छत्तीसगढ़

द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर फिल्म को लेकर राजधानी के सिनेमाघरों के बाहर गहमागहमी का माहौल, शो रद्द
Posted Date : 11-Jan-2019 11:35:06 am

द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर फिल्म को लेकर राजधानी के सिनेमाघरों के बाहर गहमागहमी का माहौल, शो रद्द

0-कांग्रेसी कर रहे फिल्म का विरोध
रायपुर, 11 जनवरी । देश के पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह पर बनी द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर फिल्म को लेकर देश के कांग्रेस शासित राज्यों में कांग्रेस द्वारा विरोध किया जा रहा है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में इस फिल्म का कांग्रेसियों द्वारा विरोध करते हुए फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग कर रहे है। विरोध के चलते राजधानी के सिनेमाघरों में इस फिल्म के सभी शो फिलहाल रद्द कर दिए गए है। 
द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर देशभर के सिनेमाघरों में आज प्रदर्शित हुई है, जिसका कांग्रेस विरोध कर रही है। सबसे ज्यादा विरोध मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के शहरों में देखा जा रहा है, जहां इस फिल्म को लेकर सभी सिनेमाघरों के बाहर गहमागहमी का माहौल बना हुआ है। विरोध को देखते हुए छग के रायपुर शहर के सिनेमाघरों में इस फिल्म के सुबह के सभी शो रद्द कर दिए गए है। हालांकि संभावना जतायी जा रही है कि शाम तक माहौल शांत होने के बाद इस फिल्म के शो चालू हो जाएंगे। 

पुलिसकर्मियों से आफिस कार्य कराना उचित नहीं : डीजीपी
Posted Date : 11-Jan-2019 11:32:22 am

पुलिसकर्मियों से आफिस कार्य कराना उचित नहीं : डीजीपी

0-ऐसे कार्य में लगे कर्मचारियों को तत्काल किया जाए वापस 
0-पीएचक्यू से प्रदेश भर के एसी, सेनानियों को पत्र जारी 

रायपुर, 11 जनवरी । राज्य के पुलिस प्रमुख ने विभिन्न कार्यालयों में अटैच कर्मचारियों को उनके मूल कार्य में लगाने हेतु एक बार फिर से प्रदेश भर के पुलिस अधीक्षकों को पत्र जारी किया है। 
पुलिस मुख्यालय से जारी इस पत्र में फोर्स की मॉनिटरिंग करने की बात कहते हुए प्रदेश के समस्त पुलिस अधीक्षकों, समस्त सेनानियों को कहा गया है कि सहायक उपनिरीक्षक, एपीसी, प्रधान और आरक्षकों को मौखिक या लिखित रूप से संबद्ध कर कार्य लिया जाता अथवा कार्यालय में लिपिकों के सहायक के रूप में आरक्षक, प्रधान आरक्षक को लगाया जाता है जो उचित नहीं ह, जो आरक्षक, प्रधान आरक्षक जीडी कार्य के लिए भर्ती हुए हैं उनसे जीडी का ही कार्य लिया जाए। अत: निर्देशित किया जाता है कि कार्यालयों में उपरोक्त स्तर के कर्मचारी कार्य कर रहे हों तो उन्हें तत्काल रिलीव कर उनके मूल पदस्थापना स्थल व कार्य में लगाएं। पुलिस अधीक्षक, सेनानी इसकी मॉनिटङ्क्षगर स्वयं करेंगे और तामिली प्रतिवेदन 03 दिनों के भीतर प्रस्तुत करेंगे। यदि किसी शाखा में किसी आरक्षक, प्रधान आरक्षक को लगाया जाना आवश्यक हो तब परीक्षण कर लगाया जाए।

मुर्गा लड़ाई के नाम पर लगता है लाखों का दांव
Posted Date : 11-Jan-2019 11:29:48 am

