जगदलपुर, 01 दिसंबर । जिस प्रकार से नगर में चोरी की घटनायें बढ़ी और गत् कुछ माहोंं से बैंक में जमा राशि को ऑनलाईन धोखााधड़ी का शिकार बनाकर लूटा गया है, उससे बैंकों व आम जनता को अपनी नगदी या जमा राशि की चिंता सता रही है। जानकारी के अनुसार शहर में चोरी की घटनायें बढ़ी हैं और पुलिस चोरों को पकडऩे में असफल हुई हैं। इसी के साथ ऑनलाईन चोरी करने वालों की भी संख्या बढ़ी है। पुलिस चाहकर भी ऑनलाईन चोरी करने वालों का सुराग लगाने में असमर्थ सिद्ध हुई है।
उल्लेखनीय है कि पहले लोग घरों में अपनी नगदी व अन्य बहुमूल्य सामग्री तिजोरीयों में या जमीन में गाडक़र रखते थे, लेकिन समय के साथ ये दोनों साधन चोरी की घटनाओं से समाप्त प्राय हो गये। लोग अपनी नगदी व बहुमूल्य संपदा को बैंकों में रखकर चैन की सांस ले रहे थे, लेकिन इन्टरनेट का प्रसार बढऩे और इसका उपयोग बैंकों सहित आम लोगों में होने से बैंकों में जमा राशि भी असुरक्षित हो गई है। अब उनके खातों से ही आनलाईन देखते-देखते राशि उड़ा ली जाती है। इसी से लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है। ऑनलाईन ठगी के मामले में भी गत् दो माह के भीतर कई घटनायें सामने आई, लेकिन ठगी करने वालों या चोरी करने वाले को अभी तक पकड़ा नहीं जा सका है और इन घटनाओं के शिकार लोगों को राहत नहीं मिल सकी है।
0 रायपुर रेफ र करने की चल रही तैयारी
कांकेर , 1 दिसम्बर ।कांकेर के वरिष्ठ भाजपा नेता एवं इस विधानसभा चुनाव में पार्टी के चुनाव संचालक रहे अनिरुद्ध साहू एवं एक अन्य महिला पर आज सुबह भालू ने प्राणघातक हमला कर दिया। घटना कोदाभाट गांव की है। जहां अनुरुद्ध साहू अपनी पत्नी के साथ मॉर्निंग वॉक करने निकले थे, तभी अचानक भालू ने उनपर हमला कर दिया और वे गंभीर रूप से घायल हो गए। उनकी पत्नी भी इस हमले में घायल हो गईं हैं। इसके करीब 5 मिनट बाद उसी क्षेत्र के पास एक महिला पर भालू ने हमला किया। महिला का बुरी तरह जख्मी होना बताया जा रहा है।घायलों को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। वहां से रायपुर रैफर करने की तैयारी है।
० 3 अपहृतों का कोई सुराग नहीं मिला
बीजापुर, 01 दिसंबर । बीजापुर जिले के गंगालूर थाना क्षेत्र के 25 वर्षीय युवक मासा ताती एवं एक अन्य ग्रामीण का नक्सलियों ने दो दिन पूर्व अपहरण कर लिया। नक्सलियों ने शुक्रवार की रात अपहृत मासा ताती की हत्या कर दी, जबकि दूसरे युवक के बारे में कोई सुराग नहीं मिल पाया है। शव के समीप नक्सलियों ने हत्या के कारण संबंधित कोई परचा नहीं छोड़ा है। इधर, गंगालूर थाना क्षेत्र के पुसनार गांव से भी नक्सली दो लोगों को बंधक बनाकर ले गए हैं।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक गंगालूर थाना क्षेत्र के पालनार निवासी मासा ताती एवं एक अन्य ग्रामीण को नक्सली दो दिन पहले बंदूक की नोक पर गांव से अगवाकर ले गए थे। शनिवार सुबह मासा की लाश गांव के बाहर मुख्य सडक़ पर पड़ी मिली। बताया गया है कि मासा पहले जेसीसी का कार्यकर्ता था, लेकिन कई दिनों पहले उसने पार्टी छोड़ दी थी। मासा की हत्या का कारण अज्ञात है। दूसरे युवक के बारे में कोई सुराग नहीं मिल पाया है। ग्रामीणों के मुताबिक इस वारदात से गांव में दहशत का माहौल है।
इधर, गंगालूर थाना क्षेत्र के ही पुसनार गांव से भी दो लोगों को नक्सली बंधक बनाकर ले गए हैं। इस घटना की पुष्टि एसपी मोहित गर्ग ने की है।
उल्लेखनीय है कि चुनाव से पहले नक्सलियों ने गंगालूर के बद्देपारा से दो ग्रामीणों को अगवा किया था और इनमें से एक ग्रामीण लमड़ी की मुखबिरी के शक में हत्या कर, दूसरे को मारपीट कर रिहा कर दिया था।
जगदलपुर, 01 दिसंबर । बस्तर डीआईजी रतनलाल डांगी ने कहा कि माओवादियों के केंद्रीय कमेटी के महासचिव गणपति को हटाकर केंद्रीय सैन्य आयोग के प्रमुख बसवराजू को महासचिव बनाने के बाद गणपति के समर्थक विद्रोह या समर्पण न कर दें, इस डर से केंद्रीय प्रवक्ता द्वारा विज्ञप्ति जारी किया गया है। विज्ञप्ति में गणपति के स्वास्थ्गत कारणों से इस्तीफा दिए जाने की बात कही गई है इसमें कोई सच्चाई नहीं है।
