छत्तीसगढ़

बीजापुर पुलिस विभाग में बड़ा फेरबदल, 19 ASI और 98 आरक्षकों का हुआ तबादला
Posted Date : 24-Jul-2018 5:25:14 pm

बीजापुर पुलिस विभाग में बड़ा फेरबदल, 19 ASI और 98 आरक्षकों का हुआ तबादला

बीजापुर पुलिस विभाग में बड़ी सर्जरी की गई है. 19 सहायक उप निरीक्षकों और 98 आरक्षकों का तबादला आदेश जारी कर दिया गया है. पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग के हस्ताक्षरित यह आदेश जारी किया गया है.

छात्रा उस शिक्षक को दिल दे बैठी थी,जिसने सगाई के बाद किडनैप किया था
Posted Date : 24-Jul-2018 5:21:00 pm

छात्रा उस शिक्षक को दिल दे बैठी थी,जिसने सगाई के बाद किडनैप किया था

अंबिकापुर। बलरामपुर जिले के जिस कण्डा जंगल में गोली मारकर झारखंड की 15 वर्षीय छात्रा की हत्या की गई थी उसमे नया खुलासा हुआ है। किशोरी उस शिक्षक को दिल दे बैठी थी, जो उसके पिता के साथ स्कूल में पढ़ाता था और जब छात्रा की सगाई हो गई तो शिक्षक अपने भांजा के साथ मिलकर उसे घर से भागकर ले गया था। बलरामपुर जिले के अतरिक्त पुलिस अधीक्षक डा. पंकज शुक्ला ने बताया कि अब तक जो पता चला है उसके मुताबिक शिक्षक व मृतिका के बीच प्रेम-प्रसंग था और दोनों 2 महीने से फरार थे। आरोपी शिक्षक शादीशुदा है तथा 2 बच्चों का पिता है। झारखण्ड के छत्तरपुर पुलिस के मुताबिक किशोरी का उसके गांव से कुछ दूर रहने वाले पारा शिक्षक भोला कुमार साव से प्रेम सम्बन्ध था। आरोपी भोला मृतिका के पिता के स्कूल में ही पढ़ाता था। इस कारण मृतिका के घर उसका आना-जाना था। पहचान होने के कारण दोनों में प्रेम हो गया था। घरवालों को जब यह बात पता चली तो उन्होंने किशोरी की शादी कहीं और तय कर दी। उसकी सगाई भी हो चुकी थी। इसी बीच 19 मई को शिक्षक अपने भांजे धर्मेंद्र कुमार के साथ मिलकर उसे भगा ले गया था। रिपोर्ट दर्ज होने के दो माह बाद भी छत्तरपुर पुलिस किशोरी का सुराग नहीं लगा पाई थी। लाश मिलने के बाद बलरामपुर पुलिस की सक्रियता से मामला का खुलासा हुआ है।

मीलों पैदल चलकर बाबाधाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को एक्युप्रेशर मालिश देने का बंदोबस्त किया
Posted Date : 24-Jul-2018 5:19:44 pm

मीलों पैदल चलकर बाबाधाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को एक्युप्रेशर मालिश देने का बंदोबस्त किया

बलरामपुर. सरगुजा, कोरिया बोल बम सेवा समिति कांवडियों के लिए कुछ खास इंतेजाम करने जा रही है। मीलों पैदल चलकर बाबाधाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को एक्युप्रेशर मालिश देने का बंदोबस्त किया जा रहा है ताकि भक्त को थोड़ी राहत मिले। समिति के सदस्यों  ने बताया कि सावन के पूरे महीने ये सेवा चलेगी। ग्राम कटोरिया में इसके लिए कैंप लगाया जा रहा है। यहां से बाबाधाम झारखंड के लिए श्रद्धालु गुजरते हैं। बीते 13 सालों से ये सेवा का काम जारी है। यहां रात में लोगों के ठहरने की व्यवस्था, भोजन,चाय,नाश्ते ,दवा, वगैरह की निशुल्क व्यवस्था की जाती है। समिति के संस्थापक अध्यक्ष  सुभाष शर्मा, दिनेश गोयल, मनोज अग्रवाल, मदन अग्रवाल, शंकर अग्रवाल, प्रमोद ठाकुर और अन्यो सदस्य इस सेवा के काम को पूरा करेंगे।
छत्तीसगढ़ : मनरेगा में काम नहीं, जाएं तो जाएं कहां… !
Posted Date : 21-Jul-2018 5:09:32 am

छत्तीसगढ़ : मनरेगा में काम नहीं, जाएं तो जाएं कहां… !

