रांची ,07 अगस्त । झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि टोक्यो ओलिम्पिक में भारतीय महिला हॉकी टीम को भले ही कांस्य पदक भी नहीं मिल सका, लेकिन सभी बहनों ने कांस्य पदक के मैच में पिछले ओलिम्पिक की स्वर्ण पदक विजेता ग्रेट ब्रिटेन की टीम को जिस प्रकार टक्कर दी, वह काबिले तारीफ है।
श्री सोरेन ने कहा कि वह पूरी भारतीय महिला हॉकी टीम को सलाम करते हैं। झारखण्ड की बेटियों और मेरी बहनों ने भारतीय महिला टीम के प्रदर्शन में अद्भुत योगदान दिया। झारखण्ड सरकार ने ओलिंपिक शुरू होने से पहले ही घोषणा कर दी थी कि राज्य के खिलाडिय़ों के स्वर्ण जीतने पर दो करोड़, रजत जीतने पर एक करोड़ और कांस्य जीतने पर पचास लाख रुपये दिये जायेंगे। भारतीय महिला टीम कांस्य की जंग में जीत नहीं पाई। झारखण्ड की बेटियों के बेहतर प्रदर्शन के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल सभी झारखण्ड की बेटी खिलाडिय़ों को सरकार अपने पूर्व के फैसले को संशोधित कर 50-50 लाख रुपये देगी और सभी के पैतृक घर को पक्के के मकान में तब्दील करायेगी ।
श्री सोरेन ने कहा कि भारतीय महिला हॉकी टीम ने सेमीफाइनल में पहुंच कर इतिहास रच दिया और अपने जज्बे से साबित कर दिया कि वह दुनिया की बेहतर से बेहतर टीम को टक्कर देने का माद्दा रखती है। भारतीय महिला टीम को इस मुकाम तक पहुंचाने में हर एक खिलाड़ी, कोच और सभी सपोर्ट स्टाफ का अतुलनीय योगदान है सभी के प्रति मैं और पूरा झारखण्ड दिल की गहराइयों से आभार व्यक्त करता है तथा उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बधाई और भविष्य के लिये शुभकामनाएं देता है। झारखण्ड सरकार खेल के क्षेत्र में आगे आने वाले खिलाडिय़ों को हर प्रकार की सुविधा देने के प्रति दृढसंकल्पित है। अभी हाल में ही हमारी सरकार ने खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाडिय़ों को सरकारी नौकरी प्रदान की है। यह क्रम जारी रहेगा। हमारे युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है। हमारी सरकार उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए हर संभव सुविधा प्रदान करेगी ताकि दुनिया भर में भारत का डंका बजे और झारखंडी खिलाडिय़ों का लोहा हर कोई माने।
टोक्यो ,07 अगस्त । पुरुषों की 100 मीटर चैंपियन लैमोंट मार्सेल जैकब्स ने टोक्यो ओलंपिक में अपना दूसरा स्वर्ण पदक जीता क्योंकि जैकब्स के नेतृत्व वाली इटली ने पुरुषों की 4गुणा100 मीटर रिले का खिताब जीत लिया। विजेता का फैसला एक फोटो फिनिश में किया गया क्योंकि इटली ने ब्रिटेन के 37.51 सेकेंड के समय की तुलना में 37.50 सेकेंड समय लेकर 0.01 सेकेंड के अंतर से जीत हासिल की।
पुरुषों की 200 मीटर स्वर्ण पदक विजेता आंद्रे डी ग्रास की नेतृत्व में कनाडा 37.70 सेकेंड समय के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
स्टार स्प्रिंटर सु बिंगटियन के नेतृत्व में, चीन रियो 2016 में फाइनल के बाद 37.79 सेकेंड समय के साथ फिर से चौथे स्थान पर रहा। वे जमैका से ठीक आगे रहे, जिसने पिछले दो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था, जिसमें उसैन बोल्ट ने नेतृत्व किया था। बोल्ट के अब रिटायर होने के साथ, योहान ब्लेक ने शुक्रवार को अपने देश की चुनौती का नेतृत्व किया लेकिन उनकी टीम 37.84 सेकेंड के साथ पांचवे स्थान पर रही।