मुर्गा लड़ाई के नाम पर लगता है लाखों का दांव

जगदलपुर, 11 जनवरी ।  बस्तर के आदिवासी अब साप्ताहिक बाजारों में एक-एक मुर्गे पर पचास हजार तथा लाख रूपए तक के दांव लगा रहे हैं। इस खेल में शामिल होने शहरी लोग पहुंच कर पैसा लगा रहे हैं। मनोरंजन का खेल अब बाजारों में जुंए का खेल बन गया है। 
बस्तर की संस्कृति सट्टे में बदल गयी है जिसे रोक पाना असंभव लग रहा है। पहले मेले मड़ई में मुर्गा लड़ाई और नाट देखना लोगों का शौक होता था। लेकिन अब हाट बाजारों में अलग से मुर्गा बाजार भरने लगा है। इन दिनों पामेला और बड़े आरापुर के मुर्गा बाजार में हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ रही है तथा मुर्गा बाजार में पैर रखने तक की जगह नहीं होती है। मुर्गा लड़ाई देखने वाला हर व्यक्ति दो से लेकर हजार रूपए तक दांव लगाता है। एक-एक राऊंड में लाखों के रूपए के दांव लगने लगे हैं। लड़ाकू मुर्गे के पैर में काती बांधकर निर्धारित बाड़े के अंदर मुर्गा लड़वाते हैं और लड़ाई में जीतने वाला मुर्गे का मालिक हारे हुए व्यक्ति का मुर्गा लेकर शान से गांव वापस लौटता है। विजेता मुर्गे का स्वामी बाजार में अपने गांव वालों को सल्फी तथा शराब पिलाकर जीत का जश्र मनाता है और मुर्गे को बाजार में बेच देता है या घर ले जाता है। मुर्गा बाजार में जमकर शराब, सल्फी और लांदे की बिक्री होती है तथा खुले आम खिड़खिड़ी का खेल होता है। बड़े आरापुर गांव सहित अन्य गांव में प्रतिबंध के बावजूद खुले आम खिड़खिड़ी शराब की बिक्री तथा मुर्गा लड़ाई में सट्टे का कारोबार लम्बे समय से चल रहा है। वहीं इसे लेकर बाजार स्थल पर आए दिन मारपीट और लड़ाई झगड़ा भी होता है। 

नक्सली धमकी से अबुझमाड़ के 9 गांवों में पसरा रहेगा अंधेरा
Posted Date : 11-Jan-2019 11:29:07 am

नक्सली धमकी से अबुझमाड़ के 9 गांवों में पसरा रहेगा अंधेरा

जगदलपुर, 11 जनवरी । संभाग के नारायणपुर जिला अंतर्गत बसे अबुझमाड़ के क्षेत्र को नक्सलियों द्वारा अंधेरे में ही रखे जाने की कोशिश की जा रही है और इस सिलसिले में उन्होंने ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत अबुझमाड़ के 9 गावों तक विद्युत विस्तार करने की शासन की प्रक्रिया को रोकने का निर्देश दिया है।  नक्सलियों ने इस कार्य में लगे ठेकेदार को कार्य नहीं करने के निर्देश भी दिये हैं। नक्सलियों की इस चेतावनी से विद्युत विस्तार का कार्य ठप पड़ गया है और पिछले दो वर्षों से इन गांवों में प्रकाश की किरण नहीं पहुंच पाई है। जानकारी के अनुसार अबुझमाड़ के ओरछा विकास खंड के अंतर्गत ग्राम ज्योति योजना के क्रियान्वयन के लिए जब 56 गांवों का विद्युती करण का कार्य शुरू हुआ तो संबंधित ठेकेदार ने कार्य करते हुए अंचल के अनेक गांवों को बिजली पहुंचाई वहीं अंचल के मेटानार व कुतुल गांव तक जब कार्य शुरू किया गया तो नक्सलियों ने इसे बंद करवा दिया। अन्यथा परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी। इसके बाद से ही अबुझमाड़ में चारों तरफ बिजली पहुंचाने की कोशिश अवरूद्ध हो गई है और गांव में अंधेरा पसरा हुआ है। 

लाखों रूपए खर्चने के बाद भी पहाड़ी मैना की आबादी घट गई
Posted Date : 11-Jan-2019 11:27:03 am