“मुझे इस साल केवल 10 दिन काम मिला. और काम मिलता तो मैं और काम करती. लेकिन इसके बाद काम मिलना बंद हो गया.” रेखा साहू धमतरी ज़िले के दरबा गांव में रहती हैं. इसी गांव के लेखन सपहा ने 12 दिन काम किया, जबकि भगवानदास सतनामी को याद ही नहीं है कि उन्होंने कितने दिन काम किया.रेखा साहू को नहीं पता कि छत्तीसगढ़ में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के तहत 150 दिन काम दिए जाने का प्रावधान है.वहीं राज्य के सूखा प्रभावित इलाकों में सरकार ने अतिरिक्त 50 दिन यानी कुल 200 दिन रोजगार की गारंटी दी है.सरकार का 150 दिनों की रोज़ी-रोटी देने का दावा हकीकत से दूर दिखता है. लेकिन सरकार की अपनी दलील है. राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव और रोज़गार गारंटी योजना के आयुक्त पीसी मिश्रा का कहना है कि गांव के लोग काम ही नहीं मांगते, इस कारण कार्य दिवस कम हैं.

अलग-अलग तस्वीर

वैसे लोगों को गांव में कुल कितने दिन काम मिला है, इसे लेकर भी मतभेद हैं. दरबा के पंचायत सचिव ज्ञानेंद्र चंद्राकर के मुताबिक़ मनरेगा के तहत गांव में तालाब को गहरा करने और नाला सफ़ाई करने का काम हुआ है और लोगों को औसतन 18 दिन का काम मिला है.दूसरी ओर पंचायत के रोज़गार सचिव मेहतरु सारंग के अनुसार लोगों को औसतन 40 दिन का काम मिला है.लेकिन गांव की सरपंच हूमन साहू कहती हैं, “मुझे याद है कि गांव में लोगों को औसतन 20 दिन का ही काम मिला है.”हालांकि पंचायत की फ़ाइलों और भारत सरकार की वेबसाइट के आंकड़ों की पड़ताल से हमें पता चला कि दरबा पंचायत में 786 सक्रिय मज़दूरों को कुल 9,841 दिन काम मिला.इसका औसत निकालें तो पता चलता है कि प्रत्येक मज़दूर को 12.52 दिन काम मिला.

रोज़गार की गारंटी

दरबा गांव, राज्य के पंचायत विकास मंत्री अजय चंद्राकर के कुरुद विधानसभा का हिस्सा है. लेकिन रोज़गार गारंटी योजना का ये हाल केवल दरबा पंचायत या कुरुद भर का नहीं है.रायपुर से अपने गांव मुरा लौट रहे चंद्रहास को इस बात का दुख है कि उनके गांव में रोज़गार गारंटी का काम 12-15 दिन चला और फिर उन्हें मजदूरी की तलाश में रायपुर शहर का रुख़ करना पड़ा.चंद्रहास हर सुबह खाने का एक डब्बा पकड़ कर काम के लिए निकलते हैं. काम मिल गया तो ठीक नहीं तो दोपहर तक वो गांव लौट आते हैं.चंद्रहास कहते हैं, “पहले जब रोज़गार गारंटी शुरू हुआ था तो खूब काम मिलता था. लेकिन अब काम की तलाश में शहर जा कर भटकना पड़ता है.””काम न मिले तो भूखे पेट लौटता हूं क्योंकि खाना खा लिया तो एक तो काम का नुक़सान, फिर ऊपर से खाने का भी.”

श्रमिकों के जॉब कार्ड

मुंगेली ज़िले के लिमहा में रहने वाले किसान नेता आनंद मिश्रा का कहना है कि पिछले चार सालों में सरकार ने जनता से सीधे तौर पर जुड़ी सारी योजनाओं को हाशिये पर कर दिया है.उनका दावा है कि रोज़गार गारंटी योजना में न तो मज़दूरी की गारंटी है और ना ही काम मिलने की.वो कहते हैं, “आप आंकड़े देखें तो छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार 150 और 200 दिन रोज़गार गारंटी की बात करती है लेकिन 2013-14 में इस सरकार ने 52 दिन, 2014-15 में 32 दिन, 2015-16 में 47 दिन, 2016-17 में 42 दिन और 2017-18 में 52 दिन का रोजगार दिया है. इस साल के आंकड़े तो और भी डराने वाले हैं.”

क्या कहते हैं केंद्र सरकार के आंकड़े?

