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30-Oct-2018 5:05:41 pm
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वाराणसी : ‘गंगा हाइवे’ के पहले जहाज टैगोर को PM मोदी दिखाएंगे हरी झंडी

वाराणसी : वाराणसी सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले आम बजट से काशी को मिली सौगात अब गंगा की लहरों पर दिखेगी। चार साल बाद अब देश के पहले इनलैंड वॉटर हाइवे-वन (वाराणसी-हल्दिया) में 365 दिन बड़े मालवाहक जहाज सफर तय करेंगे। वाराणसी में 175 करोड़ रुपये की लागत से बने मल्टि-मॉडल टर्मिनल का शुभारंभ नवंबर के दूसरे सप्ताह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होगा। इस मौके पर फूलपुर (प्रयागराज) के IFFCO (इफको) कारखाने में बने उर्वरक से लदे पहले जहाज एमवी आरएन टैगोर को प्रधानमंत्री हरी झंडी दिखाकर हल्दिया रवाना करेंगे। गंगा वॉटर ट्रांसर्पोटेशन के सबसे खास वाराणसी टर्मिनल के शुभारंभ के लिए मंत्रालय के निर्देश पर युद्धस्‍तर पर तैयारी शुरू हो गई है। इस क्रम में मंगलवार को कोलकाता से पेप्सिको के उत्‍पादों से संबंधित 16 कंटेनरों को लेकर मालवाहक जहाज टैगोर वाराणसी के लिए निकल पड़ा। करीब दस दिन में यह वाराणसी पहुंच रामनगर में नवनिर्मित टर्मिनल पर लंगर डालेगा। यहां इस जहाज पर इफको खाद की लोडिंग होगी और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। हालांकि, इसकी तारीख अभी तय नहीं हुई है।

‘कारोबार और पर्यटन की होगी नई शुरुआत’
इनलैंड वॉटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आईडब्‍ल्‍यूएआई) के अधिकारियों के मुताबिक वॉटर हाइवे-वन के प्रधानमंत्री के हाथों शुभारंभ के साथ गंगा परिवहन के जरिए कारोबार और पर्यटन के नए युग की शुरुआत होगी। आने वाले दिनों में यह जलमार्ग बंगाल की खाड़ी से सटे दूसरे देशों के साथ कारोबारी दोस्‍ती की नई डोर बनेगा।
वाराणसी-हल्दिया जलमार्ग और उसके प्रमुख केंद्र वाराणसी टर्मिनल को इस तरह तैयार किया गया है, जिससे यूपी समेत अन्‍य कई राज्‍यों की इंडस्‍ट्री की सभी जरूरतें पूरी होंगी।‘यूपी विकास यात्रा’ में जहां कहीं भी कारखाने लगाने या दूसरे इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर डिवेलप करने को हैवी मशीनरी से लेकर कच्चे माल तक नए विकल्‍प के तौर पर उभरे वाराणसी-हल्दिया जलमार्ग के जरिए कम समय, कम भाड़े और एक साथ बड़े पैमाने पर पहुंच सकेगा। इससे आयात और निर्यात के नए रास्‍ते भी खुलेंगे। वाराणसी से चलने वाले मालवाहक पोत से एसी कंटेनरों के जरिए बाकी सामान के साथ बंग भाषियों के मनपसंद बैगुन भाजा के लिए खास पूर्वांचल का गोल बैगन, तीखी हरी मिर्च, वाराणसी का फेमस पान, मलाई गिलौरी और तमाम चीजें एकदम फ्रेश पश्चिम बंगाल के बाजारों तक पहुंचेगी। वहां की खास मिठाई संदेश, छेना पायस, लाल दही संग देसी-विदेशी तमाम किस्म की मछलियों का वाराणसी वालों को घर बैठ स्‍वाद चखने का मौका मिलेगा।

माल भाड़े में आएगी कमी
वॉटर ट्रांसपोर्टेशन से 2000 मीट्रिक टन क्षमता वाले जहाजों से ढुलाई होने पर माल भाड़े में तीन गुना की कमी आएगी। इनलैंड वॉटर वेज अथॉरिटी (आईडब्‍ल्‍यूएआई) के डायरेक्‍टर एके मिश्रा की मानें तो सड़क मार्ग से ढ़ुलाई पर जहां 2.85 रुपये व ट्रेन से 2.15 पैसे खर्च आता है, वहीं जलमार्ग से करीब 1.20 पैसे ही खर्च करना होगा।

1986 में हुई थी घोषणा, नहीं शुरू हुआ था काम
देश का पहला 1620 किलोमीटर लंबा वाराणसी- हल्दिया इनलैंड वॉटर हाइवे अक्‍टूबर 1986 में घोषित जरूर हुआ पर चालू नहीं हो सका था। वर्ष 1914 में केंद्र में मोदी की सरकार बनने के बाद पहले आम बजट में वाराणसी से हल्दिया तक जल परिवहन शुरू करने की घोषणा हुई थी। विश्‍व बैंक की मदद से करीब 5,200 करोड़ रुपये खर्च वॉटर हाइवे को चालू करने पर काम शुरू होने के बाद अगस्‍त 2,106 में ट्रायल रन में दो मालवाहक जहाजों से मारूति कारों की खेप भेजी गई थी। टर्मिनल बन जाने से अब 365 दिन और चौबीसों घंटे मालवाहक जहाज दौड़ेंगे। अकेले वाराणसी टर्मिनल से करीब 20 हजार लोगों को रोजी मिलेगी।

ये होंगे लाभ
-2000 टन तक माल की एक बार में हो सकेगी ढ़ुलाई।
-देश के शहरों के अलावा नेपाल-बांग्‍लादेश तथा बंगाल की खाड़ी से दूसरे देशों तक पहुंच सकेगा सामान।
-बड़े-प्‍लांट-मशीनरी, जो सड़क व रेल मार्ग से ले जा पाना संभव नहीं, गंतव्‍य तक पहुंचेंगे।
-कम समय और कम खर्च में तेजी से होगी माल की ढुलाई।
-वॉटर हाइवे चालू होने से नई इंडस्‍ट्री और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।

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