रायपुर, 15 जनवरी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आज राजधानी रायपुर के स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका आत्मीय स्वागत किया।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज नई दिल्ली से उड़ीसा जाने के दौरान विशेष विमान से सुबह राजधानी रायपुर के माना स्थित स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट पहुंचे थे और संक्षिप्त प्रवास के पश्चात् यहां से वायु सेना के हेलीकॉप्टर द्वारा उड़ीसा के बालांगीर जिला के लिए रवाना हुए। प्रधानमंत्री इसी तरह दोपहर को हेलीकॉप्टर से रायपुर आकर यहां से विशेष विमान द्वारा त्रिवेन्द्रम (केरल) के लिए रवाना होंगे।
कोरबा 15 जनवरी । छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डा. चरणदास महंत 16 एवं 17 जनवरी को कोरबा जिले के प्रवास पर रहेंगे। डा. महंत 16 जनवरी को चांपा मार्ग से प्रात: 10.30 बजे मड़वारानी पहुंचेंगे तथा मड़वारानी माता के दर्शन कर आर्शीवाद प्राप्त करेंगें। इसके बाद वे प्रात: 11 बजे बरपाली में जनपद अध्यक्ष एवं अन्य नागरिकों से भेट करेंगे। प्रात: साढ़े ग्यारह बजे उरगा, कोरबा में डा. महंत का स्वागत सम्मान किया जाएगा। वे प्रात: पौने 12 बजे कोरबा शहर पहुंचेंगे। 16 जनवरी को ही विधानसभा अध्यक्ष दोपहर एक बजे छुरी जायेंगे जहां जनप्रतिनिधियों द्वारा नव निर्वाचित विधानसभा अध्यक्ष का स्वागत-सम्मान किया जाएगा। दोपहर डेढ़ बजे कटघोरा में, दो बजे सुतर्रा में, 2.50 बजे चैतमा तथा तीन बजे पाली में डा. महंत का स्वागत सम्मान होगा। वे शाम 4.30 बजे पाली से बिलासपुर के लिए रवाना होंगे।
17 जनवरी को विधानसभा अध्यक्ष चांपा से सुबह साढ़े 10 बजे रवाना होकर 10.45 बजे जांजगीर-चांपा जिले के सारागांव पहुंचेंगे तथा स्थानीय कार्यक्रमों में शामिल होंगे। डा. महंत वहां से दो बजे रवाना होकर तीन बजे कोरबा आयेंगे और स्थानीय कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। इसके बाद वे शाम 8.30 बजे कोरबा से चांपा के लिए प्रस्थान करेंगे। 18 जनवरी को विधानसभा अध्यक्ष दोपहर 12 बजे चांपा से कोरबा के लिए प्रस्थान करेंगें। वे कोरबा में दोपहर एक बजे जायसवाल कलचुरी मिशन रोड के लोकापर्ण समारोह में शामिल होंगे। 1.30 बजे से 3.30 बजे तक का समय विश्रामगृह में स्थानीय कार्यक्रमों हेतु आरक्षित रहेगा। डा. महंत 3.30 बजे कोरबा रेल्वे स्टेशन के लिए रवाना होकर लिंक एक्सप्रेस से रायपुर के लिए प्रस्थान करेंगे।
कोंडागांव, 15 जनवरी । आपने संभवत: गरूड़ के रूप में पक्षी का नाम सुना होगा। यह पक्षी सर्प के लिये खतरनाक माना जाता है। कुछ लोगों ने गरूड़ की लकड़ी के बारे में भी जरूर सुना होगा। गरूड़ का वृक्ष एक बहुवर्षीय वृक्ष है जो जिले के कुछ इलाकों में पाया जाता है।
कोंडागांव जिला मुख्यालय से महज पांच सात किलोमीटर दूर मड़ानार ग्राम में एक गरूड़ का वृक्ष है जो कि एक ग्रामीण के घर के सामने खड़ा है। वृक्ष का नाम पूछने पर गरूड़ बताया। और आगे बताया कि उनके घर में सर्प कभी नहीं निकाला। कहा जाता है कि गरूड़ वृक्ष के नीचे से सर्प नहीं निकल सकता अगर जबरदस्ती या किसी कारण से निकले तो उसकी मौत हो जाती है। कहा जाता है कि सर्प बीच से फट जाता है। यह कितना सही है यह तो नहीं मालूम पर गरूड़ की लकड़ी अगर आप अपने घर के दरवाजे पर लटका देते हैं तो उस घर में सर्प नहीं आता। मान्यता है कि इस लकड़ी से सर्प 10 मीटर की दूर तक प्रवेश नहीं करता।
० बस्तर में भी पाया जाता है पिट-वाइपर, जिसे कहते हैं ऐराज
