छत्तीसगढ़

दूध की गंगा बहाने की श्वेत बस्तर योजना का हाल बेहाल
Posted Date : 18-Dec-2018 12:55:26 pm

दूध की गंगा बहाने की श्वेत बस्तर योजना का हाल बेहाल

जगदलपुर, 18 दिसंबर । सहकारिता के माध्यम से बस्तर के लोगों को दूध की आपूर्ति प्रदान करने व दूध के माध्यम से अपना रोजगार चलाने वाले लोगों को संगठित कर उन्हें एक व्यवस्था के तहत लाने की श्वेत बस्तर परियोजना का यहां डेढ़ वर्ष में ही हाल बदहाल हो गया है और इस परियोजना के क्रियान्वयन के प्रति उदासीनता का आलम है। 
जानकारी के अनुसार गत वर्ष जनवरी में दूध उत्पादक किसानों सहित डेयरी संचालकों को संगठित कर उन्हें सहकारिता के माध्यम से आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए एक समिति बनाई गई थी और बस्तर में श्वेत बस्तर परियोजना का शुभारंभ हुआ था। इस परियोजना का मालिक कोई एक नहीं था और इसमें कई विभागों को शामिल किया गया था। इसलिए इस परियोजना का जो हाल होना था वह आज दिख रहा है। 
बड़ी उम्मीदों के  साथ गत वर्ष मुख्यमंत्री के हाथों श्वेत गंगा श्वेत बस्तर परियोजना का शुभारंभ करवाया गया और शहर के पास ही स्थित ग्राम तुरेनार में 25 एकड़ जमीन की मांग  के साथ उपलब्ध दस एकड़ भूमि में ही इस परियोजना का शुभारंभ हुआ। 
जानकारी के अनुसार पशु पालन विभाग के अंतर्गत इसका प्रोजेक्ट तैयार हुआ और इसके आधारभूत सुविधाओं के लिए व व्यवस्था के लिए डीएमएफटी के माध्यम से 2 करोड़ रूपए की राशि भी दी गई। वहीं पानी की व्यवस्था के लिए भी उपाय किये गये। लेकिन अब हाल यह है कि पानी की व्यवस्था के साथ-साथ अन्य कार्यों के लिए प्रयुक्त होने वाली बिजली की लाईन ही कट गई है और बनाई गई कई व्यवस्थायें ठप होकर रह गई है। वर्तमान में यहां पहले रखी गई 50 गायों में से कुल 24 गाय ही दिखती हैं। इसके अलावा यहां की देखभाल करने वाला बाकी कुछ नहीं कह पाता है। इस संबंध में श्वेत बस्तर परियोजना के सूत्रों ने बताया कि पशु पालक किसानों के लिए योजना अच्छी है लेकिन यहां काम करने वाले लोगों में जिम्मेदारी का अभाव है। जिसके कारण यह परियोजना समाप्त हो रही है। 

अबूझमाड़ में बांस वनों की पूजा-अर्चना के बाद ही होती है बांस की कटाई
Posted Date : 18-Dec-2018 12:53:19 pm

