खेल-खिलाड़ी

मैं उनमें से हूं जो अपने सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं : स्वीटी बूरा
Posted Date : 14-Jul-2021 12:07:56 pm

मैं उनमें से हूं जो अपने सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं : स्वीटी बूरा

जयपुर ,14 जुलाई । जिनके इरादे मजबूत होते हैं वे हमेशा अपना रास्ता खोज लेते हैं और यह बात भारतीय मुक्केबाज स्वीटी बूरा पर स्पष्ट रूप से लागू होती है। 2009 में अपने गृहनगर (हिसार) में कबड्डी खेलने वाली एकमात्र लडक़ी होने से लेकर, बॉक्सिंग को चुनने तक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने तक, स्वीटी ने निश्चित रूप से एक लंबा सफर तय किया है।
स्पोर्ट्स टाइगर की नई इंटरव्यू सीरीज मिशन गोल्ड पर बातचीत के दौरान उन्होंने अपने सफर के बारे में बताया। बॉक्सिंग चुनने वाली एकमात्र लडक़ी के रूप में बड़ा होना थोड़ा मुश्किल था। लेकिन खेल के प्रति अटूट जुनून ने स्वीटी को आगे बढ़ाया। हालाँकि, स्वीटी को एक इंजीनियर के रूप में देखना उनके पिता का सपना था, लेकिन उन्होंने वही चुना जिसके प्रति उनका जुनून था और उन्होंने इस क्षेत्र में नई ऊँचाईयां भी हासिल की।
बॉक्सर बनने से पहले स्वीटी राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी खिलाड़ी थीं। लेकिन उनके पिता ने एक बहुत ही खास कारण से उन्हें बॉक्सिंग के लिए प्रेरित किया। उन्होंने हसंकर वह कारण बताया जिसने उन्हें बॉक्सिंग के लिए प्रेरित किया और कहा, मैंने बॉक्सिंग को इसलिए चुना क्योंकि मैं स्कूल में बहुत कम बात करती थी लेकिन हर बार जब चीजें गलत होती थीं, तो मैं इसे संभाल नहीं पाती थी। मैं कई बार अपने साथियों को समझाने की कोशिश करती थी, लेकिन फिर भी वे मुझे पलट कर जवाब देते थे तो भी मैं अपने आप को शांत रखने की कोशिश करती थी। लेकिन फिर भी वे नहीं समझते थे तो मैं उनपर मुक्के बरसाती थी।
बॉक्सिंग के प्रति अपने प्यार को महसूस करने के बाद, 2009 में साआई (स््रढ्ढ) में एक ट्रायल दिया और एक प्रशिक्षित बॉक्सर के खिलाफ पहले राउंड में हार गई और तब उनके भाई ने उन्हें यह कहकर चिढ़ाया कि, दिखा दिए उसने दिन में तारे। इसके बाद फिर से उन्होंने हिम्मत जुटाई और अपने प्रतिद्वंद्वी को सिर्फ अपर कट पंच मारकर बाहर कर दिया और इस तरह, उन्होंने अपने बॉक्सिंग करियर की शुरुआत की।
उन्होंने साई में अपनी पहली फाइट को याद करते हुए कहा कि, यह मेरी पहली फाइट थी और कोच ने मेरे भाई और मेरे अंकल से कहा कि मैं इस खेल में काफी ऊँचाईयां हासिल कर सकती हूं। उसके बाद मैंने 15 दिनों तक स्टेट के लिए खेला जहां मैंने स्वर्ण पदक हासिल किया और 3 महीने के भीतर, मैंने राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया जहां मैंने फिर से एक स्वर्ण हासिल किया। और फिर अंत में 2011 में, मैं एक इंटरनेशनल बॉक्सर बन गई और देश के लिए फिर से स्वर्ण पदक हासिल किया। 2012 में, मैंने यूथ कॉम्पिटिशन में भाग लिया और स्वर्ण हासिल किया और मेरे असाधारण प्रदर्शन के कारण वे मुझे सीनियर कैंप में ले गए। मैंने राष्ट्रीय स्तर एवं सीनियर स्तर पर स्वर्ण पदक हासिल किया लेकिन मुझे कोई इंटरनेशनल टूर्नामेंट नहीं दिया गया।
लेकिन 2014 में उनके जीवन ने अलग मोड़ ले लिया, जब उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया और फेडरेशन ने एक घोषणा की जिसने उनके करियर को बदल दिया। उन्होंने कहा, 2014 में, मैं टाइफाइड के कारण बीमार पड़ गई और मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। और उस समय उन्होंने घोषणा की कि जो कोई भी राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता बनेगा, केवल वे ही विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा ले पाएंगे। मेरे डॉक्टर ने मुझे आराम करने की सलाह दी लेकिन खेल के प्रति प्यार ने मुझे आगे बढ़ाया और मैं अस्पताल से भाग गई, 100 मीटर की दौड़ लगाकर ट्रेन पकड़ ली और ट्रेन में बेहोश हो गई। मेरे माता-पिता ने मुझे वापस आने के लिए कहा लेकिन मैं भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए दृढ़ थी और उन्होंने मुझे आगे बढऩे के लिए आशीर्वाद दिया।उसके बाद, 5 दिवसीय राष्ट्रीय टूर्नामेंट में, स्वीटी ने फाइट में सबको हराया और जीत हासिल की, भले ही वह रिंग से दूर होने पर मुश्किल से चल पा रही थी।
