छत्तीसगढ़

28-Nov-2018 12:54:39 pm
Posted Date

नेशनल लोक अदालत का आयोजन 8 दिसम्बर को

कोरबा 28 नवम्बर । राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार दिनांक 08 दिसम्बर 2018 को सभी मामलों से संबंधित नेशनल लोक अदालत का आयोजन जिला न्यायालय परिसर कोरबा, व्यवहार न्यायालय कटघोरा एवं पाली में किया जायेगा। 
श्री राकेश बिहारी घोरे, जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा मोटर दुर्घटना दावा प्रकरणों के राजीनामा के आधार पर निराकरण किये जाने के प्रयोजनार्थ 27 नवंबर को समस्त बीमा कंपनी के शाखा प्रबंधक एवं अधिवक्तागण की प्रीसिटिंग बैठक जिला न्यायालय कोरबा के विडियों कान्फेसिंग कक्ष में आयोजित की गई।  28 नवंबर को एन.आई. एक्ट एवं फायनेंस कंपनी के शाखा प्रबंधकों/अधिवक्तागण की बैठक विडियों कान्फेंसिंग कक्ष में दोपहर 2.00 बजे ली जायेेगी। इसके अतिरिकत उक्त लोक अदालत में राजीनामा योग्य आपराधिक प्रकरण, एनआई एक्ट यू/एस 138, बैंक वसूली, मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण, वैवाहिक एवं श्रम विवाद, भू-अर्जन प्रकरण,  विद्युत एवं जल बिल एवं अन्य सर्विस मेटर एवं अन्य व्यवहारवाद प्रकरण एवं अन्य राजीनामा योग्य प्रकरण रखे जावेंगे। 
उक्त राष्ट्रीय लोक अदालत में 31 मार्च 2018 की स्थिति में विच्छेदित निष्क्रिय उपभोक्ताओं के लंबित विद्युत देयकों में शामिल अधिभार की राशि में छूट हेतु प्रोत्साहन योजना 2018 प्रभावशील है।  योजना के अंतर्गत निम्न दाव के सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं के निष्क्रिय बकाया राशि वालो पर अधिभार की छूट प्रदान की गई है।  संपूर्ण सरचार्ज राशि की छूट उपभोक्ताओं को तभी प्राप्त हो सकेगी तब उसके द्वारा संपूर्ण मूल राशि का भुगतान एक मुश्त अथवा किश्तों में कर दिया जावेगा। जो भी पक्षकार राजीनामा के माध्यम से अपने लंबित प्रकरणों को लोक अदालत के माध्यम से निराकरण कराना चाहते है वे पक्षकार अपने प्रकरण को संबंधित न्यायालय में उपस्थित होकर नेशनल लोक अदालत में रखे जाने हेतु निवेदन कर सकते है। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा बताया गया है कि न्यायालय में प्रस्तुत होने वाले मामले जिनमें कोर्ट फ ीस चस्पा है उन प्रकरणों में लोक अदालत के माध्यम से निराकरण होता है उक्त प्रकरणों में कोर्ट फीस वापसी का प्रावधान है, साथ ही लोक अदालत में निराकरण होने वाले प्रकरणों में किसी भी न्यायालय में अपील स्वीकार्य नहीं होती। 

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