भोपाल । अनुशासन, कठिन परिश्रम और सम्मान। सिर्फ हॉकी ही नहीं, किसी भी क्षेत्र में सफलता के ये तीन ही सूत्र हैं। टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम के युवा एवं होनहार सदस्य विवेक सागर ने अपने सम्मान समारोह में आज यहां आयोजित समारोह में यह मंत्र दिए। समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य सरकार की ओर से एक करोड़ रुपए की सम्मान निधि विवेक सागर को प्रदान की। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री यशोधराराजे सिंधिया और खेल जगत से जुड़ी हस्तियां भी इस अवसर पर मौजूद थीं।
ओलंपिक में शामिल होने के बाद पहली बार यहां आए राज्य के होशंगाबाद जिले के इटारसी निवासी 21 वर्षीय विवेक सागर ने कहा कि अनुशासन के बगैर सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती है। अनुशासन सिर्फ मैदान में ही नहीं, किसी भी व्यक्ति के जीवन में आवश्यक है। मैदान में तो खिलाड़ी कुछ ही घंटे रहता है, इसलिए उसे अपने जीवन में अनुशासन को महत्वपूर्ण अंग बनाना चाहिए।
विवेक ने कहा कि इसके अलावा कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है। किसी भी क्षेत्र में लगातार कठिन परिश्रम की दम पर आगे बढ़ा जा सकता है। इसी तरह सभी को सम्मान देना भी जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। विवेक के अनुसार वे अपनी हॉकी और खेल से जुड़े सभी लोगों और वस्तुओं का सम्मान करते हैं। इन तीनों की बदौलत ही वे आगे बढ़े हैं।
विवेक सागर ने कहा कि आगे बढऩे के लिए आत्मविश्वास भी आवश्यक है। आगे बढऩे का जज्बा होना चाहिए। हमारी जो भी स्किल (योग्यता) है, उसे श्रेष्ठतम बनाने का प्रयास करना चाहिए। युवा हॉकी खिलाड़ी ने यूरोपियन खिलाडिय़ों की तुलना में उनके छोटे कद का उदाहरण देते हुए कहा कि हमें अपनी योग्यता पर विश्वास रखते हुए आगे बढऩा चाहिए। उन्होंने इस तरह की चीज कभी भी हावी नहीं होने दी।
जूनियर इंडियन हॉकी टीम की कप्तानी कर चुके विवेक सागर ने कार्यक्रम में मौजूद खिलाडिय़ों से कहा कि वे भी इसी तरह सफलता हासिल कर सकते हैं। वे सब पूर्ण विश्वास के साथ अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ें, उन्हें सफलता अवश्य मिलेगी। विवेक ने बताया कि वे स्वयं एक छोटे से गांव और सामान्य परिवार से आते हैं। विवेक अपने शुरूआती दौर के प्रशिक्षकों का स्मरण करना भी नहीं भूले और उनके समेत सभी का शुक्रिया अदा किया।
नयी दिल्ली । नीरज चोपड़ा के पिछले सात अगस्त को टोक्यो ओलम्पिक में स्वंर्ण विजेता थ्रो फेंकने के उपलक्ष्य में अब से हर साल सात अगस्त को भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) इस दिन को राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस के रूप में मनाएगा। नीरज ने इस दिन टोक्यो में 87.58 मीटर तक भाला फेंककर भारत को इन खेलों के इतिहास में ओलम्पिक में एथलेटिक्स का अपना पहला और टोक्यो में अपना पहला स्वर्ण पदक दिलाया था।