2014 विश्व चैंपियनशिप में पोडियम तक के सफर को याद करते हुए, जहां स्वीटी ने रजत पदक जीता था, उन्होंने कहा, विश्व चैंपियनशिप में, मेरे सामने वास्तव में कठिन प्रतिद्वंद्वी थे और वे मेरी वेट कैटेगिरी के लिए ट्रायल करना चाहते थे क्योंकि उन्हें यकीन था कि मैं नहीं जीत पाऊँगी। लेकिन फेडरेशन ने पहले ही घोषणा कर दी थी, इसलिए वे ट्रायल नहीं कर सके। इसलिए उन्होंने चलिफाई करने के बावजूद मुझे या किसी को भी मेरी वेट कैटेगिरी में नहीं लेने का फैसला किया। फिर आखिरी दिन उन्होंने मुझे लेने का फैसला किया। और मैं फाइनल में पहुंची और अपने देश के लिए सिल्वर मेडल जीता।
अधिकांश एथलीटों की तरह, दो बार के एशियाई चैम्पियनशिप पदक विजेता के लिए महामारी का दौर कठिन रहा, हाल ही में 2021 एशियाई चैम्पियनशिप में उन्होंने दुबई में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने उस समय को याद किया और जब वे अकेले अभ्यास कर रही थीं और तैयारियों में जुटी हुई थीं, उन्होंने कहा, हमने एशियाई चैम्पियनशिप 2021 के लिए अपने घरों में अभ्यास किया, हालांकि कैंप का आयोजन किया गया था लेकिन यह केवल ओलंपिक के लिए क़्वालीफाई किये हुए खिलाडिय़ों के लिए था। शिविर में 5 लड़कियों ने भाग लिया, जबकि मेरे सहित 5 ने अपने घरों पर अभ्यास किया। हमें उम्मीद नहीं थी कि हम इस टूर्नामेंट में भाग लेंगे क्योंकि महामारी के कारण आने जाने वाली उड़ानों पर प्रतिबंध था। आखिरी समय में हमें अनुमति मिली और मैंने चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता।
इतनी उपलब्धियों के बावजूद, हिसार की मुक्केबाज़ का भाग्य उनके साथ नहीं रहा क्योंकि इस साल ओलंपिक चलीफिकेशन से ठीक पहले उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा था। तब उन्होंने बॉक्सिंग छोडक़र कबड्डी में लौटने पर भी विचार किया। उन्होंने कहा, मैंने कैंप छोड़ दिया और वापस आ गई क्योंकि मुझे ओलंपिक चलीफाइंग में भाग लेने का मौका नहीं दिया गया। मैं यह सोचकर घर वापस आ गई थी कि अगर मुझे ओलंपिक चलीफिकेशन में भाग लेने का मौका ही नहीं मिला तो खेल को आगे जारी रखने का क्या फायदा मैं विश्व और एशियाई लेवल पर खेल चुकी हूं और कई पदक जीते हैं। केवल एक चीज जो मेरे पास नहीं है वह है ओलंपिक पदक। अगर ऐसा ही था तो मैं कबड्डी खेलने के लिए भी तैयार थी।
लेकिन इसके बाद भी, वह 2024 के पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए काफी दृढ़ निश्चयी हैं और उन्होंने कहा, मैं उनमें से हूं जो अपने सपनों को हासिल करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं । मेरे पास 2024 के ओलंपिक की तैयारी के लिए अभी भी तीन साल और हैं और मैं निश्चित रूप से अगले ओलंपिक में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने की उम्मीद करती हूं।
उन्होंने इस तथ्य पर जोर दिया कि उन्हें अपने साथी खिलाडिय़ों पर बहुत गर्व है जो इस महीने के अंत में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। उन्होंने अपनी शुभकामनाएं भी दीं और कहा, इस महीने से टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहे मुक्केबाजों को शुभकामनाएं। 
अंत में उन्होंने सुझाव दिया कि युवा महिला मुक्केबाजों को अपने सपनों की दिशा में लगातार काम करना चाहिए और किसी को भी उनके इरादों को तोडऩे का प्रयास नहीं करना चाहिए।

