छत्तीसगढ़

04-Jan-2019 1:01:21 pm
Posted Date

अपराध पीडि़त महिलाएं चलाएंगी ई-रिक्शा, छात्राएं करेंगी सवारी

0-बिलासपुर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले आईपीएस व एसपी आरिफ
0-एच.शेख ने जाते-जाते एक और मुहिम शुरू की है।

बिलासपुर, 04 जनवरी ।  कम्युनिटी व सोशल पुलिसिंग के लिए बिलासपुर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले आईपीएस व एसपी आरिफ एच.शेख ने जाते-जाते एक और मुहिम शुरू की है। रोटरी क्लब ऑफ क्वींस इंटरनेशनल के साथ मिलकर पुलिस अब अपराध पीडि़त महिलाओं को स्वरोजगार मुहैया कराने के लिए उन्हें ई-रिक्शा दिलाएगी। इसके लिए 20 महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। साथ ही
स्कूल-कॉलेज की छात्राएं उनकी नियमित यात्री होंगी। आईपीएस आरिफ एच शेख ने बताया कि बिलासपुर में काम करने के लिए उन्होंने कई महत्वपूर्ण योजनाएं तैयार की थीं, जिन्हें पूरा नहीं करने का मलाल है। अब उनका तबादला पुलिस मुख्यालय हो गया है। लेकिन, उन्हें इस बात की खुशी है कि जाते-जाते एक नई मुहिम शुरू हो रही है। उन्होंने रोटरी क्लब ऑफ क्वींस इंटरनेशनल के साथ मिलकर पिंक लाइन प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना बनाई थी। क्लब की महिला सदस्यों से इस योजना को लेकर उन्होंने सहयोग मांगा था। क्लब की सदस्यों ने पुलिस के साथ मिलकर कुछ काम करने की बात कही थी। इसके लिए उन्होंने 15 लाख रुपए मुहैया भी कराई है। शेख ने बताया कि इस राशि से ई-रिक्शा खरीदी की गई है, जिन्हें आपराधिक प्रकरणों में शिकार 20 महिलाओं को स्वरोजगार दिलाने के लिए दी जाएगी। इससे पहले चयनित महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस योजना की मॉनिटरिंग पुलिस के साथ रोटरी क्लब की महिलाएं करेंगी। इससे महिलाओं को रोजगार के नए साधन उपलब्ध होंगे। पुलिस की ओर से मिलेगी पिंक वर्दी : पिंक लाइन प्रोजेक्ट के तहत संचालित ई-रिक्शा का रंग गुलाबी रहेगा। इसके साथ ही इसे संचालित करने वाली
महिलाओं को भी पुलिस की ओर से पिंक वर्दी तैयार कर दी जाएगी। ताकि उनकी अलग पहचान हो सके। पुलिस लाइन में होगा ई-रिक्शा का मेंटनेंस एसपी शेख ने बताया कि योजना के तहत पहले चरण में 10 ई-रिक्शा की खरीदी की गई है। पीडि़त महिलाओं को प्रशिक्षित करने के बाद ई-रिक्शा मुफ्त में मुहैया कराई जाएगी। लेकिन, इसके मेंटनेंस के लिए उन्हें प्रतिमाह एक हजार रूपये जमा करने होंगे। ई-रिक्शा के लिए पुलिस लाइन में स्टैंड बनाया जाएगा और एमटी शाखा में उनकी चार्जिंग व मरम्मत भी हो सकेगी।  
सवारी के लिए नहीं पड़ेगा भटकना : ई-रिक्शा की सवारी स्कूल-कॉलेज की छात्राएं करेंगी। इससे पीडि़त महिलाओं को सवारी बटोरने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। इसके लिए उन्होंने कई स्कूल-कॉलेज प्रबंधन से चर्चा की है। स्कूल-कॉलेज की छात्राएं निजी वाहन या ऑटो में सफर करती हैं। लेकिन, ई-रिक्शा उन्हें घर तक लाने- ले जाने का काम करेगी और उन्हें भी सहुलियत होगी।

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