रायपुर, 14 दिसंबर । छत्तीसगढ़ कांग्रेस इलेक्शन कैंपेन कमेटी के चेयरमैन, सक्ती विधानसभा क्षेत्र से नवनिर्वाचित विधायक व पूर्व केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री डॉ. चरणदास महंत को आज उनके जन्मदिवस की बधाई देने समर्थकों का रेला उनके निवास पर उमड़ पड़ा है। डॉ. महंत के राजधानी रायपुर के देवेंद्र नगर स्थित आवास में सुबह से ही बड़ी संख्या में कांग्रेसी के पदाधिकारी, कार्यकर्ता, समर्थक, शुभचिंतक, परिजन उन्हें जन्मदिन के साथ-साथ जीत की बधाई देने के लिए पहुंचना शुरू हुए। यह सिलसिला दोपहर और इसके बाद भी जारी है ।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि डॉक्टर चरणदास महंत को बधाई देने के साथ बुजुर्ग पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं तथा परिजनों ने उत्तरोत्तर प्रगति एवं उज्जवल भविष्य का भी आशीर्वाद दिया। बड़ी संख्या में महिला-पुरुष कार्यकर्ताओं का स्नेह डॉ. महंत को मिल रहा है। सक्ती विधानसभा क्षेत्रवासियों द्वारा दी गई जीत की सौगात और जन्मदिन पर मिल रही शुभकामनाओं के लिए समस्त प्रदेशवासियों, कांग्रेस पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं , स्नेही जनों व शुभचिंतकों के प्रति उन्होंने आभार एवं कृतज्ञता व्यक्त की है। डॉ. महंत ने कहा है कि उनके जन्मदिन से पहले जो उपहार जीत के रूप में और जो मान प्रदेश की जनता ने दिया है उसका भी सम्मान करते हुए हर समय सबके साथ, उनके हर पलों में सहभागी बनेंगे और सबको साथ लेकर अपने विधानसभा क्षेत्र व प्रदेश के विकास के लिए कार्य करते रहेंगे।
जगदलपुर, 13 दिसम्बर । छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास एवं आत्म समर्पण नीति से प्रभावित, पुलिस द्वारा चलाये गये नक्सल विरोधी अभियान से दबाव में आकर व जनजागरण अभियान से प्रेरित होकर, समाज की मुख्य धारा में शामिल होने की इच्छा, आंध्रप्रदेश के बड़े नक्सली लीडरों की प्रताडऩा एवं भेदभाव से प्रताडि़त होकर डीएकेएमएस सदस्य कुंजाम पांडू ने आज सुकमा पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
सीआरपीएफ 74वीं वाहिनी के कमांडेंट प्रवीण कुमार ने बताया कि सुकमा जिले के नक्सलगढ़ चिंतलनार थाना अंतर्गत नक्सली विचारधारा से परेशान होकर कुंजाम पांडू ने आत्मसमर्पण किया है। पांडू डीएकेएमएस सदस्य के रूप में पिछले 15 सालों से नक्सली संगठन से जुड़ा रहा है। पांडू जगरगुंडा मार्ग के दो प्रमुख बड़े पुल मलेवागु व बुर्कापाल को तोडऩे में व कई जगह आईईडी लगाने में भी शामिल रहा है। नक्सली कुंजाम पाण्डु को चिंतलनार जगरगुंडा क्षेत्र के नक्सली कमांडर पापाराव के कहने पर नक्सली कमांडर ने संगठन में शामिल किया था। पांडू आइईडी बनाने में भी माहिर है। वह कई बड़े नक्सली कमांडरों के साथ भी कार्य कर चुका है।
0 सरकार, 8 जनवरी को रिपोर्ट भी मांगी
बिलासपुर, 13 दिसंबर । हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश में प्रदेश की सभी सडक़ों पर मनमाने और अनाधिकृत तरीके से बनाए गए स्पीड ब्रेकर को चार सप्ताह के भीतर हटाने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं। चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने 8 जनवरी को आदेश के परिपालन की रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
