छत्तीसगढ़

15-Dec-2018 11:45:26 am
Posted Date

बस्तर में लुप्तप्राय हुई सिंदूरी नामक वनस्पति

बस्तर में लुप्तप्राय हुई सिंदूरी नामक वनस्पति 
जगदलपुर, 15 दिसंबर । जिस सिंदूरी से खाद्य पदार्थो में मिलाने का रंग प्राप्त होता है और जिसके माध्यम से मिठाईयां सजीली और रंगीन होती है, वह सिंदूरी अब बस्तर से समाप्त हो चुकी और अब इसके रोपण की भी कोई पहल वन विभाग नहीं कर रहा है। 
जानकारी के अनुसार करीब 15 वर्ष पूर्व बस्तर में शुरू किया गया सिंदूरी से खाने का रंग बनाने का उपक्रम सिंदूरी के पौधों को जलाऊ के नाम पर बेदर्दी से काटा गया और आज यह यहां से लुप्त हो गया है।  इससे जलेबी रंग बनाने की योजना पर पानी फिर गया है।
उल्लेखनीय है कि समीपवर्ती ग्राम बिलोरी में 15 हेक्टेयर वन भूमि में सिंदूरी के हजारों पौधें लगाये गये थे। ग्रामीणों ने  वन विभाग के द्वारा नहीं समझाये जाने से उन्हें जलाऊ समझ कर काट दिया है और बस्तर के जिन गांवों में सिंदूरी की लाखों झाडिय़ां थीं, उन्हेंं ग्रामीणों ने इसके बीज को 75 रुपये प्रति किग्रा की दर से बेचकर अब इनकी झाडिय़ों पर ही कुल्हाड़ी चलाकर अपनी आय का एक माध्यम ही समाप्त कर दिया है। इससे जहां-जहां इसका रोपण हुआ था उन सभी स्थानों से अब सिंदूरी के पौधे देखने में भी नहीं आते और यह लगभग समाप्त हो गई है। इन सब के चलते सिंदूरी बस्तर में लुप्तप्राय: वनस्पति की श्रेणी में आ गई है। 

Share On WhatsApp