खेल-खिलाड़ी

झूलन और मिताली के बिना भारतीय टीम एक नई शुरुआत की ओर
Posted Date : 30-Jul-2022 4:00:31 am

झूलन और मिताली के बिना भारतीय टीम एक नई शुरुआत की ओर

बर्मिंघम । कॉमनवेल्थ गेम्स में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह भारतीय महिला क्रिकेट का एक नया दौर है। टीम में अब मिताली राज और झूलन गोस्वामी नहीं है। ये दोनों खिलाडी कम से कम एक फ़ॉर्मेट के लिए वनडे विश्व कप तक उपलब्ध थीं। हालांकि अब ये दोनों खिलाड़ी टीम के साथ नहीं हैं। पिछले 25 सालों से यह जोड़ी भारतीय महिला क्रिकेट का पर्याय रही है। 1997 में मिताली 14 साल की थीं, जब उन्हें घरेलू धरती पर भारत के 50 ओवरों के विश्व कप टीम में चुना गया था। इस पर केवल यह कहा जा सकता था कि वह अंतिम एकादश में जगह बनाने के लिए बहुत छोटी थीं। उसी संस्करण में झूलन ईडन गार्डन्स में उस प्रसिद्ध ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड फ़ाइनल में एक बॉल गर्ल थीं।
इसके बाद से यह दोनों खिलाड़ी एक ऐतिहासिक यात्रा का हिस्सा रही हैं। साल 2002 में साउथ अफ्ऱीका में टेस्ट जीत से लेकर साल 2005 में विश्व कप के उपविजेता बनने तक यह साथ रहीं। इसके बाद साल 2006 और 2014 में इंग्लैंड को टेस्ट क्रिकेट में मात देना। साल 2016 में आठ नए खिलाडिय़ों के साथ ऑस्ट्रेलिया में सीरीज़ जीतना। इन दोनों खिलाडिय़ो के सह यात्रा का हिस्सा रहा है। हालांकि मैदान पर आये, इस बदलाव के लिए मैदान के बाहर भी उन्होंने महिला क्रिकेट को मिलने वाली सुविधाओं के लिए संघर्ष किया। इसके लिए उन्होंने बीसीसीआई से भी टक्कर लिया। उनके संघर्ष के बाद सेकेंड क्लास ट्रेन का जमाना ख़त्म होकर महिला खिलाडिय़ों को एयर टिकट मिलने लगा। छोटे कमरों वाले होटलों की जगह पर बढिय़ा होटल मिलने लगे।
मैदान से बाहर उन्होंने हज़ारों युवाओ को क्रिकेट खेलने के लिए प्रति प्रेरित किया। यह उनके सबसे बड़े योगदानों में से एक था लेकिन इसके अलावा उन्होंने महिला खिलाडिय़ों के केंद्रीय अनुबंधों के लिए सक्रिय रूप से पैरवी की जो अंतत: 2016 से अस्तित्व में आया। एक मायने में मिताली और झूलन के बिना सक्रिय क्रिकेटरों के रूप में वैश्विक आयोजन में भारत के बारे में सोचना अब लगभग असंभव है। लंबे समय तक टीम के दो साथी और दोस्त अपने करियर में एक-दूसरे के नीचे खेले। कई बार निराश होने के बावजूद वह अपने खेल को और टीम को आगे बढ़ाते रहीं।
