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० नदी किनारे के गांवों में समाप्त हुआ मछली पालन का कारोबार
जगदलपुर, 02 दिसंबर । ओडि़शा से बहकर आने वाली बस्तर की जीवन रेखा इन्द्रावती नदी में लगातार पानी की कमी होती जा रही है और इससे कई परंपरागत मछलियों की प्रजातियां व जीव जंतु या तो अपना अस्तित्व खो चुके हैं या खत्म हो गये हैं। इससे गंभीर पर्यावरणीय समस्यायें भी खड़ी हो रही है।
इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार इस नदी का प्रवाह छग के बस्तर भू-भाग में करीब 234 किमी क्षेत्र में होता है। पहले के समय में इस नदी में विभिन्न प्रकार की मछलियों की प्रजातियां पाई जाती थीं। वहीं कई प्रकार के केकड़ों की प्रजातियों को ग्रामीण पकडक़र अपना पेट पालते थे। नदी में पानी की कमी से कई प्रकार की मछलियों की नस्ल आज समाप्त हो चुकी हैं, अब इन्द्रावती में पहले की तरह मछलियां नहीं मिलती।
इस संबंध में स्थानीय नदी किनारे बसे गांवों के जिसमें तामाकोनी, कालीपुर, घाट पदमूर, कुडक़ानार आदि ग्रामीणों ने जानकारी दी कि कभी इन्द्रावती में बालिया, कार, कोसर, भेण्डिया, बाम्बर, पेटला, टेंगना आदि परंपरागत मछलियां खूब मिलती थीं, लेकिन अब यहां पहले की तरह मंडिया केकड़ा भी नहीं मिलता, इसलिए नदी किनारे के गांवों में ही मछली पालन व्यवसाय ही समाप्त हो गया है।
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