एफआई की योजना समिति के अध्यक्ष डॉ ललित भनोट ने नीरज चोपड़ा के लिए आयोजित सम्मान समारोह में कहा,हम अब से हर साल सात अगस्त को राष्ट्रीय भाला दिवस के रूप में मनाएंगे। उन्होंने कहा,पूरे भारत में भाला फेंक को बढ़ावा देने के लिए हम सात अगस्त को राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस के रूप में मनाएंगे और अगले साल से हमारी मान्यता प्राप्त इकाइयां इस दिन अपने अपने राज्यों में भाला फेंक प्रतियोगिता का आयोजन करेंगी। उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद अंतर जिला प्रतियोगिताएं होंगी और हम भाला मुहैया कराएंगे (क्योंकि काफी भालों की जरूरत होगी)। आगामी वर्षों में हम इस प्रतियोगिता में विस्तार करके इसे राष्ट्रीय प्रतियोगिता बनाएंगे। एएफआई ने 2018 में राष्ट्रीय ओपन भाला फेंक चैंपियनशिप शुरू की थी जिसका तीसरा टूर्नामेंट इस साल अक्तूबर में होगा।
सम्मान समारोह के दौरान चोपड़ा के पिता सतीश, मां सरोज देवी और चाचा भीम भी मौजूद थे।
ओलम्पिक इतिहास में भारत के पहले ट्रैक एन्ड फील्ड पदक विजेता बने 23 वर्षीय नीरज ने कहा कि वह इस घोषणा से काफी गर्व महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, यह जानकार अच्छा लग रहा है कि एएफआई मेरी उपलब्धि के दिन को आगामी वर्षों में इस तरह याद रखेगा। मुझे तब बहुत ख़ुशी होगी जब मेरे स्वर्ण विजेता प्रदर्शन युवाओं को एथलेटिक्स खास तौर पर भाला फेंक को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।
नीरज ने सम्मान समारोह में संवाददाताओं से कहा, यदि बच्चों को भाला और अन्य सुविधाएं मिलती हैं तो मुझे यकीन है कि खेलों को अपनाने के लिए आगे आयेंगे और भविष्य में वे पदक विजेता बन सकते हैं।
पदक विजेता ने कहा कि उनके करियर का टर्निंग पॉइंट उस समय आया था जब उन्हें 2015 में केरल में हुए राष्ट्रीय खेलों में पांचवें स्थान पर रहने के बाद राष्ट्रीय शिविर में शामिल किया गया था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिविर से जुडऩे के बाद उनके लिए सब कुछ बदल गया था -उपकरण, ट्रेनिंग सुविधाएं और डाइट। देश में सर्वश्रेष्ठ भाला फेंक एथलीटों के साथ ट्रेनिंग एक अलग ही अनुभव था।
अपने आगामी लक्ष्य के लिए नीरज ने कहा, मैं राष्ट्रमंडल, एशियाई और ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुका हूं। मेरा अगला लक्ष्य अगले वर्ष ओरेगांव में होने वाली विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है। विश्व चैंपियनशिप एक बड़ी प्रतियोगिता है और कई बार यह ओलम्पिक खेलों से भी मुश्किल होती है।
नीरज ने कहा,मैं केवल ओलम्पिक स्वर्ण से संतुष्ट रहने वाला नहीं हूं मैं राष्ट्रमंडल, एशियाई और ओलम्पिक खेलों के स्वर्ण पदक फिर जीतना चाहता हूं।
एएफआई की उपाध्यक्ष और विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय अंजू बॉबी जॉर्ज ने इस मौके पर कहा कि उन्हें नीरज चोपड़ा की उपलब्धि पर गर्व है जिसने ओलम्पिक खेलों में भारत का एथलेटिक्स में 100 साल का इंतजार समाप्त किया।
एएफआई ने इस अवसर पर तीन मिनट 00:25 सेकण्ड का नया एशियाई रिकॉर्ड बनाने वाली पुरुषों की 4&400 मीटर रिले टीम, महिला डिस्कस थ्रो के फ़ाइनल में पहुंच कर 6370 मीटर की थ्रो के साथ छठे स्थान पर रहने वाली कमलप्रीत कौर तथा पुरुषों की 3000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा में अपना राष्ट्रीय रिकॉर्ड सुधारने वाले अविनाश साबले को भी सम्मानित किया।