झूलन ने 2018 में टी20 से संन्यास ले लिया था और मिताली ने भी 2019 में इस प्रारूप को अलविदा कह दिया था। फिर भी टीम पर हमेशा उनकी मौजूदगी थी, क्योंकि वे अभी भी 50 ओवर के खिलाड़ी सक्रिय थे। मिताली के मामले में कप्तान होने का मतलब था कि समूह पर उनका अब भी गहरा प्रभाव था।इसलिए भले ही हरमनप्रीत कौर के पास टी20 में टीम को चलाने का एक निश्चित तरीका था, लेकिन हमेशा से एक भावना यह भी थी कि यह उनकी टीम नहीं थी। एक तरह से यह अजिंक्य रहाणे की तरह था जो विराट कोहली के आराम करने पर हर बार भारत का नेतृत्व करने के लिए आगे आए। जब दो अलग-अलग कप्तान होते थे, तो कभी-कभी चीज़ें आसान नहीं होती थीं क्योंकि हम (मिताली और मैं) दोनों के विचार अलग थे। अब मेरे लिए उनसे (अपने साथियों से) यह पूछना आसान हो गया है कि मैं उनसे क्या उम्मीद कर रही हूं।
यह कोई रहस्य नहीं है कि मिताली और हरमनप्रीत दो अलग-अलग शैली की कप्तान थी, जिन्हें अक्सर बीच का रास्ता खोजने की ज़रूरत होती थी। दो सुपरस्टार अपने आप में एक समान दृष्टिकोण साझा नहीं करते थे। जून में श्रीलंका दौरे से पहले पूर्णकालिक एकदिवसीय कप्तान बनाए जाने पर अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में हरमनप्रीत को आखऱिकार एक सुकून का एहसास हुआ जो यह जानने से उपजी थी कि यह उनकी टीम थी।
हरमनप्रीत कौर ने कहा, जब दो अलग-अलग कप्तान होते थे, तो कभी-कभी चीज़ें आसान नहीं होती थीं क्योंकि हम (मिताली और मैं) दोनों के विचार अलग थे। अब मेरे लिए उनसे (अपने साथियों से) यह पूछना आसान हो गया है कि मैं उनसे क्या उम्मीद कर रही हूं। चीज़ेें मेरे लिए बहुत आसान होंगी और मेरे साथियों के लिए भी स्पष्ट होंगी। आप इसे किसी भी तरह से देखें राष्ट्रमंडल खेलों से पहले श्रीलंका दौरा मिताली-झूलन युग के बाद भारत का पहला कदम था। दोनों दिग्गजों के पास इस खेल में योगदान देने के लिए अभी भी काफ़ी कुछ है। शायद ज़मीनी स्तर पर या प्रशासक के रूप में लेकिन मैदान पर, एक व्यापक भावना है कि टीम आखऱिकार दो सितारों की छाया से आगे बढ़ गई है। आखऱिकार यह एक ऐसी पीढ़ी है जिसके लिए मिताली और झूलन ने कड़ी मेहनत की है। यह अब उनके लिए पहचान और भविष्य के लिए एक सकारात्मक रास्ता तय करने का मौक़ा है।राष्ट्रमंडल खेल अभी भी इस दिशा में एक छोटा कदम या एक बड़ी छलांग हो सकती है।