बिलासपुर के सरकंडा में रहने वाले डीडी आहूजा ने एडवोकेट सुनील ओटवानी के जरिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने बताया है कि प्रदेश की करीब सभी सडक़ों पर अनाधिकृत और मनमाने तरीके से स्पीड ब्रेकर बनाए गए हैं। स्पीड ब्रेकर बनाने में इंडियन रोड कांग्रेस द्वारा निर्धारित मापदंडों का भी पालन नहीं किया गया है। जगह- जगह बनाए गए स्पीड ब्रेकर की लोगों को जानकारी देने के लिए संकेतक भी नहीं लगाए गए हैं। इस वजह से यह ब्रेकर जानलेवा साबित हो रहे हैं। संसद में उठाए गए प्रश्न का जवाब देते हुए केंद्रीय परिवहन मंत्री ने माना था कि देशभर में स्पीड ब्रेकर की वजह से हर साल हजारों लोगों की जान जा रही है। वहीं,ऐसे ब्रेकर की वजह से शारीरिक परेशानी भी बढ़ रही हैं।चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर अनाधिकृत, मनमाने और इंडियान रोड कांग्रेस के मापदंडों का उल्लंघन करते हुए बनाए गए सभी स्पीड ब्रेकर को हटाने के निर्देश दिए हैं। आदेश के परिपालन पर 8 जनवरी 2019 को सुनवाई के दौरान शपथपत्र के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए गए हैं। याचिकाकर्ता को रिपोर्ट के आधार पर जरूरी मांग रखने की छूट दी गई है।
चीफ जस्टिस ने पिछले सप्ताह भी जताई थी नाराजगी : चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी ने 1 दिसंबर को हाईकोर्ट में हुए समारोह में अनाधिकृत और मनमाने तरीके से बनाए गए स्पीड ब्रेकर पर सख्त टिप्पणी की थी। दरअसल, रायपुर- बिलासपुर सडक़ जाम होने के कारण सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जस्टिस अरुण मिश्रा को दूसरे रास्ते से आना पड़ा, लेकिन स्पीड ब्रेकर से उन्हें काफी परेशानी हुई।
समारोह को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि मैं नहीं जानता स्पीड ब्रेकर छत्तीसगढ़ की तरक्की किस तरह बाधा बन रहे हैं, लेकिन हमें इतने ब्रेकर की जरूरत नहीं है।
बीजापुर,13 दिसंबर । बीजापुर में फिर से अवैध सागौन के लट्ठों की धरपकड़ हुई है। तस्करों द्वारा पार की जा रही लकडिय़ों को एक बार फिर वन विभाग के अमले ने पकड़ा है, लेकिन इस बार भी तस्करों को पकडऩे में वन अमले को कोई कामयाबी नहीं मिल सकी है। केवल लकड़ी पकडऩे और तस्करों के हर बार फरार होने को लेकर सवाल खड़े होते दिखने लगे हैं।
बताया जाता है कि जब मुखबिर से लकड़ी तस्करी की खबर मिलती है तो वन अमला बिना किसी तैयारी के निकल पड़ता है। यहां तस्करी की खबर पर पुलिस की मदद न लिए जाने पर भी सवाल उठ रहे हैं।
सागौन के लट्ठों की तस्करी इस बात की पुष्टि करती है कि यहां बड़े पैमाने पर सागौन के पेड़ों की अंधाधुंध अवैध कटाई चल रही है। वन विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगती और तस्कर इन पेड़ों को लट्ठों में तब्दील कर इन्हें नदी में बहाकर तेलंगाना और महाराष्ट्र तक आसानी से भेज भी देते हैं। पिछले एक महीने से वन अमले की सक्रियता से यहां हालांकि करीब 120 से ज्यादा लट्ठे बरामद किए हैं, लेकिन रेंज अफसर कोटेश्वर राव चापड़ी के मुताबिक उनके निहत्थे होने के कारण वे तस्करों का सामना नहीं कर सकते।