जमैका की महिलाओं ने हालांकि 4गुणा100 मीटर रिले जीत ली। जमैका की टीम, जिसमें खेलों में महिलाओं की 100 मीटर प्रतियोगिता के सभी पदक विजेता शामिल हैं, ने 41.02 सेकंड में दौड़ पूरी की। यूएसए 41.45 के साथ दूसरे और ब्रिटेन 41.88 के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
नयी दिल्ली । भारतीय रेलवे में उत्तर रेलवे दिल्ली मंडल में कार्यरत पहलवान रवि कुमार दहिया ओलंपिक में पदक जीतने वाले ओवरऑल पांचवें भारतीय पहलवान बन गए हैं।
सबसे पहले पहलवान केडी जाधव ने हेलसिंकी ओलंपिक (1952) में भारत के लिए कांस्य पदक जीता था। इसके बाद पहलवान सुशील कुमार (उत्तर रेलवे) ने भारत के लिए बीजिंग ओलंपिक (2008) में कांस्य और लंदन ओलंपिक (2012) में रजत पदक अपने नाम किया था,सुशील के अलावा योगेश्वर दत्त भी लंदन ओलंपिक में कांस्य जीतने में सफल रहे थे.। साक्षी मलिक (उत्तर रेलवे ) ने 2016 के रियो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
टोक्यो ,06 अगस्त । टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने 65 किग्रा फ्रीस्टाइल के क्वार्टर फाइनल में इरान के मोर्तेजा चेका को 2-1 से हराकर सेमीफाइनल में पहुंच गए हैं। पहले राउंड में बजरंग 0-1 से पिछड़ रहे थे। दूसरे राउंड में बजरंग ने ऐसा दांव खेला कि वो सीधे सेमीफाइनल में पहुंच गए। इस मुकाबले के बाद पूरे देश की गोल्ड की उम्मीदें और मजबूत हो गई है। इससे पहले भारत के इस स्टार पहलवान ने किर्गिस्तान के अरनाजर अकमातालिव को मात देकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी। अरनाजर के खिलाफ मुकाबले के पहले राउंड में बजरंग ने 3-1 से बढ़त हासिल कर ली थी। हालांकि दूसरे राउंड में मुकाबला काफी रोमांचक हो गया। आखिरी सेकंड में अरनाजर ने 2 अंक हासिल कर लिए। इसके बाद भारतीय पहलवान ने आखिरी सेकेंड में अंक हासिल करके मुकाबला अपने नाम कर लिया था। टोक्यो ओलंपिक में रवि दहिया कुश्ती में भारत को एक मेडल दिला चुके हैं। हालांकि रवि को फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था और उन्हें सिल्वर से ही संतोष करना पड़ा। मगर बजरंग ने देश की गोल्ड की उम्मीदों को बनाए रखा।वहीं भारत की महिला हॉकी टीम को शुक्रवार को खेले गए कांस्य पदक के मुकाबले में ग्रेट ब्रिटेन के हाथों 3-4 से हार का सामना करना पड़ा। साल 2016 के रियो ओलंपिक में स्वर्ण जीतने वाली ब्रिटिश टीम ने अपने आठवें ओलंपिक में तीसरी बार कांस्य पदक जीता है। ओई हॉकी स्टेडियम नार्थ पिच पर हुए इस मैच में कई बार उतार-चढ़ाव देखने को मिला। अपना तीसरा ओलंपिक खेल रहा भारत एक समय 0-2 से पीछे चल रहा था लेकिन उसने दनादन तीन गोल दागकर हाफ टाण तक 3-2 की लीड ले ली। लेकिन इसके बाद इंग्लैंड ने लगातार दो गोल दाग मैच अपने पक्ष में कर लिया।
इंग्लैंड के लिए एलेना रेयर (16वें), सारा राबर्टसन (24वें), होली पिएरे (35वें) और ग्रेस बॉल्सडन (48वें) ने किया जबकि भारत के लिए गुरजीत कौर ने (25वें, 26वें) दो गोल किए जबकि वंदना कटारिया (29वें) ने एक गोल किया। ब्रिटेन को 12 पेनाल्टी कार्नर मिले, जिसमें से तीन को उसने गोल में बदला। भारत को कुल 8 पेनाल्टी कार्नर मिले, जिनमें से दो में गोल हुए।