 

हम कभी रूढि़वादी नहीं रहे, टी20 में नए रवैये से कभी कभार असफलताएं भी मिलती हैं : रोहित
Posted Date : 30-Jul-2022 3:59:58 am

हम कभी रूढि़वादी नहीं रहे, टी20 में नए रवैये से कभी कभार असफलताएं भी मिलती हैं : रोहित

टरूबा । भारतीय कप्तान रोहित शर्मा का मानना है कि क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में अपनाए गए निर्भीक रवैए से टीम को कभी कभार असफलताएं मिलेंगी लेकिन उन्होंने इससे इनकार किया कि पिछले साल संयुक्त अरब अमीरात में खेले गए टी20 विश्व कप के दौरान टीम ने रूढि़वादी रवैया अपनाया था।
रोहित ने कहा कि नए रवैये से खिलाडिय़ों को अधिक स्वतंत्रता मिली है जिससे कि विश्वकप के निराशाजनक अभियान के बाद टीम को सफलताएं मिली। भारत विश्वकप में दूसरे दौर से आगे नहीं बढ़ पाया था।
रोहित ने वेस्टइंडीज के खिलाफ पांच टी20 मैचों की श्रृंखला से पूर्व कहा, हम पिछले विश्वकप में अनुकूल परिणाम हासिल नहीं कर पाए थे लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमने इतने वर्षों में खराब क्रिकेट खेली और मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि हम रूढि़वादी क्रिकेट खेल रहे थे। यदि हम विश्व कप में एक या दो मैच हारते हैं इसका मतलब यह नहीं कि हमने मौकों का फायदा नहीं उठाया।
उन्होंने कहा, अगर आप विश्वकप से पहले हमारे प्रदर्शन को देखें तो हमने लगभग 80 प्रतिशत मैच जीते। अगर हमने रूढि़वादी तरीका अपनाया तो फिर हम इतने मैच कैसे जीत सकते थे। यह सही है कि हम विश्वकप में हार गए थे, लेकिन ऐसा होता है। इसका मतलब यह नहीं है कि हम खुलकर नहीं खेल रहे थे।
रोहित ने कहा,  बाद में हमने कोई बदलाव नहीं किया। हम पहले की तरह ही खेल रहे थे लेकिन खिलाडिय़ों को अपना नैसर्गिक खेल खेलने के लिए अधिक छूट दी गई थी। खुलकर खेलो और किसी तरह का बेवजह दबाव मत लो। यदि आप खुलकर खेलते हैं तो प्रदर्शन में वह दिखेगा।
रोहित ने कहा कि भारतीय टीम और उसके प्रशंसकों को इस तरह के बदलावों के साथ आगे बढऩा होगा।
उन्होंने कहा,  हम अभी जिस तरह की क्रिकेट खेल रहे हैं उसमें कभी कभार असफलताएं मिलना लाजमी है लेकिन इसमें कोई परेशानी नहीं क्योंकि हम कुछ सीख रहे हैं और कुछ अलग करने की कोशिश कर रहे हैं।
भारतीय कप्तान ने कहा, इसलिए इसमें गलतियों की थोड़ी गुंजाइश है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे खिलाड़ी खराब खेल रहे हैं। इसका मतलब है कि हम कुछ नया करने की कोशिश कर रहे हैं। समय के साथ हर किसी को बदलना पड़ता है और हम बदलाव कर रहे हैं और मुझे लगता है कि बाहर बैठे लोगों को भी अपनी सोच में बदलाव लाने की जरूरत है।
रोहित ने कहा है कि इस साल के आखिर में आस्ट्रेलिया में होने वाले आगामी टी-20 विश्व कप के लिए टीम लगभग तय है और अब केवल कुछ स्थानों पर ही फैसला लिया जाना बाकी है।
उन्होंने कहा,  टीम में कुछ स्थान है जिनको अभी भरना है और हम जानते हैं कि इन स्थानों को भरने के लिए हमें क्या करना होगा। अभी हम जो मैच खेल रहे हैं उनमें इन चीजों पर ध्यान दे रहे हैं।
रोहित ने कहा, हम जो भी श्रृंखला खेल रहे हैं वह महत्वपूर्ण है। निश्चित तौर पर विश्व कप पास में है लेकिन भारत के लिए आप जो भी श्रृंखला खेलते हो वह अहम होती है। हमने इंग्लैंड में जो हासिल किया, वह अहम था और हम उसे ही आगे बढ़ाना चाहते हैं।

 

भारत ने वेस्ट इंडीज को तीसरे वनडे में हराकर रचा इतिहास
Posted Date : 29-Jul-2022 5:06:03 am