माओवादियों के केन्द्रीय प्रवक्ता अभय ने प्रेस नोट में जब इस बात की पुष्टि की तो इसका जवाब देते हुए डीआईजी डांगी ने सोशल मीडिया में लिखा है कि स्वास्थ्यगत कारणों से गणपति को महासचिव के पद से हटाने की बात में कोई सच्चाई नहीं है। वर्ष 2018 में सुरक्षाबलों की आक्रामकता के चलते माओवादियों को पांच दशक के इतिहास में सबसे अधिक नुकसान हुआ है। सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में सर्वाधिक केडर वाले नक्सलियों को नुकसान पहुंचाया है, इसका खुलासा नक्सलियों की विज्ञप्ति से भी होता है। उन्होंने कहा पहली बार फोर्स ने शहरी क्षेत्रों में सक्रिय माओवादियों पर भी शिकंजा कसा है। माओवादियों की केंद्रीय समिति में लंबे समय से शीर्ष नेतृत्व को लेकर नाराजगी देखी जा रही थी, जिसके परिणामस्वरूप गणपति का तख्ता पलट हुआ है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1992 में भी ऐसा ही कोंडापल्ली सीता रम्मैया के साथ भी हुआ था। श्री डांगी ने कहा कि कैडर में गणपति के समर्थक माओवादी विद्रोह या आत्म समर्पण न कर दें, इस डर से केंद्रीय प्रवक्ता अभय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्वास्थ्यगत कारणों से गणपति के महासचिव पद से इस्तीफा दिए जाने की बात कही है, लेकिन इसमें रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है, बल्कि यह नक्सलपंथ में अंदरूनी कलह का नतीजा है।
रायपुर, 01 दिसंबर । हाल ही में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा केसरीनंदन, मारूतिनंदन श्री हनुमानजी को दलित जाति का बताए जाने पर शहर के आस्थावादी नाराज हो गए हैं। योगी के बयान के तुरंत बाद अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय द्वारा हनुमान जी को अनुसूचित जनजाति का बताए जाने पर राजा तालाब हनुमान मंदिर में नियमित दर्शन करने वाले पंडित हरिशंकर मिश्रा ने भगवान का जातिकरण करने पर गहरी आपत्ति व्यक्त की है। पूर्व उप महाअधिवक्ता उच्च न्यायालय बिलासपुर डॉ. निर्मलकुमार शुक्ला, सिविल लाइंस निवासी हाईकोर्ट अधिवक्ता जेडी वाजपेयी एवं ब्राम्हणपारा निवासी अधिवक्ता केके शुक्ला ने आस्था के साथ खिलवाड़ करने पर योगी एवं साय द्वारा तत्काल माफी नहीं मांगने पर अदालती कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। ज्ञातव्य है कि रामचरित्र मानस में भी गोस्वामी तुलसीदास ने कांधे मुंज जनेउ साजे शब्द का उपयोग किया है जिससे यह प्रमाणित होता है कि हनुमान जी ब्राम्हण थे न की अन्य जाति वर्ग के यह विचार सुंदर नगर निवासी श्रीमती मीनल पाठक ने व्यक्त किया है।
रायपुर, 30 नवंबर । छत्तीसगढ़ राज्य में विधानसभा चुनाव निर्वाचन आयोग की कुशल संचालन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ है जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। समाचार पत्र के माध्यम से ज्ञात हुआ कि चुनाव खर्च की राशि की सीमा? 2800000 निर्धारित है इसे बढ़ाने की मंशा कांग्रेश और भाजपा के प्रत्याशी की है । निर्वाचन आयोग से निवेदन है कि आने वाले चुनाव में उक्त राशि खर्च करने की सीमा और घटाई जाए ताकि ईमानदार राष्ट्रभक्त और राज्य और राष्ट्र की सेवा को इक्छुक सेवाभावी लोग विधायक ,सांसद बनकर इमानदारी से राष्ट्र की राज्य की सेवा कर सके। क्योंकि जितनी ज्यादा चुनाव खर्च की सीमा बढ़ाई जाएगी उतना ही बाहुबल और धनबल वाले लोग ही उक्त चुनाव लड़ सकेंगे ,जबकि देश में बड़ी संख्या में गरीब किसान मजदूर ईमानदार राष्ट्रवादी सोच वाले लोग हैं जिनका चुनाव लडऩा हमेशा असंभव ही रहेगा जो लोग चुनाव में लाखों-करोड़ों पर खर्च करके जीतेंगे वे लोग ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन कैसे कर सकेंगे, सर्वप्रथम तो चाहेंगे की चुनाव जीतने के लिए जितना उन्होंने पैसा लगाया है उनका मूलधन पहले वापस आए. अत: निर्वाचन आयोग से निवेदन है कि चुनाव खर्च की सीमा 28 लाख से घटाकर और भी कम किया जाए ।