बिलासपुर, 02 जनवरी । 16 साल बाद शहर में एक बार फिर बिलासपुर विकास प्राधिकरण अस्तित्व में आएगा। सीएम भूपेश बघेल की घोषणा के बाद गठन की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। चर्चा तो इस बात की भी है कि विधानसभा सत्र के बाद शासन स्तर पर बीडीए गठन की तैयारी शुरू हो जाएगी । बीडीए के दोबारा पटरी में आने की घोषणा के बाद अब दावेदारों को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। सीएम बघेल के बेहद करीबी व पीसीसी के महामंत्री अटल श्रीवास्तव की दावेदारी सबसे ज्यादा मजबूत मानी जा रही है।
वर्ष 2002 में छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने विकास प्राधिकरण को गैर जरूरी बताते हुए भंग कर दिया था। रायपुर के अलावा बिलासपुर विकास प्राधिकरण को भी इसी दायरे में रखा गया था। बीडीए भंग करने के साथ ही अधिकारी व कर्मचारियों के अलावा प्राधिकरण की संपत्ति को भी निगम के हवाले कर दिया गया था। बीडीए को समाप्त हुए 16 साल हो गए हैं। 16 साल बाद एक बार फिर गठन की सुगबुगहाट शुरू हो गई है। सोमवार 31 दिसंबर को एक दिवसीय प्रवास पर आए मुख्यमंत्री बघेल ने पीसीसी महामंत्री अटल श्रीवास्तव की मांग पर बिना किसी हिचकिचाहट के बीडीए गठन की सहमति देने के साथ ही मंच से घोषणा भी कर दी । बिलासपुर संभाग की राजनीति पर गौर करें तो सीएम बघेल के सबसे करीबियों में पीसीसी के महामंत्री अटल श्रीवास्तव की गिनती होती है। बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिला पाने में सियासीतौर पर कमजोर पडऩे का एहसास सीएम को अब भी है। यही कारण है कि उनकी एक मांग पर तत्काल बीडीए को अस्तित्व में लाने की घोषणा कर दी । घोषणा के पीछे के राजनीतिक संदेश को पढऩे वाले यह मानकर चल रहे हैं कि डेढ़ दशक बाद अस्तित्व में आने वाले बीडीए के अध्यक्ष पीसीसी महामंत्री अटल श्रीवास्तव ही होंगे । बहरहाल सीएम की घोषणा के बाद से बीडीए चेयरमैन से लेकर उपाध्यक्ष और संचालक मंडल में जगह पाने दावेदारों की सक्रियता भी बढऩे लगी है। दावेदार अपने संपर्क सूत्रों के माध्यम से संभावना भी तलाशने लगे हैं।
0 नए सिरे से बनेगी कार्ययोजना
बीडीए गठन के बाद एक तकनीकी दिक्कत ये कि पूर्व के बीडीए के कार्यालय से लेकर परसंपत्तियों को शासन ने निगम को दे दिया है। नगर निगम ने बीडीए की आधे से ज्यादा भूखंडों व भवनों को बेच दिया है। बीडीए की संपत्ति ही निगम के आर्थिक स्रोत का एकमात्र कारण है । लिहाजा शासन को नए सिरे से कार्ययोजना बनानी होगी। कार्यालय से लेकर अधिकारी व कर्मचारियों के सेटअप को लेकर भी नए दिशा निर्देश जारी हो सकते हैं।
0 सीएम के संकेत के पीछे बड़ा कारण
सीएम भूपेश बघेल ने बीडीए गठन के साथ ही बिलासपुर नगर निगम सीमा के विस्तार का ऐलान भी किया है। निगम सीमा विस्तार के पीछे बीडीए के लिए जमीन तैयार करना माना जा रहा है। निगम सीमा के भीतर 92 गांवों को शामिल करने नगर तथा ग्राम निवेश विभाग ने मास्टर प्लान बनाया है। मास्टर प्लान के अनुसार निगम सीमा के विस्तार के साथ ही बीडीए की योजनाओं को लागू करने सीमा तय की जाएगी ।
0 जब तक भाजपा की सत्ता रही बीडीए की बात भी नहीं उठी
प्रदेश में जब तक भाजपा की सत्ता रही बिलासपुर विकास प्राधिकरण गठन की बात भी नहीं उठ पाई । तब प्रदेश की राजनीति में तत्कालीन मंत्री अमर अग्रवाल का दबदबा था। शहर विधानसभा क्षेत्र में दूसरी ताकत उभरने न देने की गरज से प्राधिकरण की बात कभी उठने ही नहीं दी। उनका प्रभाव ऐसा कि भाजपा के दिग्गज पदाधिकारी भी प्राधिकरण गठन की मांग करने का हिम्मत भी नहीं जुटा पाए थे। संगठन में भी कमोबेश कुछ इसी तरह का प्रभाव रहा। शहर अध्यक्ष की कुर्सी को खत्म कर उन्होंने बिलासपुर शहर को छह अलग-अलग मंडलों में खंडित कर दिया । मंडल बनने से संगठन में भी दूसरी ताकत उभर नहीं पाई । मंडल अध्यक्षों की भूमिका अपने मंडलों तक सिमट कर रह गई थी।