भारत ने वेस्ट इंडीज को तीसरे वनडे में हराकर रचा इतिहास

0-पाकिस्तान के विश्व रिकॉर्ड को तोड़ा
पोर्ट ऑफ स्पेन । भारत ने शुभमन गिल (98 नाबाद) और युज़वेंद्र चहल (17 रन पर चार विकेट) की बदौलत वेस्ट इंडीज़ को तीसरे एकदिवसीय मैच में 119 रन से हराकर श्रंखला 3-0 से अपने नाम की। यह कैरिबियन में रनों के मामले में भारत की वेस्ट इंडीज़ पर सबसे बड़ी जीत है। भारत ने बुधवार को खेले गये वर्षाबाधित मैच में 36 ओवर में 225 रन बनाये थे, जिसके बाद डकवर्थ लुइस नियम के तहत विंडीज़ के सामने 35 ओवर में 257 रन का लक्ष्य था। वेस्ट इंडीज़ इसके जवाब में 137 रन पर ऑल आउट हो गयी।
भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी चुनी। कप्तान शिखर धवन और शुभमन गिल ने श्रंखला में दूसरी बार शतकीय साझेदारी की। 113 रन की साझेदारी के बाद धवन 58(74) रन बनाकर पवेलियन लौट गये। उन्होंने अपनी पारी में सात चौके लगाये। इसके बाद क्रीज़ पर आये श्रेयस अय्यर ने गिल के साथ पारी को आगे बढ़ाना शुरू किया, लेकिन मैच के 25वें ओवर में बारिश हो गयी। जब मैच को पुन: शुरू किया गया तो भारतीय बल्लेबाज़ों ने रनों की रफ्तार भी बढ़ाई। दोनों के बीच 89 रन की साझेदारी हुई, जिसके बाद अय्यर 34 गेंदों पर चार चौकों और एक छक्के की बदौलत 44 रन बनाकर पवेलियन लौट गये।
इसके अलावा सूर्यकुमार यादव ने आठ रन और संजू सैमसन ने नाबाद छह रन बनाये। बारिश के कारण भारतीय पारी को 36 ओवर में 225 रन पर घोषित कर दिया गया, जहां गिल अपने पहले अंतरराष्ट्रीय शतक के इंतज़ार में 98 रन पर नाबाद रहे। 35 ओवर में 257 रन का पीछा करने उतरी विंडीज़ की शुरुआत अच्छी नहीं रही। दीपक हुड्डा का पहला ओवर मेडेन जाने के बाद मोहम्मद सिराज ने दूसरे ओवर में दो विकेट चटके। सिराज ने काइल मेयर्स को और शमार ब्रूक्स को शून्य रन पर चलता किया। एक रन पर दो विकेट गिरने के बाद विकेटकीपर शाई होप और ब्रेंडन किंग ने पारी को संभालते हुए 46 रन की साझेदारी के साथ विंडीज़ को मैच में बरकरार रखा। होप (22) के आउट होने के बाद वेस्ट इंडीज नियमित अंतराल पर विकेट गंवाती रही। कैरिबियाई टीम के लिये कप्तान निकोलस पूरन ने सर्वाधिक 42 (32) रन बनाये। इसके अलावा किंग ने भी 37 गेंदों पर 42 रन की पारी खेली, जबकि कोई और कैरिबियाई बल्लेबाज़ 10 रन के आंकड़े को पार नहीं कर सका।
चहल गेंद से भारत के नायक रहे। उन्होंने चार ओवर में 17 रन देकर चार विकेट लिये, जिसमें पिछले मैच के शतकवीर होप का विकेट भी शामिल है। इसके अलावा सिराज और शार्दुल ठाकुर ने दो-दो विकेट लिये। अक्षर पटेल और प्रसिद्ध कृष्णा को एक-एक विकेट हासिल हुआ। एकदिवसीय श्रंखला  को क्लीन स्वीप करने के बाद भारत अब टी20 श्रंखला की ओर रुख करेगा। पांच मैचों की श्रंखला का पहला मुकाबला त्रिनिदाद के ब्रायन लारा स्टेडियम में 29 जुलाई को खेला जाएगा।
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नीरज चोपड़ा मांसपेशियों में खिंचाव के कारण राष्ट्रमंडल खेलों से हटे
Posted Date : 26-Jul-2022 8:12:31 pm