ओलंपिक दिवस 2020 जानिए क्यों मनाया जाता है, कोरोना संकट के बीच हो रहा दुनिया के सबसे बड़े ऑलनाइन वर्कआउट का आयोजन
पहला चर्टर खाली जाने के बाद ब्रिटेन ने दूसरे चर्टर में 60 सेकेंड के भीतर गोल करते हुए 1-0 की लीड ले ली। उसके लिए मैच का पहला गोल एलेना रेयर ने किया। यह एक फील्ड गोल था। इस गोल ने मानो ब्रिटिश टीम में जान फूंक दी और उसने 24वें मिनट में एक और गोल कर 2-0 की लीड ले ली। यह गोल सारा राबर्टसन ने किया। यह भी एक फील्ड गोल था।
ब्रिटिश टीम हाफटाइम लीड के साथ प्रवेश करती, उससे पहले ही भारत ने एक के बाद एक दनादन तीन गोल कर 3-2 की लीड ले ली। गुरजीत कौर ने भारत का खाता 25वें मिनट में मिले पेनाल्टी कार्नर पर खोला और फिर उसके एक मिनट बाद एक और गोल कर स्कोर 2-2 कर दिया। भारत ने पेनाल्टी कार्नर पर गुरजीत द्वारा किए गए गोलों की मदद से शानदार वापसी कर ली थी।
अब भारतीय टीम उत्साह से भर चुकी थी। उसने मौके बनाने शुरू किए और उसी क्रम में उसे 29वें मिनट में एक शानदार सफलता मिली। वंदना कटारिया ने फील्ड गोल के जरिए भारत को 3-2 से आगे कर दिया। हाफ टाइम तक भारत 3-2 से आगे था। हाफ टाइम की सीटी बजने के पांच मिनट बाद ही ब्रिटेन ने गोल कर स्कोर 3-3 कर दिया। यह गोल कप्तान होली पिएरे ने किया। तीसरे चर्टर में भारतीय टीम कोई गोल नहीं कर सकी।
चौथा और अंतिम चर्टर जब शुरु हुआ तो मैच का रोमांच चरण पर था। दोनों टीमों के पास मेडल पाने के लिए अंतिम 15 मिनट थे। इस क्रम में हालांकि ब्रिटेन को सफलता मिल गई। 48वें मिनट में उसने पेनाल्टी कार्नर पर गोल कर 4-3 की लीड ले ली। यह गोल ग्रेस बॉल्सडन ने किया।
भारत की महिला टीम के लिए यह ओलंपिक में अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन कहा जा सकता है। दुनिया की नौवें नम्बर की भारतीय टीम तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए दुनिया की नम्बर-2 आस्ट्रेलिया को हराकर पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची थी। सेमीफाइनल में हालांकि उसे हार मिली।
यह भारत का तीसरा ओलंपिक था। मास्को (1980) के 36 साल के बाद उसने रियो ओलंपिक (2016) के लिए चलीफाई किया था। भारत अंतिम रूप से चौथे स्थान पर रहा था लेकिन उस साल बहिष्कार के कारण सिर्फ छह टीमों ने ओलंपिक में हिस्सा लिया था।
इसके बाद भारत ने 2016 के रियो ओलंपिक के लिए चलीफाई किया लेकिन वह 12 टीमों के टूर्नमेंट में अंतिम स्थान पर रही थी। भारत को पूल स्तर पर पांच मैचों में सिर्फ एक ड्रॉ नसीब हुआ था।
मुंबई ,06 अगस्त । जुनूनी खेलप्रेमियों के पसंदीदा गो-टू डेस्टिनेशन यूरोस्पोर्ट इंडिया और भारत के पहले एग्रीगेटेड रियल-लाइफ एंटरटेनमेंट स्ट्रीमिंग ऐप डिस्कवरी ने मोटरस्पोर्ट्स प्रोग्रामिंग में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए अपनी मोटरस्पोर्ट प्रॉपर्टी मोटो जीपी के लिए बॉलीवुड सुपरस्टार और मोटो जीपी के फैन जॉन अब्राहम को इंडिया एम्बेसडर बनाया है। जॉन खुद भी मोटो जीपी एक बहुत बड़े फैन हैं और अब वे यूरोस्पोर्ट के कैम्पेन मोटो जीपी रेस लगाते हैं के जरिए भारत में बड़ी संख्या में दर्शकों तक मोटो जीपी का प्रचार करते हुए दिखाई देंगे।
