छत्तीसगढ़

 बैडमिंटन संघ ने हर्षित का सम्मान किया
Posted Date : 25-Nov-2018 12:37:20 pm

बैडमिंटन संघ ने हर्षित का सम्मान किया

कोरबा । छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय 18वीं जूनियर अंडर 19 बैंडमिटन प्रतियोगिता में एकल का चैंपियनशिप अपने नाम करने में नगर के हर्षित ठाकुर ने कामयाबी हासिल की है। इस कामयाबी पर जिला बैडमिंटन संघ ने हर्षित का सम्मान किया। 
इस उपलब्धि के साथ हर्षित अब सीधे राष्ट्रीय स्तर की बैडमिंटन प्रतियोगिता में भाग ले सकेगा। राष्ट्रीय स्पर्धा बेंगलूरु में होने वाली है, जिसमें छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व हर्षित करेगा। छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय चैंपियनशिप बीजापुर में आयोजित थी, जिसमें नगर के हर्षित ठाकुर एकल में चैंपियन बना। सम्मान समारोह में जिलाध्यक्ष अशोक शर्मा, सचिव गोपाल शर्मा, उपाध्यक्ष संजय अग्रवाल के साथ हर्षित के माता पिता शामिल थे। जिला संगठन ने हर्षित को नेशनल में भी जिले के साथ छत्तीसगढ़ का नाम रौशन करने प्रोत्साहित किया। 

स्टील प्लांट का निरीक्षण करने आयेंगी राज्यपाल
Posted Date : 24-Nov-2018 9:48:28 am

स्टील प्लांट का निरीक्षण करने आयेंगी राज्यपाल

जगदलपुर। केन्द्र सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल एनएमडीसी स्टील प्लांट देखने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल नगरनार आएंगी। 26 नवंबर को एक दिन के दौरे पर जगदलपुर आ रही राज्यपाल स्टील प्लांट का अवलोकन करने के अलावा नगरनार मार्ग स्थित आड़ावाल में लाइवलीहुड कॉलेज में रोजगार मूलक कार्यो का प्रशिक्षण ले रहे युवा उद्यमियों से मिलकर कौशल उन्नयन की गतिविधियों से रूबरू होंगी। आड़ावाल में ही समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित दिव्यांग बच्चों के आश्रम शाला में भी राज्यपाल के जाने का कार्यक्रम बनाया जा रहा है। इस बीच कलेक्टर डॉ अय्याज तंबोली ने नगरनार स्टील प्लांट प्रबंधन को भी तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। राज्यपाल नगरनार स्टील प्लांट देखने जा सकती हैं। राज्यपाल के नगरनार स्टील प्लांट के संभावित दौरे को देखते हुए एनएमडीसी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। नगरनार स्टील प्लांट प्रधानमंत्री कार्यालय के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। करीब 17 हजार करोड़ रूपये की लागत से तीन मिलियन टन सलाना उत्पादन क्षमता का यह स्टील प्लांट बनकर लगभग तैयार है। अगले साल इसकी फायनल कमीशनिंग की तैयारी की दिशा में काम तेजी से चल रहा है। राज्यपाल के दौरे को देखते हुए एनएमडीसी मुख्यालय हैदराबाद से रविवार को उच्चाधिकारियों के दल के भी पहुंचने की खबर है।
राज्यपाल के 26 नवंबर को प्रस्तावित बस्तर दौरे को लेकर जिला प्रशासन के अधिकारी अभी कुछ नहीं बोल रहे हैं। े एक दो उच्चाधिकारियों से राज्यपाल के प्रवास की तैयारियों को लेकर संपर्क किया लेकिन अधिकारियों का कहना था कि अभी आधिकारिक कार्यक्रम राजभवन में नहीं मिला है। राजभवन से आधिकारिक तौर पर कार्यक्रम जारी होने के बाद ही कुछ बता पाना संभव हो पाएगा। अभी तक जो भी तैयारियां चल रही हैं वह राजधानी से मिले मौखिक निर्देश के आधार पर की जा रही हैं।
एक दिन के प्रवास पर आ रही राज्यपाल अपने व्यस्त कार्यक्रम के बीच किसी एक आंगनबाड़ी में गतिविधियां देखनें जा सकती हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने आड़ावाल से लेकर नगरनार तक स्थित सभी आंगनबाडिय़ों को सतर्क कर दिया है। इसके पहले तत्कालीन राज्यपाल नरसिम्हन 2009-10 में बस्तर ब्लाक के ग्राम टाकरागुड़ा में आंगनबाड़ी केन्द्र के निरीक्षण के लिए पहुंचे थे। हाल ही में बीस दिनों पहले भी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल बस्तर आई थी। वे चित्रकोट जलप्रपात देखनें गई थी और वहां आंगनबाड़ी के बच्चों से मिली थी।