रोज़गार गारंटी को लेकर भारत सरकार की वेबसाइट की मानें तो 18 जुलाई 2019 तक छत्तीसगढ़ में रोजगार गारंटी के तहत कुल 87 लाख सात हज़ार 936 श्रमिक पंजीकृत हैं. इनमें से 59 लाख 69 हज़ार 460 सक्रिय श्रमिक हैं.इस वर्ष रोज़गार गारंटी योजना में मानव श्रम दिवस (मैनडेज़) की बात करें तो यह कुल 6 करोड़ 37 लाख 95 हज़ार 760 दिवस रहे. श्रमिकों के हिसाब से देखें तो प्रत्येक श्रमिक को इस साल महज़ 7.32 दिन ही काम मिला है.अगर रोज़गार गारंटी योजना के तहत छत्तीसगढ़ में बनाये गए लगभग 38 लाख 45 हज़ार जॉब कार्ड के हिसाब से देखें तो भी प्रति परिवार जो रोज़गार मिला है, वो केवल 16.59 दिन ही होता है.

मज़दूरी भुगतान

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव पीसी मिश्रा के पास अपनी दलीलें हैं.वो कहते हैं, “हमारे पास मान लें कि 38 लाख परिवार हैं. उनमें से 15 लाख परिवार कभी रोजगार मांगते ही नहीं. रोजगार गारंटी योजना तो मांग आधारित है, जो मांगेगा उसे देंगे.””पिछले साल तो 3 लाख 27 हजार लोगों ने 100 दिन से अधिक दिन काम किया था.”मामला केवल काम के दिन का नहीं है. रोज़गार गारंटी योजना में 15 दिन के भीतर मज़दूरी भुगतान के मामले में भी छत्तीसगढ़ फिसड्डी साबित हुआ है.इसी महीने तीन जुलाई को विधानसभा में राज्य के पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर ने जो आंकड़े पेश किये हैं, उनके अनुसार 2016-17 की रोज़गार गारंटी का 56.88 लाख रुपये का भुगतान अभी भी लंबित है.इसी तरह 2017-18 की रोज़गार गारंटी योजना का 4878.46 लाख रुपये और 2018-19 का 8242 लाख रूपये का भुगतान सरकार ने अब तक नहीं किया.

छत्तीसगढ़ सरकार पर आरोप

रायपुर की ज़िला पंचायत अध्यक्ष शारदा देवी वर्मा का आरोप है कि कई मामलों में तो मज़दूरों का भुगतान कहीं और जमा कर दिया गया है और मज़दूर इस मामले में यहां से वहां भटक रहे हैं.उनका दावा है, “असल में देश के सभी डाकघरों को कोर बैंकिंग सॉल्यूशन से जोड़ने के चक्कर में पांच अंकों का खाता अब 10 नंबर का हो गया. इसके कारण राज्य में हज़ारों मज़दूरों की मज़दूरी किसी दूसरे के खाते में जमा हो गई.”

“खुद मेरे गांव के कई मज़दूरों के पैसे तो राजस्थान के डाक विभाग के खाते में जमा कर दिये गये हैं.”छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी कहते हैं, रोज़गार गारंटी योजना अब गरीब किसानों और मजदूरों के लिए धोखाधड़ी वाली योजना साबित हो रही है.””आज से पहले कभी भी बस्तर से आदिवासियों का पलायन नहीं होता था. लेकिन सरकार की ओर से रोज़गार गारंटी योजना में काम नहीं दिए जाने के कारण बस्तर के आदिवासी आज आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र समेत दूसरे राज्यों की तरफ पलायन कर रहे हैं.””कहीं काम मिल रहा है तो बरसों-बरस काम के पैसे नहीं दिए जा रहे हैं. राज्य और केंद्र की भाजपा सरकार काम नहीं देने और काम कराने के बाद पैसे नहीं देने की गुनहगार है.”

क्या कहते हैं मंत्री?

राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री अजय चंद्राकर इन आरोपों से इनकार करते हैं.उनका कहना है, “कुछ जगहों में भुगतान में विलंब हुआ है लेकिन राज्य सरकार अधिकांश मामलों में समय पर मज़दूरी का भुगतान की कोशिश कर रही है.””डाकघरों के खातों में बदलाव के कारण मजदूरों के पैसे दूसरे ज़िले या दूसरे राज्य में जमा होने की शिकायत मिली थी. लेकिन अब लगभग 96 प्रतिशत श्रमिकों के खाते बैंकों में खुल गए हैं, इसलिए भविष्य में ऐसी किसी गड़बड़ी की आशंका नहीं है.” छत्तीसगढ़ में 150 दिन और सूखाग्रस्त इलाकों में 200 दिन रोजगार की गारंटी देने के दावे पर चंद्राकर कहते हैं, “मनरेगा के प्रावधान के तहत हमारी सरकार ने प्रति परिवार 32 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया है. अगर देश का औसत देखें तो यह केवल 28 दिन है. ऐसे में यह मानने का कोई कारण नहीं है कि हम रोजगार देने में पीछे हैं.”

40 मिमी ज्यादा बारिश हो गई पर नदी नालों का नहीं बढ़ा जल स्तर
Posted Date : 13-Jul-2018 8:20:42 am

40 मिमी ज्यादा बारिश हो गई पर नदी नालों का नहीं बढ़ा जल स्तर

दुर्ग। मूसलाधार बारिश का सीजन आषाढ़ आधे से ज्यादा बीत गया है। पिछले साल की तुलना में इस बार बारिश भी अच्छी हुई है, लेकिन टुकड़ों में बारिशके कारण जलाशयों में पानी पहुंचना तो दूर, नदी-नालों में ठीक से बहाव की स्थिति भी नहीं बनी है। इससे जलाशयों में बमुश्किल दो से तीन फीसदी जल भराव हो पाया है। जून के मध्य में जिले की प्यास बुझाने वाले तांदुला जलाशय में करीब 14 फीसदी पानी था। यह बढ़कर 17.29 फीसदी पहुंचा है। जिले में इस बार मानसून करीब 10 दिन विलंब से पहुंचा। इसके बाद भी बारिश की शुरुआत अच्छी रही लेकिन यह खंड वर्षा तक सिमट कर रह गया। हालात यह है कि जिले में झमाझम बारिश अब तक नहीं हुई। दूसरी ओर जलाशयों के मौजूदा जलभराव की स्थिति संतोषजनक नहीं है। अफसरों के मुताबिक जलाशयों में कम भराव का कारण कैचमेंट एरिया में खंड वर्षा है। गौरतलब है कि बालोद जिले के तांदुला और खरखरा जलाशय से बीएसपी समेत अन्य उद्योगों और बड़े रकबे को सिंचाई के लिए पानी मिलता है। दुर्ग-भिलाई नगरीय निकाय को भी यहीं से पानी मिलता है। खंडवर्षा के कारण नदी-नालों में अब भी ठीक से बहाव नहीं बन पाया है। दूसरी ओर दुर्ग-भिलाई को पेयजल सप्लाई करने वाले महमहा एनीकट की भी स्थिति ठीक नहीं है। यहां अभी बारिश का पानी पहुंचना शुरू नहीं हुआ है। वर्ष 2016 में जुलाई में शिवनाथ का महमरा एनीकट छलक गया था। जुलाई के मध्य में जिले के साथ राजनांदगांव के मोंगरा और बालोद के खरखरा के कैचमेंट में कई दिनों तक बारिश हुई थी। पिछले साल भी जुलाई में मोगरा जलाशय का गेट खोलना पड़ा था जिसके कारण शिवनाथ का जल स्तर बढ़ा था। पिछले साल मानसून में देरी के कारण आषाढ़ में ठीक से बारिश नहीं हुई थी।
इस बार शुरूआत अच्छी हुई है। अब तक जिले में पिछले साल की तुलना में 40 मिलीमीटर ज्यादा बारिश हो चुकी है। पिछले साल इसी अवधि तक 231.7 मिमी वर्षा हुई थी। इस बार 271.3 मिमी वर्षा दर्ज की गई है।

जलाशयों में पहुंच रहे पानी

इस संबंध में जल संसाधन विभाग के ईई बीजी तिवारी का कहना है कि तेज बारिश भले ही नहीं हुई है, लेकिन अच्छी बात यह है कि जलाशयों में पानी पहुंचना शुरू हो गया है। तांदुला गर्मी पर अधिकतम सेव से नीचे चला गया था और खरखरा से पानी लेना पड़ रहा था। आवक से जल्द स्थिति सुधरने की उम्मीद है।