इंद्रावती टाइगर रिजर्व में तस्करों द्वारा सागौन के लट्ठे पार किए जा रहे थे। इसी बीच वन अमले ने दबिश दी और 20 नग लट्ठे, जिसकी कीमत करीब 5 लाख रुपए बताई जा रही है, बरामद किए, लेकिन तस्कर भाग निकले। पिछले महीने वन विभाग ने 24 लाख के सागौन के लट्ठे बरामद किए थे। अब फिर से सागौन के पेड़ों को बचाने में वन अमला नाकामयाब साबित हो रहा है।
बिलासपुर, 13 दिसम्बर । कोनी में बने निर्वाचन का स्ट्रांग रूम अब भी सील है। जिला निर्वाचन अधिकारी इसे 45 दिन तक वैसे ही सुरक्षित रखेंगे। इस दौरान यदि कोर्ट में कोई अपील नहीं हुई तो तय समय के बाद ईवीएम में दर्ज आंकड़ों को मिटाकर फिर मशीनों को लोकसभा चुनाव के लिए तैयार किया जाएगा। विधानसभा चुनाव होने के बाद भी ईवीएम को लेकर प्रशासन अब भी पूरी तरह से सतर्क है। इसे आम आदमी यहां तक कि कर्मचारियों की पहुंच से भी दूर रखा गया है। इसका कारण यह है कि कोई उम्मीदवार नतीजों से असंतुष्ट हुआ तो कोर्ट में मतगणना को चुनौती दे सकता है। कोर्ट के आदेश पर जिला निर्वाचन कार्यालय को फिर से सभी मशीनों की गिनती करनी पड़ सकती है। ऐसे में उन्हें पूर्व की तरह स्ट्रांग रूम में ही सुरक्षित रखा गया है। 45 दिन पूरा होने के बाद कोर्ट में निर्वाचन को चुनौती नहीं दी जा सकती। इसके बाद उन्हें निकाला जाएगा। इधर अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों के लिए बनाए गए रिटर्निंग ऑफिसर अपने दायित्व से मुक्त हो चुके हैं। उन्हें अब चुनाव छोडक़र अपना सामान्य कामकाज फिर से शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। इधर जिला निर्वाचन कार्यालय ने फिर से पूरा कमान अपने हाथ में ले लिया है। तय समय के बाद ईवीएम को इंजीनियरिंग कॉलेज के स्ट्रांग रूम से हटाकर निर्वाचन कार्यालय में रखा जाएगा।
जगदलपुर, 13 दिसंबर । बस्तर का प्राकृतिक सौंदर्य जलप्रपातों से और अधिक बढ़ जाता है लेकिन जब वे जलप्रपात ही अपना सौंदर्य खो दे तो बस्तर का यह प्राकृतिक सौंदर्य आधा-अधूरा और बेकार हो जाता है। कुछ ऐसी ही स्थिति आज बस्तर में विशेष रूप से संभागीय मुख्यालय के पास स्थित जलप्रपातों में दिख रही है।
मुख्यालय के पास स्थित 35 किलोमीटर दूर सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र चित्रकोट जलप्रपात की वह सुंदरता आज वह नही रही जो वर्षा के समय दिखाई देती है। इसी प्रकार पास ही स्थित कांगेर घाटी में बना तीरथगढ़ जलप्रपात भी अपनी सुंदरता खोता जा रहा है। इन जलप्रपातों में इस वर्ष अभी से ही पानी की कमी हो रही है और जलप्रपातों की गिरने वाली मोटी धारा पतली होकर अपना सौंदर्य खो चुकी है।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष बस्तर में वर्षा की मात्रा कम हुई है और कम मात्रा से इन जलप्रपातों में आने वाला नदी व नालों का पानी भी कम हो गया जिसके कारण जलप्रपातों में पानी की मात्रा कम हो गई है । कुछ स्थानीय विशेषज्ञों ने आशंका व्यक्त की है कि ठंड की शुरूआत में पानी का कम होना आने वाली गर्मी के मौसम में इन जलप्रपातों का अस्तित्व ही संकट में डाल सकती है। इससे भारत सहित प्रदेश में आकर्षण का केन्द्र चित्रकोट जलप्रपात की सुंदरता को गर्मी में शायद ही लोग देख सकेंगे। इसी प्रकार की स्थिति तीरथगढ़ जलप्रपात की हो रही है।