जॉन अब्राहम ने इस अवसर पर कहा, किसी भी फैन के लिए इंडिया एम्बेसडर बनना गर्व का क्षण है। यह वाकई में मेरे लिए बहुत खास पल है। मुझे खुशी है कि इस भागीदारी से मैं न केवल सभी मोटरस्पोर्ट्स फैन्स के लिए मोटो जीपी के लिए अपने प्यार का प्रदर्शन कर सकूंगा, बल्कि कई अन्य लोगों को इस हाई-टेक्निकल और स्किल-ओरिएंटेड गेम की बारीकियों को समझने में मदद कर सकूंगा। मैं पिछले 25 वर्षों से अधिक समय से मोटरस्पोर्ट्स का फैन रहा हूं और मैं यूरोस्पोर्ट इंडिया को केवल धन्यवाद दे सकता हूं जिसने मुझे मोटो जीपी के मित्र के तौर पर जोड़ा है। यह एक ऐसा स्पोर्ट है जिसे मैं पूरी ईमानदारी से फॉलो करता हूं। मुझे यकीन है कि यूरोस्पोर्ट इंडिया के साथ मेरा यह जुड़ाव मोटो जीपी गेम को लाखों भारतीय मोटरस्पोर्ट फैन्स के दिलों के करीब लाएगा।
जयपुर , । पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार विजेता 35 वर्षीय अजय ठाकुर ने स्पोर्ट्सटाइगर की विशेष इंटरव्यू सीरीज मिशन गोल्ड पर अपनी खेल यात्रा के बारे में बात करते हुए बताया कि वह अभी भी ओलंपिक में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए आशान्वित हैं।
भारतीय कबड्डी कप्तान खेल के माहौल में ही बड़े हुए और वह जानते थे कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करने का अपने पिता के सपने को पूरा करना है।एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले, अजय के लिए नौकरी करना एक जरूरत थी और एक नए मान्यता प्राप्त खेल के माध्यम से नौकरी हासिल करना उसके लिए बिल्कुल सही अवसर था। कबड्डी को मेरे जन्म से पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल चुकी थी और मेरे पिताजी स्पोर्ट्स कल्चर के बारे में जानते थे। जैसा कि आप जिस स्तर पर खेलते हैं, उसके अनुसार नौकरी का कोटा तय किया गया था। हम एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे और अच्छी और सुरक्षित नौकरी पाना हमारे लिए सपना था। अत: मैंने खेल कोटे से नौकरी पाने के लिए खेलना शुरू किया।
लेकिन उनकी यात्रा ने एक और मोड़ ले लिया, जिसमें उनका खेल के प्रति प्यार और जुनून उनके नौकरी पाने के सपने से आगे निकल गया। उन्होंने कहा, इस यात्रा के दौरान कबड्डी के लिए मेरा जुनून इतना बढ़ गया कि मैं सिर्फ खेल खेलना चाहता था। मुझे भारतीय सेना, ओएनजीसी और अन्य से नौकरी के प्रस्ताव मिले लेकिन मैंने उन्हें अस्वीकार कर दिया क्योंकि मैं कबड्डी में उस स्तर तक पहुंचना चाहता था जहां मैं अर्जुन पुरस्कार विजेता बन सकूं।
प्रो-कबड्डी लीग पहले सीजन से ही काफी हिट रही और 2016 कबड्डी विश्व कप विजेता प्रो- कबड्डी लीग की प्रशंसा करते हुए पीछे नहीं हटे क्योंकि इस लीग ने खेल के साथ-साथ खिलाडिय़ों को भी पहचान दिलाने में सहायता की है। इसके बारे में उन्होंने कहा कि, कबड्डी का जो मानक हम आज जानते हैं और जिन खिलाडिय़ों को आज दुनियाभर में पहचाना जाता है यह प्रो-कबड्डी लीग के कारण ही संभव हो पाया है । हम प्रो-कबड्डी लीग से पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खेलते थे और लोग हमारे और खेल के बारे में पूरी तरह से अनजान थे लेकिन अब हम देश के किसी भी कोने में जाते हैं तो लोग हमें पहचान लेते हैं और यह लीग की वजह से है।