भारतीय महिला क्रिकेट टीम पर धीमे ओवर रेट के लिए जुर्माना
Posted Date : 14-Jul-2021 12:07:09 pm

भारतीय महिला क्रिकेट टीम पर धीमे ओवर रेट के लिए जुर्माना

दुबई ,14 जुलाई । भारतीय महिला क्रिकेट टीम पर होव में इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टी-20 मुकाबले में धीमे ओवर रेट के लिए 20 फीसदी मैच फीस का जुर्माना लगाया गया है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने इसकी पुष्टि की है।
निर्धारित समयसीमा को ध्यान में रखने के बाद यह पाया गया कि इंग्लैंड की पारी के दौरान भारतीय टीम ने निर्धारित समय में एक ओवर कम फेंका। परिणामस्वरूप मैच रेफरी फिल व्हिटिसेज ने जुर्माना लगाया है। आईसीसी ने एक बयान में कहा,  खिलाडिय़ों और उनके व्यक्तिगत सपोर्ट स्टाफ के लिए आईसीसी आचार संहिता के अनुच्छेद 2.22, जो धीमे ओवर-रेट उल्लंघन से संबंधित है के अनुसार खिलाडिय़ों पर उनकी मैच फीस का 20 प्रतिशत जुर्माना लगाया जाता है, जब उनकी टीम आवंटित समय में पूरे ओवर डालने में विफल रहती है। 
इस मामले में चूंकि भारतीय टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर ने उल्लंघन की बात स्वीकार की है, इसलिए मामले में औपचारिक सुनवाई नहीं हुई है। उल्लेखनीय है कि भारतीय महिला टीम ने दूसरे रोमांचक टी-20 मुकाबले को आठ रन से जीत लिया था। वह अब बुधवार को चेम्सफोर्ड में आखिरी और निर्णायक टी-20 मैच खेलेगी।

भारत को वल्र्ड कप जिताने वाले पूर्व क्रिकेटर का हार्ट अटैक से निधन
Posted Date : 13-Jul-2021 12:59:22 pm

भारत को वल्र्ड कप जिताने वाले पूर्व क्रिकेटर का हार्ट अटैक से निधन

नई दिल्ली ,13 जुलाई । भारत के पूर्व क्रिकेटर यशपाल शर्मा का निधन हो गया है। उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई। यशपाल शर्मा 1983 में वनडे का पहला वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे थे। उन्होंने अपने करियर में भारत के लिए 37 टेस्ट और 42 वनडे खेले हैं। टेस्ट क्रिकेट में 2 शतक के साथ उन्होंने 1606 रन बनाए हैं, जबकि वनडे क्रिकेट में 883 रन दर्ज है। यशपाल शर्मा को 13 जुलाई के तडक़े दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उनका निधन हो गया। यशपाल शर्मा की उम्र 66 वर्ष थी। यशपाल शर्मा साल 1983 में विश्व कप जीतने वाली टीम का अहम हिस्सा थे। वर्ल्डकप में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ खेले गए पहले मैच में यशपाल शर्मा ने 89 रनों की शानदार पारी खेली थी, जिसमें टीम इंडिया की जीत हासिल हुई थी। इसके अलावा सेमीफाइनल में भी यशपाल शर्मा ने 61 रनों की पारी खेली थी, तब भारत ने इंग्लैंड को मात दी थी। साल 1983 के वर्ल्डकप के बाद यशपाल शर्मा का करियर लगातार ढलान की ओर जाने लगा। खराब परफॉर्मेंस के कारण यशपाल शर्मा को पहले टेस्ट टीम से बाहर निकाला गया, उसके बाद वह वनडे में भी वापसी नहीं कर पाए। आज उनके निधन के देश में शोक की लहर है। 

ठाकुर ने ओलम्पिक भागीदारी की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय बैठक की
Posted Date : 13-Jul-2021 12:59:04 pm

ठाकुर ने ओलम्पिक भागीदारी की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय बैठक की