नौकरी दिलाने आठ बेरोजगारों से ठगे 20 लाख
Posted Date : 12-Jul-2018 5:38:37 am

नौकरी दिलाने आठ बेरोजगारों से ठगे 20 लाख

रायपुर। रायपुर नगर निगम में अलग-अलग पदों पर नौकरी लगाने का झांसा देकर बलौदाबाजार, दुर्ग और बेमेतरा जिले के आठ बेरोजगारों से 20 लाख रुपये ठगने के मामले में बुधवार को पुलिस ने शातिर बंटी-बबली को गिरफ्तार किया। पकड़ी गई महिला और उसका सहयोगी खुद को नगर निगम में कार्यरत होना बताकर बड़े अधिकारियों से जान-पहचान का हवाला देकर बेरोजगारों को झांसे में लेते थे।
एडिशनल एसपी सिटी प्रफुल्ल ठाकुर, डीएसपी क्राइम अभिषेक माहेश्वरी ने पुलिस कंट्रोल रूम में मामले का पर्दाफाश किया। उन्होंने बताया कि तीन साल पहले रायपुर नगर निगम में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी समेत अन्य पदों पर नौकरी लगवाने के नाम पर बोरियाखुर्द टिकरापारा की महिला ठग प्रतिभा सेठ्ठी उर्फ रूपाली (32) तथा उसके साथी बलौदाबाजार जिले के खपरी भाटापारा निवासी भागवत साहू (26) ने कोचिंग संचालक समेत आठ बेरोजगारों से 20 लाख रुपये की ठगी की थी। बेरोजगारों को तीन साल बाद भी नौकरी नहीं मिली और आरोपियों ने कॉल रिसीव करना बंद कर दिया तब पीडि़तों ने गुरुवार को ठगी की शिकायत सिटी कोतवाली में की। पुलिस ने जांच उपरांत चार सौ बीसी का केस दर्जकर दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी की। बलौदाबाजार जिले के ग्राम रोहरा भाटापारा निवासी विनोद निषाद (30) समेत आठ बेरोजगारों ने लिखित शिकायत में बताया कि गांव के भागवत साहू ने नौ अप्रैल 2015 को खुद को नगर निगम रायपुर जोन क्रमांक 6, 2, 3 का कर्मचारी बताया और चतुर्थ श्रेणी के पदों में नौकरी दिलाने का दावा किया। भागवत साहू ने प्रतिभा सेठ्ठी पति संदीप चंद्राकर को निगम अधिकारी बताकर बेरोजगारों से मिलवाया।
झांसे में आकर जनवरी व अगस्त 2015 में विनोद निषाद ने दो लाख, रिखी साहू ने दो लाख 50 हजार, पुनीत साहू ने दो लाख 50 हजार, भोला निषाद ने एक लाख 80 हजार, मोहन निषाद ने तीन लाख, धनुष वर्मा ने तीन लाख, नरेंद्र साहू ने 90 हजार, पोषण साहू ने 90 हजार तथा अन्य बेरोजगारों ने किश्तों में कुल 20 लाख रुपए उसे नगर निगम गार्डन में दिया। इसके बाद जब तय समय पर नौकरी नहीं मिली तो पीडि़तों ने उन्हें लगातार कॉल कर रकम वापस मांगी। इस पर दोनों आरोपियों ने काल रिसीव करना बंद कर दिया।
बैंक में पैसा जमा करने निकला युवक 49 हजार रुपए लेकर रफूचक्कर
गंज थाना क्षेत्र के स्टेशन रोड स्थित पीएनबी में पैसा जमा करने पहुंचे आटो पाट्र्स दुकान के नौकर को झांसा देकर 49 हजार रुपये लेकर युवक भाग निकले। पुलिस ने मामले में अपराध कायम किया है। नौ जुलाई को दोपहर 3.30 बजे दुकान संचालत नरेश कोचर ने 49 हजार रुपये सुभाष को देकर स्टेशन रोड स्थित पंजाब नेशनल बैंक में जमा करने को भेजा था। सुभाष के अनुसार बैंक के सामने 25 से 27 साल के दो युवक मिले। उन्होंने कहा कि मैं भी पैसा जमा करने बैंक आया हूं, घर में अपना मोबाइल भूल गया हूं। मुझे घर बात करना है, अपना मोबाइल दे दो। यह सुनकर सुभाष ने मोबाइल दे दिया। ठग ने मोबाइल पर बात करते हुए कहा कि लाओ तुम्हारा पैसा भी बैंक में जमा कर देता हूं। विश्वास कर सुभाष ने उसे पैसा दे दिया। इसी दौरान वह दोनों मोबाइल व नकदी रकम लेकर भागने लगे, जिसे देखकर सुभाष ने कुछ दूर तक पीछा भी किया, लेकिन पकड़ नहीं सका।