छत्तीसगढ़

08-Dec-2018 12:26:16 pm
Posted Date

नहर के लिए किया जमीन अधिग्रहण, 17 वर्ष बाद भी नहीं दिया मुआवजा

बिलासपुर, 08 दिसंबर ।  हाईकोर्ट ने नहर के लिए जमीन अधिग्रहण करने के 17 वर्ष बाद भी भूमि स्वामियों को मुआवजा नहीं देने को गंभीरता से लिया है। मामले में जवाब देने जल एवं संसाधन विधायक सचिव को व्यक्तिगत रूप से तलब किया गया है। अगली सुनवाई नौ जनवरी को होगी।
जांजगीर-चांपा जिले के हसौद क्षेत्र के ग्राम मरघट्टी निवासी किसान रूपनारायण चंद्रा समेत अन्य की जमीन 2001 में मिनीमाता बांगो हसदेव परियोजना की नहर बनाने के लिए अधिग्रहण की गई थी। 17 वर्ष बाद भी मुआवजा नहीं दिए जाने पर किसानों ने अधिवक्ता योगेश चंद्रा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।
कोर्ट ने मामले में शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। पिछली सुनवाई में शासन की ओर से बताया गया कि भूमि अधिग्रहण के लिए सरकार ने आपसी सहमति से भूमि क्रय नीति 2016 बनाई है। इस नीति के तहत भूस्वामी को मुआवजा दिया जाएगा।
इस पर हाईकोर्ट ने कहा किसानों की जमीन 2001 में ली गई और मुआवजा 2016 के नियम से कैसे दिया जाएगा। कोर्ट ने सरकार को भूमि अधिग्रहण नियम 2013 की पुनर्वास नीति के अनुसार मुआवजा देने का आदेश दिया। मामले में 28 नवंबर को जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा के कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने जमीन लेने के वर्षों बाद भी मुआवजा नहीं देने को गंभीरता से लिया है। जल एवं संसाधन विभाग के सचिव को जवाब देने तलब किया है।

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