अबूझमाड़ में बांस वनों की पूजा-अर्चना के बाद ही होती है बांस की कटाई

० बांस की लाठ को लाटा देवता मानकर इसका उपयोग जात्रा, मेला व धार्मिक आयोजनों में किया जाता है
जगदलपुर, 18 दिसंबर । पर्यावरण बचाने के लिए आज पूरी दुनिया में अभियान चल रहे हैं और वनों को बचाने तथा अपने आसपास पेड़ लगाकर स्वच्छता का माहौल बनाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर बस्तर के अबुझमाड़ क्षेत्र में स्थानीय आदिवासी बांस की जरूरत के लिए पहले बांस वनों की पूजा अर्चना करते हैं और आवश्यकता अनुसार बांस की कटाई करते हैं। इसके साथ ही पुराने पेड़ों के स्थान पर नये पौधों को भी लगाया जाता है। 
प्राप्त जानकारी के अनुसार बस्तर के अबुझमाड़ क्षेत्र में प्राचीन काल से स्थानीय आदिवासी अपने गांव के पास लगे बांस के घने जंगल को अनुशासित होकर बचाने का कार्य कर रहे हैं और इस बांस के जंगल से केवल धार्मिक उपयोग के लिए ही इसकी कटाई करते हैं। अपनी आजीविका के लिए वे वृक्षों को महत्वपूर्ण समझते हैं और उनका प्रयास लगातार वनों क रक्षा करने में होता है।
अबुझमाड़ के ग्राम ताड़ोनार में ऐसा उदाहरण देखने के लिए आज भी आ रहा है। यहां के ग्रामीण समीप ही बसे बांस के घने जंगल को देवी के प्रति समर्पित कर इसकी बरसों से रक्षा कर रहे हैं। आस पास के सैकड़ों गांव के लोग अपने गांव में धार्मिक मान्यता अनुसार पूजा अर्चना के लिए यहीं के बांस के जंगल से बांस ले जाते हैं। इसके अलावा अबुझमाड़ में कई स्थानों पर ग्रामीणों द्वारा कुछ जंगलोंं को देवी के लिए समर्पित कर इसका संरक्षण करते हैं। इस जंगल के बांस का उपयोग लाटा देवता व डोली देव के लिए किया जाता है। बांस की लाठ को लाटा देवता मानकर इसका उपयोग जात्रा, मेला व अन्य होने वाले धार्मिक आयोजनों में किया जाता है। इस प्रकार पर्यावरण को बचाने के लिए अबुझमाड़ के ग्रामीणों का योगदान अत्यधिक है और धार्मिक दृष्टि से क्षेत्र की जंगलों को चिंहित कर इनका संरक्षण आज भी ग्रामीण कर रहे हैं। इसी के साथ-साथ नदी, नालों, झरना या तालाब का उपयोग भी वे धार्मिक दृष्टि से इसे महत्वपूर्ण मानकर प्राचीन काल से अनुशासित तरीके से कर रहे हैं। 

बगदेवा खदान हादसे की जांच करेगी डीजीएमएस
Posted Date : 18-Dec-2018 12:51:16 pm

बगदेवा खदान हादसे की जांच करेगी डीजीएमएस

कोरबा 18 दिसंबर । कोयला खदानों में सुरक्षा की अनदेखी के कारण आए दिन हादसे घटित होते रहते हैं। बगदेवा स्थित भूमिगत कोयला परियोजना में रविवार की देर रात हुई दुर्घटना में संरक्षा संंबंधी दावों की पोल खोल दी है। घटित हादसे में माइनिंग सरदार सहित तीन श्रमिकों की मौत हो गई थी। अब इस मामले की जांच के लिए डीजीएमएस की टीम बगदेवा पहुंचेगी। जो हादसे के विभिन्न पहलुओं की जांच करेगी। जल्द ही यह टीम जांच के लिए कोरबा पहुंच सकती है। एसईसीएल परियोजना के बगदेवा खदान में 17 दिसंबर की रात तीन श्रमिकों की मौत हो गई। मौत का कारण भूमिगत खदान में जहरीली गैस के रिसाव को बताया जा रहा है। देर रात तक खदान में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने रेक्स्यू अभियान जारी रहा। हादसे का दुखद पहलू रहा कि तीन कामगारों की जान बचाई नहीं जा सकी। हादसे की गंभीरता को देखते हुए खान बचाव दल की टीम को यहां बुलाया गया था। जिन्होंने रेस्क्यू आपरेशन चलाया था। एसईसीएल प्रबंधन हादसे को लेकर सकते में है। कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ डीजीएमएस को भी घटनाक्रम से अवगत करा दिया गया है। जल्द ही इस मामले में टीम द्वारा जांच शुरू किए जाने की संभावना है।
छत्तीसगढ़ के नए नियुक्त मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मामले में संवेदना जाहिर करते हुए मृतक श्रमिकों के परिजनों के लिए 75-75 हजार की राहत राशि देने की घोषणा की है। इसके अलावा प्रबंधन की ओर से मृत श्रमिकों के परिजनों को नियमत: मुआवजा भी प्रदान किया जाएगा। साथ ही परिवार के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति भी प्रदान की जाएगी।