नयी दिल्ली ,13 जुलाई । केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए भारतीय टीम की तैयारी/भागीदारी की समीक्षा के लिए हुई उच्च स्तरीय समिति की सातवीं बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में युवा मामले एवं खेल राज्य मंत्री निशीथ प्रमाणिक भी उपस्थित थे। बैठक में खेल सचिव रवि मित्तल, साई के महानिदेशक संदीप प्रधान, भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा और खेल विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
बैठक में टोक्यो ओलंपिक के लिए चयनित एथलीटों के लिए विश्व स्तरीय प्रशिक्षण और सुविधाओं सहित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई। अनुराग ठाकुर ने चीयर4इंडिया अभियान की प्रगति और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 13 जुलाई को शाम 5 बजे टोक्यो ओलंपिक के लिए रवाना होने वाले एथलीटों के साथ बातचीत की तैयारियों पर भी चर्चा की ताकि उन्हें अगले खेलों में भाग लेने से पहले प्रोत्साहित किया जा सके। इस वार्ता का दूरदर्शन और विभिन्न सरकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सीधा प्रसारण किया जाएगा।

मेजबान इंग्लैंड का 55 साल का सपना तोड़ इटली बना यूरो कप का विजेता
Posted Date : 13-Jul-2021 12:58:45 pm

मेजबान इंग्लैंड का 55 साल का सपना तोड़ इटली बना यूरो कप का विजेता

लंदन ,13 जुलाई । चार बार की विश्व विजेता फुटबॉल टीम इटली ने यहां वेम्बले स्टेडियम में खेले गए फाइनल में मेजबान इंग्लैंड को पेनल्टी शूटआउट में 3-2 से हरा कर दूसरी बार यूईएफए यूरो 2020 का खिताब जीत लिया। इस जीत से इटली ने इंग्लैंड का 55 साल का किसी बड़े खिताब का सपना पूरा नहीं होने दिया। इंग्लैंड ने इससे पहले 1966 में एकमात्र बार विश्व कप फुटबॉल खिताब जीता था।
इटली ने इससे पहले 1968 में पहली बार यूरो खिताब जीता था। इतना ही नहीं वह 2000 और 2012 में फाइनल में भी पहुंचा था, लेकिन उसे क्रमश: फ्रांस और स्पेन से हार मिली थी। इंग्लैंड और इटली के बीच कांटे का फाइनल हुआ। मैच की शुरुआत हुई थी कि इंग्लैंड के लेफ्ट बैक लुक शॉ ने दूसरे ही मिनट में गोल दाग कर टीम को 1-0 की बढ़त दिला दी, जो यूरो फाइनल में अब तक का सबसे कम समय किया गया गोल है।
इसके बाद जहां इटली के खिलाडिय़ों ने जहां स्कोर को बराबरी पर लाने तो वहीं इंग्लैंड के खिलाडिय़ों ने बढ़त को बनाए रखने और इसे बढ़ाने के लिए हर मुमकिन प्रयास किए, हालांकि दोनों टीमें पहले हाफ में और गोल नहीं कर पाईं, जिसके साथ पहला हाफ 1-0 के स्कोर पर समाप्त हुआ।
इस फाइनल से पहले 33 मैचों में विजयी रही इटली की टीम ने धीरे-धीरे मैच में वापसी की और दूसरे हाफ में प्रभाव दिखाना शुरू किया, जिसका नतीजा 67वें मिनट में गोल के रूप में आया, जब इटली के उप कप्तान एवं सेंटर बैक लियोनार्डो बोनुची ने हेडर को इंग्लैंड के गोलपोस्ट में डाल कर टीम की 1-1 से बराबरी कराई।

इटली ने तोड़ा इंग्लैंड का ख्वाब, पेनल्टी शूटआउट में 3-2 से हराकर जीता खिताब
Posted Date : 12-Jul-2021 12:04:10 pm

