० पर्यटन विभाग का कभी इस ओर ध्यान ही नहीं गया
जगदलपुर, 28 दिसंबर । अबूझ बस्तर आज भी पूरी तरह अपने आप में कई इतिहास के पन्नें समेटे हुए हैं। इन्हीं में से एक है चित्रकोट जलप्रपात के पास स्थित इंद्रावती और नारंगी नदी के संगम स्थल पर करीब एक सहस्त्र वर्ष से भी पुराना चोंगीघाट के समीप ही स्थित बांदरगढ़ का किला है, जिसमें आज भी भगवान विष्णु, गौरी और भगवान पाश्र्वनाथ की अप्रतिम प्रतिमायें विद्यमान हैं। लेकिन इतिहास के इस उज्जवल पक्ष को बस्तर आने वाले पर्यटक व स्वयं बस्तर के लोग ही नहीं देख पाये हैं। प्रचार-प्रसार की उचित व्यवस्था न होने और यहां का पहुंच मार्ग दुर्गम होने से लोगों की दृष्टि इस ओर नहीं गई है।
उल्लेखनीय है कि संभागीय मुख्यालय से मात्र 35 किमी दूर ग्राम बांदरगढ़ विद्यमान है। चित्रकोट जलप्रपात के पास होने से और समीप ही नारंगी तथा इंद्रावती नदी के संगम स्थल पर चोंगीघाट पर पुल बन चुका है। जिससे इस पार से उस पार आसानी से जाया जा सकता है। इसी संगम के समीप यह किला है। इस किले के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं। पत्थर और मिट्टी से बने इस किले में अंदर पुरानी मूर्तियां स्थित हैं। इस संबंध में इतिहासकार जानकारी देते हैं कि 1050 वर्ष से भी अधिक पूर्व यहां पर नागवंशी शासक मधुरांतक का शासन था और इस समय यह जगह सुरक्षित मानकर उसमें समीप ही पूर्व शासकों के द्वारा बनवाये गये इस किले को अपना ठिकाना बनाया था। उसके बाद उसने कतिपय कारणों से इस किले को छोड़ दिया। यहां के ग्रामीणों ने उस नागवंशीय शासक मधुरांतक की कथा अभी तक परंपरा से जारी रखी है। इस किले तक चोंगीघाट से नाव द्वारा बांदरगढ़ पहुंचा जा सकता है। इस किले की ओर न तो अभी तक पुरात्तव विभाग और न पर्यटन विभाग की दृष्टि गई है। जिससे आज भी यह किला लोगों की नजरों से दूर है।