फेथई का असर, लगातार बारिश से जनजीवन प्रभावित
Posted Date : 18-Dec-2018 12:50:41 pm

फेथई का असर, लगातार बारिश से जनजीवन प्रभावित

कोरबा 18 दिसंबर। समुद्र में आई फेथई तूफान से पूरे छत्तीसगढ़ में इसका असर रविवार सोमवार को देखने को मिली इससे मध्य रात्रि से हवा के साथ साथ तेज बारिश होती रही जो सोमवार पूरे दिन बारिश से जन जीवन प्रभावित रहा, बिजली की आंख मिचौली भी ग्रामीण तथा पश्चिमांचल क्षेत्रोंं में रही, बिजली विभाग के कर्मचारियों का कहना था कि फाल्ट खोज रहे हैं जैसे ही मिलेगा ठीक करेंगे, वहीं बारिश के कारण सडक़ के गड्ढों मे पानी भर जाने कारण आवागन भी प्रभावित रही।
बंगाली कि खाड़ी में गहरे दबाव क्षेत्र बनने से समुद्र तूफान फेथई आने से हवा के साथ तेज बारिश होती रही फेथई तूफान कि असर पूरे छत्तीसगढ़ में पड़ी जिससे रविवार व सोमवार को पूरे दिन हवा के साथ रिमझिम बारिस होती रही, रिमझिम बारिश ने सावन कि याद दिला रही थी । फेथई बारिश से नगर कि जन जीवन पर खासे प्रभावित पडा है ठंड बढऩे से लोग पूरे दिन घरो में दुबके रहे वही किसानो को बे मौसम बारिस से नुकसान हुआ है। धान कटाई के बाद मिसाई के लिये खलियान में रखे धान पानी पडऩे से काले व सफेद फफूंद निकलने का भय सताने लगी लगी है वही कई किसान धान मिसाई के लिये धान को खलियान में फैला रखे है खलियान में पानी भरने व कीचड़ होने से धान कीचड़ में फंस जायेगी इससे किसानों को नुकसान होगी। किसानों के लिये दोहरा नुकसान है,फसल के दौरान कम बारिश होने से फसल उत्पादन कम हुआ है उपर से फेथई बारिश ने किसानो कि कमर तोड़ दी ।
जिले के धान उपार्जन केन्द्रों में बेमौसम बारिश कहर बनकर टूट पड़ी है। जिले के 41 धान उपार्जन केन्द्रों में खरीदे गए धान को बारिश से बचाने के इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। उपार्जन केन्द्रों में तिरपाल की मदद से धान को ढंककर रखा गया है पंरतु कई केन्द्रों में तिरपाल फटा हुआ है तो कही पर्याप्त संख्या में तिरपाल नहीं है। खासकर धान उपार्जन केन्द्र रामपुर, अखरापाली, भिलाईबाजार सहित अन्य उपार्जन केन्द्रों में व्यापक पैमाने पर धान भीग गया है। बेमौसम बारिश से हजारों क्विंटल धान भीग गया है। वहीं कई किसानों का धान खुले में रखा हुआ है जो भी भीग गया है। बेमौसम बारिश से किसानों के साथ-साथ शासन को भी नुकसान हुआ है।

छग के 16 हजार 65 लाख किसानों को 6100 करोड़ रूपए का कर्ज होगा माफ
Posted Date : 18-Dec-2018 12:49:02 pm

छग के 16 हजार 65 लाख किसानों को 6100 करोड़ रूपए का कर्ज होगा माफ

0-2500 रूपए प्रति क्विंटल पर होगी धान की खरीदी
0-झीरम मामलें की जांज के लिए एसआईटी का होगा गठन