जगदलपुर, 15 जनवरी । बस्तर, जिसका अधिकतम हिस्सा हरे-भरे वनों से अच्छादित है वहाँ हिंसक वन्यजीवों तथा जहरीले सर्पों का पाया जाना आम बात है। ऐसे वनाच्छादित बस्तर में जहाँ डर के मारे इन साँपों को ग्रामीण देखते ही मार देते हैं, एक इंसान ऐसा भी है जो इन्हें खूबसूरत प्राकृतिक जीव मानते हुए इन्हें अपना दोस्त मानता है। बोधघाट थाने में पदस्थ सहायक आरक्षक देवेन्द्र दास को इन साँपों को पकड़ते हुए जिसने भी देखा तो दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर होना पड़ा।
इस सम्बन्ध में जब देवेन्द्र से बात की गयी तो उन्होंने बताया की यह उनका पुश्तैनी काम है, जिसे उन्होंने अपने पिता से महज आठ वर्ष की उम्र से सीखा और तब से लेकर आज पर्यंत तक वे रोजाना औसतन 3-4 सांप पकड़ते हैं। देवेन्द्र बताते हैं कि वे अब तक जगदलपुर सहित कोंडागांव, मर्दापाल, भानपुरी, केशकाल, सोनारपाल, बनियागाँव, उसरीबेड़ा और बस्तर के कई दूरस्थ अंचलों में जाकर लगभग 39 हज़ार जहरीले साँपों को पकड़ चुके हैं, जिनमें 4 बड़े आकर के अजगर सहित नाग, करैत, ऐराज़ (पिट वाइपर), धामना और कोलियारी (हरा) भी शामिल हैं। उनका कहना है कि इनमे से नाग, करैत और ऐराज़ सबसे ज्यादा जहरीले हैं।
देवेन्द्र का कहना है कि संभाग के अन्य स्थानों की तुलना में जगदलपुर में ज्यादा सांप पाए जाते हैं। यहाँ का वातावरण ठंडा है और उनके रहने के लायक है। प्रजनन के वक्त ये सांप ठंडे स्थानों को ही अपना ठिकाना बनाते हैं। अब तक देवेन्द्र को 20-25 बार इन जहरीले साँपों ने काटा है, लेकिन उनका कहना है की उन पर इसका कोई असर नहीं होता है, कभी-कभार ही जरुरत पडऩे पर वे पुश्तैनी तरीकों के माध्यम से अपना इलाज स्वयं कर लेते हैं।
इलाज के विषय में उन्होंने बताया कि कई दफा सांप के काटे जाने के बाद जहर से कम और डर से ज्यादा इंसान की मौत हो जाती है। अब तक उनकी जानकारी में इससे लगभग 100 लोगों की मौत हो चुकी है। देवेन्द्र के अनुसार उनके पास कुछ ऐसे इलाज है, जिससे 5-6 घंटों के अन्दर ही स्वस्थ्य हो जाता है। देवेन्द्र की दिली इच्छा है की उन्होंने जितने सांप पकड़े हैं, उनको संरक्षित करने और आम जनता में इनके प्रति प्यार और सहानुभूति जगाने एक संग्रहालय खोला जा सकता था, उनका कहना है की सरकार को इस ओर पहल करनी चाहिए।
आम जनता और बस्तर के ग्रामीणों को सलाह देते हुए देवेन्द्र ने बताया कि ये सांप बहुत ही सुन्दर और प्यारे प्राकृतिक जीव हैं, इन्हें मारे नहीं, वरन प्यार करें और किसी सांप पकडऩे वाले को बुलाएं, जिससे बस्तर में इनकी प्रजाति सुरक्षित हो सके।
जगदलपुर, 15 जनवरी । छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल की ओर से इस बार हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं में अभूतपूर्व परिवर्तन किया गया है। हाईस्कूल की उत्तर पुस्तिकाओं में छात्र का रोल नंबर, छात्र का नाम, परीक्षा का दिनांक, परीक्षा कोड, परीक्षा का विषय व अन्य जानकारी उत्तरपुस्तिका पर पूर्व से छपा रहेगा। छात्र को उत्तरपुस्तिका के भाग ए और भाग बी में मात्र पश्र-पत्र का सेट अंकित करना और हस्ताक्षर करना होगा। छात्रों को इससे राहत मिलने के साथ ही परीक्षा के दौरान अतिरिक्त समय मिल सकेगा।
माध्यमिक शिक्षा मंडल सचिव डॉक्टर व्हीके गोयल ने आदेश जारी करते हुए जिला शिक्षा अधिकारियों को उत्तरपुस्तिका से संबंधित प्रावधानों से अवगत कराया है, जिसके तहत उत्तरपुस्तिका 40 पृष्ठ की तैयार की जाएगी और छात्रों को 40 पृष्ठ में ही अपने प्रश्रों के उत्तर लिखना है। पूरक उत्तरपुस्तिका का प्रावधान समाप्त किया गया है, अर्थात किसी भी छात्र को पूरक उत्तरपुस्तिक नहीं दी जाएगी। इस व्यवस्था को लागू करने के लिए पूर्व वर्ष की उत्तरपुस्तिकाओं के 20 पृष्ठों को बढ़ाकर 40 पृष्ठ किया गया है। इसके अलावा 40 पृष्ठ कि इस उत्तर पुस्तिका के दूसरे पृष्ठ पर ओएमआर सीट लगाई जाएगी। ओएमआर शीट में आवश्यक निर्देश दिए गए हैं, इन निर्देशों की भी छात्र को ध्यान पूर्वक पढ़ लेना जरूरी होगा। छात्र का पूरे 40 पृष्ठ लिखने के लिए पर्याप्त होंगे।
