जगदलपुर, 29 दिसंबर । पिछले तीन दिनों से अचानक ठंड में भारी वृद्धि हुई है तथा पारा गिर गया है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार राजस्थान पर प्रतिचक्रवात का सिस्टम बनने के कारण प्रदेश में आ रही हवाएं पूरी तरह से उत्तरीय हैं। जो ठंड में भारी वृद्धि कर रही हैं। ठंड में भारी परिवर्तन के कारण तापमान में गिरावट आई है।
सर्दी के लिए सहायक अलग-अलग सिस्टम के अन्तर्गत मौसम खुला हुआ है तथा आकाश से बादल गायब हैं। नमी नहीं होने के कारण ठंड आगामी दिनों में और भी अधिक बढ़ेगी, इसके अलावा उत्तर भारत से आ रही हवाओं के कारण ठंड में वृद्धि हुई है। सर्दी पकड़ते ही गर्म कपड़ों की खरीददारी बढ़ गई है, जिसके कारण ऊनी वस्त्रों के व्यवसायी खुश हैं। पिछले तीन दिनों में रात का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस तक कम हुआ है। अन्य स्थानों की तुलना में यह गिरावट बस्तर में 10 डिग्री सेल्सियस गिरने की वजह से बस्तर में बहुत ठंड पड़ रही है। न्यू नरेंद्र टाकीज के पास नेपालियों ने जो दुकानें लगा रखी हैं उसमें देर रात तक गर्म कपड़ों की खरीद फरोख्त तेजी से जारी है। ब्राडेंड कंपिनयों के स्वेटर, शाल तथा जैकेटों की बिक्री में ईजाफा हुआ है। पिछले 15-20 दिनों से अधिक ठंड न होने के कारण लोग अपने-अपने गर्म कपड़े नहीं निकाल रहे थे, लेकिन अब ठंड बढऩे के कारण बक्सों से महिला-पुरूष व बच्चों के गर्म ऊनी कपड़े बाहर निकल चुके हैं।
तापमान निरंतर गिरने से समूचा बस्तर शीतलहर की गिरफ्त में आ गया है। मौसम में पहली बार बस्तरवासी कोहरे के बीच स्वयं को ठिठुरता पा रहे हैं। देर रात छाया कोहरा सुबह 7 बजे तक फैला रहता है। मोती के समान चमकती ओस की बूंदें घॉस पर सूरज निकलने के बाद तक मुंह चिढ़ाती रहती हैं। कड़ाके की ठंड की वजह से शाम के समय धुंधलका जल्दी घिर आता है, जो सभी को ठंड की आगोश में जकड़ लेता है। हवाएं और सर्द होती जा रही हैं। इस मौसम वर्ष में ठंड का नया कीर्तिमान बना है। ठंड का असर दिन में भी महसूस होने लगा है। दिन में भी गर्म कपड़ों का सहारा लेना पड़ रहा है। दिन की धूप भी अब दोपहर में ही राहत देती है। शीत का प्रकोप बढऩे से रात की पाली में रोजी रोटी कमाने वालों का असर पडऩे लगा है। ठंड को जहां उच्च वर्ग फैशन का मौसम मानकर गर्म कपड़ों का भरपूर लुत्फ उठा रहा है, वहीं गरीब तबका उपलब्ध वस्त्रों, चिथड़ों तथा गुदडिय़ों को लपेटकर ठंड से राहत पाने का प्रयास करता नजर आता है। इन दिनों सुबह उठकर व्यायाम एवं पदयात्रा करने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है।