जगदलपुर, 13 दिसंबर । बस्तर का प्राकृतिक सौंदर्य जलप्रपातों से और अधिक बढ़ जाता है लेकिन जब वे जलप्रपात ही अपना सौंदर्य खो दे तो बस्तर का यह प्राकृतिक सौंदर्य आधा-अधूरा और बेकार हो जाता है। कुछ ऐसी ही स्थिति आज बस्तर में विशेष रूप से संभागीय मुख्यालय के पास स्थित जलप्रपातों में दिख रही है।
मुख्यालय के पास स्थित 35 किलोमीटर दूर सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र चित्रकोट जलप्रपात की वह सुंदरता आज वह नही रही जो वर्षा के समय दिखाई देती है। इसी प्रकार पास ही स्थित कांगेर घाटी में बना तीरथगढ़ जलप्रपात भी अपनी सुंदरता खोता जा रहा है। इन जलप्रपातों में इस वर्ष अभी से ही पानी की कमी हो रही है और जलप्रपातों की गिरने वाली मोटी धारा पतली होकर अपना सौंदर्य खो चुकी है।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष बस्तर में वर्षा की मात्रा कम हुई है और कम मात्रा से इन जलप्रपातों में आने वाला नदी व नालों का पानी भी कम हो गया जिसके कारण जलप्रपातों में पानी की मात्रा कम हो गई है । कुछ स्थानीय विशेषज्ञों ने आशंका व्यक्त की है कि ठंड की शुरूआत में पानी का कम होना आने वाली गर्मी के मौसम में इन जलप्रपातों का अस्तित्व ही संकट में डाल सकती है। इससे भारत सहित प्रदेश में आकर्षण का केन्द्र चित्रकोट जलप्रपात की सुंदरता को गर्मी में शायद ही लोग देख सकेंगे। इसी प्रकार की स्थिति तीरथगढ़ जलप्रपात की हो रही है।