रायपुर, 17  दिसम्बर । छग के तीसरे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते के तत्काल बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहली केबिनेेट की बैठक लेकर तीन बड़े फैसले लिये है। फैसले के तहत प्रदेश के 16 हजार 65 लाख किसानों का 6100 करोड़ रूपए का कर्ज माफ करने का फैसला लिया गया है वहीं 2500 रूपए प्रति क्विंटल पर धान की खरीदी तथा झीरम मामलें की जांच के लिए एसआईटी का गठन करने का निर्णय लिया गया है। 
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार रात पत्रकार वार्ता में बताया कि सहकारी बैंकों में 16.65 लाख के किसानों के 6100 करोड़ से ज्यादा की ऋ ण माफ ी होगी वहीं अन्य मदों में बैंकों से लिये ऋण का भी परीक्षण किया जायेगा, उसे भी माफ किया जायेगा। साथ ही किसानों का समर्थन मूल्य भी अब 2500 रुपये प्रति क्विटंल मिलेगा। अभी 1750 रुपये किसानों को समर्थन मिला करता था, अब किसानों को प्रोत्साहन राशि मिलाकर 2500 रुपये प्रति क्विटंल के हिसाब धान की खरीदी की जायेगी।
उन्होंने यह भी बताया कि झीरम घाटी मामले की जांच के लिए एसआईटी के गठन का आदेश दे दिया गया है। एसआईटी अब इस पूरे मामले की जांच करेगी।
भूपेश बघेल ने अपने प्रेस कांफ्र ेंस की शुरुआत में अपनी बदली हुई भूमिका का जिक्र किया और कहा कि कल तक हमारी भूमिका अलग थी, मैं पीसीसी अध्यक्ष था, टीएस सिंहदेव नेता प्रतिपक्ष थे, हमलोग सरकार के कामों को अलग नजरिये से देखते थे, लेकिन अब हमारी भूमिका बदल गयी है। उन्होंने कहा कि मीडिया हाउस के मालिकों के साथ क्या हुआ, उसे मैं नहीं जानता, लेकिन पत्रकारों के साथ प्रताडऩा ना हो, इसका मैं पूरा विश्वास दिलाता हूं। मीडिया समाज को आईना दिखाने का काम करता है, पत्रकार जो समस्या उठायेंगे, उस पर काम होगा। नक्सली समस्या एवं शराब बंदी सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह गंभीर मुद्दे है इन पर चर्चा की जायेगी। इस विषय पर तत्काल निर्णय नहीं लिया जा सकता।

मुख्यमंत्री बघेल ने ली दो मंत्रियों के साथ पहली केबिनेट की बैठक
Posted Date : 18-Dec-2018 12:48:26 pm

मुख्यमंत्री बघेल ने ली दो मंत्रियों के साथ पहली केबिनेट की बैठक

0-किसानों के कर्ज माफी सहित अन्य मुद्दों पर की चर्चा
रायपुर, 18 दिसंबर । सोमवार को प्रदेश नए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने दो मंत्रियों के साथ अपनी पहली तथा सबसे छोटी केबिनेट की बैठक आयोजित कर प्रदेश के किसानों के कर्ज माफी एवं अन्य मुद्दों पर चर्चा की। 
प्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को देर शाम शपथ लेने के तत्काल बाद मंत्रालय पहुंचकर पहले केबिनेट की बैठक आयोजित की। हालांकि अभी मंत्रियों के विभागों तथा नामों की घोषणा नही हुई है किंतु टीएस सिंहदेव तथा ताम्रध्वज साहू को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है। मुख्यमंत्री ने उक्त दोनों ही मंत्रियों तथा अधिकारियों के साथ पहली बैठक की तथा चुनाव पूर्व किये गये घोषणाओं के अमल पर चर्चा की। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री ने बैठक में किसानो के कर्ज माफी सहित लगभग आधा दर्जन मुद्दों पर चर्चा की।