नयी दिल्ली ,। टोक्यो ओलम्पिक में पदक जीतने वाले भारतीय खिलाडिय़ों स्वर्ण विजेता नीरज चोपड़ा, रजत विजेता रवि कुमार दहिया और कांस्य विजेता बजरंग पूनिया के स्वागत की तैयारी इनके गांवों में भी की गई है।
सभी खिलाडिय़ों के परिवार और गांव के कुछ लोग दिल्ली एयरपोर्ट पर स्वागत के लिए मौजूद रहे। वहीं इन खिलाडिय़ों के गांव पहुंचने पर गांववासियों की ओर से स्वागत किया जाएगा।
हरियाणा के सोनीपत में भी सिल्वर मेडलिस्ट रवि दहिया के घर पर जश्न का माहौल है। रवि के घर ढोल बज रहा है और चैंपियन बेटे के स्वागत के लिए सभी तैयार हैं। दिल्ली पहुंचने के बाद पहलवान दीपक पूनिया ने कहा कि आप लोग का प्यार पाकर बहुत अच्छा लग रहा है, मैं देशवासियों को धन्यवाद करता हूं। 2024 के लिए तैयारी करूंगा और देश को मेडल दूंगा। यही हमारा जीत का जश्न होगा।
पानीपत शहर में लगे नीरज चोपड़ा को बधाई के पोस्टर लगे हैं। नीरज चोपड़ा का स्वागत करने के लिए उनका पूरा गांव तैयार है। नीरज की जीत के बाद से ही पानीपत में जश्न मनाया जा रहा है।
भारत के सिल्वर मेडलिस्ट रेसलर रवि दहिया के साथ फोटो खिंचवाने के लिए लोगों की भीड़ लग गई। रवि फाइनल में रूसी पहलवान से हार गए थे।
नई दिल्ली ,। वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड ने पाकिस्तान के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए 17 सदस्यीय टीम का ऐलान कर दिया है। इस टीम में तेज गेंदबाज केमार होल्डर और मिडिल ऑर्डर के बल्लेबाज बल्लेबाज शमराह ब्रूक्स की वापसी हुई है। इसके अलावा तेज गेंदबाज शैनन गैब्रियल को फिट होने के लिए समय दिया गया है और वे इस टीम का हिस्सा नहीं हैं। लेफ्ट हैंड बल्लेबाज डैरैन ब्रावो को वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड ने आराम दिया है, क्योंकि वे लंबे समय से टीम के बायो बबल में हैं। वेस्टइंडीज ने इस घरेलू सीरीज के लिए टीम की कमान क्रैग ब्रैथवेट को दी है। इस सीरीज की शुरुआत 12 अगस्त से होगी और यह पहला मैच जमैका के सबीना पार्क में खेला जाएगा। इसके अलावा दूसरा मैच भी इसी मैदान पर खेला जाएगा, जो कि 20 अगस्त से शुरू होगा। टेस्ट सीरीज से पहले पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के बीच चार मैचों की सीरीज टी-20 सीरीज खेली गई थी, जिसे पाकिस्तान ने 1-0 से अपने नाम किया। इस सीरीज के तीन मैच बारिश और खराब मौसम की वजह से रद्द करने पड़े थे।
पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए वेस्टइंडीज की टीम : क्रैग ब्रैथवेट (कप्तान), जर्मेन ब्लैकवुड (उप-कप्तान), एनक्रुमाह बोनर, शमराह ब्रूक्स, रहकीम कॉर्नवॉल, रोस्टन चेज, जोशुआ डा सिल्वा, जाहमर हैमिल्टन, केमार होल्डर, जेसन होल्डर, शाई होप, अल्जारी जोसेफ, काइल मैयर्स, कायरन पॉवेल, केमार रोच, जेडन सील्स, जोमेल वॉरिकन।
तोक्यो ,09 अगस्त। तोक्यो ओलंपिक के आयोजकों ने सोमवार को कोविड-19 के 28 नये मामलों की घोषणा की लेकिन इनमें कोई खिलाड़ी शामिल नहीं है। तोक्यो ओलंपिक का आयोजन दर्शकों के बिना किया गया और आयोजकों के अनुसार रविवार को समाप्त हुए इन खेलों के दौरान कोविड-19 के कुल 458 मामले सामने आये। नये मामलों में 13 ठेकेदार और छह खेलों से जुड़े व्यक्ति शामिल हैं। इसके अलावा छह स्वयंसेवक, तोक्यो 2020 के दो कर्मचारी और एक मीडियाकर्मी भी संक्रमित पाया गया। इनमें