चुनावी जीत- हार को लेकर जांजगीर-चांपा में गरम हुआ सट्टे का बाजार
Posted Date : 24-Nov-2018 9:46:50 am

चुनावी जीत- हार को लेकर जांजगीर-चांपा में गरम हुआ सट्टे का बाजार

जांजगीर-चांपा। विधानसभा चुनाव में कौन हारेगा और कौन जीतेगा, यह तो 11 दिसम्बर को मतगणना के बाद सामने आएगा, लेकिन0 इसे लेकर अभी सियासी सट्टे का बाजार गरमाया हुआ है। मतदान के बाद से सट्टे के   खाईवाल सक्रिय हैं और रोजाना लाखों के दांव लगाए जा रहे हैं।
जिले के बाजारों और चौक-चौराहों पर दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के अलावा गठबंधन के प्रत्याशियों की जीत-हार पर दांव लग रहे हैं। बताया जा रहा है कि सटोरिए सबसे अधिक सत्तापक्ष के प्रत्याशियों की जीत को लेकर आश्वस्त हैं। इन्हीं पर ज्यादा दांव लगा रहे हैं, हालांकि, विपक्ष के कुछ युवा प्रत्याशियों पर भी लाखों रुपए की बाजी लग रही ।
सट्टेबाजी में जिले के युवा व्यापारी, पुराने सटोरिए, सरकारी कर्मचारी भी बढ़-चढक़र हिस्सा ले रहे हैं। सट्टेबाजों के सक्रिय होने की जानकारी पुलिस और क्राइम ब्रांच को भी है और वे भी सटोरियों की गतिविधियों पर नजर रखने  के लिए मुखबिरों की मदद ले रहे हैं, लेकिन अब तक ऐसे एक भी मामले में कार्रवाई नहीं हुई है।
जिले में लोकसभा, विधानसभा चुनाव में लाखों का दांव लगाने में पीछे नहीं रहते। सक्ती और उससे लगे आउटर में ही सियासी सट्टा बाजार नहीं गरमाया है, बल्कि जिले के अन्य इलाकों में भी यही स्थिति है। एक जानकार   सटोरिए के अनुसार, जिले में अब तक लाखों का सियासी सट्टा लग चुका है। जांजगीर-चांपा, अकलतरा, पामगढ़, सक्ती, जैजैपुर और चंद्रपुर में कांटे की टक्कर है। इनमें से कुछ सीटों पर सत्ता पक्ष और बाकी सीटों पर विपक्ष की जीत को लेकर सबसे अधिक सट्टा लग चुका है।
मतदान की समाप्ति के बाद थकान मिटा रहे प्रत्याशी और उनके समर्थक हार-जीत का गुणा भाग लगाने में व्यस्त हैं। किस बिरादरी का किसे समर्थन मिला और कौन सी बिरादरी उनके साथ रही, इस पर मंथन के बाद   प्रत्याशी  आंकड़े निकाल रहे हैं। तो वहीं सटोरिए भी अपना आंकड़ा बैठाने में लगे हैं। ऐसे में लोगों को इंतजार है सिर्फ पुलिस के जागने का।

