व्यापार

24-May-2019 12:30:18 pm
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आदत से तय होती है निवेशक की कामयाबी

नई दिल्ली ,24 मई । पिछले कुछ बरसों में ऐसे निवेशकों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है जिन्होंने टिप और मोमेंटम पर दांव लगाने की आदत छोडक़र इन्वेस्टमेंट को बिजनस वैल्यू और फंडामेंटल ऐनालिसिस से समझना शुरू किया है। लेकिन यह कोई सार्वभौमिक घटना नहीं है और ऐसा लगता है कि मेरे जैसे लोग एक तरह के बुलबुले में रह रहे हैं, जहां बदलाव की रफ्तार बाकी दुनिया से बहुत तेज है, हालांकि ट्रेंड में शिफ्ट तो पक्का हुआ है। 
यहां तक कि जो लोग बुलबुलों की तरह तुरंत बैठ जाने वाली अफवाहों और उम्मीदों पर दांव लगाते हैं, वे भी जानते हैं कि बचत की ग्रोथ में तेजी लाने का वह सही तरीका नहीं है। वे इसको लेकर शर्मिंदगी महसूस करते हैं लेकिन इसे फटाफट कमाई का तरीका भी साबित करने की कोशिश करते हैं। 
तो क्या इन सबका मतलब यह है कि अगर ज्यादा लोग फंडामेंटल एनालिसिस के हिसाब से इनवेस्टमेंट करते हैं तो उनका रिटर्न दूसरों से ज्यादा होगा और बेहतर रिटर्न पानेवाले निवेशकों का अनुपात बढ़ेगा? इस बात को समझने के लिए एक एक्सपेरिमेंट करके देखते हैं। मान लेते हैं कि ज्यादातर निवेशकों ने बेंजामिन ग्राहम की किताब सिक्योरिटी एनालिसिस के अलावा दूसरे इनवेस्टमेंट गुरुओं की किताबें भी पढ़ी हैं और वे लोग अपने पोर्टफोलियो में मौजूदा और उसमें भविष्य में शामिल किए जाने वाले सभी स्टॉक को फाइनैंशल और ऑपरेटिंग पैमानों पर कसते हैं। पीटर लिंच के मुताबिक, उनकी कड़ी नजर उन कंपनियों के फाइनेंशियल परफॉर्मेंस पर रहती है जिनसे उनका रोज साबका पड़ता है। वे फंडामेंटल रिसर्च की ठोस मेथड पर आधारित एडवाइजरी सर्विसेज भी लेते हैं। 
तो क्या ऐसे में सभी निवेशकों को शानदार रिटर्न मिलेगा? क्या इन्वेस्टिंग से बेहतर रिटर्न के लिए इतना काफी है? आपका जवाब स्वाभाविक रूप से हां में होगा, लेकिन वह गलत भी हो सकता है और गलत न भी हो तो फंडामेंटल जानकारी के साथ तय किया गया जरूर होगा। इच्टिी म्यूचुअल फंड्स में निवेशक और निवेश का रिटर्न पता करना आसान है, जहां दोनों ही आंकड़े पारदर्शी तरीके से निकाले जा सकते हैं। इसमें देखा जा सकता है कि लॉन्ग टर्म में कुछ इनवेस्टर का रिटर्न ज्यादा बढ़ता है जबकि दूसरों का रिटर्न कम रहता है। ऐसा क्यों? यह गलत आदत नहीं, बल्कि सही जानकारी के साइड इफेक्ट हैं और कई बार इनवेस्टर का रवैया उनकी जानकारी और बुद्धिमता पर भारी पड़ता है। 
ट्रेडिंग छोडक़र निवेशक बनने के बाद भी ज्यादातर लोग नॉलेज और स्किल तरफ भागते रहते हैं। उन्हें लगता है कि 1000 कंपनियों की 20 अलग-अलग फाइनेंशियल पैरामीटर पर कसी गई स्प्रेडशीट लगभग 50 स्टॉक्स की बेसिक जानकारी से बेहतर रिटर्न दिला सकती है। आमतौर पर रूस्न इनवेस्टर्स फंड के पोर्टफोलियो या अपने रिटर्न से मिलने वाले डेटा की बारीकी से पड़ताल में बरसों गुजार देते हैं। लेकिन सच से आगे क्या हो सकता है? निवेशकों के लिए सबसे बड़ी चीज धैर्य, बुनियादी सिद्धांतों पर फोकस और अवास्तविक रिटर्न की उम्मीद लगाने से परहेज होती है, लेकिन जो रिटर्न किसी को रियलिस्टिक लगता है, वह दूसरे को अनरियलिस्टिक लग सकता है। 
दूसरा बुनियादी सिद्धांत यह है कि अच्छी आदतें और प्रोसेस बड़ी कामयाबी का रास्ता खोल सकते हैं। निवेश में यह बहुत जरूरी है। निवेश की सफलता की अंतिम पैमाइश आपको मिलने वाला रेट ऑफ रिटर्न नहीं होता। इसका पता तो इससे चलेगा कि आपका निवेश रिटायरमेंट तक की वित्तीय जरूरतों को किस तरह पूरा कर पाता है, लेकिन इसके लिए सबसे पहली जरूरत बचत करने की होगी, जल्द बचत शुरू करके ठीक ठाक रकम बचत करने की होगी। कंपाउंड इनवेस्टिंग का हिसाब बताता है और उन लोगों को बड़ी कामयाबी दिलाता है जो करियर की शुरुआत में से ही बचत शुरू कर देते हैं और आमदनी का बड़ा हिस्सा बचाते हैं। 

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