टोक्यो, । भारत को रेसलिंग में झटका लगा है। दुनिया की नंबर 1 पहलवान भारत की विनेश फोगाट महिलाओं के 53 किग्रा भार वर्ग के चर्टर फाइनल में हार गईं। विनेश को बेलारूस की पहलवान वैनेसा कलाडजिंस्काया ने शिकस्त दी। इस हार के बाद विनेश पदक जीतने की रेस में बनी हुई हैं। अब उन्हें रेपचेज मुकाबले का इंतजार करना होगा। लेकिन विनेश का हारना भारत की बड़ी हार है। भारत की तरफ से पदक की प्रबल दावेदार विनेश फोगाट 53 किग्रा भार वर्ग के पहले दौर में रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली स्वीडन की सोफिया मैटसन को हराकर अंतिम आठ में जगह बनाई। विनेश के पास अब भी पदक जीतने का मौका है। अगर वेलारूस की पहलवान वानेसा फाइनल में पहुंचती हैं तो विनेश को रेपचेज में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा।
इससे पहले विनेश ने अपने पहले मुकाबले में शानदार प्रदर्शन किया। भारत की इस 26 वर्षीया पहलवान ने स्वीडन की खिलाड़ी सोफिया को 7-1 से शिकस्त दी। विनेश ने साल 2019 में विश्व चैंपियनशिप के दौरान भी मैटसन को पटखनी दी थी।
मैच के दौरान मैटसन ने जब कभी विनेश के दाएं पैर पर हमला किया तो भारतीय पहलवान ने पलटवार करते हुए पॉइंट अर्जित किए। विनेश फोगाट ने पूरे मुकाबले के दौरान जोश और जज्बा बरकरार रखते हुए अपने प्रतिद्वंदी को चित करने का मौका भी बनाया।
वहीं भारत की एक अन्य पहलवान अंशु मलिक को 57 किग्रा भार वर्ग में रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता वेलेरिया कोब्लोवा ने रेपचेज मुकाबले में 5-1 से हराया। इस हार के बाद अंशु पदक की रेस से बाहर हो गईं।
टोक्यो ,04 अगस्त । टोक्यो ओलंपिक के 13वें दिन भारत का एक और पदक पक्का हो गया है। 57 किग्रा भार वर्ग में रवि कुमार दहिया ने शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में प्रवेश कर लिया है। रवि ने पुरुषों के फ्रीस्टाइल 57 किग्रा वर्ग में कजाकिस्तान के सनायव नूरिस्लाम को हराकर फाइनल में जगह बनाई है। रवि ने इसी के साथ सिल्वर मेडल पक्का कर लिया है। हालांकि चांस गोल्ड के भी हैं। रवि कुमार शुरुआती मुकाबले में पिछड़ गए थे, वह 5-9 से पीछे चल रहे थे। हालांकि रवि के पास वापसी का मौका था, क्योंकि रेसलिंग में ये लीड बहुत ज्यादा नहीं होती है, यहां हर सेकंड में हालात बदलते हैं।
रवि कुमार दहिया के फाइनल में पहुंचते ही टीवी से चिपके उनके परिवार व शुभचिंतकों में खुशी की लहर दौड़ गई और वे भारत माता की जय के जयघोष लगाने लगे। इससे पहले आज मुक्केबाजी की बात करें तो लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) वर्ल्ड चैम्पियन तुर्की की बुसेनाज सुरमेनेली के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबला हार गई हैं। लवलीना ने पदक पहले ही पक्का कर लिया था। सेमीफाइनल में हार के साथ उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ेगा। इससे पहले भारतीय पहलवानों ने अच्छा प्रदर्शन किया।