से 21 जापान के निवासी हैं। ओलंपिक के दौरान इन खेलों से जुड़े जितने मामले सामने आये उनमें से 307 जापान के निवासी थे। खेल शुरू होने लेकर समापन तक जो 458 मामले सामने आये उनमें 29 खिलाड़ी भी शामिल हैं। खेलों के दौरान विदेशों से कुल 42711 मान्यता प्राप्त लोग जापान पहुंचे थे। इनमें खिलाड़ी, अधिकारी, मीडियाकर्मी आदि शामिल हैं। महामारी के बावजूद तोक्यो ने सफल ओलंपिक खेलों का आयोजन किया। इनका समापन रविवार को रंगारंग समारोह के साथ हुआ। अमेरिका ने 39 स्वर्ण पदक जीतकर शीर्ष स्थान हासिल किया। चीन 38 स्वर्ण लेकर दूसरे जबकि जापान रिकार्ड 27 स्वर्ण के साथ तीसरे स्थान पर रहा। भारत ने एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य सहित कुल सात पदक जीतकर ओलंपिक खेलों में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
तोक्यो । कोविड-19 वायरस और निकट आ रहे तूफान के बीच असाधारण तोक्यो ओलंपिक खेलों का रोशनी के फव्वारों के बीच समापन हो गया जिसमें उम्मीद और दृढ़ता का अभूतपूर्व प्रदर्शन दिखा। जापान की राजधानी में इतिहास के सबसे विशिष्ट खेलों का समापन शानदार आतिशबाजी के साथ हुआ जिसमें नृत्य, गायन और खुशियां मनाना शामिल रहा। कोविड-19 महामारी के दौरान जान गंवाने वालों को याद करते हुए आगे बढऩे के संदेश के साथ ओलंपिक ध्वज पेरिस को सौंपा गया जहां अगले ओलंपिक खेल तीन साल बाद आयोजित किये जायेंगे। वैश्विक स्वास्थ्य संकट के कारण एक साल देरी, बढ़ती लागत और आयोजन को लेकर स्थानीय लोगों की विभाजित राय के बीच तोक्यो ओलंपिक तमाम चुनौतियों को पार करते हुए समापन समारोह तक पहुंचे।
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाक ने ओलंपिक खेलों का औपचारिक समापन करने के बाद कहा, ‘‘एथलीट तेजी से आगे बढ़े और मजबूत हुए क्योंकि वे सभी एकजुट होकर खड़े थे। आप लोगों ने हमें खेलों के इस एकीकृत प्रतीक से प्रेरित किया। आपने महामारी में जिन परिस्थितियों का सामना किया, ये खेल इसलिये भी ज्यादा उल्लेखनीय थे। ’’ बाक के बिना खेलों का आयोजन मुमकिन नहीं हो पाता, उन्होंने कहा, ‘‘महामारी के बाद पहली बार दुनिया एकजुट हुई। लोग भावनाओं से जुड़े थे, वे खुशी और प्रेरणा के पलों को साझा कर रहे थे। इससे हमें उम्मीद मिलती है, यह हमें भविष्य में भरोसा देता है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘तोक्यो में ओलंपिक खेल ‘उम्मीद, एकजुटता और शांति के ओलंपिक खेल’ थे। आप जापानी लोगों ने जो हासिल किया है, उस पर आप बेहद गर्व कर सकते हो। सभी खिलाडिय़ों की ओर से हम आपको कहते हैं ‘शुक्रिया तोक्यो, शुक्रिया जापान’। ’’
जापान का ध्वज 68,000 दर्शकों की क्षमता वाले नेशनल स्टेडियम में फहराया गया जिसमें कोविड-19 महामारी के कारण दर्शकों की कमी थी। इसके बाद दुनिया भर के खिलाडिय़ों, गणमान्य व्यक्तियों और अधिकारियों के सामने समारोह शुरू हुआ। खिलाडिय़ों ने स्टेडियम में प्रवेश किया और मंच के चारों ओर एक घेरा बनाया। उद्घाटन समारोह में जहां खिलाड़ी ‘फॉर्मल’ पोशाक पहने थे तो वहीं समापन समारोह उनके लिये लुत्फ उठाने और ‘रिलैक्स’ होने का मौका था। काफी बड़ी संख्या में खिलाड़ी पहुंचे और वे अपने मोबाइल फोन से इस क्षण को कैद कर रहे थे। कुछ ध्वज फहरा रहे थे तो कुछ तोक्यो की उमस भरी शाम में पसीना पोछ रहे थे। समापन समारोह की थीम ‘वर्ल्ड वी शेयर’ थी जिसमें रौशनी से लेकर संगीत के शो, आतिशबाजियां और स्टंट शामिल थे।