तेज रफ्तार ट्रेलर घर की बाड़ी मे जा घुसा
Posted Date : 24-Nov-2018 9:45:15 am

तेज रफ्तार ट्रेलर घर की बाड़ी मे जा घुसा

रायगढ़। तमनार अंतर्गत ग्राम लिबरा के मुख्य मार्ग पर तेज रफ्तार ट्रेलर घर से लगे बाड़ी में जा घुसा। अच्छी बात यह रही कि इस हादसे में किसी को कोई चोट नहीं लगी। घटना बीती रात की है। ट्रेलर वाहन क्रमांक ओ डी 16 डी 73 49 को तेज रफ्तार गति से चला रहा था तभी वह गाड़ी से नियंत्रण खो बैठा और गाड़ी बाडीÞ में जा घुसा। पुलिस ने आरोपी वाहन चालक के खिलाफ जुर्म दर्ज कर उसे हिरासत में ले लिया है। आरोपी वाहन चालक ने बताया कि सामने से एक गाड़ी आ रही थी उसे साइड देने के चक्कर में वाहन अनियंत्रित हो गया। सडक़ किनारे बने सीमेंट का बोर्ड को पहले ठोकर मारा जिससे वो टूट कर नीचे खेत में गिरा, उसके बाद लगभग 50 मीटर दूर गाड़ी अनियंत्रित होकर घर अंदर बाड़ी के अंदर जा घुसी।

खूंटाघाट से पानी लाने की योजना पर काम फि र शुरू
Posted Date : 24-Nov-2018 9:43:19 am

