नई दिल्ली,25 मई । भारत ने चीन के बाजार में अपने कृषि उत्पादों की पहुंच बढ़ाने और दवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रणनीति तैयार कर ली है। साथ ही, उसने अमेरिका तथा चीन के बीच ट्रेड वॉर के मद्देनजर चीन से अपने मैन्युफैक्चरिंग बेस को हटाने की इच्छा रखने वाली विदेशी कंपनियों को लुभाने के लिए एक ठोस रणनीति को भी अमली जामा पहनाया गया है। विभाग द्वारा तैयार किए गए रणनीतिक दस्तावेज को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु को सौंप दिया गया है।
केंद्रीय वाणिज्य विभाग के रणनीतिक दस्तावेज का उद्देश्य चीन के साथ व्यापार घाटे को कम करना, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलिकॉम, इलेक्ट्रिकल इच्पिमेंट और फार्मास्यूटिकल्स के आयात का विकल्प तलाशने के लिए क्षेत्रवार रणनीति तैयार करना है। चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2018 में रेकॉर्ड 63.04 अरब डॉलर रहा है।
सितंबर 2017 में मंत्रालय का कार्यभार ग्रहण करने के बाद ही प्रभु चीन के साथ व्यापार घाटे को कम करने को लेकर रणनीति तैयार करने के लिए खुद दिशा-निर्देश देने का काम कर रहे थे। इस रणनीति का उद्देश्य चीन को निर्यात बढ़ाना और लोकल मैन्युफैक्चरिंग के जरिये आयात कम करना है।
टेलिकॉम इंडस्ट्री के विचारों का हवाला देते हुए दूरसंचार विभाग ने कहा कि चीन भारतीय कंपनियों के साथ कई तरह के भेदभाव करता है और उनके खिलाफ प्रतिबंध लगाता है। उद्योग ने प्रिंटेड सर्किट बोर्ड और कैमरा मॉड्यूल की लोकल मैन्युफैक्चरिंग तथा क्षेत्र के लिए एक रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट फंड तैयार करने का सुझाव दिया है।