ओलंपिक मशाल बुझाने से पहले पहली बार अगले मेजबान देश का राष्ट्रगान दिखाया गया जिसे मेजबान शहर में एक फिल्म के तौर पर फिल्माया गया। पहली बार ही समापन समारोह में अगले मेजबान देश से लाइव और शानदार जश्न दिखाया गया जिसमें पेरिस और फ्रांस 33वें ओलंपिक के मेजबान की भूमिका को अपनाता दिखा। इसमें संगीतकार छह विभिन्न स्थानों से परफोर्म कर रहे थे जिन्होंने पिछले कुछ महीनों में दुनिया के अनुभव को उजागर किया। इसमें संदेश था, ‘‘हम दूर हैं, हम एक साथ होकर एक साथ खेल सकते हैं। ’’ तोक्यो के गर्वनर यूरिको कोइके ने ओलंपिक ध्वज बाक को सौंपा जिन्होंने इसे पेरिस की मेयर एने हिडाल्गो के सुपुर्द किया। तोक्यो ओलंपिक आयोजन समिति की अध्यक्ष सेको हाशिमोटो ने कहा, ‘‘मैं सभी खिलाडिय़ों के प्रति अपना आभार और सम्मान व्यक्त करना चाहूंगी और उन सभी को भी जिन्होंने इन खेलों की तैयारियों के लिये और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिये इतनी सारी मुश्किलों को पार किया। ’’ बाक ने कीनिया की पेरेस जेपचिरचिर को महिला मैराथन स्पर्धा का स्वर्ण पदक जबकि पुरूष मैराथन का स्वर्ण एलियूड किपचोगे को दिया। तोक्यो के आसमान में रौशनी का फव्वारा फैल गया और फिर इनसे ओलंपिक रिंग बनी। कोरोना वायरस प्रोटोकॉल के कारण समारोह दर्शकों के बिना किया गया लेकिन आयोजकों ने स्टेडियम के अंदर स्क्रीन लगायी थी जिसमें दुनिया भर के प्रशंसकों के वीडियो दिखाये जा रहे थे। कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया भारतीय दल के ध्वजवाहक थे और भारत के सबसे बड़े दल ने इतिहास में सबसे ज्यादा पदक हासिल कर खेलों को ‘गुडबॉय’ कहा। समापन समारोह एक वीडियो के साथ शुरू हुआ जिसमें 17 दिन की स्पर्धाओं का सार था। अंतिम अध्याय की शुरूआत स्टेडियम में आतिशबाजी से हुई जिसमें आयोजकों ने ‘‘अनगिनत व्यक्तियों के लिए आभार व्यक्त किया’’ जिन्होंने ओलंपिक खेलों को समापन समारोह तक पहुंचाने में मदद की। इसके बाद जापान के क्राउन प्रिंस अकिशिनो और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाक आधिकारिक स्टैंड में उपस्थित हुए। शुरूआती वीडियो में फोकस रिकार्ड और स्कोर पर नहीं बल्कि उन सभी खिलाडिय़ों के साहसिक प्रयासों पर था जिन्होंने रोज कोविड-19 जांच करवाते हुए कड़े बायो-बबल में हिस्सा लिया। समारोह का मुख्य संदेश था कि खेल एक उज्जवल भविष्य के दरवाजे खोलेंगे। भारत सात पदक से अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके निश्चित उज्जवल भविष्य की ओर देख सकता है जिसमें भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने 13 साल बाद पहला स्वर्ण दिलाया जो खेलों में ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धा का देश का पहला पदक भी है। भारत ने इस स्वर्ण के अलावा दो रजत और चार कांस्य पदक भी जीते। अमेरिका पदक तालिका में 113 पोडियम स्थान से शीर्ष पर रहा जिसमें 39 स्वर्ण पदक थे जबकि चीन 38 स्वर्ण से 88 पोडियम स्थान से दूसरे स्थान पर रहा। मेजबान जापान 27 स्वर्ण सहित 58 पदकों से तीसरे स्थान पर रहा।