खूंटाघाट से पानी लाने की योजना पर काम फि र शुरू

बिलासपुर।  विधानसभा चुनाव और खेतों में किसानों की फसल होने से अमृत मिशन योजना के तहत पाइप लाइन डालने का काम रोक दिया गया था। अब ठेकेदार को फिर काम शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्य पाइप डालने के बाद उसे शहर के अंदर सडक़ों की खोदाई करके पाइप बिछाने हैं। इस बार उनका पाइप महज पानी टंकी तक जाएगा, इसलिए गलियों को इस बार नहीं खोदा जाएगा। 
खूंटाघाट से बिरकोना आने वाली नहर के किनारे-किनारे बांध तक पाइप लाइन डाली जा रही है। इसके जरिए बांध से पानी बिरकोना लाया जाएगा। यहां उसे फिल्टर करके लोगों को पेयजल के लिए देंगे। बारिश के दौरान नहर के किनारे खेतों में किसानों ने अपनी फसल लगा दी। ऐसे में पाइप लाइन डालने से उनकी फसल चौपट हो सकती थी। इसके चलते ठेकेदार को काम करने से रोक दिया गया था। इसी तरह बिरकोना फिल्टर प्लांट से शहर के अंदर पानी टंकी तक पाइप लाइन डलेगी। इसके लिए शहर के अंदर मुख्य सडक़ों को खोदना पड़ता। विधानसभा चुनाव में जहां नई सडक़ें बन रही थीं, वहां ठेकेदार को खोदाई की अनुमति देना संकट पैदा कर सकती थी। इसे देखते हुए शहर के अंदर भी उसका काम बंद था। केवल बिरकोना में फिल्टर प्लांट का निर्माण चल रहा है। चुनाव खत्म होते ही फिर एक बार ठेकेदार को अब अपना बचा हुआ काम जल्द करने के निर्देश दिए गए हैं। अब वह फिल्टर प्लांट से पानी टंकी तक पाइप लाइन डालने का काम कर पाएगा। इसके लिए उसे मुख्य सडक़ों के किनारे ही खोदाई करनी पड़ेगी। गलियां इससे प्रभावित नहीं होंगी। इसके अलावा ज्यादातर किसानों ने अपनी फसल भी काट ली है। इससे मुख्य पाइप लाइन डालने के लिए भी ठेकेदार को जगह मिल गई है। उसे खेतों में भी जहां जगह मिले पाइप डालने का काम शुरू करने होंगे। निगम ने दावा किया है कि इस प्रोजेक्ट के बनकर तैयार होने के बाद शहर के लोगों को आने वाले 30 सालों तक पेयजल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।  केंद्र सरकार की अमृत मिशन योजना के तहत इस प्रोजेक्ट को लिया गया है। बांध के पानी को पाइप लाइन के जरिए शहर से लगे बिरकोना गांव तक लाया जाएगा। वहां से उसे फिल्टर करके पेयजल के लिए सप्लाई की जाएगी। इस योजना के तैयार होने के बाद भू-जल का उपयोग पेयजल के लिए नहीं होगा। इससे शहर का जलस्तर ऊंचा होगा जो विपरीत परिस्थिति में पेयजल के काम आएगा। मालूम  हो कि वर्तमान में शहर की पूरी पेयजल व्यवस्था भू-जल पर आधारित है। निगम हर साल दर्जनों की संख्या में जमीन पर छेद करता है और उसके जरिए पानी खींचकर पाइप लाइन से सप्लाई करता है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि हर साल बेतहाशा पानी खींचने से शहर का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। यही कारण है कि गर्मियों में यहां पानी का संकट खड़ा हो जाता है। नतीजतन निगम को हर साल ज्यादा गहराई में पंप कराकर पेयजल की व्यवस्था करती पड़ती है। 
सीधे टंकी में चढ़ेगा पानी
नगर निगम के अमृत मिशन प्रोजेक्ट में सबसे खास यह है कि बिरकोना में पानी साफ होने के बाद उसे बिरकोना में ही ऊंचे बने टंकी तक पंप करके पहुंचाया जाएगा। इस टंकी से पानी छोडऩे पर उसका फोर्स इतना होगा कि वह शहर में बनी  पानी टंकियों तक बिना पंप किए ही चढ़ जाएगा। इससे निगम को हर पानी टंकी में ऊपर पानी चढ़ाने के लिए पंप लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे बिजली बिल की भी बचत होगी।
भू-जल स्तर में लगातार गिरावट
शहर पूरी तरह से भू-जल पर निर्भर है। विशेषज्ञों की राय है कि भूकंप या अन्य कारणों से कई बार जमीन के अंदर के पानी के बहाव की दिशा बदल जाती है। ऐसा हुआ तो एकदम से शहर में पेयजल संकट की स्थिति बन जाएगी। ऐसे में सतही पानी पर निर्भरता को ही पेयजल के लिए सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। इसके अलावा लगातार पानी का दोहन करने से भू जलस्तर भी लगातार गिर रहा है।
ऐसा है प्रोजेक्ट
योजना अमृत मिशन
लागत 300 करोड़ रुपये
ठेकेदार ह्यूम पाइप
पानी आएगा खूंटाघाट बांध से
लंबाई 30 किमी
सुविधा 24 घंटे पानी
फिल्टर प्लांट बिरकोना में
बांध से ही पानी क्यों
राष्ट्रीय मानक के अनुसार पानी में टीडीएस(कुल घुलित ठोस) की मात्रा 500 एमजी प्रति लीटर होनी चाहिए। जमीन के अंदर से निकलने वाले पानी में यह मात्रा 100 से 150 एमजी तक रहता है। जबकि बहते पानी में इसकी मात्रा निर्धारित मानक के अनुसार होती है। इस तरह बांध से पानी लाना स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जा रहा है। पानी में कुल घुलित ठोस में कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम आदि तत्व होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। वर्तमान में आरओ वाटर को इसी लिहाज से ठीक नहीं माना जाता है। 
खूंटाघाट ही एकमात्र विकल्प शहर को पेयजल की आपूर्ति के लिए शिवनाथ नदी में दगोरी के पास प्लांट लगाने की योजना भी बनी थी। वहां से पानी लाने के लिए दो जगहों पर विशाल पंप लगाने पड़ते। इन पंपों को चलाने के लिए हर माह लाखों रुपये का बिजली बिल देना पड़ता, जो निगम के लिए संभव नहीं था। इसी तरह चेकडेम में नाली का  पानी आने के कारण उसे फिल्टर करना संभव नहीं है। लछनपुर डायवर्सन में इतना पानी नहीं रुकता कि उससे शहर के पेयजल की मांग को पूरा किया जा सके। ऐसे में निगम के पास केवल खूंटाघाट बांध ही एकमात्र विकल्प है।
ठेकेदार वर्तमान में फिल्टर प्लांट और टंकी निर्माण का काम कर रहा है। उसे बचे अन्य कार्यों को भी तेजी से पूरा करने के लिए कहा गया है। बांध
तक पाइप लाइन डालने में दिक्कत थी, क्योंकि किसानों की फसल खराब हो जाती। अब ज्यादातर ने अपनी फसल काट ली है। जहां भी उन्हें जगह मिले काम पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
पीके पंचायती
ईई व प्रोजेक्ट प्रभारी, नगर निगम

साढ़े 13 हजार बनाकर रद कर दिए 15 हजार बीपीएल कार्ड
Posted Date : 24-Nov-2018 9:42:32 am