लाखों रूपए खर्चने के बाद भी पहाड़ी मैना की आबादी घट गई

जगदलपुर, 11 जनवरी ।  प्रदेश के राजकीय पक्षी के रूप में मान्यता प्राप्त बोलने वाली पहाड़ी मैना की आबादी लाखों रूपए खर्च करने के बाद भी घट गई। स्थानीय वन महाविद्यालय में एक विशलकाय पिंजरा बनाकर साल वृक्ष में लगाया गया था और वर्ष 2002 में इसे पहाड़ी मैना की आबादी बढ़ाने प्रजनन केंद्र का दर्जा दिया गया था। उस समय कुल 6 पहाड़ी मैना को रखा गया था। इनके संवर्धन व विकास के लिए लाखों रूपए खर्च भी अभी तक किये जा चुके हैं, लेकिन वर्ष बीतने के बाद भी छह पहाड़ी मैना में से अभी वर्तमान में केवल एक ही पहाड़ी मैना बची है और अभी भी यह कौन सी पहाड़ी मैना है यह बता पाने में विभाग असमर्थ साबित हो रहा है। 
इस पहाड़ी मैना की विशेषता यह है कि यह मनुष्य की आवाज की बिल्कुल उसी प्रकार नकल कर आवाज निकालती है, जिस प्रकार मनुष्य ने कहा है। बस्तर में पहले यह पर्याप्त मात्रा में मिल जाया करती थी, लेकिन अब इसकी संख्या बहुत ही कम हो गई है। इसकी आबादी बढ़ाने के लिए वन विभाग के माध्यम से शासन ने पहल की और उसके बाद यहां वन विद्यालय में इसके संवर्धन के प्रति ध्यान दिया गया। आज यह सारे प्रयास असफल हो चुके हैं। इस संबंध में विशेषज्ञों का मानना है कि पहाड़ी मैना का प्रजनन व संरक्षण प्राकृतिक रूप में संभव है और इस प्रकार से उपाय करने से कुछ भी हासिल नहीं होगा। बस्तर संभाग में यह पहाड़ी मैना माचकोट, कोलेंग, बारसूर, बैलाडीला और ओरछा सहित अबुझमाड़ के दूसरे हिस्सों में देखी जा सकती है, लेकिन इसके लिए भी काफी प्रयास करने पड़ते हैं।

लामनी पार्क की तोड़ी गयी मनोरम मूर्तियों को अभी तक नहीं संवारा गया
Posted Date : 11-Jan-2019 11:25:32 am

लामनी पार्क की तोड़ी गयी मनोरम मूर्तियों को अभी तक नहीं संवारा गया

जगदलपुर, 11 जनवरी ।  कुछ शरारती तत्वों द्वारा और कुछ पार्क में होने वाले लोगों द्वारा लामनी पार्क की सुंदरता एक वर्ष से अधिक समय पहले दाग लगाया गया था। उस दाग को अभी तक पोछा नहीं जा सका है और इसके बिना लामनी पार्क आधा-अध्ॉॅॅूरा सा लग रहा है। सुंदरता को पंसद नहीं करने वाले तत्वों ने लामनी पार्क में सुंदरता के लिए रखी गई मूर्तियों को बिगाड़ा और अपने अहम की तुष्टि कर ली। लेकिन इन मूर्तियों के खंडित होने के बाद मूर्तियों को पुन: उनका स्वरूप प्रदान करने में वन विभाग नाकारा सिद्ध हो रहा है। जबकि सुरक्षा के साथ इन मूर्तियों को संवारा जाना आवश्यक है। 
उल्लेखनीय है कि इन मूर्तियों को सुधारने के लिए पहल जरूर हुई थी। लेकिन लगाये गये मूर्तिकारों के समझ में इन मूर्तियों को ठीक करना संभव नहीं लगा। तब से लेकर अभी तक लामनी पार्क की इन मूर्तियों को सुधारा नहीं जा सका है। शहर वासियों को लामनी पार्क पहुंच के भीतर और अपने बच्चों के साथ परिवार को लेकर यहां पहुंचना और समय बिताना भाता है। इस तरह मूर्तियों के खंडित होने से उन्हें भी निराशा हाथ लगती है। इन मूर्तियों को देखकर वे इस पार्क के कर्ता-धर्ताओं को कोसने के अलावा कुछ नहीं कर पाते हैं। पार्क की सुरक्षा महिला स्वसहायता समूह पर है, लेकिन इन महिलाओं द्वारा सैकड़ों एकड़ में फैले पार्क की सुरक्षा कर पाना संभव नहीं हो पा रहा है। जबकि यहां पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के साथ लोगों के लिए सुविधा व सुरक्षा का होना आवश्यक है।