ष ने उसे स्वीकार भी कर लिया है।

 

दावेदारों की स्थिति

मरवाही से 15, कोटा से 15, मस्तूरी से 20, बिल्हा से 24, तखतपुर से 32, बिलासपुर से 49, बेलतरा से 72, डौंडीलोहारा से 5, बेमेतरा से 17, वैशालीनगर से 46, दुर्ग ग्रामीण से 35, दुर्ग शहर से 27, अहिवारा से 11, जांजगीर चांपा से 19, पामगढ़ से 24, जैजैपुर से 27, अकलतरा से 31, सक्ती से 69, चंद्रपुर से 23, भानुप्रतापपुर से 20, कांकेर से 18, अंतागढ़ से 10, कोरबा से पांच, पाली-तानाखार से पांच, कटघोरा से 40, रामपुर से 11, प्रेमनगर से 34, सीतापुर से 12, लुण्ड्रा से 21, सामरी से 10, भटगांव से 10, रामानुजगंज से चार, प्रतापपुर से 11, महासमुंद से 40, सरायपाली से 24, बसना से छह, राजिम से सात, जगदलपुर से 42, चित्रकोट से 11, बस्तर से तीन, नारायणपुर से 16, कोंडागांव से तीन, केशकाल से 16, दंतेवाड़ा से दो, कोंटा से एक, कसडोल से 15, रायगढ़ से 36, सारंगढ़ से 27, लैलुंगा से नौ, धरमजयगढ़ से दो, खरसिया से दो, राजनांदगांव से 33, खुज्जी से 40, मोहला मानपुर से आठ, खैरागढ़ से 28, डोंरगगांव से 33, डोंगरगढ़ से 29, बालौदाबाजार से 15

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