साढ़े 13 हजार बनाकर रद कर दिए 15 हजार बीपीएल कार्ड

बिलासपुर।  बीपीएल राशन कार्ड बनाने के खेल ने प्रदेश में बिलासपुर जिला की कुछ ऐसी तस्वीर पेश कर दी है जिसे अच्छा नहीं कहा जा सकता है। बिलासपुर प्रदेश का ऐसा पहला जिला बन गया है जहां बीपीएल राशन कार्डों की भरमार है। यहां चार लाख 81 हजार 212 बीपीएल राशन कार्डधारी है। प्रदेश के अन्य जिलों से सर्वाधिक ज्यादा आंकड़ा है। विधानसभा चुनाव के छह महीने पहले फिर एक फर्जीवाड़ा हुआ । आनन-फानन पहले साढ़े 13 हजार राशन कार्ड फिर जारी किया गया । फिर क्या हुआ कि 15 हजार कार्ड को एकसाथ रद कर दिया । मतलब नए बनाए साढ़े 13 हजार के अलावा डेढ़ हजार पुराने कार्ड से खाद्यान की आपूर्ति बंद कर दी गई । राज्य शासन ने गरीबों को दो वक्त का भोजन मुहैया कराने के लिए वर्ष 2012 में खाद्य सुरक्षा कानून बनाई थी। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ देश का पहला प्रदेश बना जहां गरीबों को भोजन व्यवस्था के लिए कानून बनाया गया । इसके ठीक एक वर्ष बाद वर्ष 2013 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित था। चुनाव के ठीक पहले प्रदेशभर में खाद्य विभाग के निर्देश पर अंधाधुंध राशन कार्ड बनाए गए । 16 लाख लोगों को कार्ड थमा दिया गया। हर महीने इनको खाद्यान भी मिलने लगा। वर्ष 2014 में लोकसभा का चुनाव हुआ। केंद्र की सत्ता पर भाजपा के काबिज होने के बाद राज्य शासन के निर्देश पर राशन कार्डों की डोर-टू-डोर जांच पड़ताल शुरू हुई। अचरज की बात ये कि पड़ताल के बाद प्रदेशभर में सात लाख कार्ड रद कर दिए गए । प्रदेश के साथ ही बिलासपुर जिले में एक लाख 30 हजार राशन कार्ड बनाए गए। इसके साथ ही आंकड़ा चार लाख 81 हजार 212 हो गया है। प्रदेश में यह आंकड़ा सबसे ज्यादा है।
छह महीने पहले बनाए साढ़े 13 हजार कार्ड
खाद्य विभाग के अफसरों की देखरेख में छह महीने पहले जिले में साढ़े 13 हजार नए राशन कार्ड बनाए गए थे। अचानक विभागीय अफसर जागे और एक झटके में 15 हजार 782 राशन कार्ड को रद कर दिया गया है। 
छह महीने तक खाद्यान आपूर्ति का क्या होगा
बीपीएल राशन कार्ड बनाने के साथ ही गरीबों के छह महीने तक जिले के विभिन्न राशन दुकानों से खाद्यान की आपूर्ति भी की जा रही थी। गलत तरीके  से बनना बताते हुए कार्ड को रद कर दिया गया है। अब यह सवाल उठने लगा है कि मापदंडों को पूरा न करने वालों का कार्ड किस आधार पर जारी किया गया। कार्ड जारी करने के साथ ही इनको छह महीने से राशन की आपूर्ति भी की जा रही थी। लाखों रुपये का चूना शासन को लगाया गया है। इसकी भरपाई कौन करेगा ।
ऐसे जोड़े और रद किए गए राशन कार्ड
महीना जोड़े गए रद किए गए
 अप्रैल 634 282
 मई 779 5076
जून 1843 6887
जुलाई 4172 2020
अगस्त 2844 1062
सितंबर 2499 455
आधार सीडिंग व अन्य तकनीकी जांच की वजह से अलग-अलग जगहों पर रहते हुए जिन
लोगों ने अपने नाम से राशन कार्ड बनवा लिए थे उनका एक जगह का कार्ड रद
किया गया है। वैसे भी कार्ड बनाना व नए नाम जोडऩा यह निरंतर चलने वाली
प्रक्रिया है। इसके बाद भी अगर लगता है कि कहीं गड़बड़ी हुई है तो जांच करा
ली जाएगी ।
बीएस उइके-अपर कलेक्टर