० राज्य स्तरीय फ ल-फू ल और सब्जी प्रदर्शनी के समापन समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्री
रायपुर, 15 जनवरी । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यहां गांधी उद्यान में आयोजित राज्य स्तरीय तीन दिवसीय फल-फूल और सब्जी प्रदर्शनी के समापन समारोह को सम्बोधित किया। उन्होंने प्रतिभागियों को पुरस्कार भी वितरित किए। श्री बघेल ने कहा - आजकल वनों में चिडिय़ों का चहचहाना कम हो गया है, जो हम सबके लिए चिन्ता की बात है। उन्होंने कहा-कई कारणों से जंगली पशु-पक्षियों के लिए वहां प्राकृतिक भोजन का अभाव देखा जा रहा है। इससे कई वन्य प्राणी गांवों और शहरों की ओर आने लगे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी स्थिति में अगर हम वनों में आम, अमरूद और खीरा, ककड़ी और कुम्हड़ा आदि के बीजों का छिडक़ाव करें, तो वन्य प्राणियों के लिए वनों में ही पर्याप्त भोजन उपलब्ध होगा और मानव बस्तियों की ओर उनका आना रूकेगा। मुख्य अतिथि की आसंदी से समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने जैविक खेती के महत्व और उसकी उपयोगिता का भी उल्लेख किया। उन्होंने गांव-गांव में जैविक खेती और जैविक खाद के उत्पादन को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि राज्य सरकार भी इसके लिए पूरा सहयोग करेगी। जैविक खेती से साग-सब्जियों और फलों की जो पैदावार होगी, उसे अच्छा बाजार मिल सकता है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी। प्रदर्शनी का आयोजन ‘प्रकृति की ओर सोसायटी’ द्वारा राज्य सरकार के कृषि विभाग के अंतर्गत उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी विभाग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर और विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से किया गया। इसमें प्रदेश के 27 जिलों के एक हजार से ज्यादा किसान प्रतिभागी शामिल हुए।
श्री बघेल ने प्रदर्शनी की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों में उद्यानिकी के क्षेत्र में किसानों द्वारा किए जा रहे अच्छे प्रयासों की जानकारी मिलती है और हम सब नई संभावनाओं की ओर बढ़ते हैं। श्री बघेल ने प्रदर्शनी की सफलता के लिए आयोजकों को तथा पुरस्कृत प्रतिभागियों को बधाई दी। श्री बघेल ने कहा - छत्तीसगढ़ में उद्यानिकी विकास की अपार संभावनाएं हैं। जशपुर जिले में चाय और कॉफी की खेती के लिए वातावरण बहुत अनुकूल पाया गया है। वहां इसकी खेती की जा रही है। केरल और कर्नाटक में पैदा होने वाली काली मिर्च की खेती अब छत्तीसगढ़ में भी होने लगी है। नगरी-सिहावा क्षेत्र में तिखुर की पैदावार प्राकृतिक रूप से होती है। वहीं छत्तीसगढ़ के अनेक क्षेत्रों में हल्दी और अदरक की खेती भी हो रही है। बघेल ने कहा - इस प्रकार की उद्यानिकी फसलों के व्यवसायिक उत्पादन की दिशा में वन विभाग और उद्यानिकी विभाग को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि वनवासी परिवारों को अगर हम इस प्रकार की उद्यानिकी फसलों के उन्नत बीज उपलब्ध करा दें तो वे इसकी खेती करके अच्छी आमदनी हासिल कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों में भी गायों के गोबर को एकत्रित कर उसका उपयोग जैविक खाद बनाने के लिए और बायोगैस संयंत्र के लिए किया जा सकता है। इसके लिए नगरीय निकायों को पहल करनी चाहिए। सरकार उन्हें हरसंभव मदद करेगी।
कृषि उत्पादन आयुक्त और कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री के.डी.पी. राव सहित ‘प्रकृति की ओर सोसायटी’ के अध्यक्ष डॉ. ए.आर. दल्ला ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति श्री एस.के. पाटील तथा बड़ी संख्या में नागरिक और फल-फूल तथा सब्जी उत्पादक किसान उपस्थित थे।