टोक्यो ,04 अगस्त । भारतीय महिला मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन का 69 किग्रा भार वर्ग के सेमीफानल में तुर्की की बुसेनाज सुरमेनेली से मुकाबला हुआ। सुरमेनेली के नाम पहले से दो इंटरनेशनल गोल्ड हैं, वहीं लवलीना भी दो इंटरनेशनल ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं। इन दोनों महिला मुक्केबाजों का मुकाबला पहली बार हुआ। वहीं सेमीफाइनल मुकाबले में लवलीना बोरगोहेन वर्ल्ड चैम्पियन तुर्की की बुसेनाज सुरमेनेली के खिलाफ हार गई हैं। लवलीना को 0-5 से शिकस्त मिली। इस हार के साथ लवलीना के अभियान का अंत हो गया है। अब उन्हें कांस्य पदक से संतुष्ट से संतोष करना होगा।ओलिंपिक के इतिहास में भारत को मेडल दिलाने वाली लवलीना ओवरऑल तीसरी और बॉक्सिंग में मेरीकॉम के बाद पदक जीतने वाली दूसरी महिला महिला बॉक्सर हैं। उनसे पहले 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में विजेंदर सिंह ने ब्रॉन्ज जीता था। उसके बाद 2012 लंदन ओलिंपिक ने मैरीकॉम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। लवलीना के लिए कमाल की बात ये रही कि उन्होंने अपना पहला ओलिंपिक खेलते हुए ही मेडल पर पंच जड़ दिया।
तुर्की की मुक्केबाज शुरुआत से ही मुकाबले में हावी दिखी। लवलीना ने अपना गार्ड खुला रखा, जिसका पूरा फायदा वर्ल्ड चैंपियन बॉक्सर ने सेमीफाइनल मुकाबले में उठाया। बुसानाज के पंच लवलीना के खिलाफ सीधे टारगेट पर जाकर लगे, जिसके पॉइंट उन्हें मिले। अपने वेट कैटेगरी में टॉप सीड रहीं बुसानाज ने तीनों ही राउंड जजों की सर्वसम्मति से जीते।
वर्ल्ड चैंपियनशिप में 2 बार की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट रहीं लवलीना के पास टोक्यो की रिंग में अपने मेडल के रंग को बदलकर विजेंदर और मैरीकॉम से आगे निकलने का पूरा मौका था। लेकिन, वो उन दोनों की कामयाबी को पीछे नहीं छोड़ सकती। भारत को ओलिंपिक की बॉक्सिंग रिंग में एक बार फिर से ब्रॉन्ज मेडल पर ही संतोष करना पड़ा। लवलीना ने पिछले शुक्रवार को चीनी ताइपे की बॉक्सर को 4-1 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल पक्का किया था।
राजकोट । गुजरात स्थित मारवाड़ी विश्वविद्यालय ने क्रिकेटर रवींद्र जडेजा को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया है।
जडेजा भारतीय क्रिकेट टीम के ऑलराउंडर हैं और आईपीएल टीम चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) के लिए खेलते हैं। वह अंतरराष्ट्रीय विशिष्टता के साथ एक बहु-आयामी क्रिकेटर हैं, जिन्हें अर्जुन पुरस्कार 2019 और विजडन पत्रिका द्वारा 21वीं सदी में भारत के सबसे मूल्यवान टेस्ट खिलाड़ी का टैग प्राप्त है।
जालंधर । भारतीय महिला हॉकी टीम की स्टार प्लेयर गुरजीत कौर ने टोक्यो ओलंपिक में नया इतिहास रच दिया है। गुरजीत कौर के गोल से भारत की महिला हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में सबको चौंकाते हुए ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर पहली बार सेमीफाइनल में कदम रख दिया है।
जालंधर के प्रसिद्ध लायलपुर खालसा कॉलेज फॉर वूमेन की स्टूडेंट रही और अमृतसर के मियादी कलां गांव की रहने वाली 25 साल की गुरजीत के परिवार का हॉकी से कुछ लेना-देना नहीं था। गुरजीत कौर मूल रूप से अमृतसर की रहने वाली है, लेकिन खेलों का मक्का माने जाने वाले जिला जालंधर से उसका खास नाता रहा है। वह जालंधर के प्रसिद्ध लायलपुर खालसा कॉलेज फॉर वूमेन की स्टूडेंट रही है। गुरजीत कौर ने इस कॉलेज में बीए आर्ट्स में दाखिला लिया था और करीब 5 वर्षों तक कॉलेज की अकादमी में खेलती रही है। उनके पिता सतनाम सिंह के लिए तो बेटी की पढ़ाई ही सबसे पहले थी। गुरजीत और उनकी बहन प्रदीप ने शुरुआती शिक्षा गांव के पास के निजी स्कूल से ली। इसके बाद वे तरनतारन के कैरों गांव में एक बोर्डिंग स्कूल में पढऩे गई। यहीं हॉकी के लिए उनका लगाव शुरू हुआ। वे लड़कियों को हॉकी खेलते देख प्रभावित हुई और उन्होंने इसमें हाथ आजमाने का फैसला किया।
