मुंबई ,22 जुलाई । देश में 10 साल के बेंचमार्क बॉन्ड की यील्ड घटकर 6.33 पर्सेंट पर आ गई है। पिछले ढाई साल साल में यह सबसे कम यील्ड है और सिर्फ पिछले एक महीने में इसमें 0.56 पर्सेंट की गिरावट आई है। वहीं 7 अगस्त को होने वाली मौद्रिक नीति समिति (मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी यानी एमपीसी) की बैठक में ब्याज दरों में एक बार फिर कटौती होने की संभावना है। रीपो रेट अभी 5.75 पर्सेंट है, जो सितंबर 2010 के बाद इसका सबसे निचला स्तर है।
जनवरी-मार्च तिमाही में ग्रॉस डोमेस्टिक प्रॉडक्ट (जीडीपी) दर 5.8 पर्सेंट पर आ गई थी, जिससे आर्थिक सुस्ती की आशंका बढ़ी है। एमपीसी ने भी अपना रुख बदलकर महंगाई दर को काबू में रखने के बजाय ग्रोथ पर ध्यान देने की बात कही है। इन सबको देखते हुए लग रहा है कि ब्याज दरें लंबे समय तक कम रह सकती हैं यानी आम लोगों को होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन पर लंबे समय तक कम ब्याज चुकाना होगा।
कंजम्पशन स्लोडाउन यानी खपत घटने और आर्थिक विकास दर पर दबाव को देखते हुए आरबीआई इस साल अब तक रीपो रेट में तीन बार में 0.75 पर्सेंट की कटौती कर चुका है। अभी तक आम ग्राहकों को सस्ते कर्ज के रूप में इसका पूरा फायदा नहीं मिला है, लेकिन पिछले वीकेंड पर आरबीआई गवर्नर ने सरकारी बैंकों से ग्राहकों को फिर से इसका पूरा लाभ देने की अपील की है।
रीपो रेट में कटौती से बैंकों का मार्जिनल कॉस्ट लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) भी घट जाता है, जिससे ग्राहकों को सीधा फायदा मिलता है। इस साल पॉलिसी रेट में कटौती का ग्राहकों को कुछ फायदा मिला भी है। एसबीआई ने हाल ही में एमसीएलआर में 0.05 पर्सेंट की कटौती करते हुए होम लोन की दरों में 0.10 पर्सेंट की कटौती की है। देश के बैंकिंग सेगमेंट में 25 पर्सेंट से अधिक हिस्सेदारी रखने वाले एसबीआई के बाद दूसरे बैंक भी ऐसा कदम उठाने को मजबूर होंगे। शक्तिकांत दास ने भी कुछ समय पहले कहा था, पहले रीपो रेट में कटौती का फायदा ग्राहकों तक पहुंचने में 6 महीने का समय लगता था, लेकिन अब हम इसे 2 से 3 महीने के स्तर पर लाने की कोशिश कर रहे हैं।