छत्तीसगढ़

16-Dec-2018 1:00:36 pm
Posted Date

जैविक खेती का महत्व बताते हुए उत्पादन बढ़ाने पर दिया जोर

महासमुंद, 16  दिसम्बर ।  जिले के पिथौरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम सेवईया कला में महिला स्व सहायता समूहों के सदस्यों को संस्था निदान सेवा परिषद द्वारा जैविक खेती के महत्व बताते हुए उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया। उपरोक्त कार्यशाला में ग्राम सेवईया के महिला स्व सहायता समूहों को उत्पादन कर खेती करने पर सहमति प्रदान किया गया। वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन तथा प्रयोग की विधि की जानकारी देते हुए मास्टर ट्रेनर विकास छत्तर द्वारा बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में कम लागत पर अधिक आय आधारित व्यवसाय है। वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चा माल स्थानीय स्तर पर सरलता से उपलब्ध होता है।
कम्पोस्ट उत्पादन से ग्राम में स्वच्छता के साथ-साथ जैविक उत्पादन के प्रति जागरूकता का एक अच्छा माहौल तैयार हो सकेगा। वर्मी कपोस्ट उत्पादन की खासियत स्थानीय कच्चा मॉल तथा स्थानीय बाजार उपलब्ध  है। वर्तमान में कृषि कार्य में रसायनिक खाद का अंधाधुंध प्रयोग किया जा रहा है, जिसका दुष्परिणाम मानव जीवन पर सीधा पड़ रहा है। साथ ही पर्यावरण प्रदूषण खेती योग्य भूमि पूरी तरह से नष्ट हो रही है, जैविक खाद के उपयोग से अनेक लाभ हैं। इसके प्रयोग से धन लाभ स्वास्थ लाभ तथा पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है। उपरोक्त कार्यशाला में स्व सहायता समूह की महिलाओं ने स्वयं से होकर रुचि ली। समूह की महिलाओं द्वारा आर्थिक सशक्तिकरण के साथ-साथ अच्छे स्वास्थ का निर्माण होगा। कार्यशाला में निदान सेवा परिषद संचालक सुरेश शुक्ला, विकासखंड समन्वयक नूरी निशा तथा स्व सहायता समूह की महिलाएं उपस्थित रहीं।

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