नीरज चोपड़ा मांसपेशियों में खिंचाव के कारण राष्ट्रमंडल खेलों से हटे

बर्मिंघम  । भाला फेंक के स्टार खिलाड़ी नीरज चोपड़ा फिटनेस संबंधी दिक्कतों के कारण राष्ट्रमंडल खेलों से हट गए हैं। भारतीय ओलंपिक संघ  ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
चोपड़ा ने रविवार को यूजीन में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ऐतिहासिक रजत पदक जीता था लेकिन इस प्रतियोगिता के दौरान उनके पांव की मांसपेशियों में खिंचाव आ गया था।
आईओए महासचिव राजीव मेहता ने कहा कि मौजूदा ओलंपिक चैंपियन चोपड़ा को एक महीने के विश्राम की सलाह दी गई है।
उन्होंने कहा,  भारतीय टीम के भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा की आज सुबह अमेरिका से फोन पर मुझसे बात हुई और उन्होंने फिटनेस चिंताओं के कारण बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेने में असमर्थता जताई।
मेहता ने कहा,  यूजीन में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेने के बाद चोपड़ा ने सोमवार को एमआरआई कराया था और उनकी चिकित्सा टीम ने उन्हें एक महीने विश्राम करने की सलाह दी है।
यह 24 वर्षीय खिलाड़ी विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाला दूसरा भारतीय एथलीट बना था। उनसे पहले अंजू बॉबी जॉर्ज ने 2003 विश्व चैंपियनशिप में लंबी कूद में कांस्य पदक जीता था
चोपड़ा के गुरुवार से शुरू होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का ध्वजवाहक बनने की संभावना थी।
भारतीय दल के दल प्रमुख राजेश भंडारी ने कहा,  हमारी अब बैठक होगी जिसमें नए ध्वजवाहक का चयन किया जाएगा।

सिर्फ 231 पर ढेर हुआ पाकिस्तान, पहली पारी से श्रीलंका को 147 रन की लीड
Posted Date : 26-Jul-2022 8:12:10 pm

सिर्फ 231 पर ढेर हुआ पाकिस्तान, पहली पारी से श्रीलंका को 147 रन की लीड

नईदिल्ली । श्रीलंका दौरे पर टेस्ट सीरीज खेलने गई पाकिस्तान की टीम दूसरे टेस्ट की पारी में सिर्फ 231 रन बनाकर ढेर हो गई. इससे पहले श्रीलंका ने पहली पारी में 378 रन बनाए थे. इसके जवाब में पाकिस्तान की ओर से आगा सलमान (62) को छोडक़र कोई भी बल्लेबाज कमाल नहीं दिखा पाया. पाकिस्तान की ओर से इमाम उल हक (32), मोहम्मद रिजवान (24), फवाद आलम (24) और यासिर शाह (26) को अच्छी शुरुआत मिली थी लेकिन चारों ही बल्लेबाज इसे बड़ी पारी में तब्दील नहीं कर पाए.
मैच के तीसरे दिन 191/7 से आगे खेलने उतरी पाकिस्तान ने अंतिम 3 विकेट खोने तक 40 रन और जोड़े. पाकिस्तानी बल्लेबाज रमेश मेंडिस की फिरकी में घूमती नजर आए. उन्होंने 5 विकेट अपने नाम किए. इसके अलावा बाएं हाथ के स्पिनर प्रभात जयसूर्या ने भी 3 विकेट चटकाए. अपने करियर का 10वां टेस्ट खेल रहे रमेश मेंडिस ने तीसरी बार पारी में तीसरी बार 5 विकेट हॉल अपने नाम किया.
इससे पहले टॉस जीतकर पहले बैटिंग करने उतरी श्रीलंका ने ओशाडा फर्नांडो (50), दिनेश चंडीमल (80) और निरोशान डिकवेला (51) की फिफ्टियों के दम पर 378 का स्कोर खड़ा किया. पाकिस्तान की ओर से यासिर शाह और नसीम शाह ने 3-3 विकेट अपने नाम किए.
हालांकि पाकिस्तान दो टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-0 से आगे है और उसके लिए राहत की बात यह है कि वह पहले टेस्ट में भी श्रीलंका से पहली पारी में पिछड़ गई थी लेकिन इसके बाद उसने मैच की चौथी पारी में 342 रन का लक्ष्य हासिल कर जीत दर्ज की थी. गॉल के मैदान पर यह रिकॉर्ड रन चेज था. इससे पहले कभी किसी भी टीम ने इस मैदान पर मैच की चौथी पारी में 300 रन का लक्ष्य भी हासिल नहीं किया था.