दोनों बहनों ने जल्द ही खेल में महारत हासिल की और छात्रवृत्ति भी पाई। इसने उन्हें मुफ्त स्कूली शिक्षा और बोर्डिंग मिला। इसके बाद गुरजीत कौर ने जालंधर के लायलपुर खालसा कॉलेज से ग्रेजुएशन की। गुरजीत ने इस कॉलेज में बीए आर्ट्स में दाखिला लिया था और करीब 5 साल तक कॉलेज की अकादमी में वे खेलती रही है।
कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. नवजोत ने बताया कि कॉलेज को आज बहुत मान महसूस हो रहा है कि उनकी छात्रा ने ओलंपिक में देश का नाम रोशन किया है। अब वाहेगुरु से यही अरदास करते हैं कि भारतीय महिला हॉकी टीम देश के लिए गोल्ड मेडल जीते। महिला हॉकी खिलाडिय़ों ने जो कर दिखाया है उससे पूरे कॉलेज में जश्न का माहौल बन गया है। कॉलेज की छात्राएं भी बहुत गर्व महसूस कर रही हैं।
डॉ. नवजोत ने कहा कि गुरजीत कौर को हर समय प्रैक्टिस को लेकर जुनून रहता था और उससे कभी छुट्टी कर मैदान नहीं छोड़ा। हर समय खेल अभ्यास को ही प्राथमिकता देती रही। इसी का नतीजा है कि उसने आज टोक्यो ओलंपिक में सबको चौंकाने वाला इतिहास रच दिया है। कॉलेज के हॉकी कोच कुलबीर सिंह सैनी ने कहा कि बहुत मान महसूस हो रहा है कि उनसे कोचिंग लेने वाली गुरजीत कौर ने आज देश का नाम ओलंपिक में चमकाया है। गुरजीत कौर अब तक करीब 53 इंटरनेशनल मैच खेल चुकी हैं। वह उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) प्रयागराज में सीनियर क्लर्क के पद पर तैनात है।
टोक्यो । टोक्यो ओलंपिक में हॉकी के दूसरे सेमीफाइनल में भारत को बेल्जियम के हाथों हार का सामना करना पड़ा। विश्व चैंपियन बेल्जियम ने भारतीय पुरूष हॉकी टीम को 5-2 से हराकर मुकाबला जीत लिया है, आखिरी चर्टर में लगातार तीन पेनल्टी कॉर्नर बेल्जियम को मिले और हेंड्रिक्स ने इसे गोल में बदल दिया। जिसके बाद बेल्जियम ने भारत पर बढ़त हासिल कर ली।
बेल्जियम को पेनल्टी स्ट्रोक मिला और हेंड्रिक्स ने गोल दागकर हैट्रिक पूरी की, इसी के साथ बेल्जियम ने भारत पर 4-2 से बढ़त हासिल की थी। तीसरे क्वार्टर में कोई गोल नहीं हुआ, जबकि शुरुआती दोनों क्वार्टर में दनादन गोल हुए, स्कोर 2-2 से बराबरी हो गया था। 38वें मिनट में भारत को पेनल्टी कॉर्नर मिला था, मगर टीम फायदा नहीं उठा पाई।
भारतीय हॉकी टीम के पास अभी भी इतिहास रचने का मौका है, भारत ने 1980 के बाद से ओलंपिक में मेडल नहीं जीता है। अब वो ब्रॉन्ज के लिए खेलेगी। उसका सामना ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी में से किसी एक से होगा।
भारत को अपने खिलाडिय़ों पर गर्व है : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि हार और जीत जीवन का हिस्सा है और देश को अपने खिलाडिय़ों पर गर्व है।
प्रधानमंत्री ने ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम को सेमीफाइनल मुकाबले में ब्राजील के साथ रोमांचक और कड़े संघर्ष वाले मैच ने मिली हार के बाद यह बात कही। मोदी ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, हार और जीत जीवन का हिस्सा होती है। हमारी हॉकी टीम ने ओलंपिक में अपना अच्छा प्रदर्शन किया और किसी बात का महत्व है। टीम को उसके अगले मैच के लिए शुभकामनाएं। भारत को अपने खिलाडिय़ों पर गर्व है।