इटली ने तोड़ा इंग्लैंड का ख्वाब, पेनल्टी शूटआउट में 3-2 से हराकर जीता खिताब

लंदन ,12 जुलाई । बुकायो साका के पेनल्टी शूटआउट चूकते ही वेंबली स्टेडियम में इंग्लिश फैंस के बीच सन्नाटा पसर गया। इंग्लैंड का पहला यूरो कप खिताब जीतने का ख्वाब अधूरा रह गया और ट्रोफी इटली के साथ रोम चली गई। इंजरी टाइम तक स्कोर 1-1 से बराबर था और फैसला पेनल्टी शूटआउट में हुआ, जहां इटली ने 3-2 से इंग्लैंड को हराकर ट्रोफी पर कब्जा जमा लिया।
हजारों की संख्या में इंग्लैंड को चीयर करने पहुंचे फैंस की आंखों में आंसू थे, खिलाड़ी मायूस थे। दूसरी ओर, इटली का जश्न देखते बन रहा था। इंग्लैंड के स्टार कप्तान हैरी केन और स्टार्लिंग का जादू नहीं चला और आक्रामक तेवर के साथ खेल रही इटली ने अपना दूसरा यूरो कप खिताब जीत लिया। उसने इससे पहले 1968 में ट्रोफी जीती थी। यही नहीं, इटली का यह लगातार 34वां अजेय मैच भी रहा।
22 वर्षीय गियान्लुगी डॉन्नारुम्मा रहे जीत के हीरो
22 वर्षीय गोलकीपर गियान्लुगी डॉन्नारुम्मा ने जिस अंदाज में गोल पोस्ट के सामने मुस्तैदी दिखाई वह काबिलेतारीफ है। उन्होंने कई अहम मौके पर तो टीम को गोल खाने से बचाया ही साथ ही शूटआउट में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए इटली को दूसरी बार यूरो कप का चैंपियन बना दिया। या यूं कह लें कि इंग्लैंड का ख्वाब चकनाचूर कर दिया।
पेनल्टी शूटआउट का रोमांच
इंजरी टाइम तक मुकाबला बराबरी पर रहने के बाद पेनल्टी शूट आउट का पहला शॉट इंग्लिश कप्तान हैरी केन ने लिया और गेंद जाल में उलझा दी। इसके बाद इटली के डॉमेनिको बेरार्डी ने भी गोल दागने में कामयाबी हासिल की। इंग्लैंड के हैरी मैग्यूरे ने भी गोल दागा, जबकि इटली के आंद्रे बेलोटी चूक गए। इंग्लेंड के पास 2-1 की बढ़त थी, लेकिन इसके बाद इटली के लिए बुनाची और फेडेरिको ने दनादन गोल दागते हुए 3-2 का अंतर कर दिया। दूसरी ओर, इंग्लैंड के मार्कस रशफोर्ड, जादोन सांचो और बुकायो साका ऐसा करने में असफल रहे।
ल्यूक शॉ ने दिलाई बढ़त
मैच शुरू हुए दो मिनट ही हुआ था कि के. ट्रिप्पर के जबरदस्त पास पर जर्सी नंबर 3 ल्यूक शॉट ने एक झन्नाटेदार किक जड़ते हुए गेंद जाल में उलझा दिया। शॉट इतना करारा था कि इटली के गोलकीपर डोन्नारुमा को सोचने-समझने का टाइम ही नहीं मिला। यह ल्यूक का पहला इंटरनैशनल गोल भी रहा। इसके साथ इंग्लैंड ने 1-0 की बढ़त बना ली। पहला हाफ का यह इकलौता गोल रहा।
बनुची ने दागा बराबरी का गोल
दूसरे हाफ की शुरुआत इटली ने आक्रामक की। इसका फायदा भी उसे मिला। 1-4-3-3 फॉर्मेशन के साथ खेल रही इतावली टीम के लिए बराबरी का गोल अनुभवी डिफेंडर बनुची ने 67वें मिनट में दागा। यह गोल पोस्ट के काफी करीब से लगाया गया था। इस गोल के बाद इटली के खिलाडिय़ों और चाहने वालों का जश्न देखते बन रहा था। गोल के साथ इटली के खिलाडिय़ों में जान आ गई। उनका खेल और भी आक्रामक हो गया। बता दें कि बनुची यूरो कप इतिहास में गोल दागने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी भी बने
सेमीफाइनल का रोमांच
इंग्लैंड का अभियान: इंग्लैंड ने डेनमार्क को सेमीफाइनल में 2-1 से हराने के साथ ही सेमीफाइनल में अपने हार के तिलस्म को तोड़ा। इंग्लैंड को 1990 और 2018 विश्व कप और 1996 के यूरोपियन चैंपिशनशिप के सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा था। इंग्लैंड ने अंतिम-16 में जर्मनी को 2-0 से और च्ॉर्टर फाइनल में यूक्रेन को 4-0 से पराजित किया। डेनमार्क की टीम सेमीफाइनल में इंग्लैंड के लिए कड़ी प्रतिद्वंद्वी थी। हालांकि, उस पेनल्टी पर अभी भी विवाद चल रहा है जिसमें केन ने विजयी गोल दागा था।
इटली का सफर: इटली 33 जीत के बाद यहां तक पहुंचा था। उसने सेमीफाइनल में चिरप्रतिद्वंद्वी स्पेन को हराया था। पेनल्टी शूटआउट में इटली ने स्पेन को 4-2 से हराकर यूरो कप के फाइनल में प्रवेश किया।