 

हर बार प्रशंसकों की उम्मीदों पर खरा उतरना आसान नहीं : मीराबाई चानू
Posted Date : 25-Jul-2022 2:21:24 pm

हर बार प्रशंसकों की उम्मीदों पर खरा उतरना आसान नहीं : मीराबाई चानू

नई दिल्ली  ।  टोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता मीराबाई चानू को लगता है कि उनके लिए हर बार प्रशंसकों की उम्मीदों पर खरा उतरना आसान नहीं है।
मणिपुर की 27 वर्षीय वेटलिफ्टर ने उम्मीद जताई कि वह आगामी राष्ट्रमंडल खेलों में अपने प्रदर्शन से लोगों को निराश नहीं करेंगी।
भारत 1990, 2002 और 2018 में वेटलिफ्टिंग में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला रहा है और चानू के नेतृत्व वाली 15 सदस्यीय मजबूत टीम फिर से बर्मिंघम में अपनी जीत की लय को दोहराने की उम्मीद कर रही है।
मीराबाई ने गोल्ड कोस्ट में 2018 सीडब्ल्यूजी में स्वर्ण पदक जीतकर रिकॉर्ड तोड़ा। अब उनकी निगाहें इस बार भी स्वर्ण पदक जीतने पर होंगी, खास कर उनके टोक्यो प्रदर्शन देखने के बाद।
भारत में टॉप एथलीटों में से एक, मीराबाई ने आगामी इवेंट में एक और शानदार प्रदर्शन के साथ देश को गौरवान्वित करने का संकल्प लिया है।
मीराबाई चानू ने कहा, मुझे पता है कि फैंस क्या चाहते हैं। मैं राष्ट्रमंडल खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने की पूरी कोशिश करूंगी। मैंने अपने प्रशिक्षण पर बहुत काम किया है। टोक्यो के बाद, मैं मुख्य रूप से अपनी तकनीक पर ध्यान केंद्रित कर रही हूं और अभी मैं केवल आपको आश्वस्त कर सकती हूं कि मेरे प्रशिक्षण और तकनीक के साथ सब कुछ ठीक है। तो मैं अच्छे परिणाम की उम्मीद कर रही हूं।
भारत इस खेल में 125 पदक के साथ राष्ट्रमंडल खेलों के इतिहास में दूसरा सबसे सफल देश है। राष्ट्रमंडल खेलों में वेटलिफ्टिंग में केवल ऑस्ट्रेलिया (159) ने भारत से अधिक पदक जीते हैं।
उन्होंने आगे बताया, राष्ट्रमंडल खेल तुलनात्मक रूप से आसान हैं क्योंकि चीन और उत्तर कोरिया के कई विश्व स्तरीय वेटलिफ्टर इसमें भाग नहीं लेते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। मैं अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ से आगे जाने की पूरी कोशिश करूंगी। मुझे भविष्य के टूर्नामेटों को ध्यान में रखते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देना होगा।
अपने लगातार प्रदर्शन के कारण मीराबाई ने रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया था। हालांकि, रियो में उनका प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। वह क्लीन एंड जर्क के तीनों प्रयासों में वजन उठाने में विफल रहीं।
रियो पराजय को पीछे छोड़ते हुए, मीराबाई ने कैलिफोर्निया के अनाहेम में 2017 विश्व चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल 194 किग्रा (स्नैच में 85 और क्लीन एंड जर्क में 107) का भार उठाया, जो एक प्रतियोगिता का रिकॉर्ड था।
उसने 2018 में (49 किग्रा वर्ग में) स्नैच (86 किग्रा), क्लीन एंड एर्क (110 किग्रा) और कुल (196 किग्रा) के लिए राष्ट्रमंडल खेलों का रिकॉर्ड बनाया। बर्मिंघम में वह अपना ही विश्व रिकॉर्ड तोडऩे के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगी।
बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल भी पेरिस ओलंपिक की तैयारी कर रहा है। इस आयोजन के बाद, मुझे ओलंपिक योग्यता के लिए तैयारी शुरू करनी होगी। राष्ट्रमंडल खेलों से मुझे अपनी कमजोरी सुधारने में मदद मिलेगी इसलिए मैं एक अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रही हूं।
उन्होंने आगे कहा, मैं अपने खेल को सुधारने के लिए किए गए सभी कामों का अभ्यास करना चाहती थी। यह मेरे लिए एक ट्रायल की तरह है। मैं देखना चाहती हूं कि मैंने कितना सुधार किया है। यह मुझे अन्य आयोजनों में और निश्चित रूप से पेरिस खेलों में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करेगा।