उन्होंने आगे कहा, प्रो-कबड्डी लीग के जरिए खिलाडिय़ों को कई मौके मिलते हैं। लेकिन पहले लोग कबड्डी को एक स्थानीय खेल के रूप में लेते थे, लेकिन अब लोग हमें प्रो-कबड्डी लीग में खेलने के लिए कहते हैं क्योंकि वे हमें इतने बड़े स्तर पर खेलते हुए देखना पसंद करते हैं और जानते हैं कि जो भी प्रो-कबड्डी लीग खेलता है वह एक शीर्ष श्रेणी का कबड्डी खिलाड़ी है।
लेकिन महामारी और सख्त लॉकडाउन ने खिलाडिय़ों के फिटनेस स्तर को प्रभावित किया, अजय ने अपना अनुभव साझा किया और कहा, जिम बंद होने से हमारी फिटनेस पर बहुत प्रभाव पड़ा, मैदान भी बंद थे और एक खिलाड़ी के लिए यह सबसे बड़ी समस्या थी। हमारा भोजन आमतौर पर बहुत भारी होता है और हममें से अधिकांश खिलाडिय़ों का वजन बढ़ गया। मैं अपनी पुलिस ड्यूटी पर था और इस दौरान में फ्रंट लाइन पर था, जिसे संभालना थोड़ा मुश्किल था। लेकिन अब हम धीरे-धीरे अपनी फॉर्म वापस पा रहे हैं और अपनी फिटनेस पर काम कर रहे हैं।
अब चूंकि खेल गतिविधियां धीरे-धीरे फिर से शुरू हो रही हैं, अजय का मानना है कि आने वाले दिनों में कबड्डी की भी वापसी होगी। 2014 के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता ने कहा, कबड्डी में खिलाडिय़ों का एक-दूसरे से संपर्क होता है और इसलिए, संक्रमित होने की अधिक संभावना है। एसोसिएशन और प्रबंधन खिलाडिय़ों के साथ नियमित संपर्क में हैं, उनके फिटनेस स्तर की जांच कर रहे हैं और हाल ही में उन्होंने ऑनलाइन क्लासेज़ का भी आयोजन किया है। जैसे ही उन्हें पता चलेगा कि कोविड की स्थिति में सुधार हो रहा है, वे प्रतियोगिताओं को फिर से शुरू करेंगे। वे जानते हैं कि किस तरह खिलाड़ी अपने घरों में बोर हो रहे हैं और खिलाडिय़ों की फिटनेस में सुधार के लिए लगातार काम कर रहे हैं।
खेलों के फिर शुरू होने की बात करते हुए, अजय ने अपने दोस्त बजरंग पुनिया को अपना समर्थन दिया, जो टोक्यो 2020 ओलंपिक के अंतिम सप्ताह में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा, टोक्यो ओलंपिक में अपने देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ी अपने खेल में सर्वश्रेष्ठ हैं और पूरा देश उनसे पदक की उम्मीद कर रहा है। मुझे बजरंग पुनिया से बहुत उम्मीदें हैं और वह निश्चित रूप से भारत के लिए स्वर्ण पदक लाएंगे। वह मेरे करीबी दोस्त हैं और हम लगातार संपर्क में हैं। मैंने उनके साथ कई शिविरों में भाग लिया है और उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण को देखने के बाद, मुझे विश्वास है कि वह स्वर्ण पदक जीतेंगे।
कबड्डी के लिए देश में प्यार बढ़ता जा रहा है क्योंकि यह खेल बचपन की यादों को ताज़ा करता है। अधिकांश लोगों ने अपने जीवन में कम से कम एक बार तो यह खेल खेला है। खेल में हर संभव प्रयास करने के बाद अजय कबड्डी को ओलिंपिक में देखना चाहते हैं। उन्होंने अंत में कहा कि, मुझे लगता है कि कबड्डी में पहले से ही राष्ट्रमंडल खेलों की तुलना में बड़ी प्रतियोगिताएं हैं। हम एशियाई खेलों में प्रतिस्पर्धा करते हैं और कबड्डी विश्व कप भी है, लेकिन कबड्डी को ओलंपिक खेल के रूप में मान्यता देना अभी भी हमारा सपना है। लेकिन कबड्डी जिस रफ्तार से बढ़ रही है, मुझे लगता है कि सपना बहुत जल्द पूरा होगा।